dua e nisf shaban in quran in hindi, roman english and arbic, urdu with Hindi translation dawateislami pdf दुआ ए निस्फ़ हिंदी, रोमन इंग्लिश, अरबी में
Dua E Nisf यह बड़ी बरकत और रहमतो वाली दुआ हैं शाबान के महीने में दुआ ए निस्फ़ को ख़ुसूसन नमाज़ के बाद पढ़ी जाती हैं इस का पढ़ना बहुत सवाब का काम हैं और अल्लाह को खुश करना हैं
लिहाज़ा दुआ ए निस्फ़ को सिर्फ 15 Shaban यानि Shab E Barat की रात ही नहीं बल्कि शाबान के महीने में और तो और हर महीने के किसी भी दिन पढ़ना चाहिए।
निचे Nisf Ki Dua In Hindi, Roman English और Arbi में दी गई हैं। अगर Dua E Nisf आप को अरबी में नहीं पढ़ना आता तो आप दुआ ए निस्फ़ का तर्जुमा पढ़ सकते हैं जो निचे दिया गया हैं।
Dua E Nisf Shaban In Hindi / English / Arbi
Dua E Nisf Arbic - दुआ ए निस्फ़
Dua_E_Nisf |
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Dua E Nisf In Hindi
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
अलाहुम्मा या ज़ल् मन्नि वला यु-मन्नु अ़लैहि ०
या ज़ल्-जलालि वल् इक्रामि 0 या ज़त्तोलि वल् इन्अ़ामि ०
ला इलाहा इला अन्त ज़ह्-रल्लाजी-न ०
वजारलमुसत-जीरीना व अमा-न-अलखाइफ़ीना 0
अल्लाहुम्म इन् कुन्त क-तब् तनी
इन्द-क फ़ी उम्मिल् किताबि शक़िय्यन् औ मह्रू-मन्
औ मत्रु-दन् औ मु-क़त्त-रन् अ़लय्य फ़िर्रिजि़्क 0
फ़म्हु अल्लाहुम्म बि फ़जा़लि-क शक़ावती व
हिरमानी व तर्दी वक्तिता-र रिज़क़ी 0
व-अस्बित्नी इन्द-क फ़ी उम्मिल् किताबि
सई-दम्मरजू-कम मुवफ्फिकल लिल्ख़ैराति 0
फ इन्नका कुल्ता व कौलु-कल् हक़्कु 0
फी किताबि-कल् मु-नज़्ज़लि 0
अला लिसानि नबीय्यि-कल् मुर्-सलि 0
यम्हुल्लाहु मा यशाउ वयुस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताबि 0
इलाही बित्तजल्लि यल् आज़मि 0
फ़ी लै-लतिन्निस्फि मिन शह्रि शअबा-नल् मुकर्रमि अल्लती
युफ़ रकु फ़ीहा कुल्लु अम्रिन हकीमिंव व युब्रमु 0
अन् तक्शि-फ़ अ़न्ना मिनल् बलाइ वल् बल्वाई मा नअ्-लमु
वमा ला नअलमु वमा अन्ता बिही आलमु 0
इन्नका अन्तल अअज़्जुल अक-रमु 0
वसल्ललाहो तअ़ाला अ़ला सय्यिदिना मुहम्मदिव
व अ़ला आलिही व सहबिही व सल्लम 0
वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल् अ़ालमीन 0
नोट :- जो हज़रात अरबी दुआ न पढ़ सके या लफज़ो की सही अदाएगी न कर सके वह इस दुआ का तरजुमा इस तरह पढ़े जैसे दुआ माँगते है।
तरजुमा : ऐ अल्लाह तू ही सब पर एहसान करने वाला है तुझ पर कोई अहसान नहीं कर सकता ऐ बुजुर्गी वाले और महरबानी करने वाले और ऐ बखशिश और इनाम वाले तेरे सिवा कोई माअबूद नहीं तू ही गिरतो को थामने वाला है
बे सहारो को पनाह देने वाला है और डरने वालो का सहारा है। ऐ अल्लाह अगर तूने मुझे अपने पास उम्मूल किताब में भटका हुआ या कम नसीब या मरहूम लिख दिया है
तो ऐ अल्लाह अज्जावजल अपने फज़्ल से मेरी ख्वारी कम नसीबी रान्दगी और रोज़ी की कमी को मिटादे और अपने पास मुझे उम्मुल किताब मे खुश नसीब कुशादा रिज्क
और नेक कर दे बेशक तेरा यह इरशाद तेरी किताब में जो तेरे नबी मुर्सल सल्लल्लाहो अलय वसल्लम पर उतारी गई सच है कि अल्लाह तआला जो चाहता है मिटाता है
और जो चाहता है वना देता है और उसी के पास उम्मुल्कि ताब है। या इलाहि तजल्ली ए आजम का सदका इस निस्फ शाबान मुक्रम की रात में जिसमें तमाम हिकमत वाले कामों की तकसीम और उनका निफाज होता है
मेरी बलाओ को दर कर दे मैं उनको जानता हूँ या न जानता हूँ और जिनसे तू वाकिफ है बेशक तू ही सबसे बेहतर और बढ़कर अहसान करने वाला है
अल्लाह तआला की रहमत और सलामती हो हमारे आका मुहम्मद सल्लल्लाहो अलय वसल्लम पर और उनकी आल और उनके सिहाबा पर आमीन सुम्मा आमीन |
फायदा : और जो चाहें दोनों जहान की बहतरी भलाई और कामयाबी की दुआ मैँगें ।
Dua E Nisf In Roman English
Bismilla Hir Rahman Nir Rahim
Allahumma Ya Jal Manni Valaa Yumannu Alaihi .
Ya Zal-jalali Val Ikrami. Ya Zattoli Val In-aami .
La-ilaha Ila Ant Zah-Rallajeen.
Va JaaralMusat-Jeereena V Amaa-n Al-Khaifeena .
Allahumma Inn Qunt Katab Tani Indak Fee Ummil Kitabi Shaqiyyan Ou Mahu-man Ou Matru-dan Ou Muqatt-ran Alayy Firrizki .
Famhu Allahumma Bi Fazlik Shaqaavati Va Hirmanee Va Tardee Vaktitar Rizkee.
Va Asbitnee Indak Fee Ummil Kitabi Sai-Dammarzoo Kam Muvaffikal LilKhairati.
F Innka kulta Va Kaoulu-Kal Haqku.
Fee Kitabi-Kal Munazzali.
Alaa Lisani Nabeeyyi Kal mursali.
Yamhullahu Maa Yashau Vayusbitu Va Indahu Ummul Kitabi.
Ilahee Bittjalli Yal Aazmi.
Fee Lai-Latinnisfi Min Shahi Shabanal Mukarrami Allatee Yuf Raku Feeha Kullu Amrin Haqeemiv Va Yubrmu.
Antaqshi-f Anna Minal Balai Val Balwai Maa Nalamu
Vamaa Laa Nalamu Vamaa Antaa Bihee Aalamu.
Innka Antal Aazjul Akramu.
Wa Sallallaho Ta’ala Alaa Sayyidina Muhammdiv Wa Alaa Aalihi Wa Ashabihi Wa Sallam.
Valhamdu Lillahi Rabbil Aalmeen.
Dua E Nisf In Arbic
«اللَّهُمَّ يَا ذَا الْمَنِّ وَلَا يُمَنُّ عَلَيْهِ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَالإِكْرَامِ، يَا ذَا الطَّوْلِ وَالإِنْعَامِ. لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ ظَهْرَ اللَّاجِئينَ، وَجَارَ الْمُسْتَجِيرِينَ، وَأَمَانَ الْخَائِفِينَ. اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ كَتَبْتَنِي عِنْدَكَ فِي أُمِّ الْكِتَابِ شَقِيًّا أَوْ مَحْرُومًا أَوْ مَطْرُودًا أَوْ مُقَتَّرًا عَلَيَّ فِي الرِّزْقِ، فَامْحُ اللَّهُمَّ بِفَضْلِكَ شَقَاوَتِي وَحِرْمَانِي وَطَرْدِي وَإِقْتَارَ رِزْقِي، وَأَثْبِتْنِي عِنْدَكَ فِي أُمِّ الْكِتَابِ سَعِيدًا مَرْزُوقًا مُوَفَّقًا لِلْخَيْرَاتِ، فَإِنَّكَ قُلْتَ وَقَوْلُكَ الْحَقُّ فِي كِتَابِكَ الْمُنَزَّلِ عَلَى لِسَانِ نَبِيِّكَ الْمُرْسَلِ: ﴿يَمْحُو اللهُ مَا يَشَاءُ وَيُثْبِتُ وَعِنْدَهُ أُمُّ الْكِتَابِ﴾، إِلهِي بِالتَّجَلِّي الْأَعْظَمِ فِي لَيْلَةِ النِّصْفِ مِنْ شَهْرِ شَعْبَانَ الْمُكَرَّمِ، الَّتِي يُفْرَقُ فِيهَا كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ وَيُبْرَمُ، أَنْ تَكْشِفَ عَنَّا مِنَ الْبَلَاءِ مَا نَعْلَمُ وَمَا لَا نَعْلَمُ وَمَا أَنْتَ بِهِ أَعْلَمُ، إِنَّكَ أَنْتَ الْأَعَزُّ الْأَكْرَمُ. وَصَلَّى اللهُ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ الأُمِّيِّ وَعَلَى آلِهِ وَصَحْبِهِ وَسَلَّمَ”.
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