वाकया कर्बला Waqia Karbala पानी बंद होने के बारे में 4 इफरात व तफरीत. गलत रिवायत बाते. waqia karbala in urdu pdf history year ka hindi story ahle sun
Waqia Karbala वाकया कर्बला में पानी बंद पर गलत रिवायत बाते
waqia_karbala |
वाकया कर्बला Waqia Karbala पानी बंद होने के बारे में 4 इफरात व तफरीत
( 1 ) पानी बंद हुआ या नहीं ?
( 2 ) दोनों तरफ़ की रिवायत और मुकरिरीन
( 3 ) तारीख इब्ने कसीर की रिवायत के दसवीं मुहर्रम 10th Muharram को खैमे मैं पानी मौजूद था
( 4 ) अल्लामा शरिफुल हक अम्जदी का जवाब
( 1 ) वाकया कर्बला Waqia Karbala में पानी बंद हुआ या नहीं ?
अगर ये कहा जाए की वाकया मैदाने करबला Waqia Karbala मैं दुश्मनों की तरफ़ से पानी पर किसी किस्म की कोई पाबंदी नहीं लगाई गयी थी तो रिवायत की रु से ये सहीह नहीं और अगर ये कहा जाए की तीन दीन तक अहले बैत के खैमों मैं बिल्कुल पानी नहीं था,
जिस की वजह से बच्चों को भी प्यास की शिद्दत से दो चार होना पड़ा तो ये भी दुरुस्त नहीं है क्यूँ की चंद रिवायत से इसकी नफ़ी होती है ।
( 2 ) कर्बला में Karbala दोनों तरफ़ की रिवायत और मुक़र्रिरीन
मैदान - ए- करबला Maidane Karbala में अहले बैत Ahle Bait पर पानी बंद किया गया या नहीं ? इस पर दोनों तरह की रिवायात मौजूद है लेकिन बयान सिर्फ उन्हीं को किया जाता है जिस से लोगों को रुलाया जा सके ।
कहा जाता है कि तीन दिन तक अहले बैत Ahle Bait के खेमें में एक बूंद भी पानी नहीं था और मुसलसल तीन दिन तक बच्चो से ले कर बड़ों तक सब प्यासे रहे और कुछ मुकर्रिरीन इस से भी आगे बढ़ जाते है
और पाँच मुहर्रम 5th Muharram से ही पानी बंद कर देते है ताकि वाकिया मज़ीद दर्दनाक हो जाये
( 3 ) तारीख़ इब्ने कसीर की रिवायत के दसवीं मुहर्रम 10th Muharram को खैमे मैं पानी मौजूद था
तारीख इब्ने कसीर में एक रिवायत कुछ यूँ है कि दसवीं मुहर्रम 10th Muharram को इमाम हुसैन Imam Hussain रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने गुस्ल फ़रमाया और खुशबू लगाई और बाज़ दूसरे साथियो ने भी गुस्ल फरमाया ।
इस रिवायत को मुकरर्रिन हाथ भी नही लगाते क्योंकि अगर इसे बयान कर दिया तो फिर लोगों को रुलाने का धंधा चौपट हो जाएगा , फिर किस मुँह से कहा जायेगा कि तीन दिन तक अहले बैत Ahle Bait के खेमो में एक बूंद भी पानी नहीं था ।
( 4 ) अल्लामा शरिफुल हक़ अम्जदी का जवाब
खलीफ़ा -ए- हुजूर मुफ्ती -ए- आज़म -ए- हिन्द , शारेह बुखारी , हज़रते अल्लामा मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी रहीमहुल्लाह से सवाल किया गया कि क्या इमाम हुसैन Imam Hussain ने आशूरा Youm E Ashura की सुबह गुस्ल फ़रमाया था ? क्या ये रिवायत सही है ?
अगर सही है तो फिर खुद उलमा -ए- अहले सुन्नत Ahle Sunnat जो बयान करते है के तीन दिन तक हज़रते इमाम हुसैन Hazrate Imam HUssain और उन के रूफका पर पानी बंद किया गया , यहां तक कि बच्चे प्यास से बिलकते रहे ।
आप रहीमहुल्लाह जवाबन लिखते है कि ये रिवायत तारीख की किताबो में मौजूद है , मसलन बिदाया निहाया में है
" उस के बाद इमाम हुसैन खेमे में गये और उस मे जा कर गुस्ल फ़रमाया और हड़ताल इस्तिमाल फरमायी और बहुत ज्यादा मुश्क जिस्म पर मली , उनके बाद बाज़ रूफका भी खेमे में गये और उन्होने भी ऐसा ही किया ।
और इसी में एक सफहा पहले ये भी है :
" हज़रते जैनब Hazrate Jainab बेहोश हो कर गिर पड़ी , हज़रते इमाम हुसैन उन के करीब गये और उन के चेहरे पर पानी छिड़का ।"
शारेह बुखारी रहीमहुल्लाह मजीद लिखते है की ये दूसरी रिवायत तबरी में भी है हत्ता कि राफ़ज़ियों की भी बाज़ किताबो में ( मौजूद ) है ।
हमारे यहां शियों shiyo ने भी एक दफा नुक्कन मियाँ को बुलाया था जो मुजतहिद भी थे और बहुत पाये के खतीब भी , उन्होंने ये रिवायत अपनी तकरीर में बयान की जिस पर जाहिलो ने बहुत शोर मचाया , उन को गालियाँ दीं , एक जाहिल ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर ऐसे दो एक वाइज़ ( मुक़रिर ) आ गए तो हमारा मज़हब .. ..में मिल जाएगा ....( खाली जगह में गालिबन कोई गाली होगी )
( फिर दोनो तरह की रिवायत के मुताल्लिक़ लिखते है कि ) ये सहीह है के 7 मुहर्रम Muhaarm से इब्ने ज़ियाद के हुक्म से नहरे फुरात पर पहेरा बैठा दिया गया था कि हज़रते इमाम आली Hazrate Imam Ali मकाम Makaam के लोग पानी ना ले पायें मगर ये भी रिवायत है
कि इस पहरे के बावजूद हज़रते अब्बास कुछ लोगों को लेकर किसी ना किसी तरह से पानी लाया करते थे लेकिन शहादत के ज़ाकिरीन ( हमारे मुक़रिरीन ) आब बन्दी ( यानी पानी बन्द होने ) की रिवायत को जिस तरह बयान करते हैं अगर ना बयान करें तो महफिल का रंग नहीं जमेगा ।
इस रिवायत में और वक़्ते शहादत हज़रते अली अकबर Hazrate Ali Akbar व हज़रते अली अशगर Hazrate Ali Ashgar का प्यास से जो हाल मजकूर है मुनाफात ( तज़ाद ) नहीं ; हो सकता है कि सुबह को पानी इस मिक्दार में रहा हो कि सब ने गुस्ल कर लिया फिर पानी खत्म हो गया
और जंग शुरू हो जाने की वजह से फुरात के पहरे दारों ने ज्यादा सख्ती कर दी हो , इस की तायीद इस से भी हो रही है कि हज़रते अब्बास Hazrate Abbas फुरात से मश्क भर कर पानी ला रहे थे कि शहीद Shahid हुये ।
हमें इस पर इसरार नहीं कि ये रिवायत सहीह है मगर मैं कतई हुक्म भी नहीं दे सकता कि ये रिवायत गलत है । तारीखी वाक़ियात जज़बात से नहीं जाँचे जाते , हक़ाइक और रिवायात की बुनियाद पर जाँचे जाते हैं ।
खुलासा :
वाकया कर्बला Waqia Karbala में पानी बन्द होने वाली सिर्फ एक तरफ की रिवायत को बयान करना और ये कहना कि तीन दिन तक अहले बैत के खेमों में एक बूंद पानी नहीं था , इस से वाज़ेह है कि मक़सद सिर्फ लोगों को रुलाना और महफिल में रंग जमाना है ।
अपने मतलब की रिवायात में नमक मिर्च लगा कर बयान करना और दूसरी रिवायात को हड़प जाना , ये कहाँ का इन्साफ है ? अब रहा ये सवाल कि हमें क्या समझना चाहिये तो इस का जवाब आप पढ़ चुके हैं ।