Ala Hazrat Bareilly इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय की चन्द खूबियां Imam Ahmed Raza Khan Bareilly
Ala Hazrat Bareilly आला हज़रत बरेली की चन्द खूबियां
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( 1 ) इमाम अहमद राजा खान Ala Hazrat Bareilly बरेलवी रहमतुल्ला अलैय पांचों नमाजें बा जमाअत तक्बीरे ऊला के साथ मस्जिद में अदा फ़रमाया करते ।
( 2 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय को इल्मे तौकीत ( या'नी वोह इल्म जिस के जरीए दुरुस्त वक्त मा'लूम किया जाए ) इस क़दर कमाल हासिल था कि दिन को सूरज और रात को सितारे देख कर घड़ी मिला लेते कभी एक मिनट का भी फ़र्क न हुवा ।
( 3 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय ने अपने और अपने भाइयों के तमाम शहज़ादों ( या'नी बेटों ) का नाम " मुहम्मद " रखा ।
( 4 ) इमाम अहमद राजा खान Ala Hazrat Bareilly बरेलवी रहमतुल्ला अलैय को तब्अन हर मश्रूब से ज़ियादा अज़ीज़ " ज़मज़म शरीफ़ " महबूबो मरगूब ( या'नी पसन्दीदा ) था ।
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( 5 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय ने मुख़्तलिफ़ मौजूआत पर कमो बेश एक हज़ार किताबें लिखीं , जिन में से चन्द येह हैं : इल्मुल अकाइद में 31 , इल्मुल कलाम में 17 , इल्मे तफ़्सीर में 6 , इल्मे हदीस में 11 , उसूले फ़िक्ह में 9 , फ़िक्ह में 150 , इल्मुल फ़ज़ाइल में 30 , इल्मुल मनाकिब में 18 , और इल्मे मुनाज़रा में 18 ।
( 6 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय गरीबों की दा'वत कबूल फ़रमा लेते थे अगर वहां आप के मिज़ाज के मुताबिक़ खाना न होता तो मेज़बान ( Host ) पर इस का इज़हार न फ़रमाते बल्कि खुशी खुशी खा लेते । (Ala Hazrat History)
( हयाते आ'ला हज़रत , 1/123 मुलख्वसन )
( 7 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय हमेशा गरीबों की इमदाद करते , उन्हें कभी खाली हाथ न लौटाते बल्कि आखिरी वक्त भी रिश्तेदारों रहते । को वसिय्यत फ़रमाई कि गरीबों का ख़ास ख़याल रखना , उन को ख़ातिर दारी से अच्छे अच्छे और लज़ीज़ खाने अपने घर से खिलाया करना और किसी गरीब को बिल्कुल न झिड़क्ना । (Ala Hazrat History)
( तज़्किरए इमाम अहमद रज़ा , स . 14 )
( 8 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी Ala Hazrat Bareilly रहमतुल्ला अलैय कार्ड या खुले ख़त ( Letter ) में या आयते करीमा या इस्मे जलालत " अल्लाह " या अल्लाह पाक के आख़िरी नबी " मुहम्मद " सल्ललाहो अलैय वसल्लम का मुबारक नाम या दुरूद शरीफ़ बे अदबी के ख़याल से लिखने से मन्अ फ़रमाते । आ'दादे " idais 786 दाई तरफ़ से लिखते ।
( 9 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी (Imam Ahmed Raza Khan Bareilly) रहमतुल्ला अलैय महफ़िले मीलाद शरीफ़ में शुरू से आखिर तक अदबन दो जानू ( जैसे नमाज़ में अत्तहिय्यात की सूरत में बैठते हैं ) बैठे रहते , सिर्फ सलातो सलाम पढ़ने के लिये खड़े होते । यूं ही बयान फ़रमाते और चार पांच घन्टे तक मुकम्मल दो जानू ही मिम्बर शरीफ़ पर तशरीफ़ फ़रमा ( हयाते आ'ला हज़रत , 1/98 )
( 10 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी Imam Ahmed Raza Khan Bareilly रहमतुल्ला अलैय का सोने का अन्दाज़ भी बड़ा ईमान अफ़ोज़ था , आम लोगों की तरह न सोते बल्कि सोते वक्त हाथ के अंगूठे ( Thumb ) को शहादत की उंगली पर रख लेते ताकि उंग्लियों से लफ़्ज़ " अल्लाह " बन जाए और पाउं फैला कर कभी न सोते बल्कि सीधी करवट ( Right Side ) लैट कर दोनों हाथों को मिला कर सर के नीचे रख लेते और पाउं मुबारक समेट लेते , इस तरह जिस्म से लफ़्ज़ " मुहम्मद ( बन जाता । ( हयाते आ'ला हज़रत , 1/99 मफ्हूमन )
( 11 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी रहमतुल्ला अलैय वाकेई फ़नाफ़िर्रसूल थे । अक्सर फ़िराके मुस्तफा में गमगीन रहते और सर्द आहे ( Sigh ) भरा करते ।
( 12 ) इमाम अहमद राजा खान बरेलवी Ala Hazrat Bareilly रहमतुल्ला अलैय ने सारी ज़िन्दगी कोई भी सुब्ह ऐसी नहीं की जो नामे " इलाही से शुरूअ न होती हो और किसी भी दिन की आखिरी तहरीर दुरूद शरीफ़ के सिवा किसी और लफ़्ज़ पर ख़त्म नहीं फ़रमाई , सब से आख़िरी तहरीर 25 सफ़रुल मुज़फ्फर 1340 हि . को वफ़ात शरीफ़ से चन्द लम्हे पहले येह लिखी।
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