Tijarat-कोई चीज़ इस लिए खरीदना ताकि उसे मनाफे पर बेचा जाए तिजारत कहलाता है तिजारत यहाँ अरबी शब्द हैं. और इसका तिजारत का हिंदी मतलब होता हैं व्यापार
तिजारत Tijarat का मतलब और इस्लाम में तिजारत की अहमियत In Hindi
![]() |
तिजारत Tijarat |
तिजारत का हिंदी माना Tijarat Hindi Meaning
कोई चीज़ इस लिए खरीदना ताकि उसे मनाफे पर बेचा जाए तिजारत कहलाता है । तिजारत यहाँ अरबी शब्द हैं. और इसका तिजारत का हिंदी मतलब होता हैं व्यापार
Tijarat Meaning In English
Buying something so that it can be sold at a profit is called Trading. Trading are Arabic words here. And Trading means business in English language.
انگریزی معنی تجارت Tijarat Meaning In Urdu
کوئی چیز خریدنا تاکہ اسے منافع میں فروخت کیا جاسکے اسے تجارت (Tijarat) کہا جاتا ہے۔ عربی الفاظ تجارت (Tijarat) یہاں ہیں۔ . اور تجارت (Tijarat) کا مطلب انگریزی زبان میں کاروبار ہے۔
ట్రేడింగ్ (Tijarat) యొక్క ఆంగ్ల అర్థం Tijarat Meaning In Telgu
లాభం వద్ద అమ్మగలిగేలా ఏదైనా కొనడం ట్రేడింగ్ (Tijarat) అంటారు. ట్రేడింగ్ (Tijarat) ఇక్కడ అరబిక్ పదాలు. మరియు ట్రేడింగ్ (Tijarat) అంటే ఆంగ్ల భాషలో వ్యాపారం.
( 1 ) सरकारे मदीना , करारे कल्बो सीना का फ़रमाने आलीशान है , तिजारत करो ! कि रोज़ी के 10 हिस्से हैं नव ' हिस्से फ़क़त तिजारत में हैं ।
( 2 ) तिजारत {Tijarat} की अहम्मिय्यत का अन्दाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पेशे को अम्बियाए किराम से बरकतें लेने का शरफ़ हासिल हुवा है , जैसा कि मश्हूर मुफस्सिरे कुरआन {Quran}, हुकीमुल उम्मत , मुफ्ती अहमद यार खान फ़रमाते हैं : हज़रते सय्यदुना हूद और हज़रते सय्यिदुना सालेह , तिजारत फ़रमाया करते थे ।
( ३ ) इन नुफूसे कुदसिय्या के इलावा सरवरे काएनात , फख्ने मौजूदात ने भी इसे अपनी जाते बा बरकत से नवाज़ा है । मन्कूल है कि आप ने तिजारत की गरज़ से मुल्के शाम व बसरा और यमन का सफ़र फ़रमाया और ऐसी रास्तबाजी और अमानत व दियानत के साथ तिजारती कारोबार किया कि आप के शुरकाए कार और तमाम अहले बाज़ार आप Asia JLF- को अमीन के लकब से पुकारने लगे ।
( 4 ) आप ने मुजारबत और शिराकत दोनों
.... इस्लामी जिन्दगी , स 143 ब तसर्रुफ
.... सोरते मुस्तफा , स . 103
.... मुज़ारबत एक ऐसा अक्द है जिस में एक फीक की तरफ से रकम और दूसरे की तरफ से अमल होता है जब कि मनाफे में दोनों शरीक होते हैं ।
.... शिराकत से मुराद ऐसा अक्द है जिस के अन्दर अस्ल माल और नफ्अ दोनों में शिर्कत पाई जाए ।
तरीकों से तिजारत {Tijarat} को बरकतें लुटाई , बतौरे मुज़ारबत हज़रते सय्यिदतुना ख़दीजतुल कुब्रा के माल को मुल्के शाम में तशरीफ़ ले जा कर फरोख्त किया । ) और हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन साइब के साथ शिराकत ( पार्टनरशिप Partnership ) पर कारोबार फ़रमाया । आप फ़रमाते हैं कि मैं ज़मानए जाहिलिय्यत में हुजूरे अकरम , नूरे मुजस्सम का शरीके तिजारत था , मैं जब मदीनए मुनव्वरा, हाज़िर हुवा तो आप ने फ़रमाया : मुझे पहचानते हो ? मैं ने अर्ज किया : क्यूं नहीं ! आप तो मेरे बहुत अच्छे शरीके तिजारत थे न किसी बात को टालते और न किसी पर झगड़ा करते थे ।
बेहतरीन तिजावत
अगर हम भी चाहते हैं कि हमारी तिजारत भी अच्छी हो , हमारी रास्तबाज़ी और दियानत दारी की मिसाल दी जाए , हमारी तिजारत से उम्मते मुस्लिमा को आसानी हो तो इस के लिए ज़रूरी है कि इस्लामी उसूले तिजारत {Tijarat} सीख कर उन पर अमल किया जाए । दीने इस्लाम जिस तरह इबादात मसलन नमाज़ , रोज़ा , हज और ज़कात की अदाएगी की तालीमो तरबियत देता है , इसी तरह कारोबारी लेन देन और तिजारती मुआमलात की भी मुकम्मल रहनुमाई करता है ।
हज़रते सय्यिदुना मुआज बिन जबल से रिवायत है , रसूले अन्वर , साहिबे कौसर का फ़रमाने हिदायत निशान है : तमाम कमाइयों में ज़ियादा पाकीज़ा उन ताजिरों की कमाई है कि जब वोह बात करें तो झूट न बोलें और जब उन के पास अमानत रखी जाए तो खियानत न करें और जब वादा करें तो उस का ख़िलाफ़ न करें और जब किसी चीज़ को ख़रीदें तो उस की मज़म्मत ( बुराई ) न करें और जब अपनी चीज़ बेचें तो उस की तारीफ़ में हद से न बढ़ें और उन पर किसी का आता हो तो देने में ढील न डालें और जब उन का किसी पर आता हो तो सख्ती न करें ।
![]() |
तिजारत Tijarat |
तिजारत में पाई जाने वाली उमूमी खराबियां और इन के नुक्सानात
धोकादेही
फ़ी ज़माना तिजारत में धोकादेही भी एक आम वबा है । ऐबदार और खराब अश्या को बड़ी चालाकी से लोगों को सोंप दिया जाता है । जाली और मिलावट शुदा चीजें अस्ली और ख़ालिस ज़ाहिर कर के बेच दी जाती हैं , हालांकि ऐसा करना तिजारत {Tijarat} के इस्लामी उसूलों के बिल्कुल ख़िलाफ़ है । शरई मस्अला है कि जब कोई सौदा बेचे तो वाजिब है कि उस में अगर कुछ ऐब व ख़राबी हो तो ख़रीदार को बता दे , ऐब को छुपा कर और ख़रीदार को धोका दे कर बेचना हराम है । ) एक बार सरवरे काएनात , फ़ख्ने मौजूदात गल्ले के एक ढेर के पास से गुज़रे , अपना दस्ते मुबारक उस ढेर में डाला तो उंगलियों पर कुछ तरी महसूस हुई । गल्ले वाले से इस्तिफ़्सार फ़रमाया : येह क्या है ? उस ने जवाब दिया : या रसूलल्लाह इस ढेर पर बारिश हो गई थी , इरशाद फ़रमाया : फिर तुम ने भीगे हुवे गल्ले को ऊपर क्यूं नहीं रख दिया कि लोग इसे देख लेते । जो शख्स धोका दे , वोह हम में से नहीं । मशहूर मुफस्सिरे कुरआन {Quran}, हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी फ़रमाते हैं : इस से मालूम हुवा तिजारती चीज़ में ऐब पैदा करना भी जुर्म है और कुदरती तौर पर पैदाशुदा ऐब को छुपाना भी जुर्म ।
सूद
तिजारत में पाई जाने वाली बुराइयों में से सूद ( Interest ) ऐसी ख़बीस बुराई है जिस ने हमेशा मईशत ( Economy ) को तबाहो बरबाद ही किया है , कुरआनो {Quran} हदीस में इस की मज़म्मत को इन्तिहाई शिद्दत से बयान किया गया है यहां तक कि सूदखोरों को अल्लाह पाक और उस के रसूल से एलाने जंग की वईद भी सुनाई गई है । इरशादे खुदावन्दी है
वादा खिलाफी {Wada}
वादा {Wada} निभाने की अहम्मिय्यत से इन्कार मुमकिन नहीं । इस के जरीए एतिमाद की फ़ज़ा काइम होती है और तिजारती {Tijarat} मुआमलात में एतिमाद रीढ़ की हड्डी की हैसिय्यत रखता है । इस के बा वुजूद आज कल हालत येह है कि वादा {Wada} सिर्फ वक्त गुज़ारी के लिए किया जाता है , मुकर्ररा तारीख़ पर रकम वगैरा की अदाएगी की सिरे से ही कोई निय्यत नहीं होती । जान बूझ कर टरखाते रहते हैं । बाज़ लोगों की येह आदत होती है कि रकम पास होने के बा वुजूद कह देते हैं : शाम को आना , कल ले लेना , परसों मिलेंगे यानी ख़्वाह म ख्वाह दूसरों को बार बार आने पर मजबूर और ज़लील करते हैं । याद रखिए ! वादा {Wada} पूरा न करने की निय्यत से और फ़क़त टालने के लिए झूट मूट का वादा {Wada} करना नाजाइज़ो हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है ।
हुजूरे पाक , साहिबे लौलाक का इरशादे गिरामी है : जो किसी मुसलमान से अद शिकनी करे , उस पर अल्लाह पाक , फ़िरिश्तों और तमाम इन्सानों की लानत है और उस का कोई फ़र्ज़ कबूल होगा न नफ़्ल ।
झूट और झूटी कसम {Kasam}
तिजारत को वुस्अत और फ़रोग देने के लिए आज कल झूट का सहारा लेना बिल्कुल आम होता चला जा रहा है । गाहक को मुतमइन करने की खातिर बात बात पर झूटी कसमें {Kasam} खाई जाती हैं । इस कदर बे हिसी हो चुकी है कि इसे गुनाह भी ख़याल नहीं किया जाता बल्कि होशियारी और चालाकी समझते हुवे कारोबार की तरक्की में मुफीद जाना जाता है । गाहक को अपने घेरे में लेने और मुतमइन करने के लिए तरह तरह से झूट बोला जाता है । मसलन “ अगर कोई खरीदार किसी चीज़ का दुकानदार की मतलूबा कीमत से कम रेट लगाए तो दुकानदार फौरन झूटी कसम {Kasam} खा लेता है : खुदा की कसम {Kasam}! येह चीज़ हम इतने पैसों से कम पर बेचते ही नहीं । " इसी तरह ज़ियादा मनाफे में किसी गाहक से येह झूट कह दिया जाता है कि अभी एक गाहक इस चीज़ के आप से जियादा पैसे दे रहा था मगर हम ने फिर भी इसे फरोख्त नहीं की । हदीसे पाक में ऐसे झूटों के लिए बड़ी सख़्त वईद आई है ।
फ़रमाने मुस्तफा है : तीन शख्स ऐसे हैं जिन से कियामत के दिन अल्लाह पाक न कलाम फ़रमाएगा और न ही उन की तरफ़ नज़रे रहमत फ़रमाएगा : ( इन में से ) एक वोह है जो किसी सामान पर कसम {Kasam} खाए कि मुझे पहले इस से ज़ियादा कीमत मिल रही थी हालांकि वोह झूटा हो ।
याद रखिए ! झूट बोल कर माल वगैरा फरोख्त करने से अगर्चे वक्ती तौर पर नफ्अ हासिल हो जाता है मगर दर हक़ीक़त ऐसी कमाई और तिजारत {Tijarat} से बरकत ख़त्म हो जाती है । रसूले अकरम , शाहे बनी आदम ने फ़रमाया : खरीदने और बेचने वाले अगर सच बोलें और मुआमला वाजेह कर दें तो उन की खरीदो फरोख्त में बरकत दी जाती है और अगर वोह दोनों कोई बात छुपा लें और झूट बोल दें तो उस से बरकत उठा ली जाती है । एक रिवायत में है : झूटी कसम माल को बिकवाने वाली लेकिन कमाई की बरकत मिटाने वाली है ।
मश्हूर मुफस्सिरे कुरआन {Quran} , हकीमुल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खान इस मफ्हूम की हदीसे पाक के तहत फ़रमाते हैं : बरकत ( मिट जाने ) से मुराद आयिन्दा कारोबार बन्द हो जाना हो या किए हुवे ब्योपार ( व्यापार ) में घाटा ( नुक्सान ) पड़ जाना यानी अगर तुम ने किसी को झूटी कसम {Kasam} खा कर धोके से खराब माल दे दिया वोह एक बार तो धोका खा जाएगा मगर दोबारा न आएगा न किसी को आने देगा , या जो रकम तुम ने उस से हासिल कर ली उस में बरकत न होगी कि हराम में बे बरकती है ।
![]() |
तिजारत Tijarat |
तिजारत की मुरव्वजा नाजाइज सूरतें
किस्तों {EMI} पर कारोबार
फ़ी नफ़्सिही किस्तों EMI पर कारोबार करना बिल्कुल जाइज़ है कि येह उधार फरोख्त की एक सूरत है और किसी चीज़ को बेचते वक़्त बाहमी रिज़ामन्दी से जितनी कीमत चाहें मुकर्रर कर लें इस में शरअन कोई हरज नहीं , जब तक कोई ऐसी सूरत न पाई जाए जो इस्लामी उसूलों के ख़िलाफ़ हो । अल्लाह रब्बुल इज्जत इरशाद फ़रमाता है
तर्जमए कन्जुल ईमान : ऐ ईमान | वालो आपस में एक दूसरे के माल नाहक़ न खाओ मगर येह कि कोई सौदा तुम्हारी बाहमी रिज़ामन्दी का
मगर अफ़सोस हमारे ज़माने में इस कारोबार की कई ऐसी सूरतें राइज हो चुकी हैं जो नाजाइज़ो हराम हैं ।
मसलन मुआहदा ( Agreement ) करते हुवे येह शर्त लगाना कि अगर वक्त पर किस्त अदा न की गई तो जुर्माना अदा करना पड़ेगा । येह जुल्मो ज़ियादती और ताज़ीर बिल माल ( माली जुर्माना ) है जो इस्लाम में जाइज़ नहीं । रद्दुल मुहतार में है , ताज़ीर बिल माल इब्तिदाए इस्लाम में थी फिर इस को मन्सूख कर दिया गया । ( 1 ) और मन्सूख का हुक्म येह है कि इस पर अमल करना हराम है ।
किस्तों EMI पर शै बेची मगर साथ में येह कह दिया कि जब तक तमाम किस्तें अदा नहीं हो जातीं आप इस शै के मालिक नहीं । येह शर्त नाजाइज़ है क्यूंकि शरीअत के एतिबार से जब किसी चीज़ पर ईजाबो क़बूल हो जाए और शै ख़रीदार के कब्जे में चली जाए तो वोह मालिक हो जाता है । फ़तावा आलमगीरी में है , बैअ का हुक्म येह है कि मुश्तरी मबीअ ( ख़रीदी हुई चीज़ ) का मालिक हो जाए और बाएअ समन ( कीमत ) का । )
किराया और चीज़ की कीमत को जम् करना , यानी किसी चीज़ की इस तरह किस्तें करना जो कि उस की कीमत और किराया दोनों पर मुश्तमिल हों । इस की सूरत यूं बनेगी : एक मोटर साईकल दो हज़ार माहाना क़िस्त EMI पर बेची , इस में तै येह किया कि एक हज़ार मोटर साईकल की कीमत की मद में और एक हज़ार किराये की मद तो येह तरीका नाजाइज़ है । क्यूंकि सरकारे दो आलम , नूरे मुजस्सम ने एक सौदे में दो सौदे करने से मन्अ फ़रमाया है ।
तिजारत {Tijarat} पर मालूमात और तिजारत {Tijarat} का मतलब पता चल गया होंगे अब इसे दुसरो तक भी शेयर करे और कमाए
COMMENTS