Hazrat Baba Tajuddin Aulia का बचपन Birthday, कामठी Kamptee, बस्तर के जंगल Bastar, सागर Sagar MP, बेशुमार चमत्कार Miracles In Hindi Irfani Islam
Hazrat Baba Tajuddin Aulia बचपन कामठी बस्तर सागर चमत्कार
हजरत बाबा सैयद मुहम्मद ताजुद्दीन Hazrat Baba Tajuddin Aulia ( रहमतुल्लाह अलैह ) का जन्म ५ रज्जब - उल - मुरज्जब ( इस्लामी साल का सातवाँ महीना ) १२८३ हिजरी मुताबिक २७ जनवरी १८६२ ( कुछ किताबों में २७ जनवरी १८६१ मुताबिक १५ रज्जब - उल - मुरज्जब १२८२ हिजरी भी मिलता है ) को मुकाम गोरा बाजार कामठी Kamptee में हुआ ।
विभिन्न बयानात की बुनियाद पर बाबा हुजूर की जन्म तिथि सही समझ नहीं आती । जन्म के समय आप आम बच्चों की तरह रोए नहीं ।
बाबा हुजूर की नानी साहेबा मोहतरमा साजेदा बेगम के कहने पर तांबे के सिक्के को गर्म करके आप के माथे को दागा गया तब आपने फौरन आँखें खोल दी ।
यह दाग आपके पवित्र माथे पर जीवन भर रहा । ऐसी ही घटना आप की अम्मीजान की पैदाईश के वक्त भी पेश आयी थी ।
आप बाबा हुजूर के परिवार के लोग मद्रास से सफर करके अग्रेजों के कार्यकाल में कामठी आए । पारिवारिक पेशा सिपाहगिरी धा जबकि आपके दादाजान हजरत सैयद अब्दुल्लाह ( रहमतुल्लाह अलेह ) अरब से तिजारत करने हिन्दुस्तान तशरीफ लाए ।
यूँ तो बाबा हुजूर के पवित्र परिवार में उच्च श्रेणी के फौजी अफसरों की कड़ी मिलती है जो बड़े - बड़े पदों पर कार्यरत थे ।
बाबा हुजूर Baba Tajudin के खानदानी सिलसिले में दक्षिण भारत में पूर्वजों के मजार मिलते हैं । पारिवारिक बुजुर्ग हजरत सैयद फखरुद्दीन ( रहमतुल्लाह अलैह ) जो पेनकुंडा के रहने वाले थे , का मजार शहर कोलार में है ।
वहाँ मौजूद बाबा हुजूर के ददयाली रिश्तेदार आज भी दरबारे ताजुल औलिया से संबंध रखते हैं । शहर कोलार से बाबा हुजूर का खास ताल्लुक है ।
यूँ तो हिन्दुस्तान में बाबा हुजूर के नातेदारों की एक बड़ी कड़ी मिलती है . मगर जो दर्जा व स्थान बाबा हुजूर को मिला वह किसी और के हिस्से में नहीं आया ।
कामठी आने के बाद बाबाजान के अब्बूजान हजरत सैयद बदरुद्दीन ( रहमतुल्लाह अलैह ) जो कि अंग्रेजों के कार्यकाल में बटालियन नबर २२ में सूबेदार के पद पर तैनात थे और बाबा हुजूर के नाना जान हजरत शेख मीरां साहब बटालियन नंबर ३२ में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे ।
लिहाजा मुनासिब समझ कर दादाजान ने आप के अब्बूजान का रिश्ता इस खानदान में तय कर दिया ।
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बाबा हुजूर की पैदाईश के एक साल बाद ही अब्बूजान सेयद बदरुद्दीन साहब का इतेकाल हो गया । बाबा हुजूर के अब्बूजान कामठी Kamptee कटोनमेंट ( फौजी छावनी ) सन १८५४ ईसवी में आए थे ।
आप की फौजी कमान में सभी धर्म के लोग शामिल थे । फौजी कमान में जिन खास लोगों के नाम मिलते हैं वह यह है
जनाब अब्दुर्रहीम कारफिल , गौस हवालदार , मुहम्मद गालिब सूबेदार , उस्ताद सुल्तान मदीन खानसामा , मुस्तुफा खान रंजीमेन्ट नायक , हवलदार रहीम खान उस्तादगर , नरसैया नायक , बाचिया एकार , बदलू जरगर उस्तादगर , रामायन स्वामी हवलदार, इत्यादी
बाबा हुजूर Baba Tajuddin के अब्बूजान के दुनिया से जाने के बाद बाबा हुजूर के पालन पोषण का जिम्मा आप की अम्मीजान मरयम बी साहेबा और रिश्तेदारों ने उठाया ।
बाबा हुजूर की अम्मीजान ने बेहद लगन से अपने दुलारे की देखभाल की । जब उम्र ६ बरस हुई तो आप को मदरसे में दाखिल करवा दिया गया । बाबाजान ने खास तौर से अरबी , फारसी , उर्दू और अंग्रेजी में महारत हासिल की ।
कहा जाता है कि जब मदरसे में मौलवी साहब ने आप को पवित्र कुरआन से बिस्मिल्लाह पढ़ाई तो आप आगे सुरह फातेहा तक पढ़ गए । यह भी कहा जाता है कि उसी समय हजरत शाह अब्दुल्लाह कादरी नौशाही जो कामठी के मशहूर बुजुर्ग हैं ,
मदरसे में तशरीफ लाए और शिक्षक से फरमाया , जिस बच्चे को तुम सिखा रहे हो , वह पहले ही से सीख कर आया है । इस लिए तुम अपना और उस का समय नष्ट मत करो ।
जब बाबा हुजूर की उम्र ९ बरस हुई तो अम्मीजान भी दुनिया से रुखसत हो गई । इस प्रकार आप की परवरिश का जिम्मा ननिहाली रिश्तेदारों ने उठाया ।
अम्मीजान के इंतेकाल के बाद बाबा हुजूर नानी साहेबा , मामूजान और रिश्ते की बहनें लालबी साहेबा , बीना बेगम साहेबा , आमेना बेगम साहेबा और अमीरबी साहेबा के बहुत लाडले थे । यू तो सभी बहनें बाबा हुजूर को बहुत प्यार से रखती थीं
मगर अमीरबी साहेबा आप को दुनियादारी और दीनदारी बहुत प्यार मोहब्बत से सिखलाती । कभी - कभी बाबा हुजूर बड़े फन से कह उठते क्यूँ बहन " मैं चराग - ए - दीन ह ना जी ! " आप की बहन फरमाती , " अल्लाह आप को चराग - ए - दीन कर दे । " ( चंद अजान चराग ए - दीन को चिरागउद्दीन कहते हैं ) ।
बचपन ही से बाबा हुजूर Baba Tajudin की नेक आदतें जाहिर थीं । इबादत व रियाजत आप का शौक था । तकरीबन १३ साल की उम्र में आप कहीं निकल पड़े जिसकी खबर किसी को न हुई ।
मुहर्रम की १६ तारीख से बाबा हुजूर बुखार में मुबतेला हुए । माहिर हकीम आप की खिदमत में हाजिर थे । डॉ . चूलकर जो बाबा हुजूर के बहुत अकीदतमंद थे , उन का कहना था कि बीमारी कुछ नजर नहीं आती इलाज क्या किया जाए ।
२६ मोहर्रम को जबकि आप के अकीदतमंदों का हुजूम था , आपकी हालत भी बदली हुई थी । आप अचानक पलंग से उठे । सब पर निगाहें करीमी डाली ।
हाथ उठाए सब के लिए दुआ की और फिर पलंग पर लेट गए । हल्की सी आवाज़ के साथ रुह ने जिस्म से रिश्ता तोड़ लिया ।
बरोज़ पीर २६ मोहर्रमुल हराम १३४४ हिजरी मुताबिक १७ अगस्त १ ९ २५ को आप इस जहान से परदा कर गए ।
बस्तर के जंगलो में बाबा ताजुद्दीन Hazrat Baba Tajuddin Aulia
बाबा ताजुद्दीन Hazrat Baba Tajuddin Aulia की बस्तर से कामठी वापसी
सागर शरीफ में बाबा ताजुद्दीन Hazrat Baba Tajuddin Aulia
चमत्कार (Miracles) Hazrat Baba Tajuddin Aulia
खाना तो संदूक में है !
घर खाली कर दे
गिरता है तो गिर ताजुद्दीन तो है !
मुकदमा जीत को आते
अच्छा हो जाएगा !
बड़ा आदमी बनेगा
दाल खाना खाते
हॉकी ब्रांड बीड़ी
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