mahine rajab ki fazilat in hindi: 6,13,15, 22, 27 की फ़ज़ीलत हिंदी में roze, image, shab e meraj, kunde, dawateislami, jannat, istighfhar, allah ka mahi
Rajab Ki Fazilat In Hindi : खादिमुन्नबी , जन्नती सहाबी , हज़रते अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं : बारगाहे रिसालत सल्लल्लाहो अलैवसल्लम में अर्ज किया गया कि ( माहे रजब ) का नाम रजब क्यूं रखा गया ?
रजब महीना का एक और नाम?
Mahe Rajabul मुरज्जब का एक नाम " शहरे असम " या'नी बहरा महीना भी है , मेरे आका आ'ला हज़रत , इमामे अहले सुन्नत , इमाम अहमद रज़ा खान फ़तावा रज़विय्या में इस नाम की वज्ह कुछ यूं इर्शाद फ़रमाते हैं :
हर महीना अपने हर किस्म वकाएअ ( या'नी वाकिआत ) की गवाही देगा सिवाए Rajab के कि हसनात ( या'नी अच्छाइयां ) बयान करेगा और सय्यिआत ( या'नी बुराइयों ) के ज़िक्र पर कहेगा मैं बहरा था मुझे ख़बर नहीं , इस लिये इसे " शहरे असम " कहते हैं ।
( फ़तावा रज़विय्या , 27/496 )
अल्लाह का महीना Rajab Ki Fazilat In Hindi
अल्लाह पाक के आखिरी नबी , मुहम्मदे अरबी सल्लल्लाहो अलैवसल्लम (Sallallahu Alaihi Wasallam) ने इर्शाद फ़रमाया :
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Rajab मुरज्जब की पहली रात Ki Fazilat In Hindi
अल्लाह पाक के रहमत वाले नबी सल्लल्लाहो अलैवसल्लम ने फ़रमाया : " पांच रातें ऐसी हैं जिस में दुआ रद नहीं की जाती :
( 1 ) रजब की पहली ( या'नी चांद ) रात
( 2 ) पन्दरह शा'बान की रात ( या'नी शबे बराअत )
( 3 ) जुमुआ की रात
( 4 ) ईदुल फित्र की ( चांद ) रात
( 5 ) ईदुल अज्हा की ( या'नी जुल हिज्जा की दसवीं ) रात ।
Rajab Ki बेशुमार Fazilat और Barkat In Hindi
- जन्नत में दाखिला
हज़रते खालिद बिन मि'दान फ़रमाते हैं : जो Rajab की पहली रात की तस्दीक करते हुए ब निय्यते सवाब इस को इबादत में गुज़ारे और उस के दिन में रोज़ा रखे तो अल्लाह पाक (Allah Paak) उसे दाखिले जन्नत फ़रमाएगा ।
- इस्तिरफार की कसरत
फ़रमाने मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैवसल्लम " (Sallallahu Alaihi Wasallam) रजब के महीने में इस्तिरफार की कसरत करो , बेशक इस के हर हर लम्हे में अल्लाह करीम कई कई अपराद को आग से नजात अता फरमाता है ।
मक्की मदनी मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : " जिस ने रजब (Rajab) व शा'बान में सात मरतबा येह कहा :
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तो अल्लाह पाक (Allah Paak) उस पर मुकर्रर दोनों फ़िरिश्तों ( या'नी किरामन कातिबीन ) को इर्शाद फरमाएगा इस के गुनाहों का सहीफा ( या'नी आ'माल नामा ) मिटा दो । हज़रते अशरफ़ जहांगीर समनानी के मल्फूज़ात में है : माहे रजब में बहुत इस्तिरफार करे , जो शख्स माहे रजब में तीन हज़ार बार इस तरह इस्तिरफार पढ़े वोह बख़्श दिया जाएगा |
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( लताइफे अश्रफी , 2/232 )
हज़रते वब बिन मुनब्बेह फ़रमाते हैं : दुन्या की तमाम नहरें माहे Rajabul मुरज्जब में रजब की ता ज़ीम के लिये ज़मज़म की जियारत करती हैं
और मैं ने अल्लाह पाक की किताबों में से किसी किताब में पढ़ा है कि जो शख्स रजबुल मुरज्जब (Rajab Month) के महीने में सुबह व शाम हाथ उठा कर सत्तर मरतबा इस तरह मरिफ़रत की दुआ मांगे :
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तरजमा : ऐ अल्लाह ! मेरी मफिरत फ़रमा , मुझ पर रहूम फ़रमा और मेरी तौबा कबूल फ़रमा । " उस के जिस्म को कभी भी आग न छूएगी ।
- नफ़्ल रोजे
कुछ न कुछ नफ़्ल रोजे रखने की भी आदत बनानी चाहिये कि इन का बड़ा अज्रो सवाब है नीज़ माहे रमज़ानुल मुबारक से क़ब्ल ही कुछ न कुछ नफ़्ल रोजे (Roze) रखने की सआदत मिल जाएगी ,
रमज़ानुल मुबारक में फ़र्ज़ रोजे रखने और दिन में भूके प्यासे रहने की आदत बनेगी नीज़ रोजे रखने के जिस्मानी तौर पर भी बे शुमार फ़वाइद
- साल भर के रोजे
मुस्तफ़ा जाने रहमत सल्लल्लाहो अलैवसल्लम (Sallallahu Alaihi Wasallam) ने फ़रमाया : " बेशक Rajab बड़ा अजमत वाला महीना है कि इस में नेकियों का अज्र बढ़ा दिया जाता है
जिस ने इस महीने के किसी एक दिन का रोज़ा रखा वोह ऐसा है जैसा साल भर के रोजे (Roze) रखे ।
सहाबी इब्ने सहाबी , जन्नती इब्ने जन्नती , हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर से पूछा गया : क्या नबिय्ये पाक सल्लल्लाहो अलैवसल्लम रजबुल मुरज्जब में रोज़ा रखते थे ? इर्शाद फ़रमाया : हां ! और इसे अहम्मिय्यत भी देते थे ।
- जन्नती महल
हज़रते सय्यदुना अबू किलाबा फ़रमाते हैं : रजब के रोज़ादारों के लिये जन्नत में एक महल है । हज़रते सुफ़्यान सौरी फ़रमाते हैं :
मुझे हुर्मत ( या'नी इज्जत ) वाले महीनों में रोज़ा (Roze) रखना ज़ियादा पसन्द है और रिवायत है कि जब रजब के अव्वलीन ( या'नी पहले ) जुमुआ की एक तिहाई ( 1/3 One Third ) रात गुज़रती है
तो कोई फ़िरिश्ता बाकी नहीं रहता मगर सब रजब के रोज़ादारों के लिये बख्रिशश की दुआ करते हैं ।
- जहन्नम के दरवाजे बन्द
आरिफ़ बिल्लाह शैख ज़ियाउद्दीन अब्दुल अज़ीज़ दैरीनी फ़रमाते हैं : मरवी है कि जिस ने रजब के सात रोजे (Roze) रखे उस के लिये जहन्नम के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं
और जिस ने दस रोजे रखे वोह अल्लाह पाक से जो मांगता है अल्लाह पाक (Allah Paak) उसे अता फ़रमाता है और बेशक जन्नत में एक महल है
जिस के सामने दुन्या एक परिन्दे के घोंसले की तरह है , उस महल में सिर्फ रजब के रोजे रखने वाले ही दाखिल होंगे ।
- रजब की पहली रात इन्तिकाल
हज़रते अल्लामा अबुल हसन अली बिन अहमद यदी बगदादी शाफ़ेई का मा'मूल था कि आप रजब के रोजे (Roze) रखा करते थे ।
आप वसिय्यत करते थे कि मुझे इन्तिकाल के तीन दिन बाद दफ्न करना कहीं ऐसा न हो कि उस वक़्त मैं " सक्ते " में होउं , लेकिन एक मरतबा रजबुल मुरज्जब (Rajab Month) की आमद फ़रमाया :
मैं अपनी वसिय्यत से रुजूअ करता हूं , मुझे इन्तिकाल के फ़ौरन बाद ही दफ्न कर देना क्यूं कि मैं ने ख़्वाब में अल्लाह पाक के आखिरी नबी , मक्की मदनी , मुहम्मदे अरबी सल्लल्लाहो अलैवसल्लम (Sallallahu Alaihi Wasallam) की जियारत की है ,
आप सल्लल्लाहो अलैवसल्लम ने मुझ से फ़रमाया : या'नी ऐ अली ! रजब के रोजे हमारे पास रखना । चुनान्चे रजब की पहली रात आप का इन्तिकाल हो गया ।
- मदीने का सफ़र
जन्नती सहाबी , मुसल्मानों के दूसरे ख़लीफ़ा , हज़रते उमर फ़ारूके आज़म और दीगर सहाबए किराम रजबुल मुरज्जब में उमरह करना पसन्द फ़रमाते थे ।
सहाबिय्या बिन्ते सहाबी , तमाम मुसल्मानों की अम्मीजान हज़रते बीबी आइशा सिद्दीका और हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर भी रजबुल मुरज्जब (Rajab Month) में उमरह अदा करते थे ।
मशहूर ताबेई बुजुर्ग इमाम इब्ने सीरीन फ़रमाते हैं कि हमारे बुजुर्ग ( या'नी सहाबए किराम ) रजबुल मुरज्जब में उमरह किया करते थे ।
- रजब के कूडे Ki Fazilat In Hindi
मशहूर ताबेई बुजुर्ग , अहले बैते अल्हार के रोशन चराग , हज़रते इमाम जा'फ़रे सादिक के ईसाले सवाब के लिये खीर पूरियों और टिक्यों वगैरा पर फ़ातिहा ख्वानी की जाती है जिन्हें " कूडे " कहा जाता है
यूं ही " तबारक की रोटी " पर भी फ़ातिहा ख्वानी की जाती है । यक़ीनन इन सब की अस्ल ईसाले सवाब है जो कि सो फ़ीसद जाइज़ है जब कि किसी भी मुआमले में शरीअत की ख़िलाफ़ वर्जी न हो ।
पूरे माहे रजब (Rajab) में बल्कि सारे साल में जब चाहें ईसाले सवाब के लिये कुंडों की नियाज़ कर सकते हैं , अलबत्ता मुनासिब येह है कि 15 रजबुल मुरज्जब (Rajab Month) को " रजब के कूडे " किये जाएं
क्यूं कि येही " यौमे उर्स " है जैसा कि फ़तावा फ़क़ीहे मिल्लत जिल्द 2 सफ़हा 265 पर है : “ हज़रते इमाम जाफ़रे सादिक की नियाज़ 15 रजब को करें कि हज़रत का विसाल 15 ही को हुवा है ।
शे'र की वजाहत : या अल्लाह ! तुझे इमाम जा'फरे सादिक ; के " सिद्क " ( या'नी सच्चे होने ) का वासिता मुझे ईमान की सलामती नसीब फ़रमा और इमाम मूसा काज़िम और इमाम अली रज़ा के सदके मुझ से बिगैर गज़ब फ़रमाए राजी हो जा ।
( शहे शजरा शरीफ़ , स . 57 )
- मेराज मुस्तफ़ा Shab E Meraj
माहे Rajab में एक रात ऐसी है जो बे शुमार बरकतों , अजमतों और फ़ज़ीलतों वाली है , इसी रात हमारे आका , शबे अस्रा के दूल्हा सल्लल्लाहो अलैवसल्लम (Sallallahu Alaihi Wasallam) को मेराज (Shab E Meraj) का अजीमुश्शान मो'जिज़ा अता हुवा ।
हज़रते अल्लामा अहमद बिन मुहम्मद कस्तलानी , बा'ज़ आरिफ़ीन ( या'नी अल्लाह पाक (Allah Paak) की पहचान रखने वाले बुजुर्गाने दीन का कौल नक्ल फ़रमाते हैं :
सय्यिदे आलम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम को 34 मरतबा मे'राज हुई उन में से एक जिस्म और रूह ) के साथ और बाकी रूह के साथ ख्वाबों की सूरत में हुई ।
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