फातिमा सुगरा fatima sughra बिन्त हुसैन Bint imam hussain के वाक्य का छूटा किस्सा
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इस फातिमा सुगरा Fatima Sughra का छूटा किस्सा उन्वान के तहत इन बातों को जेरे बहस लाया गया है
( 1 ) वाकिया क्या है ?
( 2 ) इस वाकिये को लिखने वालों की मेहनत
( 3 ) इस किस्से की हकीकत हज़रत अल्लामा अब्दुस्सलाम कादरी के कलम से
( 4 ) तहकीक़ की कसौटी
( 5 ) खुलासा
( 1 ) फातिमा सुगरा Fatima Sughra वाक़िया क्या है ?
वाकिया - ए - करबला के हवाले से जो झूटे वाकियात बयान किये जाते हैं उन में हज़रत फ़ातिमा सुगरा Fatima Sughra का किस्सा भी शामिल है ।
ये कुछ इस तरह है कि जब इमाम हुसैन मदीना Hazrat Imam Hussain Madina से रवाना हुये तो अपनी बेटी को यानी हज़रत फ़ातिमा सुगरा को अकेला छोड़ दिया और मक्का मुकर्रमा फिर वहाँ से करबला तशरीफ़ Karbala Tashrif ले गये । इधर हज़रत फ़ातिमा सुगरा मदीने में तन्हा और बीमारी में मुब्तिला थीं और अपने बाबा के इंतिज़ार में रोती रहती थीं ।
फिर इस किस्से को दर्दनाक बनाने के लिये कुछ लिखने वालों ने काफ़ी मेहनत की और इस अंदाज़ से लिखा कि पढ़ने और सुनने वाले अपने आँसुओं पर काबू ना रख सकें ।
( 2 ) इस वाक़िये को लिखने वालों की मेहनत
वैसे तो इस वाकिये को कई लोगों ने अपनी किताबों में नक़्ल किया है लेकिन हम यहाँ सिर्फ दो किताबों का जिक्र करेंगे । खाके करबला Karbala और शहीद इब्ने शहीद नामी किताब में ये वाकिया जिस ढंग से लिखा गया है ,
अगर उसे जूं का तूं महाफ़िल में बयान कर दिया जाये तो लोग बिना मातम किये नहीं उठेंगे और अगर किसी पेशावर मुकर्रिर ने थोड़ा सा और नमक मिर्च लगा कर बयान किया तो अंदेशा है कि लोग अपने कपड़े चाक कर लें ।
इन किताबों में सिर्फ एक यही वाक्रिया नहीं बल्कि दूसरे वाकियात को भी इसी अंदाज़ में लिखा गया है कि जिसे पढ़ कर लोग खूब रोयें । अब आयें देखते हैं कि हज़रत फ़ातिमा सुगरा के इस क़िस्से की हक़ीक़त क्या है ?
( 3 ) फातिमा सुगरा Fatima Sughra का छूटा किस्सा क़िस्से की हक़ीक़त हज़रत अल्लामा अब्दुस्सलाम क़ादरी के क़लम से
वाकिया - ए - करबला Karbalaपर लिखी जाने वाली मशहूर किताब में से एक " शहादत नवासा - ए - सय्यिदुल अबरार " है । साहिबे किताब , हज़रत अल्लामा अब्दुस्सलाम क़ादरी ने इस में एक उन्वान लिखा है " वाकिया - ए - सय्यिदा फ़ातिमा सुगरा बिन्ते हुसैन Sayyida Fatima Sughra Bint Imam Hussain, तहकीक की कसौटी पर " और इस उन्वान के तहत लिखते हैं
कि इमाम हुसैन की दो शहज़ादियों Imam Hussain KI Do Shhajadiya में से एक हज़रत सकीना और दूसरी हज़रत फ़ातिमा सुगरा हैं । दूसरी शहजादी के मुतअल्लिक जो किस्सा मशहूर किया गया है वो अरबी की मुअतबर कुतुबे तवारीख़ वगैरह में कहीं नहीं है और उर्दू में लिखी गयी मुअतबर किताबों में भी इस की कोई अस्ल नहीं है ।
अगर इस वाकिये को तहकीक की कसौटी पर रखा जाये तो बिल्कुल बे - अस्ल है । हज़रत फ़ातिमा सुगरा की शादी Fatima Sughra ki Shadi इमाम हसन Imam Hasan के बेटे हज़रते हसन मुसन्ना से हो चुकी थी और इमाम हुसैन की रवानगी Imam Hussain Ki rawangi के वक्त आप अपने शौहर के घर में मदीना तय्यिबा में मौजूद थीं ।
( 4 ) तहक़ीक़ की कसौटी :
इस में ये तो सहीह है कि हज़रत फ़ातिमा सुगरा का किस्सा जो मशहूर है वो झूट और मनघड़त है लेकिन ये बात तहक़ीक़ की कसौटी पर खरी नहीं उतरती कि हज़रत फ़ातिमा सुगरा अपने शौहर के साथ मदीना तय्यिबा में मौजूद थीं ।
दुरुस्त तहकीक़ ये है कि हज़रत फ़ातिमा सुगरा मैदाने करबला में मौजूद थीं चुनान्चे शैखुल हदीस , हज़रत अल्लामा मुहम्मद अली नक्शबंदी रहीमहुल्लाह तआला लिखते हैं :
हज़रत फ़ातिमा सुगरा मैदाने करबला में मौजूद थीं और सुन्नी व शिया , दोनों की किताब से ये साबित है । शिया मुसन्निफ़ हासिम खुरासानी ने लिखा है कि इमाम हुसैन ने अपनी शहादत के वक्त वसीयत नामा अपनी बेटी हज़रत फ़ातिमा सुगरा को अता फरमाया ।
एक और शिया मुहम्मद तक़ी लिसान ने लिखा है कि ( जब अहले बैत का काफिला यज़ीद के पास पहुंचा तो ) एक शामी उठा और यज़ीद की तरफ मुँह कर के कहने लगा : ऐ अमीरुल मोमिनीन ! ये लड़की मुझे इनायत कर दो , वोह फ़ातिमा बिन्ते हुसैन Fatima Bint Imam Hussain को मांग रहा था ।
जब सय्यिदा फ़ातिमा ने ये सुना तो उन पर कपकपी तारी हो गयी और अपनी फूपी सय्यिदा जैनब का दामन थाम लिया ।
मशहूर शिया मुहम्मद बाकिर मज्लिसी ने लिखा है कि यज़ीद के सामने हज़रत फ़ातिमा सुगरा Fatima Sughra ने कहा ऐ यज़ीद ! क्या रसूलुल्लाह * की बेटियाँ कैदी बनाई जायेंगी ? पस ( ये सुन कर ) लोग भी रो पड़े और घर वाले भी रो पड़े ।
अल्लामा इब्ने कसीर लिखते हैं कि जब मस्तूराते अहले बैत यज़ीद के दरबार में आयीं तो फ़ातिमा बिन्ते हुसैन Fatima Bint Imam Hissain ( जो सकीना Sakina से बड़ी थीं ) ने कहा ऐ यज़ीद ! रसूलुल्लाह की बेटियाँ कैदी ? यज़ीद कहने लगा कि ऐ भतीजी मै भी इसे पसंद नहीं करता हूँ ।
अल्लामा इब्ने असीर जज़री लिखते हैं कि फिर इमाम हुसैन के खानदान Imam Hussain Ki Khandan की औरतें अंदर आयीं और इमाम का सर उनके सामने था तो सय्यिदा फ़ातिमा और सकीना बिन्ते हुसैन Sakina Bint Imam Hussain आगे बढ़ने लगी ताकि सर को देख सकें ।
फ़ातिमा बिन्ते हुसैन जो सकीना से बड़ी थीं , उन्होने कहा की ऐ यज़ीद ! रसूलुल्लाह की बेटियाँ कैदी ? यज़ीद Yajid कहने लगा कि ऐ भतीजी मै भी इसे नापसंद समझता हूँ फिर एक शामी मर्द खड़ा हुआ और कहने लगा कि ये फ़ातिमा मुझे दे दो ।
( 5 ) खुलासा
कुतुब ए अहले सुन्नत व अहले तशय्यो से साबित है कि इमाम हुसैन की बेटी हज़रत फ़ातिमा सुगरा मैदाने करबला Karbala में मौजूद थीं । ये भी साबित हो गया कि उनकी तरफ मंसूब किस्सा बे - अस्ल है । फ़ातिमा सुगरा Fatima Sughra के क़ासिद और खुतूत वगैरह की कोई हकीकत नहीं है ।