Muharram Mein Nikah-Shadi karna kaisa? सफर और मुहर्रम के महीने में निकाह, सफ़र के महीना - तेरह तीज़ी में निकाह, Safar Ke Mahine Me Tera Tezi Me Shadi
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किसी महीने में निकाह मना नहीं ।
Muharram Mein Nikah-Shadi Karna Kaisa - ये जान लें कि किसी भी महीने में
निकाह करना मना नहीं है । अब चाहे मुहर्रम हो या रमज़ान , किसी भी महीने में निकाह किया जा सकता है ।
इसलिए इमामे अहले सुन्नत आला हज़रत , इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह तआला अलैह से सवाल किया गया कि माहे मुहर्रमुल हराम Muharram Haram और सफ़रुल मुजफ्फर Safarul Mujaffar के महीने में निकाह करना मना है या नहीं ?
और अगर है तो क्यों ? आप रहमतुल्लाह त'आला अलैह जवाब में लिखते है कि : निकाह किसी महीने में मना नहीं ।
मुहर्रम महिने में निकाह शादी Muharram Mein Nikah-Shadi karna kaisa
9 या 10 मुहर्रम को भी निकाह कर सकते हैं ।
मुहर्रम के महीने में किसी भी तारीख को निकाह किया जा सकता है । अब चाहे वो 9 तारीख हो या 10। निकाह शर'अन जाइज़ व दुरुस्त है । चुनाँचे इमामे अहले सुन्नत , आला हज़रत रहमतुल्लाह त'आला अलैह से सवाल किया गया कि क्या माहे मुहर्रमुल हराम में और बिल खुसूस 9 तारीख की शब में निकाह करना जाइज़ है या नहीं ?
इरशाद : आप इरशाद फरमाते हैं कि जाइज़ है ।
सफर और मुहर्रम के महीने में निकाह नहीं, ये ग़लत मशहूर है ।
Safar - Muharram Mahine Mein Nikah-Shadi karna kaisa
ये बात गलत मशहूर है कि सफर और मुहर्रम के महीने में निकाह नहीं किया जा सकता । निकाह किसी भी महीने में जाइज़ है । चुनाँचे मलफूज़ाते आला हज़रत में है :
अर्ज़ : क्या मुहर्रम और सफ़र में निकाह करना मना है ?
इरशाद : निकाह किसी महीने में मना नहीं , ये ग़लत मशहूर हैं ।
ये भी देखे :
- मुहर्रम को मुहर्रम महीना क्यू कहते हैं ?
- मुहर्रम महीना के मसले मसाइल ?
- मुहर्रम महीने में क्या जाइज़ हैं?
मुहर्रम में निकाह को शुगुनी समझना जहालत है ।
Muharram Mein Nikah-Shadi ko Shaguni Samajna kaisa
मुहर्रम में निकाह Muharram Me Nikah को बद शुगूनी समझा जाता है जो कि बिल्कुल दुरुस्त नहीं है । तहक़ीकी फतावा तलबा -ए- जामिया समदिया में एक सवाल इसी ताल्लुक़ से किया गया कि बाज़ मुसर्रत की तक़रीबत को बद शुगुनी समझते हैं , शरीझते मुतहरा का इस सिलसिले में क्या हुक्म है ?
जवाब : माहे मुहर्रमुल हराम में शादी बियाह और दीगर मुसर्रत की तक़रीबात को बद शूगुनी समझना महज़ जिहालत और नादानी है , शरीअत में इस की कोई अस्ल नहीं , शादी बियाह हर महीने में जाइज़ है ।
फ़तावा रज़विया में है : " निकाह किसी महीने में मना नहीं । "
मुहर्रम का पहले अशरे में निकाह
Muharram Mahien Ke Pahle Ashre Me Nikah-Shadi Karna Kaisa
जैसा कि हम बयान कर चुके कि मुहर्रम के महीने Muharram Ke Mahine में किसी भी तारीख को निकाह करने में कोई हर्ज नहीं तो पहले , दूसरे या तीसरे किसी भी अशरे ( दस दिनों ) में निकाह करना जाइज़ है , इस में कोई हर्ज नहीं ।
इसलिए फ़तावा खलीलिया में एक सवाल कुछ यूँ मौजूद है कि क्या मुहर्रम के अशरा -ए- अव्वल में अज़ रू -ए- शरअ निकाह करना जाइज़ है या नहीं ?
अल जवाब : मुहर्रमुल हराम के अशरा -ए- अव्वल में शादी करना जाइज़ व मुबाह है जैसे और अय्याम में ।
सफ़र के महीना - तेरह तीज़ी में निकाह
Safar Ke Mahine Me Tera Tezi Me Nikah-Shadi Karna Kaisa
कहा जाता है कि सफ़र के महीने Safar Ke Mahine में शुरू के तेरह दिन बहुत भारी और तेज़ होते हैं जिन्हें " तेरह तीज़ी " "Tera Tezi"कहा जाता है , ये भी बे अस्ल बात है , शरीअत में ऐसी कोई बात नहीं आई कि शुरू के या आखिरी के दिन भारी होते हैं या इन में निकाह करना मना है , ये सब बातें ग़लत मशहूर हो गई हैं ।
चुनाँचे फ़क़ीहे मिल्लत , अल्लामा मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहीमहुल्लाह त'आला से सवाल किया गया कि माहे सफ़र में 13 तारीख तक और माहे रबीउल अव्वल में 12 तारीख तक आवाम शादी बियाह करने से मना करते हैं तो शरीअत का इस बारे में क्या हुक्म है ?
अल जवाब : यकुम सफ़र से 13 तारीख तक और यकुम रबीउल अव्वल से 13 तक शादी बियाह करना बिला शुबा जाइज़ है , शर'झन कोई हर्ज नहीं । इन तारीखों में शादी बियाह करने को मना करना जिहालत वा नादानी है ।
आप ही से एक और सवाल किया गया कि माहे मुहर्रम में शादी बियाह जायज़ है या नहीं ?
अल जवाब : जाइज़ है , शर'अन कोई मुमानित नहीं ।
माहे मुहर्रम में निकाह कर सकते हैं या नहीं ?
Muharram Mein Nikah Shadi karna kaisa ?
ये बज़ाहिर एक छोटा सा मसअला नज़र आता है जिस का जवाब बिल्कुल मुख्तसर सा है लेकिन अब ये एक ऐसी शक्ल इख्तियार कर चुका है कि जिस को लेकर फितना खड़ा किया जा रहा है ।
दो लफ्ज़ो को जहाँ काफी होना चाहिये था वहाँ अब बहसें होनी शुरू हो गई हैं ।
गैरों की बात तो अपनी जगह है , हमारे अपने भी इस में उलझन के शिकार हो रहे है । अहले सुन्नत से ताल्लुक रखने वाले , ये तस्लीम करते हुये कि मुहर्रम में निकाह शरअन जाइज़ व दुरुस्त है
फ़िर आगे बढ़ कर शियों की बोली बोल रहे हैं कि " निकाह कर तो सकते हैं लेकिन , चूँकि , लिहाज़ा , अगर , मगर ... वगैरह " ।
हमने अहले सुन्नत का मोक़िफ़ वाज़ेह करने के लिये ये रिसाला तरतीब दिया है जिस में आप मुअतबर उलमा -ए- अहले सुन्नत के इस मसअले पर किए गये कलाम को मुलाहिजा फरमायेंगे ।