नमाज के बाद पढ़े जाने वाले अवराद दुआ और दुआए Namaz Ke Baad ki Dua Hindi mein me
Namaz Ke Baad ki Dua Hindi नमाज़ सलाम के बाद की दुआ
नमाज के बाद पढ़े जाने वाले अवराद दुआ Namaz Ke Baad ki Dua Hindi
नमाज के बा'द जो अज़्कारे तंविला (तंविला अवराद) अहादीसे मुबा-रका में वारिद हैं, वोह जोहर व मरिरिब व इशा में सुन्नतों के बा'द पढ़े जाएं, कब्ले सुन्नत मुख्तसर दुआ पर कनाअत चाहिये, वरना सुन्नतों का सवाब कम हो जाएगा ।
अहादीसे मुबा-रका में किसी दुआ Dua की निस्बत जो ता'दाद वारिद है उस से कम जियादा न करे कि जो फृजाइल उन अज़्कार के लिये हैं वोह उसी अदद के साथ मख़्सूस हैं उन में कम जियादा करने की मिसाल येह है कि कोई कुफ्ल (ताला) किसी खास किस्म की कुन्जी से खुलता है अब अगर कुन्जी में दन्दाने कम या जाइद कर दें
तो उस से न खुलेगा, इसलिए अगर शुमार में शक वाकेअ हो तो जियादा कर सकता है और येह जियादत (बढ़ाना) नहीं बल्कि इत्माम (मुकम्मल करना) है ।
(ऐजन, स. 302).
'पंज वक्ता नमाजों Namaz के सुन्नत व नवाफिल से फारिग के बा'द जैल के अवराद पढ़ लीजिये सहूलत के लिये नम्बर जरूर दिये हैं मगर इन में तरतीब शर्त नहीं है । हर विर्द के अव्वल आखिर दुरूद शरीफ पढ़ना सोने पे सुहागा है ।
नमाज़ के बाद में पढ़े जाने वाले अवराद दुआ दुआएं Namaz Ke Baad ki Dua Hindi
- आ-यतुल कुरसी' एक एक बार पढ़ने वाला मरते ही दाखिले जन्नत हो ।
(तीन तीन बार) उस के गुनाह मुआफ हों अगर्चे वोह मैदाने जिहाद से भागा हुवा हो।
- तस्वीहे फातिमा
तेंतीस बार,
तेंतीस बार,
तेंतीस बार
येह 99 हुए, आखिर में
'एक बार पढ़ कर (100 का अदद पूरा कर ले) इस के गुनाह बख़श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग के बराबर हों ।
- हर नमाज के बा'द पेशानी के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े
(पढ़ने के बा'द हाथ खींच कर पेशानी तक लाए) तो हर गुम व परेशानी से बचे । मेरें आका आ' ला हजरत इमामे अहले सुन्नत Ahle Sunnat मौलाना शाह अहमद रजा खान ने मज़्कूरा दुआ Dua के आखिर में कुछ इन अल्फ़ाज का इजाफा फरमाया है, |
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यानी और अहले सुन्नत से ।
- असर व फृज्र के बा'द बिगैर पाउं बदले, बिगैर कलाम किये
दस" दर्स'" बार पढ़िये ।
(बहारे शरीअत, हिस्सा : 3, स. 07)
- हजुरते सय्यिदुना अनस से मरवी है कि नबिय्ये सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ्रमाया : जिस ने नमाज के बा'द Namaz ke Baad येह कहा,
तो वोह मग्फिरित याफ्ता हो कर उठेगा ।
- हजरते इब्ने अब्बास से रिवायत है अल्लाह
के महबूब, दानाए गुयूब , मुनज़्जहुन अनिल उयूब सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फूरमाया : “जो हर फर्ज नमाज के बा'द Namaz Ke Baad दस” मर्तबा
(पूरी सूरत) पढ़ेगा अल्लाह तआला उस के लिये अपनी रिजा और
मगफिरत लाजिम फरमा देगा ।
- हजरते सय्यिदुना जैद बिन अकरम से रिवायत है रसूले अकरम, रहमते आलम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहतशम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो शख्स हर नमाज के बा'द Namaz Ke Baad
'तीन बार पढ़ेगा गोया उस ने अज्र का बहुत बड़ा पैमाना भर लिया ।
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