Sadaqah Ki Fazilat in Hindi, सदके की फ़ज़ीलत, Sadqa Kis ko Khate, Dena Chahiye, Karne Ka Tarika, 20 hadees-Quran Me सदका किसको कहते हैं देना चाहिए करने
Sadaqah Ki Fazilat in Hindi Sadqa Kya Hain Dene Ka Tarika
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Sadaqah Ki Fazilat in Hindi - सदका ऐसी चीज है जिसकी वजह से आदमी की परेशानी दूर होती है मुसीबत खत्म होती है सबसे बेहतर सदका माल का सदका है
सदका किसको कहते हैं ? Sadqa Kisko Khate In Hindi
अल्लाह की खुशी और अल्लाह से करीब होने के लिए, नेक और अच्छा काम करने का नाम सदका है लेकिन सदका का मतलब आमतौर पर यह है अल्लाह की राह में मांगने वालों गरीबों और फकीरो पर अपने माल और दौलत को खर्च करने का नाम सदका है सदक़ा इसे कहते हैं Sadqa Ishe Khate Hain.
सदका किसको देना चाहिए। Sadqa Kis Ko Dena Chahiye in Hindi
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वैसे तो हर मांगने वाले को सदका खैरात दे देना चाहिए Dena Cahiye, या जिसके बारे में हमारे दिल में ख़याल आये की आदमी गरीब है उससे सदका अदा हो जाता है,
लेकिन सदका खासतौर पर ऐसे लोगों को देना में ज्यादा सवाब है जो गरीब होने बावजूद अपनी जरूरत दूसरों से बयां नहीं करते, भूखे सो जाते हैं,
लेकिन दूसरों से कुछ नहीं मांगते, क़ुरान में ऐसे लोगों पर सदका करने की बहुत तहकीद की है, सदक़ा ऐसे लोगो को देना चाइये Sadaqa Ayse Logo Ko Dena Cahiye.
सदका करने का तरीका। Sadqa Karne Ka Tarika In Hindi
सदका का सही तरीका यह है Sadqa Karne Ka Tarika, कि जिसको सदका दिया जा रहा है उसको बिना बताए हुए चुपके से उसके हाथ में थमा दिया जाए।
या उसको जिस चीज की जरूरत हो उसको उसे वहां सामान खरीद दे दिया जाए, सदका देने वाले को यहां बात अपनी दिमाग में बैठा लेनी चाहिए कि,
सदका देकर यह ना समझे कि सामने वाले पर कोई एहसान कर रहा है, और ना ही वह एहसान चुकाने की उम्मीद रखे।
सदका करके एहसान जताने से सदका का फायदा खत्म हो जाता है और सदके का सवाब नहीं मिलता, उस पर से यह बहुत बड़ा गुनाह भी है।, सदक़ा करने का सही तरीका यह हैं, Sadqa Karne Ka Sahi Tarika Yah Hain.
क़ुरान में सदके की फ़ज़ीलत Quran Me Sadaqah Ki Fazilat in Hindi
{ مَثَلُ الَّذِينَ يُنْفِقُونَ أَمْوَالَهُمْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ كَمَثَلِ حَبَّةٍ أَنْبَتَتْ سَبْعَ سَنَابِلَ فِي كُلِّ سُنْبُلَةٍ مِائَةُ حَبَّةٍ وَاللَّهُ يُضَاعِفُ لِمَنْ يَشَاءُ وَاللَّهُ وَاسِعٌ عَلِيمٌ (261) الَّذِينَ يُنْفِقُونَ أَمْوَالَهُمْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ ثُمَّ لَا يُتْبِعُونَ مَا أَنْفَقُوا مَنًّا وَلَا أَذًى لَهُمْ أَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ}
[البقرة: 261، 262]
तर्जुमा : जो लोग अल्लाह के रास्ते में अपनी माल खर्च करते हैं उसकी मिसाल उस दाने या सीद की तरह है जिसमें 7 बलिया हो,f और हर बलि में 100 दाने हो,
इससे अंदाजा लगाना भी मुश्किल नहीं कि थोड़े से खर्च से कितना फायद, लेकिन यह फायदा दुनिया में कम और कयामत में ज्यादा मिलेगा इसलिए हमको इसका एहसास नहीं होता,
लेकिन यह फायदा दुनिया में कम और कयामत में ज्यादा मिलेगा इसलिए हमको उसका भी एहसास नहीं होता
आयत नंबर 262 में अल्लाह ताला कहते हैं कि जो लोग अपने माल और दौलत को अल्लाह के रास्ते में खर्च करने के एहसान नहीं बताते हैं,
उनके लिए अल्लाह ताला के नजदीक बहुत बड़ा हज रहो सवाब है और कल कयामत के दिन उन लोगों पर कोई खौफ नहीं होगा और ना ही वह लोग परेशान होंगे
सदक़े पर 28 हदीस Sadaqah ki hadees Ki Fazilat in Hindi
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( 1 ). नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जब आदमी मर जाता है तो उस के सारे आमाल मुन्कतअ हो जाते हैं मगर तीन चीजें बाक़ी पहली सदकए जारिया , दूसरी नेक औलाद जो वालिदैन के लिये दुआ करती रहे और तीसरी इल्म जो उस के बाद लोगों को फायदा पहुंचाए । ( तम्बीहुल गाफिलीन )
( 2 ). हज़रत अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं : सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इन्सान का अपनी ज़िन्दगी के अय्याम में एक दिरहम सदका करना मरने के वक़्त सौ दिरहम सदका करने से बेहतर है । ( तर्मिज़ी )
( 3 ). उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा से मरवी है कि एक शख़्स रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और बोलाः या रसूलल्लाह ! मेरी माँ का अचानक इन्तिकाल हो गया । मेरा ख्याल है कि अगर वह कुछ बोल सकतीं तो ज़रूर मुझे सदका खैरात करने का हुक्म देतीं ।
आप फरमाएं अब अगर मैं उन की तरफ़ से कुछ सदका खैरात करूं तो क्या इस का सवाब उनको मिलेगा ? रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः उसे इस का सवाब ज़रूर मिलेगा । ( बुख़ारी शरीफ़ , मुस्लिम )
( 4 ). हज़रत उकबा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः तुम्हारे मरहूमीन सदका और खैरात के सबब कब्र की तपिश से मेहफूज़ रहते हैं । ( तबरानी )
( 5 ). हज़रत सुफ़ियान सूरी रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते हैं कि जो शख्स हराम माल से सदक़ा देता है वह उस शख़्स जैसा है जो नापाक कपड़े को पेशाब से धोता है जिस से और भी नापाक हो जाता है । ( कीमियाए सआदत )
( 6 ). रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सदका अदा करना हर मुसलमान पर ज़रूरी है । सहाबा ने पूछाः अगर वह इस काबिल न हो ? फरमायाः अपने हाथों से कोई काम करे और उस कमाई से अपने आप को नफा पहुंचाए और कुछ सदका करे ।
अर्ज़ कियाः अगरं इस का मक़दूर न हो ? फरमायाः किसी हाजतमन्द की मदद करे । पूछाः अगर इस की भी ( क्या आप जानते हैं । इस्तिताअत न रखता हो ? फरमायाः अग्र बिल मअरुफ करे । सवाल कियाः अगर यह भी न कर सके ? फरमायाः अपने आप को शर पहुंचाने से बाज़ रखे , यही उस का सदका है । ( शैलेन )
( 7 ). हकीम बिन हिज़ाम रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ कियाः मैं जाहिलियत के दिनों में कई एक नेक काम करता था जैसे कि नमाज़ , गुलामों की रिहाई और सदका वगैरा । अब इस्लाम लाने के बाद क्या मुझे उन नेकियों का सवाब मिलेगा । रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जो नेकियाँ तुम कर चुके हो उन्ही की बरकत से तुम मुसलमान हुए हो । ( शैखैन )
( 8 ). रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः मिस्कीन को सदक़ा देना तो एक सदके का सवाब है लेकिन किसी जी रहम ( रिश्तेदार ) को देना दोहरा सवाब है , एक तो सदके का दूसरा सिलए रहमी का । ( निसाई )
20 Benefits Hadees of Sadaqah Ki Fazilat in Hindi
( 9 ). हज़रत अदी बिन हातिम रज़ियल्लाहु अन्हु अपने कबीलए तय का सदका लेकर हाज़िर हुए तो चूंकि इस्लाम में यह पहला सदका था इस लिये इसे देख कर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा के चेहरे खुशी से चमक उठे । ( नुज्हतुल कारी )
( 10 ). हज़रत अदी बिन हातिम रज़ियल्लाहु अन्हु अपने कबीलए तय का सदका लेकर हाज़िर हुए तो चूंकि इस्लाम में यह पहला सदका था इस लिये इसे देख कर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा के चेहरे खुशी से चमक उठे । ( नुज्हतुल कारी )
( 11 ). हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने जब कभी खाना लाया जाता तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूछ लेते कि यह सदका है या तोहफ़ा । अगर कोई कह देता कि यह सदका है तो सहाबा से फरमाते तुम लोग खाओ । और अगर वह कह देता कि पेशकश है तो अपना दस्ते मुबारक बढ़ा कर नोश फरमाना शुरू कर देते । ( नुन्हतुल कारी )
( 12 ). हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने जब कभी खाना लाया जाता तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूछ लेते कि यह सदका है या तोहफ़ा । अगर कोई कह देता कि यह सदका है तो सहाबा से फरमाते तुम लोग खाओ । और अगर वह कह देता कि पेशकश है तो अपना दस्ते मुबारक बढ़ा कर नोश फरमाना शुरू कर देते । ( नुन्हतुल कारी )
( 14 ). रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं : सदका सत्तर बलाओं को टालता है इन में सब से कम दर्जे की बला जुज़ाम और बर्स है । ( जामए सगीर )
( 15 ). हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जब कोई शख़्स अपने किसी नेक काम का सवाब किसी गुज़रे हुए शख्स को पेश करता है
तो उस सवाब . को हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम एक नूरानी रकाबी में रख कर उस शख्स की कब्र पर ले जाते हैं और उसे ख़बर करते हैं कि तुम्हारे फुलाँ फुलाँ रिश्तेदार ने यह तोहफा तुम्हें भेजा है इसे कुबूल करो । यह सुन कर वह मुर्दा बहुत खुश होता है और उस के पड़ोसी जो ऐसे तोहफे से मेहरूम रहे बहुत गमगीन होते हैं । ( तबरानी )
( 16 ). हदीस में है कि पाकीज़ा बात और नर्मी का जवाब साइल का सदक़ा Sadaqah है । अगर जेब ख़ाली हो तो मीठी बात खैरात का नेअमुल बदल होती है । ( तोहफतुल वाइज़ीन )
Sadaqah Removes Difficulties
( 17 ). हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं : सदका सत्तर बलाओं को दफा कर देता है , उन में सब से हल्की बला कोढ़ की बीमारी है । ( बुख़ारी शरीफ )
( 18 ). रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सदक़ए फित्र देने वाले को हर दाने के बदले में सत्तर हज़ार महल मिलेंगे जिन की लम्बाई मश्रिक से मगरिब तक होगी । ( तोहफतुल वाइज़ीन )
( 19 ). हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सदकए फित्र इस लिये वाजिब किया गया है कि जो कुछ रोजे की हालत में लग्व और बेहूदगी की जाती है उस के बदले मसाकीन को खाना खिलाना चाहिये । ( तफसीरे नईमी )
( 21 ). हज़रत अब्दुल मुत्तलिब इब्ने रबीआ रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सदके के अमवाल लोगों के मैल होते हैं यह मुहम्मद और आले मुहम्मद के लिये जाइज़ नहीं हैं । ( तफ़सीरे नईमी )
( 22 ). हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हदिया कुबूल फरमाते थे और इस का इवज़ भी पूरा अता फरमाया करते थे । ( तफसीरे नईमी )
( 23 ). मोमिन के लिये इस में इस्लामी खू का शाइबा भी न होगा कि वह पेट भर खाए और उस का पड़ोसी भूखा हो गोया हमसाए की ख़बरगीरी मोमिन पर वाजिब और लाज़िम है । ( तोहफतुल वाइज़ीन )
( 24 ). रसूले मुअज्जम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः तुम में सब से अच्छा शख़्स वही है जो सब से अच्छे अख़लाक वाला हो । ( बुख़ारी शरीफ )
( 25 ). दिरहम और दीनार यानी मालो ज़र में गिरफ्तार जिस क़दर इन्सान हैं जिन के दिलों पर दुनियवी माल की हविस कब्जा कर चुकी है , उन के लिये अल्लाह तआला की लअनत और फिटकार है । ( तोहफतुल वाइज़ीन )
Power of Sadaqah Ki Fazilat in Hindi
( 26 ). वफ़ात से एक रोज़ पहले हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा से दरियाफ्त फरमायाः ऐ आयशा , वह दीनार कहाँ हैं ? हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फौरन उठी और आठ दीनार जो रखे हुए थे ले आई और आका की बारगाह में पेश कर दिये । सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दीनारों को कुछ देर तक उलटते पलट रहे ।
फिर फरमायाः ऐ आयशा , अगर मैं यह दीनार अपने घर में छोड़ कर अपने रब से मुलाकात करूं तो मेरा रब क्या फरमाएगा कि मेरे बन्दे को मुझ पर भरोसा नहीं था ।
आयशा , इन को फौरन मिस्कीनों में बाँट दो । चुनान्वे आप ने अल्लाह के हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के घर में जो आख़िरी पूंजी थी उसे निकाल कर मोहताजों में तकसीम कर दिया । ( ज़ियाउत्रबी , जिः ४ )
( 27 ). हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा रिवायत करती हैं कि रसवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सखावत के दरख़्त की जड़ जन्नत में और इस की टहनियाँ दुनिया में झुकी हुई हैं,
जो इस की एक टहनी को पकड़ लेगा वह टहनियों टहनियों जन्नत में पहुंच जाएगा और कंजूसी के क्या आप जानत दरख्त की जड़ बीच दोज़ख़ में और इस की शाखें दुनिया में फैली हुई हैं एक ही टहनी सीधी दोज़ख़ में पहुंचा देगी । ( तोहफतुल वाइज़ीन )
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