यौमे अशुरा के रोज़ो Youm E Ashura Ka Roza की फ़ज़ीलत fazilat हदीस से, अशुरा का रोज़े Roze कब रखे, अशुरा का रोजा फ़र्ज़ या नफिल Nafil, अशुरा का रोज़ो की बरकत
Youm E Ashura Ka Roza यौमे आशूरा के रोजे की करोडो फजीलत
![]() |
Youm_E_Ashura_Ka_Roza |
मुहर्रमुल हराम यौमे आशूरा के रोजे Youm E Ashura Ka Roza के 2 फ़ज़ाइल
( 1 ). हुजूर नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam के बारगाह में एक आदमी हाज़िर हुवा और अर्ज किया :
या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैवसल्लम आप पर मेरे माँ बाप कुर्बान! मैं किस महीने में रमजान बा बरकत महीने के अलावा रोज़े रखु ?
इर्शाद फरमाए : रमजान महीने के अलावा तुम्हे किसी दूसरे महीने में रोज़े रखना हैं तो मुहर्रम महीने के रोजे Muharram Mahine Ke Roze रखो इसलिए कि येह अल्लाह पाक का महीना है
इस महीने में एक दिन ऐसा आता है जिस में अल्लाह पाक ने एक क़ौम की तौबा क़बूल फ़रमाई और दूसरों की तौबा भी क़बूल फ़रमाएगा ।
( 2 ). अल्लाह के नबी, नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam ने इर्शाद फ़रमाया : माहे रमज़ान के बा'द अगर सब से अफ़ज़ल रोजे अल्लाह पाक के नज़दीक अगर कोई महीने के हैं तो वो मुहर्रम महीने के रोजे Muharram Mahine Ke Roze हैं और फ़र्ज़ नमाज़ के बाद सब से अफ़्ज़ल नमाज़ रात की नमाज़ है ।
अंहदे रिसालत और यौमे आशूरा Youm E Ashura Ka Roza
ज़मान ए जाहिलिय्यत में कुरैश यौमे आशूरा का रोज़ा Youm E Ashura Ka Roza रखते , नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam भी इस दिन का रोज़ा Roza रखते थे
और इसी दिन का'बतुल्लाह शरीफ़ का गिलाफ़ तब्दील किया जाता ।
खैबर और मदीनए मुनव्वरह में यहूदियों की बहुत बड़ी तादाद आबाद थी , चूंकि इन का तअल्लुक बनी इसराईल से था और बनी इसराईल ने यौमे आशूरा ही को फ़िरऔन से नजात पाई थी लिहाज़ा इस दिन को बतौरे ईद मनाया करते और रोज़ा रखा करते ।
जब नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम मदीनए पाक Madine Paak तशरीफ़ लाए तो आप ने देखा कि यहूदी भी आशूरा के दिन रोज़ा रखते Youm E Ashura Ka Roza हैं .
आप Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam ने पूछा : आज के दिन रोज़ा क्यूं रखते हो ?
यहूदियों ने अर्ज की : " येह अज़मत वाला दिन है , येह वोह दिन है जिस में अल्लाह पाक Allah Paak ने बनी इसराईल और हज़रते मूसा को ( उन के दुश्मन फ़िरऔन से ) नजात दी,
तो हज़रते सय्यिदुना मूसा ने शुक्राने में इस दिन का रोज़ा रखा था और हम भी इस दिन का रोज़ा रखते हैं ।
" रसूले करीम Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam ने इर्शाद फ़रमाया : “ हम मूसा के तुम से ज़ियादा हक़दार हैं ।
" इसलिए आप Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam ने उस दिन रोज़ा रखा और लोगों को रोज़ा रखने का हुक्म इर्शाद फ़रमाया ।
आशूरा का रोज़ा फ़र्ज़ था
शुरूअ में आशूरा का रोज़ा मुसल्मानों पर फ़र्ज़ था फिर रोज़ए रमज़ान से इस की फ़र्जिय्यत मन्सूख ( Abrogate ) हो गई थी । अब आशूरा का रोज़ा रखना फ़र्ज़ नहीं मगर इस दिन का रोज़ा रखने वाले के लिये बड़ा सवाब है ।
दो फ़रामीने मुस्तफा
( 1 ) " मुझे अल्लाह पाक पर गुमान है कि आशूरा का रोजा Ashura Ka Roza एक साल पहले के गुनाह मिटा देता है । "
( 2 ) आशूरा का रोज़ा Ashura Ka Roza एक साल के रोजों के बराबर है ।
एक दिन पहले या एक दिन बाद
मदीने के ताजदार ने इर्शाद फ़रमाया : आशूरा के दिन का रोज़ा Youm E Ashura Ka Roza रखो और इस में यहूदियों की मुखालफ़त करो , आशूरा के दिन से पहले या बाद में एक दिन का रोज़ा रखो ।
सहाबी इब्ने सहाबी हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास फ़रमाते हैं : मैं ने नबिय्ये करीम को किसी दिन के रोजे Roze को और दिन पर फ़ज़ीलत दे कर जुस्त्जू ( seek ) फ़रमाते न देखा मगर येह कि आशूरा का दिन और येह कि रमज़ान का महीना ।
आशूरा का रोज़ा मरिफरत का सबब बन गया
एक आलिम साहिब को ख़वाब में देखा गया , देखने वाले ने हाल पूछा , फ़रमाया : 60 साल तक आशूरा का रोज़ा Ashura Ka Roza रखने की बरकत से मेरी मरिफरत हो गई । एक रिवायत में येह है कि आशूरा और एक दिन पहले और बा'द का रोज़ा रखने की बरकत से ।
यौमे आशूरा का एहतिराम जानवर भी करते हैं
आशूरा ऐसा मुबारक दिन है कि इन्सान तो इन्सान चरिन्दो परिन्द ( Birds and Animals ) हत्ता कि वहशी जानवर भी इस का एहतिराम करते हैं और इस दिन की ता'ज़ीम करते हुए रोज़ा भी रखते हैं ।
बुजुर्गाने दीन, के चन्द आंखों देखे वाकिआत , तजरिबात और इर्शादात पढ़िये :
( 1 ) अज़ीम ताबेई बुजुर्ग हज़रते सय्यिदुना कैस बिन इबाद फ़रमाते हैं : मुझे येह बात पहुंची है कि वहशी जानवर दस मुहर्रम का रोज़ा रखते थे ।
( 2 ) हज़रते सय्यिदुना फ़त्ह बिन शख़रफ़ फ़रमाते हैं : मैं रोज़ाना च्यूंटियों के लिये रोटी तोड़ कर डालता था , जब दस मुहर्रम का दिन आता तो च्यूंटियां ( Ants ) उसे न खातीं ।
( 3 ) हज़रते अबुल हसन अली बिन उमर कुजवैनी फ़रमाते हैं : दस मुहर्रम को च्यूंटियां भी रोज़ा रखती हैं ।
( 4 ) अब्बासी ख़लीफ़ा अल कादिर बिल्लाह के साथ भी येही मुआमला पेश आया तो उसे बहुत हैरत हुई , उस ने हज़रते सय्यिदुना अबुल हसन कुज़वैनी से इस बारे में पूछा तो उन्हों ने फ़रमाया : 10 मुहर्रम Muharram के दिन च्यूंटियां रोज़ा रखती हैं ।
( 5 ) हज़रते अल्लामा इब्ने नासिरुद्दीन दिमश्की ; ( वफ़ात : 842 हि . ) लिखते हैं : 10 मुहर्रमुल हराम को एक शख्स गाउं आया , लोग उस वक़्त जानवर ज़ब्ह कर रहे थे ,
उस ने वज्ह पूछी तो गाउं वालों ने बताया : आज वहशी जानवर ( Beasts ) रोज़े Roze से हैं , हमारे साथ चलो हम तुम्हें दिखाते हैं । " उन्हों ने उस आदमी को एक बाग में ले जा कर खड़ा कर दिया उस का बयान है :
अप के बाद हर तरफ़ से वहशी जानवर आने लगे और बाग को घेर लिया , उन के सर आस्मान की तरफ़ उठे हुए थे , किसी एक ने भी ( उस गोश्त में से ) कुछ नहीं खाया ,
जूं ही सूरज गुरूब हुवा वोह वहशी जानवर गोश्त पर टूट पड़े और जल्दी से सब कुछ खा गए । ऐसी फ़ज़ीलत रमजान रोज़ो के बाद यौमे अशुरा के रोज़े Youm E Ashura Ka Roza की हैं
COMMENTS