Hazrat Tajuddin Baba Nagpur aulia Miracles history हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुर महाराष्ट्र के बेशुमार करामात, करामाते, चमत्कार - Irfani Islam...
Hazrat Tajuddin Baba Nagpur बाबा ताजुद्दीन करामाते बेशुमार
दीवार के पार की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुरी Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri ( रहमतुल्लाह अलैह ) के एक रिश्तेदार जिन का मुकाम शतरंजीपुरा , नागपुर में था , हुजूर का दहाँ आना - जाना रहता था ।
आप जब भी वहाँ जाते , लोगों का मजमा हो जाता और अपनी परेशानी हुजूर के सामने बताते एक दिन लोगों ने देखा कि हर दरवाजे की तरफ न जाते हुए दीवार की तरफ से सीधे उस तरफ निकल गए जहाँ आपकी घोडा गाड़ी खड़ी थी ।
आप की यह करामत देख कर लोग हैरान रह गए । लोगों का कलेजा मुंह को आ गया कि हुजूर दीवार के पार कैसे गुजर गए जोकि नामुमकिन है । दरअसल , जो अल्लाह का हो जाता है , अल्लाह उसका हो जाता है ।
कायनात की हर चीज़ उस के हुक्म के अधीन हो जाती है । वह जो कहता है वह हो जाता है । यही वजह है कि औलिया एक वक्त में कई - कई जगह पर मौजूद पाए गए हैं । जो लोगों के लिए हेल्ल का विषय भी है और कुदरत का राज भी !
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खूब कमाते . खूब खाते , खिलाते की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
शहर नागपुर के मशहूर हकीम अब्बू मियाँ का नाम कौन नहीं जानता । आप को भी सरकार ताजुल औलिया की दुआएँ थीं । अब्बू मियाँ की आदत थी जब सरकार ताजुल औलिया की सदारी इतवारी बाजार में उनकी दुकान के सामने से गुजरती तो आप सरकार के अदब में अपनी दुकान ही में खड़े हो जाते ।
आप का यह रोजाना का काम था । सरकार ताजुल औलिया भी हकीम नाहइ को दुआएँ देते गुजर जाते । एक दिन जब सरकार की गाड़ी हकीम साहब की दुकान के करीब आई तो हीरालाल कोचदान को गाड़ी रोकने का हुक्म हुआ ।
हकीम साहब फौरन लपके । हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुरी Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri ने हकीम साहब को ढेरों दुआएं दे डाली और खासतौर से यह फरमाया , " खूब कमाते , खूब खाते खिलाते । " सैय्यद बाबा ताजुद्दीन औलिया की बात सही साबित हुई ।
खुदा खुद फरमाता है कि मैं अपने वली की डदान बन जाता हूँ । इसलिए वली का फरमान खुदा ही का फरमान है । सुब्हान अल्लाह ! |
आजाद कैदी की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
सैयद अब्दुल हमीद रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर पुलिस के अनुसार बाबा हुजूर एक लंबे कद के इसान थे । सारे शहर में लंबे - लंबे कदमा से गश्त करते और मजमा साथ होता ।
एक बार प्रबंधक पुलिस रायबहादुर ताराचंद की मत मारी गई और इस ने बाबा ताजुद्दीनसाहब को हुक़ुम दिया कि उन्हें गिरफ्तार कर के कोतवाली में बंद कर दो ।
उस ने कहा वह पागलों की तरह शहर में घूमते हैं । फानी माहब ने ताराचंद को बहुत समझाया कहा , " साहब यह मजजूद बुजुर्ग है . उन्हें उन के हाल पर छोड़ दो " मगर ताराचंद नहीं माना ।
आखिर बाबा ताजुद्दीन को कोतवाली में कैद कर दिया गया । रात दो बजे बाबा ताजुद्दीन औलिया Hazrat Tajuddin Baba Aulia अचानक कहीं चल पड़े सुबह के वक्त हकीकत खुली तो ताराचंद के तोते उड़ गए बाबा ताजुद्दीन की तलाश शुरु हुई फानी साहब भी उन्हें टूटत - ढूंढत तेलंगडी तालाब की तरफ निकल पड़े ।
आप दहीं तालाब के किनारे टहल रहे थे । बाबा ताजुद्दीन ने उन्हें देख कर कहा , " तू मुझ गिरफ्तार करने आया है ! " फानी साहब ने कहा , " जी नहीं , आप को लेने आया है । प्रबंधक आप को याद कर रहे हैं ।
फिर बाबा ताजुद्दीन Tajuddin Baba और फानी साहब कोतवाली पहुंचे । ताराचंद बाबा ताजुद्दीन का देखत ही कदमों में गिर पड़ा और बहुत माफी मांगी ।
हुकूमत की बागडोर की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
जनाब सदर साहब , मिलादख्दा , नागपुरी के अनुसार एक कटर पर भारी रकम का जुर्माना हो गया था । उस शख्स ने हाई कोर्ट में अपील की और अपने पीरो मुर्शीद से दरख्वास्त की कि मुकदम में कामयाबी के लिए दुआ करें ।
उसके गुरु ने जदाद में इलाहाबाद से पत्र लिखा कि तुम इस सिलसिले में हुजूर ताजुल ऑलिया से मुलाकात करा क्योंकि सारे मामलात धार्मिक और वैश्विक इस समय उन्हीं के जिम्मे हैं । उस व्यक्ति ने अपने गुरु की सलाह पर अमल किया और कामयाबि पाई । .
बुरी नजर एक मुसीबत, की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
अक्सर लोग बाबा जान की दातों को समझने से वंचित रहते थे । आप का मद्रासी उच्चारण भी इस की एक वजह रहा है ।
एक बार एक छोटे बच्चे को उस के मां - बाप बाबा ताजुद्दीन औलिया Tajuddin Baba Aulia के पास लाए जिसकी तबियत खराब रहती थी । बाबा हुजूर ने कहा , " आग में डाल दो । ' बच्चे के माँ - बाप घबरा गए और वहाँ से चल दिए ।
उधर से सरवर सैय्यद बाबा ताजुद्दीन औलिया ( रहमतुल्लाह अलैह ) का गुजर हुआ तो उन्हें उन लोगों ने किस्सा सुनाया , आप ने मतलब समझाया कि हजरत ने उस की नजर उतार कर आग में डालने को कहा है । फिर वैसा ही किया गया और लड़का ठीक हो गया ।
सीधा खड़ा हो जा ! - Miracles
अंग्रेजी अखबार ' दी टाईम्स ऑफ इंडिया ' १८ जुलाई १ ९ २५ के अनुसार जिस में यह खबर छपी हुई थी कि एक व्यक्ति जो एक हादसे में अपाहिज हो गया था चलने के काबिल न था । नागपुर रेलवे स्टेशन के पास भीख मांगा करता था ।
एक दिन बाबा हुजूर Tajuddin Baba Aulia की सेवा में आया और अपना दुखड़ा सुनाया । कई हफ्तों के बाद भी जब वह ठीक न हुआ तो उस ने हुजूर को ताने देना शुरु कर दिया ।
उसी रात हुजूर ने उस के ख्वाब में आकर उसे सीधा खड़ा होने को कहा , कोशिश के बाद भी वह खड़ा न हो सका तो हुजूर ने उसे मिठाई और शरबत दिया और उसे एक ठोकर लगाई और फिर हुक्म दिया कि सीधा खड़ा हो जा ।
यह तरकीब काम कर गई । लंगड़ा उछलने लगा । कई भरोसेमंद लोगों ने इस वाक्ये की पुष्टि की है कि वरसों का लंगडा आखिर एक रात में ठीक हो गया । अखबार का पत्रकार भी इस वाक्ये की पुष्टि करता है । के लिए -
हवाई सवारी
एक दिन बाबा हुजूर ( रहमतुल्लाह अलैह ) , हज़रत सैयद महमूद अली शाह बगदादी ( रहमतुल्लाह अलैह ) से मुलाकात शतरंजीपुरा , अपनी बग्घी में तशरीफ ले गए ।
लोगों को जब हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुरी Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri के आने की खबर मिली तो मजमा आप के चारों तरफ जमा हो गया । लोग चाहते थे कि आप रात वहीं मुकाम करें मगर हुजूर को मंजूर न था ।
वापसी के समय लोग रास्ते में लेट गए कि इस तरह आप अपना इरादा बदल देंगे । आप ने कोचवान को हुक्म दिया चल और गाड़ी चल पड़ी । आप की गाड़ी लोगों पर से हवा के झोके की तरह गुज़र गई और किसी को हल्की सी खराश तक न पहुंची । .
लात में बात - Miracles
श्रीराम पांडे को पशु पालन का बहुत शौक था । एक बार उन्होंने पंजाब से एक भैंस खरीद लाई । अचानक उस भैंस का बच्चा मर गया । पांडेजी बहुत उदास हो गए । लोग जमा हुए ।
किसी ने सलाह दी कि सैय्यद बाबा ताजुद्दीन औलिया के पास ले चलिए , सब राजी हो गए । खुश किस्मती से बाबा हुजूर की सवारी उधर आ पहुंची । आप से इस बारे में बताया गया । आप ने भैंस के बच्चे को एक लात मारी फरमाया , " उठ " और वह जिन्दा हो गया । -
मुसीबत में राहत की करामात Hazrat Tajuddin Baba Nagpur की
जनाब अब्दुल हसन साहब फूट मर्चट के अनुसार वह बाबा हजूर Tajuddin Baba की सेवा में हाजिर हुआ करते थे । एक बार उनके भाई जनाद अब्दुस्सुव्हान साहब ने उन्हें संतरें की वैगन के साथ दिल्ल भिजवाया ।
मार्केट में दलालों ने उनका माल कम कीमत पर मांगा तो उन्होंने जवाब दे दिया कि सवा दो रुपये टोकरी से कम देने पर राजी नहीं हूँ । तीन दिनों तक कोई खरीदार ही नहीं आया तो फिर होने लगी कि भाई को क्या जवाब दूंगा ।
तीसरे दिन देखा तो संतर सड़ने लगे थे । कोई लेने तैयार न था । बहुत परेशानी में बाबा ताजुद्दीन औलिया को याद किया और सो गया । बाबा हुजूर Tajuddin Baba Aulia ख्वाब में तशरीफ लाए । क्या कहा समझ नहीं आया ।
इसी सोच में कि हुजूर कहा , सुबह से शाम हो गई । जब मार्केट में चला तो दलाल ने खबर दी कि आप का माल दो रुपये टोकरी में बेच दिया है । सड़े संतरी के बारे में पूछा तो पता चला कि संतरे सड़े निकले ही नहीं ।
बहुत हैरत हुई , भाई को तार से खबर दी और खुद नागपूर दरबारे आलिशान में नज़र व नियाज़ के लिए चले आए । .
मिट्टी के ठेलों में ... ! - Miracles
रायपुर में जनाब कुतबुद्दीन साहब के एक दोस्त जनाब जमालुद्दीन साहब म्युनिसिपल कमेटी में दस रुपये महीने से मुलाजिम थे ।
जब आप ने देखा कि मुस्तफा खान की तरक्की बाबा हुजूर की सेवा में जाने से हो गई है तो उन्होंने भी बाबा ताजुद्दीन औलिया की सेवा में जाने की ठानी और नागपुर पहुंच कर हुजूर से मुलाकात की ।
हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुरी Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri ने उन से कहा , " जाओ जी मिट्टी के ढेलों में घूमते फिरते रहो । " दतन वापस आने के बाद उच्च अधिकारियों ने मुलाकात की , ट्रान्सफर और तरक्की की पेशकश की ।
आप राजी हो गए । कुछ दिनों बाद ही जमालुद्दीन साहब रेवेन्यू इंस्पेक्टर हो गए और हुजूर के कहे अनुसार उन की तरक्की हो गई । -
ताजुद्दीन की सियाही कभी नहीं छूटती !
सरकार ताजुल औलिया के एक पक्के चाहने वाले थे , जनाब हकीम सैयद ज़फर हुसैन साहब । इनके एक दोस्त थे जनाब अलीमुद्दीन हाशमी जो कि सुप्रिटेन्डेट थे खारवा स्टेट सेंट्रल इंडिया में और अक्सर हुजूर की जियारत के लिए आया करते थे ।
आप का मुकाम भी हकीम साहब के घर हुआ करता था । एक दिन यूँ हुआ कि यह दोनों साहेबान गांजाखेत में श्री हरमज जी साहब । की चूड़ी की दुकान पर बैठे थे ।
अली साहब की जबान से अचानक यह जुमला निकला कि अब तो हजरत हमें अक्सर नहीं बलाते न दीदार कराते । यह बोलना था कि हजरत की बग्घी के सामने आकर रुकी ।
सब अचंभे में खड़े हो गए और बाबा ताजुद्दीन Tajuddin Baba को तकने लगे । गाड़ी से उतर कर हुजूर ने अली साहब की गर्दन थामते हुए फरमाया , " ताजुद्दीन की लगी हुई सियाही कभी नहीं छूटती । ' ' इस वाक्ये से आप के ज्ञान की गहराई का पता चलता है ।
खाकी कपड़े पहन ले !
करीम दाद खान के अनुसार आपकी ख्वाहिश पुलिस विभाग में नौकरी करने की थी । दिल में ख्वाहिश लिए बाबा हुजूर की सेवा में पहुंचे । आप के सामने अदब से बैठ गए ।
हजरत बाबा ताजुद्दीन नागपुरी Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri ने खामोशी तोड़ते हुए कहा , " खाकी कपड़े पहन ले रे , सोचता क्या है । ' घर वापस आए , अल्लाह ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि एक रोज आप पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हो गए ।
जा ! तुझे कुछ नहीं होता !
जनाब जफर अली खान साहब जो कि पुलिस विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थे । औलिया अल्लाह से दूर रहते थे । एक दिन जनाब को दो डाकुओं को , जो कातिल भी थे पकड़ने का हुक्म हुआ ।
यह जनाब बहुत परेशान हुए । इत्तेफाक से जब घर से चले तो उनकी मुलाकात बाबा ताजुद्दीन औलिया से हो गई ।
बाबा हुजूर Tajuddin Baba Aulia ने उन्हें देखते ही कहा , " तू आ गया ना हमारे पास , जा तुझे कुछ नहीं होता । '
' यह जनाब बहुत शर्मिन्दा हुए । फिर डाकुओं को पकड़ने चले गए । मुहिम में कामयाबी भी मिली और इनाम भी मिले । पद में तरक्की हुई और इनाम में तलवार हाथ आई ।
खूब बिकेगी ! - Miracles
छोटू मियाँ नाम के एक शख्स नागपुर रेल्वे स्टेशन के पास चाय बेचा करते थे । एक दिन अचानक बाबा ताजुद्दीन औलिया Hazrat Tajuddin Baba Nagpuri उधर आ गए ।
छोटू मियाँ ने अच्छा मौका देखकर हुजूर से दुआ की दरख्वास्त कर दी । हुजूर ने फौरन कहा , " खूब बिकेगी । ' ' थोड़े ही दिनों बाद रेल्वे स्टेशन पर कैन्टीन के ठेके का ऐलान हुआ । छोटू मियाँ ने भी अर्जी दे दी । ठेकेदारों में इनका नाम निकला ।
कुछ ही दिनों में छोटू मियाँ पैसे वाले हो गए । यह सब बाबा हुजूर Tajuddin Baba की नजरे करम का नतीजा था ।
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