Hazrat E Sakina Ka Ghoda हज़रात ऐ सकीना के घोड़े का मनघडन वाकिया, किस तरह आवाम के आगे पेश किया गया, Hazrat Ali हज़रात अली
हज़रते सकीना का घोडा Hazrat E Sakina Ka Ghoda का वाकिया
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इस Hazrat E Sakina Ka Ghoda उन्वान के तहत इन बातों को ज़ेरे बहस लाया गया है
( 1 ) गैर मुनासिब अल्फाज़ का इस्तेमाल
( 2 ) वाकिया Hazrat E Sakina Ka Ghoda
( 3 ) ये वाक़िया मनघड़त
( 1 ) गैर मुनासिब अल्फाज़ का इस्तेमाल :
हजरते सकीना और घोड़े Hazrat E Sakina Ka Ghoda का वाकिया चंद किताबों में इस तरीके से बयान किया गया है की जिस पर गौर करने के बाद एक कम पढ़ा लिखा शख्स भी ये कहेगा की अहले बैत Ahle Bait के लिये ऐसे अल्फाज का इस्तेमाल हरगिज़ मुनासिब नहीं और ये तरीका सिर्फ लोगों को रुलाने के लिये इख्तियार किया गया है ।
आप खुद देखें की किस तरह इस वाकिये को दर्दनाक बनाने के लिये लफ्फाज़ी का सहारा लिया गया है ।
( 2 ) वाकिया : Hazrat E Sakina Ka Ghoda
हज़रते जैनब के सर से चादर उतरी हुई है , बाल बिखरे हुये हैं , नज़र पथरायी हुई है , आँसुओं के दो मोटे मोटे कतरे पलकों पर आ कर ठहरे हुये हैं , हज़रते सकीना बेहोश पड़ी हैं और अपने सरताज को देख कर रोती जा रही हैं ।
इमाम हुसैन Imam Hussain अपने बेटे जैनुल आबिदीन से गुफ्तगू में मसरूफ थे और अपने पीछे बरपा होने वाली कियामत को ना देख सके , अब जो देखा तो दिल पर हाथ रख लिया ।
इमाम हुसैन आगे बढ़े और बहन की गिरी हुई चादर को उठाया और सर ढाँप दिया , हज़रते सकीना को गोद Sakina Ki Godh में लिया , अली अकबर के खून से लिथड़े हुये सकीना के चेहरे Sakina Ke Cahre को अपने इमामे से साफ किया , बिखरे हुये बालों को उंगलियों से दुरुस्त किया फिर फरमाया :
सकीना होश में आओ , बाबा की आखिरी ज़ियारत कर लो फिर सारी उम्र बाबा का चेहरा देखने को तरस जाओगी , बेटी सकीना उठो Sakina Utho जल्दी करो , आखिरी मुलाकात कर लो ,
आखिरी बार बाबा के सीने से लिपट लो फिर तो सारी जिंदगी तम्हें भी सुगरा की तरह रो रो कर और तड़प तड़प कर गुज़ारनी है । तीन दिन की प्यासी बच्ची तीन दिन के प्यासे बाबा से गले मिल रही है ।
इमाम हुसैन Imam Hussain ने कहा कि ए बच्ची ! तुम थोड़ी देर बाद यतीम हो जाओगी ! सकीना कहने लगी बाबा आप ना जायें , मेरे अब्बा जान ना जायें , आप चले गये तो बाबा किस को कहूँगी !
फिर जब इमाम हुसैन घोड़े पर सवार हुये और घोड़े को चलाना चाहा तो वो हिल ही नहीं रहा है , आप ने नीचे देखा तो सकीना घोड़े Sakina Ghode के पाऊँ से लिपटी हुई है ।
आप ने फरमाया कि बेटी बाप के दिल पर छुरियाँ ना चलाओ , फिर आप ने घोड़े से उतर कर बड़ी मुश्किल से बच्ची को खेमे में पहुँचाया और मैदान -ए- जंग की तरफ रवाना हुये ।
( 3 ) ये मनघड़त है :
ये किस्सा शहीद इब्ने शहीद वगैरा में मौजूद है और बयान करने वाले जैसे चाहते हैं नमक मिर्च लगा कर बयान करते हैं ।
ये एक मनघढ़त किस्सा है जिसे सिर्फ रोने रुलाने के लिये घढ़ा गया है ।
इस में हज़रते जैनब के मुतल्लिक जो मजकूर है कि " सर से चादर उतरी हुई है और उन के बाल बिखरे हुये हैं " क्या हुजूर * के घराने की एक शहज़ादी के बारे में ऐसा सोचा भी जा सकता है ।
हज़रते सकीना Hazrat E Sakin जो कि शादी शुदा थीं , उन के बारे में कहना कि इमाम हुसैन Imam Hussain ने गोद में लिया और वो घोड़े के पाऊँ से लिपट गयीं , ये किस तरह क़बूल किया जा सकता है ?
ऐसा हो ही नहीं सकता कि अहले बैत ने इस तरह से बे - सब्री का मुज़ाहिरा किया हो , ये सब बातें बिल्कुल झूट हैं और किसी मुअतबर किताब में मौजूद नहीं है ।
कुछ लोग बजाये अपनी इस्लाह करने के , जो ऐसे मनघढ़त और गुस्ताखी भरे वाक़ियात की हक़ीक़त बयान करता है , उसी पर गुड़ खा कर चढ़ जाते हैं , उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ।
कुछ मुकर्रिरीन ने तो हद कर दी है , कहते हैं कि हमें दलील की ज़रूरत नहीं बल्कि अबू जहल को है !
अपनी तक़रीर में चार चाँद लगाने और अपनी बाज़ार को चमकाने के लिये ऐसे क़िस्सों को खूब रो रो कर बयान किया जाता है और लोगों की अक़ीदत और मुहब्बत के साथ खिलवाड़ किया जाता है ।
अल्लाह तआला हमें अहले बैत Ahle Bait की तरफ ऐसे झूटे हज़रते सकीना का घोडा Hazrat E Sakina Ka Ghoda का वाकिया किस्सों को मन्सूब करने से बचाये और उन की शानों के लाइक उन की ताज़ीमो तकरीम करने और उन से मुहब्बत करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए ।