Imam Bukhari इमाम बुखारी की सुन्नत भरी ज़िन्दगी और हज़रात इमाम बुखारी Hazrat के बचपन से लेकर आखिर तक की मालूमात और हदीस की पूरी तफ़्सीरी और हदीस Hadees..
इमाम बुखारी Imam Bukhari प्यारी सी ज़िन्दगी |
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Imam Bukhari इमाम बुख़ारी का तआरुफ़ इमाम बुख़ारी
आप के अल्काबात में से येह भी हैं : अमीरुल मुअमिनीन फ़िल हदीस , हाफ़िजुल हदीस , नासिरुल अहादीसिन्नबविय्यह , हिबरुल इस्लाम , सय्यिदुल फुकहाइ वल मुहद्दिसीन , इमामुल मुस्लिमीन और शैखुल मुअमिनीन वगैरा ।
इमाम बुख़ारी Imam Bukhari के अब्बूजान
इमाम बुख़ारी Imam Bukhari के अब्बूजान हज़रते इस्माईल बिन इब्राहीम करोड़ों मालिकिय्यों के इमाम , इमामे मालिक के शागिर्द और वलिय्ये कामिल हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक के सोहबत याफ्ता थे ।
इन के तक्वा व परहेज़ गारी का येह आलम था कि अपने मालो दौलत को शुबुहात ( ऐसी चीजें जिन के हलाल या हराम होने में शुबा हो उन ) से बचाते । इन्तिकाल शरीफ़ के वक्त आप ने इर्शाद फ़रमाया : मेरे पास जिस क़दर माल है मेरे इल्म के मुताबिक़ इस में एक भी शुबे वाला दिरहम नहीं ।
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नेक वालिदैन की बरकतें Biography
इमाम बुख़ारी Imam Bukhari के अब्बूजान के तक्वा व परहेज़ गारी की क्या बात है , वाकेई शुबे वाले माल से बचना बहुत बड़ा कमाल है , मगर अफ्सोस ! आज कल शुबे वाले माल से बचना की बात लोग हराम कमाने से बाज नहीं आते , याद रखिये !
हराम माल की बड़ी नुहूसत है , हराम माल नस्लों के किरदार को तबाहो बरबाद कर सकता है , अपनी औलाद की शरीअतो सुन्नत के मुताबिक़ परवरिश करने के साथ साथ हलाल कमाने और हलाल खाने , खिलाने का ज़रूर खयाल रखना चाहिये वरना याद रखिये कि हराम माल खाने , खिलाने की
नुहूसत से कियामत के दिन सख़्त सज़ा की सूरत हो सकती है , एक दर्दनाक रिवायत पढ़िये और हलाल कमाने , खाने की फ़िक्र कीजिये नीज़ अगर खुदा न ख्वास्ता कभी लुक्मए हराम हासिल किया हो तो
उस से भी सच्ची पक्की तौबा कर के उस के बारे में मुफ्तिये इस्लाम से रहनुमाई ले कर खलासी ( या'नी छुटकारे ) की सूरत बना लीजिये वरना सख़्त परेशानी हो सकती है ।
ये भी देखे :
इमाम बुख़ारी Imam Bukhari पर करमे मुस्तफा
हृदीसे पाक Hadees Paak की मुबारक दुन्या में जो मक़ामो मर्तबा इमाम बुखारी को हासिल हुवा वोह अपनी मिसाल आप है , आप को लाखों अहादीसे मुबारका ज़बानी याद थीं । आप पर अल्लाह पाक Allah Paak और उस के प्यारे प्यारे आख़िरी नबी का खुसूसी फ़ॉलो करम था ।
इमाम बुख़ारी ने एक मरतबा ख्वाब देखा कि मैं अल्लाह के प्यारे हबीब की मगस रानी कर रहा हूं या'नी जिस्मे पाक पर बैठने वाली मख्खियां हटा रहा हूं ख्वाब देख कर आप परेशान हुए कि हुजूर नबिय्ये पाक के मुबारक जिस्म पर मख्खी तो बैठती न थी ।
उलमाए किराम ने ख़्वाब की येह ता ' बीर इर्शाद फ़रमाई कि आप को मुबारक हो आप अहादीस में जो खल्त ( या'नी गुडमुड ) हो गया है उसे पाको साफ़ करेंगे ।
उस्ताज़ की नज़र ने कहां से कहां पहुंचा दिया Imam Bukhari Teacher
हज़रते इमाम मुहम्मद बिन इस्माईल बुख़ारी (Imam Bukhari Teacher) ; इमामे आ'जम अबू हनीफ़ा के काबिल तरीन शागिर्द इमाम मुहम्मद की ख़िदमते बा बरकत में हाज़िर हुए और फ़िक़्ह में " किताबुस्सलाह " सीखने लगे । इमाम मुहम्मद ने जब इन की तबीअत में इल्मे हदीस की तरफ़ रग्बत देखी तो इन से फ़रमाया : " तुम जाओ और इल्मे हदीस हासिल करो । "
पस जब इमाम बुख़ारी ने अपने उस्ताज़ (Imam Bukhari Teacher)का मश्वरा कबूल किया और इल्मे हदीस हासिल करना शुरू किया तो देखने वालों ने देखा कि आप ; तमाम अइम्मए हदीस Hadees से आगे बढ़ गए । ( राहे इल्म , स . 36 , 520 )
40 साल तक सूखी रोटी खाते रहे
ऐ आशिकाने इमाम बुख़ारी ! इमाम बुखारी ने तलबे इल्म के दौरान बसा अवक़ात सूखी घास खा कर भी वक़्त गुज़ारा , आप एक दिन में आम तौर पर सिर्फ दो या तीन बादाम खाया करते थे ।
एक मरतबा बीमार हो गए तो डॉक्टर्ज़ ने बताया कि सूखी रोटी खा खा कर इन की मुबारक आंतें सूख चुकी हैं , उस वक़्त आप ने इर्शाद फ़रमाया : 40 साल ( Forty Years ) से मैं खुश्क रोटी खा रहा हूं और इस अर्से में सालन को बिल्कुल भी हाथ नहीं लगाया ।
70 हज़ार हृदीसें Imam Bukhari Hadees याद
तो हज़रते मुहम्मद बिन सलाम हज़रत सुलैमान बिन मुजाहिद से फ़रमाया : अगर आप कुछ देर पहले आ जाते तो मैं आप को वोह बच्चा दिखाता जो 70 हज़ार हदीसों Imam Bukhari Hadees का हाफ़िज़ है । इमाम बुख़ारी जिस किताब को एक नज़र देख लेते थे वोह उन्हें हिफ़्ज़ हो जाती थी । तहसीले इल्म के इब्तिदाई दौर में उन्हें 70 हज़ार अहादीस Imam Bukhari Hadees ज़बानी याद थीं और बा'द में जा कर येह ता'दाद तीन लाख तक पहुंच गई , एक मरतबा हज़रते सुलैमान बिन मुजाहिद , हज़रते मुहम्मद बिन सलाम की बारगाह में हाज़िर हुए.
येह हैरत अंगेज़ बात सुन कर हज़रते सुलैमान के दिल में इमाम बुख़ारी से मुलाकात का शौक़ पैदा हुवा , हज़रते मुहम्मद बिन सलाम की बारगाह से फ़ारिग होने के बाद हज़रते सुलैमान बिन मुजाहिद ने इमाम बुख़ारी को तलाश करना शुरू कर दिया ,
जब ( इमाम बुख़ारी से मुलाकात हुई तो हज़रते सुलैमान बिन मुजाहिद ने इर्शाद फ़रमाया : क्या 70 हज़ार अहादीस Imam Bukhari Hadees के हाफ़िज़ आप ही हैं ? येह सुन कर इमाम बुख़ारी ने फ़रमाया : जी हां ! मैं ही वोह हाफ़िज़ हूं , बल्कि मुझे इस से भी ज़ियादा अहादीस याद हैं और जिन सहाबए किराम और ताबिईन से मैं हदीस Imam Bukhari Hadees रिवायत करता हूं उन में से अक्सर की तारीखे पैदाइश , रिहाइश और तारीखे इन्तिकाल को भी मैं जानता हूं ।
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इमाम बुख़ारी Imam Bukhari की आदाते मुबारका
रात दिन एक कर के अपने मक्सद को पूरा करने के जज्बे से ही काम्याबी व तरक्की हासिल हुवा करती है , फुजूलिय्यात में दिन जाएअ करने और रातों को गफलत में सोने वाले काम्याबी की सीढ़ी पर नहीं चढ़ा करते , इमाम बुखारी ऐशो इशरत से बहुत दूर रहते , शुबुहात से बचना अब्बूजान से विरासत में मिला था.
हुकूकुल इबाद की पासदारी में भी अपनी मिसाल आप थे । इश्के रसूल की कैफ़िय्यत येह थी कि नबिय्ये अकरम का मूए मुबारक ( या'नी मुबारक बाल शरीफ़ ) अपने पास रखते । आप की गिज़ा बहुत कम थी । अपनी निय्यत की खूब हिफ़ाज़त फ़रमाते ।
आप का जौके इबादत भी बे मिसाल था , सारी रात जाग कर इबादत फ़रमाते , बहुत ज़ियादा नवाफ़िल अदा फ़रमाते , नफ्ली रोजे , रोज़ाना आधी रात को उठ कर 10 पारों की तिलावत , माहे रमज़ान में रोजाना एक ख़त्मे कुरआन , तरावीह में ख़त्मे कुरआन Quran आप के मा'मूलात में शामिल था ।
इमाम बुखारी का रोज़गार
इमाम बुखारी काश्तकार और ताजिर थे , आप को अब्बूजान की विरासत में बहुत सा माल मिला जिसे मुज़ारबत के तौर पर दिया करते थे । एक मरतबा आप ने फ़रमाया : मुझे हर माह 500 दिरहम आमदनी होती थी और मैं वोह सब की सब इल्म की तलब में खर्च कर देता था ।
मस्जिद का अदब
हदीसों की मशहूर किताब “ सहीह बुख़ारी " के मुअल्लिफ़ हज़रते इमाम मुहम्मद बिन इस्माईल बुख़ारी s एक मरतबा मस्जिद में थे , एक शख्स ने अपनी दाढ़ी से तिन्का निकाल कर मस्जिद के फर्श पर डाल दिया ! आप ने उठ कर वोह तिन्का अपनी आस्तीन में रख लिया जब मस्जिद से बाहर निकले तो उसे फेंक दिया ।
कभी ग़ीबत नहीं की
इमाम बुख़ारी फ़रमाते हैं : मैं उम्मीद करता हूं कि अल्लाह पाक की बारगाह में इस हाल में हाज़िर होउंगा कि वोह मुझ से गीबत का हिसाब नहीं लेगा क्यूं कि मैं ने किसी की गीबत नहीं की ।
निय्यत बदलना पसन्द नहीं किया Imam Bukhari Biography
हज़रते बक्र बिन मुनीर बयान करते हैं : एक मरतबा एक शख्स ने इमाम बुख़ारी के पास सामान भेजा , शाम को आप के पास कुछ ताजिर ( Businessmen ) आए और 5000 दिरहम के नफ्अ पर वोह सामान खरीदना चाहा तो आप ने फ़रमाया : आज की रात ठहर जाओ , दूसरे दिन ताजिरों का दूसरा गुरौह आया ,
उन्हों ने 10 हज़ार दिरहम के नफ्अ से खरीदने की पेशकश की , इमाम बुख़ारी ने फ़रमाया : कल जो ताजिर आए थे , मैं ने उन को बेचने ( Sale ) की निय्यत कर ली है । आप ने उन्हें ही सामान बेचा और इर्शाद फ़रमाया : मैं अपनी निय्यत बदलना पसन्द नहीं करता ।
अल्लाह वालों की भी क्या खूब शान होती है दीनी मुआमला हो या दुन्यावी , येह हज़रात किसी भी हाल में अल्लाह पाक के ख़ौफ़ से बे ख़ौफ़ नहीं होते बल्कि हर हाल में अपनी निय्यत व कल्ब की हिफ़ाज़त करते हैं , काश ! आज कल के ताजिर हज़रात ( BusinessMen ) भी इमाम बुख़ारी ; को फॉलो करते हुए सच्चाई व अमानत दारी से कारोबार करें तो रोज़ी में खैरो बरकत के साथ साथ खूब अज्रो सवाब कमाएं ।
इमाम बुखारी की नसीहत Imam Bukhari Biography
इमाम बुख़ारी अक्सर येह अश्आर पढ़ा करते
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तरजमा :
( 1 ) फ़रागत के अवकात में रुकूअ व सुजूद ( या'नी नफ़्ल नमाज ) को गनीमत जान , अन्क़रीब तुझे मौत आ जाएगी ।
( 2 ) मैं ने कितने ऐसे तन्दुरुस्त देखे हैं जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी और अचानक उन की रूहें परवाज़ कर गई ।
Imam Bukhari Grave मज़ारे बुख़ारी की बरकात
हज़रते अबू फ़त्ह समर कन्दी फ़रमाते हैं : समर कन्द में क़हूत पड़ा ( या'नी बारिश न होने की वज्ह से गिजा की कमी हो गई ) । लोगों फैज़ाने इमाम बुख़ारी 17 ने कई बार " नमाजे इस्तिस्का " पढ़ी , दुआएं मांगी मगर बारिश न हुई
फिर एक नेक आदमी क़ाज़िये शहर ( Judge ) के पास गया और उस को मश्वरा दिया कि तुम शहर के लोगों को ले कर इमाम बुख़ारी के मज़ार शरीफ़ Imam Bukhari Grave पर जाओ और वहां जा कर अल्लाह करीम से बारिश की दुआ मांगो शायद अल्लाह पाक तुम्हारी दुआ कबूल कर ले ।
काज़िये शहर ने येह मश्वरा कबूल कर लिया और शहर के लोगों को ले कर इमाम बुख़ारी के मज़ार शरीफ़ Imam Bukhari Grave पर हाज़िर हुवा , लोगों ने वहां खूब रो रो कर अल्लाह पाक से निहायत आजिज़ी व इन्किसारी से दुआ मांगी और इमाम बुख़ारी से कबूलिय्यते दुआ के लिये सिफ़ारिश की दरख्वास्त की । उसी…
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