Shab E Barat mubarak Ki Raat Ki nawafil Namaz in hindi 2022, 15 shaban शब् ए बारात की रात की नफिल नमाज़ का तरीका ki dua, date in india, pakistan,
Shab E Barat बड़ी बरकतो फ़ज़ीलतो वाली रात हैं इस Raat में अल्लाह अपने रहमतो की बारिश अपने उन बन्दों पर करता हैं जो शब् ए बारात Raat को इबादत में गुजरता हैं
15 Shaban की रात में अल्लाह हर इंसान के आने वाले अगले एक साल तक उसके ज़िन्दगी में जो भी होना हैं वो इस दिन लिख दिया जाता हैं तो हमें चाहिए की Shab E Barat ज्यादा से ज्यादा Namaz और इबादत करे और Shaban में रोज़े रखे.
100 रकआत की फजीलत Shab E Barat Ki Raat Ki Namaz की
रहमते आलम नबी-ए- अकरम ने इरशाद फ्रमाया कि जो शख्स शब् ए बारात में एक सौ (100) रकआत नमाज़ नफिल पढ़ेगा अल्लाह तआला उसके पास एक सौ फरिश्तों को भेजेगा।
तीस फरिश्ते उसको जन्नत की बिशारत (खुशखबरी) देंगे और तीस फरिशते उसको जहननम से बेख़ौफ होने की खुशखबरी देंगे और तीस फ्रिशते दुनिया की आफतों से उसको बचाते रहेंगे और दस फृरिशते इस को शैतान के फरेब से बचाते रहेंगे ।
(सावी शरीफ)
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Shab E Barat की मगरिब के बाद की 6 रकअत 2-2 करके Namaz Ka Tarika
शब् ए बारात बारात यानि 15 शाबान की मगरिब की फ़र्ज़ नमाज़ के बाद 6 रकअत नफिल नमाज़ दो-दो कर के अदा की जाती हैं जिसका नमाज़ का तरीका और नमाज़ की नियत निचे दी गई हैं,
शब् ए बारात की 6 रकअत नमाज़ को या अपने घर में पढ़ सकते हैं बेहतर ये हैं की मगरिब की नमाज़ के फौरन बाद पढ़ लिया जाए। इसे मगरिब के सात रकअत फ़र्ज़, सुन्नत नफिल नमाज़ो के बाद अदा करना चाहिए।
- पहली दो रकअत की नियत :
मैं नियत करता हु शब् ए बारात की दो रकअत नफिल नमाज़ दर्ज़ा ए उम्र बिल आखिर के लिए वास्ते अल्लाह ताला के, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर कहते हुए हाँथ बांध ले।
- दूसरी दो रकअत की नियत :
मैं नियत करता हु शब् ए बारात की दो रकअत नफिल नमाज़ बालाओ से मेरी हिफाज़त के वास्ते अल्लाह ताला के, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर कहते हुए हाँथ बांध ले।
- तीसरी दो रकअत की नियत :
मैं नियत करता हु शब् ए बारात की दो रकअत नफिल नमाज़ अपने सिवाए किसी और का मोहताज़ ना बनाने वास्ते अल्लाह ताला के, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर कहते हुए हाँथ बांध ले।
- जरुरी : नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika)
हर रकत में सूरे फातिहा के बाद 3-3 बार सूरे इखलास (कुलअल्लाह हु अहद) पढ़े, अगर ये आयत ना याद हो तो कोई भी सूरा पढ़ ले।
हर दो रकत पढ़ने के बाद सूरे यासीन शरीफ पढ़े अगर पढ़ना ना आता हो तो किसी से पढ़वाकर सुन ले. या मोबाइल से सुन ले। अगर ये भी ना हो तो सूरे इखलास (कुलअल्लाह हु अहद) 21 बार पढ़ ले। ...सूरे यासीन शरीफ यहाँ से देखकर पढ़े
हर 2 रकत के बाद यासीन शरीफ के बाद शाबान की दुआ, दुआ ए निस्फ़ पढ़ले, या सुन ले। ...दुआ ए निस्फ़ यहाँ से देखकर पढ़े
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Shab E Barat मैं Nafil Namaz और Duae
उलमाए किराम ने शब् ए बारात मुबारक रात में नफिल नमाज की फज़ीलत के लिहाज़ से नफिल नमाज पढ़ने के कई तरीके लिखे है।
1: बाद नमाज़ ईशा बारह रकात नफिल पढ़े हर रकात में अल्हम्दो शरीफ के बाद दस बार कुलहुवल्लाह शरीफ पढ़े और नमाज़ के बाद दस बार कलमा तोहीद, दस बार कलमा तमजीद और एक सौ बार दुरूद शरीफ पढ़ें।
2: इस मुबारक 15 शाबान रात में दो रकात नफिल इस तरह पढ़े कि अलहम्द शरीफ की सूरत के बाद पहली रकत में कुल या अय्योहल काफ़िरुन और दूसरी रकत में कुल हुवल्लाह शरीफ को सूरत पढ़े।
नमाज़ मगुरिब के बाद ही ज़िक़ व इबादत में लग जाए ताकि शब् ए बारात आमाल नामा अच्छे कामों से शुरू हो दुरूदे पाक खूब ज़्यादा तादाद में पढ़े कि कबूल होने का सबब है
दुआ के आखिर और आखिर में दरुद पढ़ें अल्लाह पाक दुरुद शरीफ को रद्द नहीं फरमाता और करीम के करम से यह बात दूर है कि
अवल आखिर को कुबूल फरमाएं और दरमयान की दुआ रद्द कर दे औलियाए किराम पाक को दुआ की कुबूलियत की सनद मानते हैं। दुरुद पाक फजाईल बहुत ज्यादा है।
3: नमाज़ मग़रिब के बाद छः रकात नमाज नफिल पढ़े हर दो रकात पर सलाम फेरें,और हर दो रकात के बाद सूरे यासीन एक बार या कुलअल्लाहु अहद (सूरे इखलास) (पूरी सूरत) 2! बार पढ़े
पहली बार यासीन शरीफ दराजी उम्र के लिए पढ़े कि अल्लाह तआला उम्र में बरकत दे
दूसरी बार रिज्क की तरक्की के लिए कि अल्लाह पाक रिज़्क में बरकत व कुशादगी अता फरमाए
तीसरी बार बला व वबा के दूर होने के लिए पढ़े कि अल्ला हर वबा व बला को दफा फरमाए फिर निस्फ शाबान की दुआ पढ़े।
4: और शबे बरात के दिन 14 शाबानुल मुअज़्जम को दि गुरुब होने से पहले गुल करना बला व सहर जादू और वबा से निजात का मुजिब है
और बेहतर यह है कि बेरी के सात पत्ते पीसकर या उबाल कर पानी में मिलाए फिर उस पानी से गुस्ल करें इमाम अहते सुनत मुजदिदे दीनो मिल्लत आला हज़रत कुददससिरखहुल अजीज सय्यदी मुरशिदी सरकार मुफ्ती आज़म हिन्द अलयहिरहमत वरिदवान का इस पर अमल था
हज़रत मुफ़्ती काज़ी अनु बस्तवी रहमतुल्ला अलयहे ने मजमूआ ए आमाल रजा मैं जिक्र फरमाया है। और बेहतर यह है कि
शाबानुल मुअज़्ज़म की 14 तारीख़ को अपने मुसलमान भाईयो के हुकूक को माफ़ कर दें और उनसे अपने हुकूक माफ़ करा लें ताकि ज़िम्म से छ्क्क् इबाद साकित हो जाए
और मुसलमान भाईयो को चाहिए मुल्लगन भाई माज़रत लाए तो कुबूल करें और दिल से माफ् कर रद । हदीस शरीफ में है जिसके पास उन मुसलमान भाई माजरत जाए वाजिब है कि कुबूल कर ले वरना हौज़े कौसर पर आना न मिलेगा।
ईशा नमाज के बाद नवाफिल की नमाज
5: 12 रकअत नफ़्ल की नमाज़ पढ़िए, हर रकअत में पढ़िए:
सूरह फातिहा (अलहम्दु): एक बार
सूरह इकलास: 10 बार।
बाद में पढ़ें:
तीसरा कालिमा (कलिमा तमजीद): 10 बार
“सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अज़ीम”
चौथा कालिमा (कलिमा तौहीद): 10 बार
“ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर”
दरूद शरीफ : 100 बार
6: चार सलाम के साथ 8 रकात नफ्ल की नमाज़ पढ़ें। हर रकअत में पढ़े
सूरह फ़ातिहा : एक बार
सूरह इखलास : 11 बार
हज़रत फ़ातिमा र.अ. मरवी हैं कि जो कोई भी शब-ए-बारात पर इस नमाज़ को पड़ेगा और इस नमाज़ का सवाब हज़रत फ़ातिमा र.अ. को इसका इसाले सवाब करेंगा , मैं उसकी / उसकी गुनाहो की माफी के लिए अल्लाह के बारगाह में सिफारिश करुँगी।
7: हज़रात मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैवसल्लम इस रात को इस दुआ को कसरत से पढ़ते थे, हमें भी ऐसा ही करना चाहिए:
अल्लाहुम्मा इन्नी अल-अलोका अफवा वल अफियाता वल मुअफताद-दाइमता फिद दुनिया वल अखिरा
8: हर रकात में 100 रकात नफिल नमाज़ में पढ़ें:
सूरह फ़ातिहा : एक बार
सूरह इकलास : 10 बार
शब-ए-बारात के दिन इस नमाज़ को पढ़ने वाले को अल्लाह तआला की बेशुमार बरकते , रहमते मिलेंगी और उसकी दुआ कबूल की जाएगी और उसे दोजख की आग से बकश दिया जाएगा और वह जन्नत में जाएगा।
दुआ: अल्लाहुम्मा इन्ना-क अफ़ुवुन करीमुन तुहिब्बुल अफ-वा फ़ाफ़ु आनी या गफ़ुरु या गफ़ुरु या गफ़ुरु
Shab E Barat Ki मसनून Dua E
'तरजमा :- ऐ अल्लाह मैं तुझसे दर गुजर और आफियत और हमेशा माफी की दुनिया और आखिरत में दुआ करता हूँ।
तरजमा :- ऐ अल्लाह बेशक तू बहूत माफ करने वाला है माफ करने ं
को पसन्द करता है बस तू मुझे भी माफ फरमादे।
तरजमा :- या अल्लाह मैं तूझ से उन सब भलाइयों का सवाल करता हूँ जो तुझ से तेरे प्यारे नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम ने मांगी हैं और सब बुराईयों से पनाह मांगता हूँ जिन से तेरे प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैवसल्लम पनाह मौँगी है।
4. इसतगफार की कसरत करे बहतर है कि नवाफिल के बाद जितना ज़्यादा मुमकिन हो गुनाहों को याद करके अहसासे नदामत के साथ इसतग़फार करे या कम से कम सत्तर (70) बार पढ़े।
तरजमा :- ऐ मेरे परवरदिगार मुझे बख्श दे और मेरी तोबा कुबूल कर ले बेशक तुहि बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है। या यह इसतग़फार पढ़े कम से कम सत्तर बार
15 Shaban को रसुल्लाह अल्लाह का इबादत Namaz Ka Tarika
उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रदिअल्ला अन्हा फरमाती हैं कि मैंने देखा हुजूर अलयहिस्सलातो वस्सलाम बकीउल ग़रकद (निवीना जुन्बरा का कब्रिस्तान) में तशरीफ ले गये और मुसलमान मर्दों औरतों और शहीदों के लिए दुआ फ्रमाई (मासबता मिनस सुन्नह)
फिर कब्रिस्तान से वापस आकर नमाज़ में मशगूल हो गए और सजदे में बहुत देर तक आप अपने रब अज़्ज़ावजल सेआहिस्ता आहिस्ता यह दुआ करते रहे।
तरजुमा : पनाह मांगता हूँ मैं तेरी रज़ा के साथ तेरे गजब से और पनाह माँगता दूँ माफी के साथ तेरे अज़ाब से और तुझसे तेरी ही पनाह लेता हूँ मैं तेरी कमा हक्कहूं तारीफ की ताकत नहीं रखता हूँ तेरी जात वैसी है जैसी तूने खुद अपनी तारीफ की है मैं वही कहता हूँ जो मेरे भाई दाउद अलयहिस्सलाम ने कहा मैं ख़ाक आलूदा करता हूँ अपने चहरे को अपने मौला के लिए और वह इसी लायक है कि उस को सजदा किया जाए। फिर हुजूर अकदस ने सजदे से सर उठाकर देर तक यह दुआ की
तरजुमा : ऐ अल्लाह मैं तुझसे दर गुजर और आफियत और हमेशा मुआफी की दुनिया और आख़रत में दुआ करता हूँ
Shab e Barat Me Fatiha Ka Tarika In Hindi
शब् ए बारात फातिहा का इहतमाम किया जाता हैं यह मुबारक रात अपने मुर्दो व रिशतेदारों और बजुरगो की रूहो को सवाब पहुंचाने और फातिहा दिलाने के लिए बड़ी खास रात है।
और 15 शाबान सवाब पहुंचाना प्यारे नबी की सुन्नत है। जैसा की उम्मुल मोमिनीन आइशा सिद्दीका रदीअल्ला अनहा की रिवायत गुजशता पन्ने पर हमने नकल की है
और हज़रत अब्दुला इबने अब्बास रदीअल्लाह अनहुमा से रिवायत है कि ईद और आशूरा और रजब के पहले जुमे के दिन और शाबान की पढ्ंहवी रात यानी शबे बरात
और जुमे की रात में मुर्दों की रुहें अपने घरों के दरवाज़े पर कर जा हैं कि ऐ घर वालो हमारे उपर रहम करो और महरबानी करो आज की रात में हमारे लिए सु सदका करो
क्यूंकि हम लोग ईसाले सवाब के हाजत मन्द हैं। हमारे नामा-ए-आमाल बन्द कर दिए गए और तुम्हारे नामा-ए-आमाल अभी जारी हैं
बस अगर यह रहें कुछ नहीं पाती तो हसरत और नाउम्मीदी के साथ वापस चली जाती हैं । (ईतानुल अरवाह फतावा ख़ैरिया)
Shab E Barat का जलसा
Shab A Baarat रात में कसरते दुआ कसरते जिक्र इसतगफार और अपने मौला की याद में शब्बेदारी तिलावते कुरान व दुरूदे पाक की कसरत तीबा व रुजूइलल्लाह यह सब शुक्र गुजारी है
और मतलूवे शरा है अल्लाह तआला और उसके हबीब पाक सलल्लाहो आलैहिवसल्लम की रज़ा का बाइस है शब् ए बारात रात में जिक्र व दुआ की मजलिसों का इनइकाद
और मिल बैठकर जिक्र करना एहकामे शरा जानना इसलामी तालीमात का चर्चा सब महबूब व पसन्दीदा काम हैं
और अपने मौला के अहसानात व इनामात पर इजहारे मसर्रत व शादमानी और शुक्र गुजारी का निहायत उम्दा तरीका है।
और के तहत अल्लाह के दिनों की याद दिलाकर लॉगों को उसकी तरफ मुतवज्जा करना और तुम मेरा ज़िक्र करो में तुम्हारा जिक्र करुंगा के मुताबिक अल्लाह रब्बुल इज्जत की रहमत को अपनी तरफ माइल करने का बहतरीन जरिया है
और हर जमाने में स्वालिहीन का पसन्दीदा तरीका है हदीस शरीफ है
मजकूरा ब्यान से जाहिर हो गया कि फखर व ग़रूर व इस्लामी तरीके के खिलाफ खुशी मनाना दुरुस्त नहीं
जो खुशी में फूल कर अहकामे शरीयत को भूल कर यहूद व नसारा या आहले हुनूद का तरीका इख़्तियार करते हैं ।
वह हरंगिज़ हरगिज़ फलाह का तरीका नहीं बल्कि यकीनन अल्लाह अज़्ज़वजल््ला और उसके रसूल सल्लल्लाहु आलैहि वसल्लम की नाराजी का सबब है और ना जाइज व हराम है।
तो ये थी Shab E Barat Ki Raat Ki Namaz Ka Tarika और 15 Shaban की इब्दात का तरीका हिंदी में इस इबादत पर अमल करे और अपने पहचान वालो को इसले सवाब की नियत से शेयर करे अस्सलामु अलैकुम
Shab E Barat Ki Raat Ki Nfhil Namaz Ka Sunnati Tarika Video