Shajra E Qadria शजरा ए क़ादरिया In Hindi Nasab Rizvia Shareef in Roman English Hindi pdf irfani islam
Shajra E Qadriya Lyrics शजरा ए क़ादरिया In Hindi - Irfani
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रोज फज़र की नमाज़ की बाद या दिन में कोई टाइम वक़्त मिलने पर पढ़ ले. शजरा ए क़ादरिया Shajra e Qadriya को हमेशा पढ़ने का फायदा ये हैं,
की समझिये की अगर आप के दरवाज़े पर एक फकीर रोजाना दस्तक देता हैं भिक के लिए पर आप उसे उसे आखिर कब तक रोज़ माफ़ करिये बोलेंगे।
आखिर एक न एक दिन आप को उसे उसकी मनपसन्द चीज या अपनी मनपसंद चीज देना पड़ेंगे।
इसी तरह गॉस आप के बारगाह में आप रोजाना शजरा ए क़ादरिया Shajra e Qadriya पढ़ कर गॉस आप के बारगाह में भिक मांगेगे अपनी अर्ज़ी लगाएंगे तो,
इंशाअल्लाह गॉस पाक अल्लाह की अता से इस शजरा ए क़ादरिया Shajra e Qadriya पढ़ने वाले की दुआ जरुरु अल्लाह की अता से क़बूल करेंगे और अपनी कहने वालो की मुरीदो की झोली भरेंगे।
शजरा ए क़ादरिया Shajra E Qadriya Lyrics
या इलाही रहम फ़रमा मुस्तफ़ा के वास्ते,
या रसूलअल्लाह करम कीजिये खुदा के वास्ते।
मुश्किल हल कर शहे मुश्किल कुश के वास्ते,
कर बलाए रद शहीदे कर्बला के वास्ते।
सैयद ए सज्जाद के सदके में साजिद रख मुझे,
इलमे हक दे बकिरे इलमे हुदा के वास्ते।
सिदके सादिक का तस्द्दुक सादिकुल इस्लाम कर,
बे गज़ब रज़ी हो काज़िम और रज़ा के वेस्ट।
बहारे मारुफो सरि मारुफ दे बे खुदा सरि,
जुदे हक में गन जुनैदे बा सफा के वास्ते।
बाहरे शिबली शेरे हक दुनिया के कुत्तो से बचा,
एक का रख अबदे वाहिद बे रिया के वास्ते।
बुल फरह का सदका कर गम जो फरह दे हुसनो साद,
बुल हसन और बू सईदे सद्जा के वास्ते।
कादरी कर, कादरी रख, कादरियो में उठा,
कादरे अब्दुल कादिर कुदरत नुमा के वास्ते।
अहसानअल्लाहु लहू रिज़्कान से दे रिज़्के हसन,
बंदे रज्जाक तजुल असिफिया के वास्ते।
नसरबी सालेह का सदका सालेहो मंसूर रख,
दे हयात-ए-दीन मुहिय्ये जा फिजा के वास्ते ।
तूर-ए-इरफ़ान वा उलू वा हम्द वा हुस्ना वा बहा,
दे अली मूसा हसन अहमद बहा कह वास्ते ।
बहर-ए-इब्राहिम मुझ पर नार-ए-घुम गुलजार कर ,
भिक दे दाता भिकारी बादशा केह वास्ते ।
खाना'ए दिल को जिया दे रु'ए ईमान को जमाल ,
शेह जिया मौला जमालुल औलिया के वास्ते ।
देह मुहम्मद के लिए रोज़ी कर अहमद के लिए,
खाने फजलुल्लाह से हिस्सा गदा के वास्ते ।
दिनो दुनिया की मुझे बरकत दे बरकत से,
इश्क़ हक़ दे इश्क़ी-ए-इश्क इतिमा कह वास्ते ।
हुबे अहले बैत दे आले मुहम्मद के लिए,
कर शहीद इश्क हमजा पेशवा के वास्ते ।
दिल को अच्छा तन को सूत्रा जान को पुर नूर कर,
अच्छे प्यारे शम्सुद्दीन बदरूल उला के वास्ते ।
दो जहां में खादिमे आले रसूलुल्लाह कर,
हज़रते आले रसूल मुक्तदा के वास्ते ।
नूर-ए-जान व नूर-ए-इमान नूर-ए-क़बरो हशर दे,
बुल हुसैन-ए अहमदे नूरी लीका के वास्ते ।
कर 'अता अहमद रज़ा ए अहमद मुरसल मुझे ,
मेरे मौला हजरत अहमद रजा के वास्ते।
साया-ए जुमला मशाईख या खुदा हम पर रहे,
रहेम फरमा आले रहमान मुस्तफा के वास्ते ।
इन बुज़ुर्गों का तू सदक़ा दे मुझे मौला मेरे,
हज़रत इब्राहिम नूरी वा रज़ा के वास्ते ।
साया ए जिलानी लम्हा बा लम्हा मुझ पर रहे,
मेरे मुर्शिद हजरते जिलानी मियां के वैस्ट ।
सदका इन अय्या का दे चैन इज़ इल्मो अमल,
अफवो इरफ़ा आफ़ियत इस बे नवा के वास्ते।
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आला हज़रात की नात ए आज़म (Shajra E Qadria)
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- वह क्या मर्तबा ऐ गॉस हैं बाला तेरा,
- ऊंचे ऊंचे के सरो से कदम आला तेरा.
- सर भला क्या कोई जाने की हैं कैसा तारा,
- औलिया मलते हैं आंखे वह हैं तलवा तेरा.
- क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा,
- शेर को खतरे में लता नहीं कुत्ता तेरा.
- तू हुसैनी हसनी क्यों न मुहिय्योद्दीन हो,
- ऐ ख़ुज़र मजमए बहरैन हैं चश्मा तेरा.
- कस्मे दे दे के खिलता हैं पिलाता हैं तुज़हे,
- प्यारा अल्लाह तेरा चाहने वाला तेरा।
- मुस्तफा के तने वे साया के साया देखा,
- जिस ने देखा मेरी जा जलवाये जेबा तेरा.
(आला हज़रात बरेली शरीफ )