Wazu Ka Tarika वुज़ू का तरीका Niyat, Tutne Ki Wajah, Ba Wazu Rahne Ki Fazilat Farz Sunnat, Mustahabbat Makruhat वुज़ू की फ़ज़ीलत, फ़र्ज़, सुन्नतें, मुस्तहब्
Wazu Ka Tarika वुज़ू का तरीका Niyat Farz Sunnat Tutne Ki Wajah
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Wazu Ka Tarika - हज़रते सय्यिदुना उस्माने गुनी ने एक बार एक मक़ाम पर पहुंच कर पानी मंगवाया और वुज़ू किया फिर अचानक मुस्कुराने और रु - फ़क़ा (साहाबा इकराम) से फ़रमाने लगे :
जानते हो मैं क्यूं मुस्कुराया ?
फिर खुद ही इस सुवाल का जवाब देते हुए फ़रमाया : मैं ने देखा सरकारे दो आलम ने वुज़ू फ़रमाया था और बाद वुज़ू के फ़रागत मुस्कुराए थे, वुज़ू के बाद फरमाया :
और सहाबए किराम जानते हो मैं क्यूं मुस्कुराया ?
फिर मुस्तफ़ा ने खुद ही फ़रमाया :
“ जब आदमी वुज़ू करता है तो चेहरा धोने से चेहरे के और हाथ धोने से हाथों के और सर का मस्ह करने से सर के और पाउं धोने से पाउं के गुनाह झड़ जाते हैं । "
वुज़ू की फ़ज़ीलत Ba Wazu Rahne Ki Fazilat
बा वुज़ू सोने की फ़ज़ीलत :
हृदीसे पाक में है : बा वुज़ू सोने वाला रोज़ा रख कर इबादत करने वाले की तरह है ।
बा वुज़ू मरने वाला शहीद है :
मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलैवसल्लम ने हज़रते सय्यदुना अनस से फ़रमाया :
बेटा ! अगर तुम हमेशा बा वुज़ू रहने की इस्तिताअत रखो तो ऐसा ही करो क्यूं कि म - लकुल मौत जिस बन्दे की रूह हालते वुज़ू में क़ब्ज़ करता है उस के लिये शहादत लिख दी जाती है । मेरे आका आ ' ला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान " फ़रमाते हैं : हमेशा बा वुज़ू रहना मुस्तहब (Ba Wazu Rahna Mustahab Hain) है ।
वुज़ू का तरीका ( हनफ़ी ) Wazu Ka Tarika-Tariqa In HIndi
( 1 ). का ' बतुल्लाह शरीफ़ की तरफ मुंह कर के ऊंची जगह बैठना मुस्तहब है ।
- वज़ू की नियत / Wazu Ki Niyat
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( 2 ). वुज़ू के लिये निय्यत करना सुन्नत है , निय्यत न हो तब भी वुज़ू हो जाएगा मगर सवाब नहीं मिलेगा ।
निय्यत दिल के इरादे को कहते हैं , दिल में निय्यत होते हुए ज़बान से भी कह लेना अफ़ज़ल है,
लिहाज़ा ज़बान से इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं हुक्मे इलाही १ बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिये वुज़ू कर रहा हूं ।
लीजिये कि येह भी सुन्नत है । बल्कि कह कह लीजिये कि जब तक बा वुज़ू रहेंगे फ़िरिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे ।
- हाथ धोना
Wazu-Ka-Tarika |
( 3 ). अब दोनों हाथ तीन तीन बार पहुंचों तक धोइये , ( नल बन्द कर के ) दोनों हाथों की उंग्लियों का ख़िलाल भी कीजिये ।
- मिस्वाक करना
Wazu-Ka-Tarika |
( 4 ). कम अज़ कम तीन तीन बार दाएं बाएं ऊपर नीचे के दांतों में मिस्वाक कीजिये और हर बार मिस्वाक को धो लीजिये ।
हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली फ़रमाते हैं :
" मिस्वाक करते वक़्त नमाज़ में कुरआने मजीद की किराअत और ज़िक्रुल्लाह के लिये मुंह पाक करने की निय्यत करनी चाहिये | "
- कुल्ली करना
Wazu-Ka-Tarika |
( 5 ). अब सीधे हाथ के तीन चुल्लू पानी से ( हर बार नल बन्द कर के ) इस तरह तीन कुल्लियां कीजिये कि हर बार मुंह के हर पुर्जे पर ( हुल्क के कनारे तक ) पानी बह जाए ,
अगर रोज़ा न हो तो गर - गरा भी कर लीजिये |
- नाक में पानी चढ़ाना
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( 6 ). फिर सीधे ही हाथ के तीन चुल्लू ( अब हर बार आधा चुल्लू पानी काफ़ी है ) से ( हर बार नल बन्द कर के ) तीन बार नाक में नर्म गोश्त तक पानी चढ़ाइये और अगर रोज़ा न हो तो नाक की जड़ तक पानी पहुंचाइये ,
( 7 ). अब ( नल बन्द कर के ) उलटे हाथ से नाक साफ़ कर लीजिये और छोटी उंगली नाक के सूराखों में डालिये ।
- चहेरा धोना
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( 8 ). तीन बार सारा चेहरा इस तरह धोइये कि जहां से आदतन सर के बाल उगना शुरू होते हैं वहां से ले कर ठोड़ी के नीचे तक,और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए ।
अगर दाढ़ी है और एहराम बांधे हुए नहीं हैं तो ( नल बन्द करने के बा'द ) इस तरह ख़िलाल कीजिये कि उंग्लियों को गले की तरफ़ से दाखिल कर के सामने की तरफ निकालिये.
- हाँथ धोना
Wazu-Ka-Tarika |
( 9 ). फिर पहले सीधा हाथ उंग्लियों के सिरे से धोना शुरू कर के कोहनियों समेत तीन बार धोइये । इसी तरह फिर उलटा हाथ धो लीजिये |
दोनों हाथ आधे बाजू तक धोना मुस्तहब है ।
(अक्सर लोग चुल्लू में पानी ले कर पहुंचे से तीन बार छोड़ देते हैं कि कोहनी तक बहता चला जाता है
इस तरह करने से कोहनी और कलाई की करवटों पर पानी न पहुंचने का अन्देशा है लिहाज़ा बयान कर्दा तरीक़े पर हाथ धोइये । )
अब चुल्लू भर कर कोहनी तक पानी बहाने की हाजत नहीं बल्कि ( बिगैर इजाज़ते सहीहा ऐसा करना ) येह पानी का इसराफ़ है ।
- सर का मस्ह करना
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( 10 ). अब ( नल बन्द कर के ) सर का मस्ह इस तरह कीजिये कि दोनों अंगूठों और कलिमे की उंग्लियों को छोड़ कर दोनों हाथ की तीन तीन उंग्लियों के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिये,
और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर खींचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइये कि ।
हथेलियां सर से जुदा रहें , फिर गुद्दी से हथेलियां खींचते हुए पेशानी तक ले आइये ,
' कलिमे की उंग्लियां और अंगूठे इस दौरान सर पर बिल्कुल मस नहीं होने चाहिएं ,
फिर कलिमे की डंग्लियों से कानों की अन्दरूनी स का और अंगूठों से कानों की बाहरी सतह का मस्ह कीजिये,
और झुंग्लियां ( या'नी छोटी उंग्लियां ) कानों के सूराखों में दाखिल कीजिये और उंग्लियों की पुश्त से गरदन के पिछले हिस्से का मस्ह कीजिये ।
( बा'ज़ लोग गले का और धुले हुए हाथों की कोहनियों और कलाइयों का मस्ह करते हैं येह सुन्नत नहीं है । )
(सर का मस्ह करने से क़ब्ल टोंटी अच्छी तरह बन्द करने की आदत बना लीजिये बिला वज्ह नल खुला छोड़ देना या अधूरा बन्द करना कि पानी टपक कर जाएअ होता रहे इसराफ़ व गुनाह है ।)
- पैर धोना
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( 11 ). पहले सीधा फिर उलटा पाउं हर बार उंग्लियों से शुरू कर के टख़्नों के ऊपर तक बल्कि मुस्तहब है कि आधी पिंडली तक तीन तीन बार धो लीजिये ।
दोनों पाउं की उंग्लियों का ख़िलाल करना सुन्नत है । ( ख़िलाल के दौरान नल बन्द रखिये ).
ख़िलाल का मुस्तहब तरीक़ा येह है कि उलटे हाथ की छुग्लिया से सीधे पाउं की छुग्लिया का ख़िलाल शुरूअ कर के अंगूठे पर ख़त्म कीजिये और उलटे ही हाथ की छुग्लिया से उलटे पाउं के अंगूठे से शुरूअ कर के धुंग्लिया पर ख़त्म कर लीजिये । ( आम्मए कुतुब )
( हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली फरमाते हैं : हर उज्व धोते वक़्त येह उम्मीद करता रहे कि मेरे इस उज़्व के गुनाह निकल रहे हैं ।
वुज़ू के फ़र्ज़ और सुन्नत Wazu Ke Faraiz Aur Sunnat
वुज़ू के फ़र्ज़ Wazu Ke Farz
- सवाल : वज़ू में कितने फ़र्ज़ होते हैं? / Wazu Ke Kitne Farz Hai?
- जवाब : वज़ू में 4 चार फ़र्ज़ होते हैं. / Wazu Ke 4 Farz Hain.
( 1 ). चेहरा धोना
( 2 ). कोहनियों समेत दोनों हाथ धोना
( 3 ). चौथाई सर का मस्ह करना
( 4 ). टखनों समेत दोनों पाउं धोना ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 288 )
वुज़ू की सुन्नतें Wazu Ki Sunnat
Wazu-Ka-Tarika |
- सवाल : वज़ू में कितने सुन्नत होते हैं? / Wazu Ke Kitne Sunnat Hain?
- जवाब : वज़ू में 14 चौदह सुन्नत होते हैं / Wazu Ke 14 Sunnat Hain.
( 1 ). निय्यत करना
( 2 ). बिस्मिल्लाह पढ़ना । ( अगर वुजू से क़ब्ल बिस्मिल्लाह इर्रहमान नीर रहीम कह लें तो जब तक बा वुज़ू रहेंगे फ़िरिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे )
( 3 ). दोनों हाथ पहुंचों तक तीन बार धोना
( 4 ). तीन बार मिस्वाक करना
( 5 ). तीन चुल्लू से तीन बार कुल्ली करना
( 6 ). रोज़ा न हो तो गर गरा करना
( 7 ). तीन चुल्लू से तीन बार नाक में पानी चढ़ाना
( 8 ). दाढ़ी हो तो ( एहराम में न होने की सूरत में ) उस का ख़िलाल करना
( 9 ). हाथ की में उंग्लियों का ख़िलाल करना
( 10 ). पाउं की में उंग्लियों का ख़िलाल करना
( 11 ). पूरे सर का एक ही बार मस्ह करना
( 12 ). कानों का मस्ह करना
( 13 ). फ़राइज़ में तरतीब काइम रखना ( या'नी फ़र्ज़ आ'ज़ा में पहले मुंह फिर हाथ कोहनियों समेत धोना , फिर सर का मस् करना और फिर पाउं धोना ) और
( 14 ). पै दर पै वुज़ू करना या'नी एक उज्व सूखने न पाए कि दूसरा उज्व धो लेना ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 293 , 294 मुलख़ख़सन )
वुज़ू के मुस्तहब्बात Wazu Ke Mustahabbat / Mustahabat
Wazu-Ka-Tarika |
सवाल : वज़ू में कितने मुस्तहब्बात हैं? / Wazu Me Kitne Mustahabbat Hain?
जवाब : वज़ू में 29 वन्तीस मुस्तहब्बात होते हैं / Wazu Me 29 Mustahabbat Hain.
( 1 ). क़िब्ला रू
( 2 ). ऊंची जगह
( 3 ). बैठना
( 4 ). पानी बहाते वक्त आ'ज़ा पर हाथ फैरना
( 5 ). इत्मीनान से वुजू करना
( 6 ). आ जाए वुज़ू पर पहले पानी चुपड़ लेना खुसूसन सर्दियों में
( 7 ). वुजू करने में बिगैर ज़रूरत किसी से मदद न लेना
( 8 ). सीधे हाथ से कुल्ली करना
( 9 ). सीधे हाथ से नाक में पानी चढ़ाना
( 10 ). उलटे हाथ से नाक साफ़ करना
( 11 ). उलटे हाथ की छंग्लिया नाक में डालना
( 12 ). उंगलियों की पुश्त से गरदन की पुश्त का मस्ह करना
( 13 ). कानों का मस्ह करते वक्त भीगी हुई धुंग्लिया ( या'नी छोटी उंग्लियां ) कानों के सूराखों में दाखिल करना
( 14 ). अंगूठी को हु - र - कत देना जब कि ढीली हो और येह यक़ीन हो कि इस के नीचे पानी बह गया है , अगर सख़्त हो तो ह - र - कत दे कर अंगूठी के नीचे पानी बहाना फ़र्ज़ है
( 15 ). मा ' ज़ूरे शर - ई ( इस के तफ़्सीली अहकाम इसी रिसाले के सफ़हा 34 ता 37 पर मुला- हज़ा फ़रमा लीजिये ) न हो तो नमाज़ का वक्त शुरू होने से पहले ही वुज़ू कर लेना
( 16 ). जो कामिल तौर पर वुज़ू करता है या'नी जिस की कोई जगह पानी बहने से न रह जाती हो उस का कूओं ( या'नी नाक की तरफ़ आंखों के दोनों कोने ) टख़्नों , एड़ियों , तल्वों , कूंचों ( या'नी एड़ियों के ऊपर मोटे पठ्ठे ) घाइयों ( या'नी उंग्लियों के दरमियान वाली जगहों ) और कोहनियों का खुसूसिय्यत के साथ ख़याल रखना और ख़याली करने वालों के लिये तो फ़र्ज़ है कि इन जगहों का ख़ास ख़याल रखें कि अक्सर देखा गया है कि येह जगहें खुश्क रह जाती हैं और येह बे ख़याली ही का नतीजा है ऐसी बे ख़याली हराम है और ख़याल रखना फ़र्ज़
( 17 ). वुज़ू का लोटा उलटी तरफ रखिये अगर तश्त या पतीली वगैरा से वुज़ू करें तो सीधी जानिब रखिये
( 18 ). चेहरा धोते वक़्त पेशानी पर इस तरह फैला कर पानी डालना कि ऊपर का कुछ हिस्सा भी धुल जाए
( 19 ). चेहरे और
( 20 ). हाथ पाउं की रोशनी वसीअ करना या'नी जितनी जगह पानी बहाना फ़र्ज़ है उस के अतराफ़ में कुछ बढ़ाना म - सलन हाथ कोहनी से ऊपर आधे बाज़ू तक और पाउं टख़्ज़ों से ऊपर आधी पिंडली तक धोना करते
( 21 ). दोनों हाथों से मुंह धोना
( 22 ). हाथ पाउं धोने में उंगलियों से शुरू करना
( 23 ). हर उज्व धोने के बा'द उस पर हाथ फैर कर बूंदें टपका देना ताकि बदन या कपड़े पर न टपकें खुसूसन जब कि मस्जिद में जाना हो कि फ़र्शे मस्जिद पर वुज़ू के पानी के क़तरे गिराना मक्रूहे तहरीमी है
( 24 ). हर उज्व के धोते वक्त और मसह करते वक़त नियते वज़ू का हाज़िर रहना
( 25 ). इब्तिदा में बिस्मिल्लाह के साथ साथ दुरूद शरीफ़ और कलिमए शहादत पढ़ लेना
( 26 ). आ'ज़ाए वुज़ू बिला ज़रूरत न पोंछिये अगर पोंछना हो तब भी बिला ज़रूरत बिल्कुल खुश्क न कीजिये कुछ तरी बाक़ी रखिये कि बरोज़े क़ियामत नेकियों के पलड़े में रखी जाएगी
( 27 ). वुजू के बाद हाथ न झटकें कि शैतान का पंखा है
( 28 ). बा'दे वुज़ू मियानी ( या'नी पाजामे का वोह हिस्सा जो पेशाब गाह के क़रीब होता है ) पर पानी छिड़कना । ( पानी छिड़क्ते वक्त मियानी को कुरते के दामन में छुपाए रखना मुनासिब है नीज़ वुज़ू करते वक्त भी बल्कि हर वक्त पर्दे में पर्दा करते हुए मियानी को कुरते के दामन या चादर वगैरा के जरीए छुपाए रखना हया के करीब है )
( 29 ). अगर मक्रूह वक़्त न हो तो दो रक्अत नफ़्ल अदा करना जिसे तहिय्यतुल वुज़ू कहते हैं । हैं
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 293,300 )
वुज़ू के मकरूहात Wazu Ke Makruhat
- सवाल : वज़ू के कितने मकरूहात होते हैं? / Wazu ke Kitne Makruhat Hain?
- जवाब : वज़ू के 16 सोला मकरूहात होते हैं / Wazu ke 16 Makruhat Hain.
( 1 ). वुज़ू के लिये नापाक जगह पर बैठना
( 2 ). नापाक जगह वुज़ू का पानी गिराना
( 3 ). आ'ज़ाए वुज़ू से लोटे वगैरा में क़तरे टपकाना ( मुंह धोते वक़्त भरे हुए चुल्लू में उमूमन चेहरे से पानी के क़तरे गिरते हैं इस का ख़याल रखिये )
( 4 ). क़िब्ले की तरफ़ थूक या बल्गम डालना या कुल्ली करना
( 5 ). बे ज़रूरत दुन्या की बात करना
( 6 ). जियादा पानी खर्च करना ( सदरुश्शरीअह मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी बहारे शरीअत मुखर्रजा जिल्द अव्वल सफ़हा 302 ता 303 पर फ़रमाते हैं : नाक में पानी डालते वक़्त आधा चुल्लू काफ़ी है तो अब पूरा चुल्लू लेना इसराफ़ है )
( 7 ). इतना कम पानी खर्च करना कि सुन्नत अदा न हो ( टोंटी न इतनी ज़ियादा खोलें कि पानी हाजत से जियादा गिरे न इतनी कम खोलें कि सुन्नत भी अदा न हो बल्कि मु तवस्सित हो )
( 8 ). मुंह पर पानी मारना
( 9 ). मुंह पर पानी डालते वक्त फूंकना
( 10 ). एक हाथ से मुंह धोना कि रिफ़ाज़ व हुनूद का शिआर है
( 11 ). गले का मस्ह करना
( 12 ). उलटे हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी चढ़ाना
( 13 ). सीधे हाथ से नाक साफ़ करना
( 14 ). तीन जदीद पानियों से तीन बार सर का मस्ह करना
( 15 ). धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना
( 16 ). होंट या आंखें ज़ोर से बन्द करना और अगर कुछ सूखा रह गया तो वुज़ू ही न होगा । वुज़ू की हर सुन्नत का तर्क मक्रूह है इसी तरह हर मक्रूह का तर्क सुन्नत ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 300 , 301 )