Shab E Barat Ki Fazilat In Hindi 15 th Shaban और शबे बरात की फजीलत हिंदी main quran, hadith, hadees से मालूमात पूरी, date in india islamic calendar
Shab E Barat Ki Fazilat : शबे बरात की फजीलत बेशुमार हैं शबे बरात यानि 15 shaban में बख्शीश व मगफिरत वाली रात हैं हुजूरे पाक ने इरशाद फ्रमाया कि.
शाबान की रात मैं आसमान दुनिया पर तजल्ली फरमाता है और कबीला बनी कल्ब की तमाम बकरियां के बालों की तादाद से भी ज्यादा अल्लाह बन्दों की मगफिरत (बखशिश) फरमाता है।
Shab E Barat Ki Fazilat तो Quran और Hadees में भी हैं जो निचे तफ़्सीरी में दिया गया हैं
तरजुमा - और उन्हें अल्लाह के दिन याद दिला |
बेशुमार Shab E Barat Ki Fazilat 15th Shaban बरकत In Hindi Mein
शाबान की पंद्रहवी रात का नाम शबे बरात यानी निजात वाली रात है। इस मुबारक रात के चार नाम हैं।
- निजात वाली रात
- रहमत वाली रात
- बरकत वाली रात
- परवाना मिलने चैक मिलने वाली रात
कुरान में अल्लाह जल्लाजलालहू व अम्मा नवालुदू इरशाद फरमाता है।
तरजुमा : इस (रात) में बांट दिया जाता है (हमारे हुक्म से) हर हिकमत वाला काम (पारा 25 सूरत अदुखान 2 सी आंदे जज रात में हमारे हुक्म से हर हिकमत वाला काम बांट दिया जाता हैं
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Shaban Mahine Ki Fazilat क़ुरान हदीस से In Hindi
शाबान इस्लामी साल का आठवां महीना है। और यह मुबारक | महीना करीमत्तरफैन है (दोनो तरफ इज्जत वाला) इससे पहले रजब ! शरीफ का महीना है। और इसके बाद रमज़ान का मुवारक महीना है। और दोनों महीने (रजब व रमजान) अज़मत, बरकत, इज्जत शरफ वाले हैं।
हुजूर पूर नूर (सललल्लाहो अलयहे इस मुबारक महीने में बहुत ज़्यादा रोज़ रखते थे। उम्मुलमोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रदिअल्लाह अन्हा फरमाती हैं।
(मिशकात शरीफ) हुजुरे पाक शाबान उल मुअज्जम का कभी पूरे महीने ही रोजे रखते और कभी ज्यादा दिनो के रोजे रखते और कुछ दिनो के रोज़ छोड़ देते इसी तरह इस खैर वाले महीने को यह इज्जत शरफ भी हासिल है की सरकारे मदीना सुरुरे क्यो सीना हुजूरे अनवर ने इरशाद फरमाया :-
'तरजुमा : शाबान मेरा महीना है और रमजान (अल्लाह तआला अज्जावजल) का महीना है। महीने, साल, दिन, घन्टे, मिनट, सेकिन्ड सब ही के है और उसकी अता (ने) से सब कुछ उसके प्यारे हबीब का है।
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Shab E Barat 15th Shaban की रात क्या होता हैं
हज़रत मुफससरीन किराम (कुरान की तफसीर व्यान करने | बालें) फरमाते हैं अल्लाह तबारक व तआला साल भर में होने वाले | तमाम कामों (वाकयात व हादिसात) के अहकाम फिरिश्तों में | तकसीम फरमा देता है
रिज्क, मौत, जिन्दगी इज्जत, जिल्लत, | ज़लजले, सवाइक (बिजली की कड़क) आसमानी अज़ाब ख़स्फ व. | मस्ख़ (जमीन का धसना सूरतें बदलना) सैलाब मुसीबतें परेशानियां | गुरज़ सारे काम जो साल भर तक जाहिर होंगे वह मलायका में ।
उनकी ड्यूटी के मुताबिक तकसीम फ्रमा देता है। और तमाम ' इन्तजामी उमूर (हुक्म) लौहे महफूज़ से फरिशतो के सहीफ़ी में नकल | करके हर एक सहीफा उस महकें के फरिशते को दे दिया जाता हे।
जैसे मलिकुल मौत हज़रत इज़राइल अलवहिस्सलाम को तमाम | मरने वालो की फहरिस्त व अहकाम वगैराह।
इस आयत मुबारक से मालूम हुआ कि शबे बरात बहुत ख़ास रात है। अल्लाह तआला अपने बन्दों की रोज़ी और उनकी मौत और पैदाइश लड़ाईयाँ जलजले और हादिसात साल भर में होने वाले तमाम मामले और ख़ास वाकयात के अहकाम इसी रात अलग अलग बांट कर अलग अलग काम के फरिश्तो को उनका काम सौंप देता है जिस हुक्म के मुताबिक वह साल भर तक काम करते रहते हैं।
(रुहुलबयान, सावी शरीफ)
गरज जब महीने साल दिन करे निर मैकिल सब अल्लाह तआला जल््लाह तआला जल्लाजलालह व अम्मा नवालह और उसके हबीद पाक साहिब लौलाक के हैं तो फिर शाबान को अपनी तरफ ख़ास निसबत करने से क्या मुराद है।
एक तो ज़ाहिर वजह यह है कि इस महीने को शरफ अता फरमाना मकसद है। क्यूंकि जो चीज़ भी सरकार से निसबत पाती हैं शरफ़ वाली हो जाती है।
सरकार ( शरफ वाले हैं सरापा शरफ है इन्जृत व शरफ तो उनके कुदमे पाक से वाबस्ता है लिहाज़ा इस महीने को अपना बता कर | शरफ वाला बताया ।
दूसरी वजह यह हे कि इस महीने की निसबत अपनी तरफ | करकें इस मुबारक महीने के ख़ास फैज़ान और इनाम से उम्मत को. फायदा और फैज़ हासिल करने के लिए ध्यान दिलाना था
ताकि. अपने नबी पाक का इरशाद सुनकर ग़ाफिल लोग भी ध्यान दें और इस महीने की कदर करके ज्यादा से ज्यादा सवाब हासिल कर सकें।
तीसरी वजह यह है कि इस तरफ तवज्जा दिलाना मकसूद हो कि रमज़ान शरीफ की इबादत ख़ास Allah ने रोजे फर्ज फ्रमाकर खुद मुक्रर फरमा दी और कुरान करीम में ताकीद और फजीलत बयान हुई
और शाबानुल मुअ़्म की फज़ीलत और (इबादत करकें) फायदे हासिल करने की तरग़ीब और तरीके खुद सरकारे. अकदस ने बयान फ्रमाएं लिहाजा इसकी निसबत कपनी तरफ फरमाई।
Shab E Barat Ki Fazilat Hadees In Hindi
Shabe Barat Hadees 1
तरजमा: हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदीअल्ला तआला अन्हु से 'रिवायत है फरमाया कि इरशाद फरमाया
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु आलैहि वसल्लम ने कि ऐ लोगों शाबान की पन्दहवी रात को उठी बेशक शाबान की प्द्रहवी रात लइलतुल मुवारकह (बरकत वाली) है
पर बेशक अल्लाह तआला अन्जवजल्ता इस रात इरशाद 'फरमाता है क्या कोई मुझ से बख़शिश व मगफिरत का चाहने वाला है कि मैं उसकी मगफिरत कर दूँ।
Shabe Barat Hadees 2
तर्जमा:- रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद |
फरमाया खुश खबरी है उस शख्स के लिए जो शाबान की पत्दहवी | शब में अमल ए खैर करे।
Shabe Barat Hadees 3
तर्जमा:- बेशक अल्लाह तआला अज़्ज़ावजल्ला महर बानी फ्रमाता है मेरी उम्मत के गुनहगारों पर शाबान की पन्द्रहवीं रात (शबे बरात) में कबीला बनी कल्ब व कबीला रबी
और मुदिर की बकरियों के बालों की तादाद के बराबर लोगों की बख्शीश व मगफिरत फरमाकर। '
फायदा:- बनी कल्ब, रबी और मुदिर यह अरब के तीन मशहूर कबीले हैं इन तीनों कबीलों के पास बहुत ज्यादा बकरियाँ थी, 'रिवायत है कि
इन में के हर एक क॒बीले के लोगों की बकरियों की , तादाद बीस हज़ार से ज़्यादा थी। इस इरशाद से मुराद यह है कि इस मुबारक रात की बरकात इस कदर ज़्यादा है कि
अल्लाह ताला उम्मत के गुनहगारों की इतनी बड़ी तादाद को बखशिश व मगफिरत अता फरमाता है जो बेशुमार और बे हिसाब है।
Shabe Barat Hadees 4
तर्जमाः- रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद 'फरमाया जिसने शाबान की पन्द्रवीं तारीख का रोज़ा रखा उसको कभी आग न छुएंगी।
गुरज़ शबे बरात की फज़ीलत जिक्र अजकार व मगफिरत और बख़शिश के एतबार से बहुत ज्यादा है। ऐ काश हमारे मुसलमान भाई इस रात की अजमत को समझते हुए अच्छे-अच्छे अमत की तरफ ध्यान दें
और बुराइयों से बचे और उन लोगों के बहकवे में न आएं जो इस मुबारक रात की फज़ीलत और बरकतों का इनकार करते हैं । और उनकी ज़बानें अल्लाह तआला अज़ज़वजल्ला के जिक्र की लज़्ज़त से ना आशना हैं।
हुजुर सय्यदिना गॉस पाक का शब् ए बारात पर फरमान
हुजूर गौसे आजम 'महबूब सुबहानी सब्यदिना शाह अब्दुल कादर मुददीउद्दीन जिलानी रदीअल्लाह अन्हों ने फ्रमाया
शाबान में पाँच हर्फ़ हैं (शीन, ऐन, वा, अलिफ, नून) हर हरफ़ एक फैज़ान लेकर आता है और इशारा करता है (शीन) शराफृत (न) उलू व बुलन्दी (ब) बिर बानी नेकी (अलिफ) यानी मुहब्बत अखुब्त और (नून) नूर लेकर आता है
गोया इस महीने में शरफ, बुलनदी, नेकी, मुहब्बत ब उलफृत और नूर,का नुजूल होता है।
Shab E Barat Par ईसा अलेहिस्सलाम का Fazilat O वाक़िअ In Hind
Shab E Barat की इबादत कर अजूमत 'रिवायत है कि एक बार हजरत ईसा अलेहिस्सलाम एक पहाड़ पर पहुंचे वहाँ एक खूबसूरत गुम्बद जैसा बुलन्द फतथर देखा.
आप हैरत से उसके चारों तरफ घूम कर देखने लगे अल्लाह ने वही नाज़िल फ्रमाई क्या आप चाहते हैं कि इस पत्थर का राज़ आप ! पर जाहिर कर हूँ?
हज़रत ईसा अलेहिस्सलाम ने अर्ज कि इलाही मेरी तमन्ना तो यही है अल्लाह तआला के हुक्म से वह पत्थर फट गया आपने देखा कि एक आदमी इबादत कर रहा हैं
और उसके पास ही एक कर की बेल है और एक नहर जारी है। उस आदमी. मे बताया कि यही अंगूर मैं हर रोज खाता हूँ और इस नहर का पानी पीता हूँ और अल्लाह की इबादत करता हूँ। ।
हज़रत ईसा अलेयहिस्सलाम ने पूछा तुम इस फत्थन में कितने दिनों से इबादत करते हो? उसने कहा कि चार सौ बरस से |
यह सुनकर हज़रत ईसा अलयहिस्सलाम ने कहा कि ऐ अल्लाह | 'तआला शायद इस आदमी जैसी इबादत तो तेरे किसी बन्दे से नहीं होगी
अल्लाह ने फरमाया ने फ्रमाया कि ऐ ईसा मेरे हबीब का जो उम्मती शाबान की पंद्रहवी रात में दो रकत नमाज़ पढ़ेगा
वह इस की चार सौ बरस की इबादत से बेहतर होगा यह सुनकर हजरत ईसा अलवहिससलाम ने दुआ की ऐ अल्लाह तआला मुझे हजरत मोहम्मद की उम्मत में दाखिल फरमाले। (नुजहतुलमजालिस रौदुलअफकार)
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