Zina In Islam In Hindi, जीना Meaning, Types of Jina in Islam, ज़िना की saza, hadees, quran ayat, irfani islam
2 Islami क़ुरानी आयते Zina पर In Hindi
(1). आयतः अल्लाह रब्बुलइज्जत इरशाद फरमाता है :
तर्जुमाः और बदकारी के पास न जाओ , बेशक वह बेहयाई है और बहुत ही बुरी राह ।
( तर्जुमा कंजुलईमान पारा -15 सूरह बनी इस्राईल रुकूअ -4 आयत 32 )
(2). आयतः और इरशाद फ़रमाता है रब तबारक व तआलाः
तर्जुमाः और ( मोमिन ) वह जो अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करते हैं ।
( तर्जुमा कंजुलईमान पारा -29 सूरह मेराज रुकूअ - 7 ( आयत -29 )
Islam में Zina के बारे में तफ़्सीरी मालूमात In Hindi
जीना का मतलब? / Zina Meaning In Hindi? / What Is Zina?
Zina In Islam In Hindi : एक मर्द एक ऐसी औरत से यौन-क्रिया करे जिसका वह मालिक नहीं ( यानी उससे निकाह नहीं हुआ ) उसे ज़िना कहते हैं । चाहे मर्द और औरत दोनों राज़ी हों ।
उसी तरह पेशावर बाज़ारी औरतों और तवाइफों के साथ मुबाशरत को भी ज़िना ही कहा जाएगा । वार आज कल अक्सर नौजवान काफिरों की लड़कियों के साथ नाजाइज़ तअल्लुकात रखते हैं
और ये समझते हैं कि ये कोई गुनाह नहीं , इसलिए कि वह काफ़िरा हैं से सख़्त जिहालत है , काफिरा लड़की से मुबाशरत भी यौन-क्रिया ही कहलाएगी ।
मसलाः काफ़िरा औरत से भी ज़िना हराम है , चाहे वह राज़ी ही क्यों न हो । काफिरा के साथ जिना के जाइज़ होने का काइल हो तो कुफ्र है । वरना बातिल व मरदूद बहरहाल है ।
( फ़्तावा ) रिज़विया जिल्द -5 सपहा - 980 )
जीना कितने तरहा का होता हैं Types of zina in Islam
- सोच का जीना (Soch Ka Zina)
- आँखों का जीना (Ankho ka Zina)
- कानो का जीना (Kano Ka Zina)
- मुँह का जीना (Munh Ka Zina)
- हाथ का जीना (Hanth Ka Zina)
- पैरों का जीना (Pairon Ka Zina)
- सोच का जीना (Soch Ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत अपने दिमाग में किसी दूसरे के लिए गन्दी जीना सोच सोचता हैं या दिमाग में लता हैं तो इसे दिमागी जीना या सोच का जीना कहते हैं
और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
- आँखों का जीना (Ankho ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत अपने आँखों से किसी गैर दूसरे इंसान को बिना कपडे के देखता हैं या गन्दी पोर्न मूवी या वीडियो देखता हैं ये आँखों के जीना में शुमार होता हैं और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
- कानो का जीना (Kano Ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत किसी गैर मर्द या औरत से गन्दी गन्दी बाते, वही बाते जो सेक्स के दौरान किया जाता हैं वह बाते सुनता हैं तो उसे कानो का जीना कहते हैं
और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
- मुँह का जीना (Munh Ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत किसी के साथ बात करते समय गन्दी गन्दी बाते करता हैं जो सेक्स के दरमियान किया जाता हैं तो इसे मुंह का जीना कहते हैं
और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
- हाथ का जीना (Hanth Ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत किसी गैर मर्द या औरत को अपने हाथो से गन्दी सोच रख कर छूता हैं शरीर को हाथ लगता हैं तो इसे हाँथ का जीना कहते हैं
और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
- पैरों का जीना (Pairon Ka Zina)
जब मुस्लिम मर्द या औरत किसी गैर के पास गन्दी सोच रख कर जाने के लिए कदम बढाता हैं अपने पैरो के जरिये जीना जैसी बड़े गुन्हा के लिए फासले पैरो के जरिये काम करता हैं इसे पैरो का जीना कहते हैं
और इसका भी उतना ही अज़ाब हैं जितना Sex करने वाले को हैं।
Wahabi से निकाह का मतलब Zina
इसी तरह कट्टर वहाबी , देवबंदी , मौदूदी , नेचरी , राफ़ज़ी वगैरा जितने भी दीन से फिरे हुए फिरके हैं उनकी लड़की से निकाह किया तो निकाह ही नहीं होगा,
बल्कि महज़ ज़िना कहलाएगा जब तक कि लड़की अकाएद बातिला से सच्ची तौबा न कर ले । सच्ची तौबा का ये मतलब है कि सुन्नी सहीहुलअकीदा हो जाए,
और अहलेसुन्नत व जमाअत के अलावा जिस कदर भी फिरका बातिला हैं उन्हें मुरतिद , काफिर दिल से मानें चाहे फर्क बातिला में उसका बाप , भाई ही क्यों न शामिल हो ,
उन्हें भी काफिर व मुरतिद जाने और उनके कुफ़ पर शक भी न करें और न उनसे मेल मुलाकात रखे । यकीनन लिंग गुनाहे अज़ीम और बहुत बड़ी बला है ।
ये इंसान की दुनिया व आखिरत का तबाह व बरबाद कर देता है ।
Zina पर 7 Hadees In Hindi
हदीसः अल्लाह के रसूलुल्लाह ( स.अ.व. ) ने इरशाद फ़रमायाः
तर्जुमाः शिर्क के बाद अल्लाह के नज़दीक उस गुनाह से बड़ा कोई गुनाह नहीं कि एक शख़्स किसी ऐसी औरत से सोहबत करे जो उसकी बीवी नहीं ।
हदीसः और फरमाते हैं मदनी ताजदार हमारे प्यारे आका ( स.अ.व. ) :
तर्जुमाः जब कोई मर्द और औरत जिना करते हैं तो ईमान उनके सीने से निकल कर सर पर साये की तरह ठहर जाता है । |
( मकाशफ़तुलकुलूब बाब 22 सपहा 168 )
हदीस : हज़रत अकरमा ने हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ( रजि . ) से पूछा : " ईमान किस तरह निकल जाता है ? हज़रत इब्ने अब्बास ने अपने एक हाथ की उंगलियाँ दूसरे हाथ की उंगलियों में डालें और फिर निकाल लें और फ़रमायाः " देखो ! इस तरह "
( बुखारी शरीफ जिल्द 3 बाब 968 हदीस- 1713 सपहा- 614 + अशअतुलमआत शरह मिश्कात जिल्द -1 सपहा 287 )
हदीस : हज़रत अबूहुरैरा व हज़रत इब्ने अब्बास ( रजि . ) से रिवायत है कि सरकार अकदस ( स.अ.व. ) ने इरशाद फ़रमायाः
तर्जुमाः मोमिन होते हुए तो कोई ज़िना कर ही नहीं सकता ।
( बुख़ारी शरीफ जिल्द -3 बांब 968 हदीस- 1714 सपहा 614 )
हदीस : हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली ( रजि . ) रिवायत करते हैं : " जिसने किसी गैर शादी शुदा औरत का बोसा लिया उसने गोया सत्तर कवाँरी लड़कियों से जिना किया और जिसने किसी कवाँरी लड़की से ज़िना किया तो गोया उसने सत्तर हज़ार शादी शुदा औरत से ज़िना किया । "
( मकाशफ़तुलकुलूब बाब 22 सपहा - 169 )
हदीसः अल्लाह के रसूल अल्लाह ( स.अ.व. ) इरशाद फ़रमाता है :
तर्जुमाः सातों आसमान और सातों ज़मीनें और पहाड़ जिनाकार पर लानत भेजते हैं और क़यामत दिन जिनाकार मर्द व औरत की शर्मगाह से इस कदर बदबू आती होगी कि जहन्नम में जलने वालों को भी इससे तकलीफ़ पहुंचेगी ।
( बज़रा बहवाला बहारे शरीअत जिल्द -1 हिस्सा -9 सपहा - 43 )
हदीसः फकीहा हज़रत इमाम अबुललैस समर कंदी और हुज्जतुलइस्लाम हज़रत इमाम मुहम्मद गज़ाली ( रजि . ) नक़ल करते " बाज़ सहाबए कराम से मरवी है कि ज़िना से बचो , इसमें छः मुसीबतें हैं जिनमें से तीन का तअल्लुक दुनिया से और तीन का आख़िरत से है । "
- दुनिया की मुसीबतें ये हैं :
( 1 ) ज़िन्दगी मुख़्तसर ह हो जाती है ?
( 2 ) दुनिया में रिज़्ज़ कम हो जाता है ।
( 3 ) चेहरे से रोनक ख़त्म हो जाती है ।
- आखिरत की मुसीबतें ये हैं :
( 4 ) आख़िरत में खुदा की नाराज़गी ।
( 5 ) आखिरत में सख़्त पूछ ताछ ।
( 6 ) जहन्नम में जाएगा और सख़्त अज़ाब |
( तंबीहुगाफिलीन सहा 381 + मकाशफतुलकुलूब बाब 22 | सपहा - 168 )
Zina पर Allah, इरशाद फरमाता हैं
रिवायत : हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह अज़ेवजल से ज़िना करने वाले की सज़ा के बारे में पूछा तो रब तबारक व तआला ने इरशाद फ़रमायाः
" ऐ मूसा ! जिना करने वाले को मैं आग की ज़र्रा ( आग का लिबास ) पहनाऊँगा जो ऐसा वज़नी है कि अगर बहुत बड़े पर रख दिया जाए तो वह भी "
( मकाशफतुलकुलूब बाब 22 सपहा 168 )
आयतः अल्लाह तबारक व तआला इरशाद फ़रमाता है :
तर्जुगाः जो शख्स जिना करता है उसे असाम में डाला जाएगा ।
( कुरआन करीम पारा -19 सूरह फुरकान आयत- 68 )
असाम के मुतअल्लिक उलमाए किराम ने कहा है कि वह जहन्नम का एक गार है जब उसका मुंह खोला जाएगा तो उसकी बदबू से तमाम जहन्नमी चीख उठेंगे ।
( मकाशफतुलकुलूब बाब 22 सपहा 167 ) |
ये तमाम सज़ाऐं तो आख़िरत में मिलेंगी लेकिन लिंग करने वाले पर शरीअत ने दुनिया में भी सज़ा मुक़र्रर की है । इस्लामी हुकूमत हो तो बादशाहे वक़्त या फिर काजी शरअ पर ज़रूरी है ।
कि जानी पर जुर्म साबित हो जाने पर शरीअत के हुक्म के तहत सजा दे । हदीस पाक में है कि अगर किसी को दुनिया में सज़ा न मिल सकी तो आखिरत में उसको सख्त अजाब दिया जाएगा,
और दुनिया में सजा पा लिया तो फिर अल्लाह चाहे तो उसे मआफ फ़रमा दे ।
Islam में Zina की दुनिया में Saza
अल्लाह और उसके रसूल ( स.अ.व. ) ने जिनाकार मर्द व औरत को सजा का हुक्म दिया, और उस पर रसूल अल्लाह ( स.अ.व. ) ने अमल भी करवाया ।
आयतः अल्लाह रब्बुलइज्ज़त इरशाद फ़रमाता है :
तर्जुमाः जो औरत बदकार हो और जो मर्द तो उनमें हर एक को सौ कोड़े लगाओ और तुम्हें उन पर तर्स न आए अल्लाह के दीन में अगर तुम ईमान लाए अल्लाह और पिछले दिन पर और चाहिए कि उनको सज़ा के वक्त मुसलमानों का एक गिरोह हाज़िर हो ।
( तर्जुमा कंजुलई मान पारा -18 सूरह अलनूर रुकूअ -7 आयत 2 )
हदीसः रसूल अल्लाल ( स.अ.व. ) इरशाद फरमाते हैं :
तर्जुमाः जिना करने वाले शादी शुदा हों तो खुले मैदान में संगसार किया जाए ( यानी पत्थरों से मार कर जान से ख़त्म कर दिया जाए ) और अगर जिनाकार गैर शादी शुदा हों तो सौ कोड़े मारे जाऐं ।
हदीस : हज़रत शअबी ( रजि . ) ने हज़रत अली ( रजि . ) से रिवायत की है :
तर्जुमा : हज़रत अली ने जुमा के रोज़ एक जानी औरत को संगसार किया तो फरमाया कि मैंने उसे रसूल अल्लाह ( स.अ.व. ) की सुन्नत के मुताबिक संगसार किया है ।
( बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 3 बाब 969 हदीस- 1716 सपहा - 615 )
शादी शुदा जानी मर्द व औरत को संगसार करने और गैर शादी शुदा जानी मर्द और औरत को कोड़े लगाने का हुक्म सहासित्ता के अलावा अहादीस की तकरीबन सभी किताबों में मौजूद है जिससे इनकार की गुंजाईश नहीं ।
यहाँ तवालित के खून से बुखारी शरीफ की दो हदीसों पर ही इक्तिफा किया गया ।
सबूत और गवाही Zina In Islam In Hindi
जिना का सुबूत बाशर , नमाज़ी , परहेज़गार , मुत्तकी जो न कोई गुनाहे कबीरा करते हों ,
न किसी गुनाहे सगीरा पर इसरार रखते हों , न कोई बात ख़िलाफ़े मरौव्वन छिछोरे पन की करते हों और न ही बाजारों में खाते पीते और सड़कों पर पेशाब करते हों ।
ऐसे चार मर्दों की गवाहियों से लिंग साबित होता है या यौन-क्रिया करने वाले के चार मरतबा इकरार कर लेने से । फिर भी इमाम बार बार सवाल करेगा और दरयाफ्त करेगा कि तेरी ज़िना से मुराद क्या है ?
कहाँ किससे क्या ? अगर इन सब को बयान कर दिया तो ज़िना साबित होगा वरना नहीं । और गवाहों को खुल कर साफ़ साफ़ अपना चश्म दीद मुआइना बयान करना होगा कि हम ने मर्द का बदन औरत के बदन के अन्दर ख़ास इस तरह देखा जैसे सुरमादानी में सिलाई ।
अगर इन बातों में से कोई भी बात कम होगी मसलन चार गवाहों से कम हों या उनमें का एक आला दर्जा का न हो या मर्द तीन हों और औरतें दस बीस ही क्यों न हों ।
इन सब सूरतों में ये गवाहियाँ नहीं मानी जाएगेंगी , अगरचे इस किस्म की सूद व सो गवाहियाँ गुज़रीं । हरगिज़ यौन-क्रिया का सुबूत न होगा और,
ऐसी तोहमत लगाने वाले खुद ही सज़ा पाऐंगे और उन्हें बतौर सज़ा अस्सी अस्सी कोड़े लगाए जाऐंगे ।
( फतावा रिज़विया जिल्द 5 सपहा - 974+ तफसीर खजाइनुलइरफान पारा -24 सूरह नूर आयत 2 की तफ़्सीर )
Ala Hazrat का Zina पर बयान
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ ( रजि . ) फ़्तावा रिज़विया " में और हज़रत सदरुलफ़ाज़िल अल्लामा नईमुद्दीन मुरादाबाद ( रह . ) अपनी मशहूर जमाना कुरआन करीम की तपसीर " खज़ाइनुउइरफान की तफ्सीरुलकुरआन " में नक्ल फ़रमाते हैं :
" जानी मर्द को कोड़े लगाने के वक्त खड़ा किया जाए और उसके तमाम बदन के कपड़े उतार दिए जाऐं सिवाए लुंगी के और उसके तमाम बदन पर कोड़े लगाए जाऐं सिवाए चहरा,
और शर्मगाह के और औरत को कोड़े लगाने के वक्त खड़ा न किया जाए , न उसके कपड़े उतारे जाऐं । अगर पोसतीन या रूईदार कपड़े पहने हो तो उतार लिए जाऐं ।
" हिन्दुस्तान में चूंकि इस्लामी हुकूमत नहीं इसलिए यहाँ इस्लामी सज़ा नहीं दो जा सकती । यौन-क्रिया " हक़ अल्लाह " कि अलावा " हकूकुलअबाद " भी है ।
लिहाज़ा अल्लाह तआला से तौबा व असतगफार के अलावा जिससे ये काम किया है उसके करीबी रिश्तादारों के मआफ किए बगैर अज़ाब से रिहाई नहीं मिल सकती ।
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ ( रजि . ) की मलफूज़ात में ह " Zina में औरत का हक होता है जब कि उससे जबरन लिंग किया जाए और उसके बाप , भाई , शौहर जिस जिस को इस खबर से तकलीफ पहुंचेगी , उन सब का हक़ है ।
उलमाए किराम ने कहा कि साफ़ साफ लफ़्ज़ों में उनसे मआफ़ी माँगे कि मैंने ये काम किया है मैं मआफ़ी चाहता हूँ । "
( अलमलफूज़ जिल्द -3 सपहा 44 )
ज़ाहिर है उन सब से मआफी माँगना आसान काम नहीं । जिससे ये काम किया उससे और उसके करीबी रिश्तादारों के मआफ़ किए बगैर ये गुनाह मआफ न होगा और बंदों के मआफ कर देने के बाद भी,
अब ये अल्लाह तआला का In Islam में जिम्मा करम पर है कि वह उस गुनाह को मआफ फरमा दे और अज़ाब जहन्नम से नजात बख्शे । अल्लाह तआला हमारी Zina जैसे खब्बीस गुनाह से हिफाज़त फरमाए । आमीन ! In Hindi में इनफार्मेशन को शेयर करे और लोगो को नेकी की दावत दे और गुनहाओ से बचाए
Bhut kuchh sikhne ko mila
ReplyDeleteAllah hidayat de hme bhi aur tumhe bhi aur iss gunah se bachaye hamesha bachaye Ameen
ReplyDeleteइसी तरह कट्टर वहाबी , देवबंदी , मौदूदी , नेचरी , राफ़ज़ी वगैरा जितने भी दीन से फिरे हुए फिरके हैं उनकी लड़की से निकाह किया तो निकाह ही नहीं होगा,
ReplyDeleteबल्कि महज़ ज़िना कहलाएगा Janab aapne daleel to di hi nhi bina dalerl ke hum kese maan le is bat ko daleel do me tumhe join krne ko taiyyar hu