Muharram Me Kya Jaiz Or Najaiz Hai मुहर्रम में जाइज़ नाजाइज़, मुहर्रम में मछली खाना, पान खाना, साग और अंडे खाना, नये साल की मुबारकबाद , निकाह Nikah
अगर आप भी मुहर्रम के पुरे महीने या मुहर्रम महीने के पहले 10 दिन में क्या जाइज़ और क्या नाजाइज़ है ये जानना चाहते है तो आप बिलकुल सही जगह पर आए है।
Muharram Me Kya Jaiz Or Najaiz Hai मुहर्रम में जाइज़ नाजाइज़
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मुहर्रम में मछली खाना जाइज़ या नाजाइज़
Muharram Me Kya Jaiz Or Najaiz Hai - कुछ लोग ये भी कहते हैं कि माह मुहर्रम में मछली नहीं खानी चाहिये क्योंकि ये ग़म का महीना है । इसी वजह से निकाह के लिये भी मना किया जाता है ।
ये जान लीजिये कि शरीअत ने ना तो इसे ग़म का महीना क़रार दिया है और ना ही इस तरह ग़म मनाने का हुक्म दिया है फिर अपनी तरफ से इस तरह की बातें लाकर जाइज़ कामों से रोकना कैसे सहीह हो सकता है ?
फ़तावा बरेली शरीफ़ में एक सवाल इसी ताल्लुक़ से मौजूद है कि क्या अय्यामे मुहर्रम में मछली खाना मना है ?
अल जवाब : मछली खाना किसी दिन मना नहीं , बाज़ जुहला ये कहते हैं कि अय्यामे मुहर्रम में मछली खाना ना चाहिये , ये बिल्कुल बे अस्ल है ।
ये भी कहा जाता है कि मुहर्रम या सफ़र के महीने में नया घर नहीं बनाना चाहिये । ये भी इसी किस्म की बात है जैसे कुछ बातें बयान हुईं । इन सब चीज़ों का मक़सद ग़म मनाना है जो कि बिल्कुल दुरुस्त नहीं ।
फ़तावा फ़क़ीहे मिल्लत में एक सवाल यूँ है कि ज़ैद माहे मुहर्रम या सफ़र Muharram Ya Safar में नया घर बनवाना चाहता है । शरीअते मुहम्मदी में इन दोनों महीनों में घर बनाना कैसा ? नीज़ इन के अलावा किसी महीने में घर बनाने से कोई शरई रोक है या नहीं ?
अल जवाब : माहे मुहर्रमुल हराम , सफ़र या किसी और महीने में नया घर बनाने में शर'अन कोई मुमानिअत ( रोक ) नहीं क्योंकि किसी महीने या किसी तारीख को मनहूस जानना नजूमियों के ढकोसले हैं । हदीस शरीफ़ में है " 0 " यानी सफ़र कोई शय नहीं । इसी के तहत अश'अतुल लम'आत जिल्द सोम , सफ़हा 260 पर है
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और हज़रते सदरुश्शरिया फ़रमाते हैं कि माहे सफ़र को लोग मनहूस जानते हैं , इस में शादी बियाह नहीं करते , लड़कियों को रुखसत नहीं करते और सफ़र करने से गुरेज़ करते हैं , खुसूसन माहे सफ़र की तेरह तारीखें बहुत मनहूस मानी जाती हैं , ये सब जिहालत की बातें हैं । हदीस में फ़रमाया कि सफ़र कोई शय नहीं यानी लोगों का इसे मनहूस समझना ग़लत है ।
ये भी देखे :
- मुहर्रम में निकाह शादी करना या नहीं करना पर पूरी मालूमात
- मुहर्रम के मसले मसाइल अशुरा, मातम, ताजियादारी।
- मुहर्रम में क्या जाइज़ ?
मुहर्रम में पान खाना जाइज़ या नाजाइज़
अय्यामे मुहर्रम में पान खाने Muharram Me Paan Khane से भी मना किया जाता है जो कि बिल्कुल दुरुस्त नहीं है । पान हो या कोई दूसरी खाने की चीज़ , अगर वो हलाल है तो उसे मुहर्रम या किसी और महीने में खाना जाइज़ है ।
मुहर्रम में साग और अंडे खाना जाइज़ या नाजाइज़
बाज़ लोग कहते हुये नज़र आते हैं कि इस महीने में साग और अंडा Muharram Mahine Me Saag Ande भी नहीं खाना चाहिये ये बात भी दुरुस्त नहीं है । जो चीजें खाना जाइज़ है , उन्हें मुहर्रम के महीने Muharram Ke Mahine में भी खा सकते हैं । इस तरह की बातें अहले सुन्नत में गैरों की तरफ़ से या उनकी वजह से आई हैं । अहले सुन्नत में ऐसी बातों की कोई अस्ल नहीं है । ये सब सोग और ग़म को बढ़ावा देने वाली बाते हैं ।
एक मिसाल नये साल की जाइज़ या नाजाइज़
मुहर्रम महीने से इस्लामी साल Muharram Mahine Se Islami Saal का आग़ाज़ होता है तो लोग एक दूसरे को मुबारकबाद MubarakBaad पेश करते हैं लेकिन फिर यहाँ भी ये कहा जाता है कि मुबारकबाद ना दी जाये क्योंकि ये ग़म का महीना है ।
यही वो बुनियादी ग़लत फहमी मालूम होती है कि जिसकी वजह से लोगों ने ऐसे बे सरो पा के मसाइल घढ़ लिये हैं ।
ये ग़म मनाने का ही ख्याल है कि जो आगे चल कर इस हद तक पहुँच गया कि लोगों को जाइज़ कामों से मना किया जा रहा है ।
मुबारकबाद देने के ताल्लुक़ से इमाम जलालुद्दीन सुयूती अलैहिर्रहमा लिखते हैं कि ईद और नये साल New Year और नये महीने की मुबारकबाद देने में कोई हर्ज नहीं ।
आखिरी बातें मुहर्रमुल हराम में निकाह जाइज़ या नाजाइज़
हमने मुहर्रमुल हराम में निकाह Muharram Mahine Me Nikha-Shadi के ताल्लुक़ से उलमा -ए अहले सुन्नत के मोकिफ़ उनकी किताबों , फ़तावों और अक़वाल से बयान किया है ।
निकाह के मसअले के साथ साथ कुछ और मसाइल भी ज़ेरे बहस आये हैं जो अलग तो हैं लेकिन वजह सब की एक ही मालूम होती है
और वो है इस महीने को ग़म का महीना समझना जो कि बिल्कुल दुरुस्त नहीं है । ऐसे अगर किसी सहाबी की शहादत के महीने Sahadat Ke Mahine को ग़म का महीना Gam Ka Mahina क़रार दिया जाने लगे तो फिर कौन सा महीना बचेगा ?
आगे बढ़ कर हम ये सवालात भी कर सकते हैं कि जब मुहर्रम में निकाह नहीं कर सकते तो फिर कौन सा महीना ऐसा है कि जिस में निकाह करना चाहिये ?
क्या उस महीने में किसी की शहादत वाकेअ नहीं हुई ? क्या उस महीने में ऐसी कोई तारीख नहीं कि जिस की तारीख जुल्मो सितम की दास्तानें याद दिलाती हो ?
अगर हैं , और बेशक हैं तो फिर क्या उन के शुहदा से अक़ीदत नहीं ? फिर क्यों तमाम शुहदा का ज़िक्र ना करके खास इस महीने में ऐसे मसाइल बयान किये जाते हैं ? क्या ये शरीअत के मुक़ाबिले में अपनी मन मानी नहीं है ?
मुहर्रम का पाक महीना
जब ये महीना आता है तो शुहदा -ए- करबला की यादें ताज़ा हो जाती हैं , ये यादें इस लिये नहीं कि हम उन्हें ले कर रोना धोना शुरू कर दें,
और ज़बरदस्ती ग़म का माहौल बनाने के लिये इस तरह के मसाइल घढ़ लें जिन की शरीअत में कोई अस्ल नहीं बल्कि ये यादें इसीलिये हैं कि हम उन का ज़िक्र करें , उन के मिशन पर काम करें ,
उन्होंने जिस दीन की खातिर कुर्बानियाँ दी हैं , उस दीन की सर बुलंदी के लिये कोशिश करें ।
अल्लाह त'आला हमें हक़ और मुहर्रम में क्या जाइज़ और नाजाइज़ Muharram Me Kya Jaiz Or Najaiz Hai पर क़ाइम रखे । हमने जो लिखा उसे कुबूल फ़रमाये । जो ग़लतियाँ हुई हों और जो खामियां रह गयीं उन्हें अपने हबीब 4 के सदके में मुआफ़ फ़रमाये । अब्दे मुस्तफ़ा ऑफ़िशियल.
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