Ramzan Ki Sehri Ki Dua Fazilat सहरी की दुआ फ़ज़ीलत In Hindi, english, Arabic. सेहरी ki dua not in ramadan, lyrics, rajab, telugu
Ramzan Ki Sehri Ki Dua : सहरी करना सुन्नत है अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त , के करोड़ एहसान कि उस ने हमें रोज़े जैसी अज़ीमुश्शान ने मत इनायत फ़रमाई और साथ ही कुव्वत के लिये Sehri की न सिर्फ इजाज़त मर्हमत फ़रमाई , बल्कि इस में हमारे लिये ढेरों सवाबे आख़िरत भी रख दिया ।
बा'ज़ लोगों को देखा गया है कि कभी सहरी करने से रह जाते हैं तो यूं कहते सुनाई देते हैं : " हम ने तो आज बिगैर सहरी के रोज़ा रखा है ! ”
सेहरी करना सुन्नते रसूल हैं और सेहरी में Roza Rakhne Ki Niyat करना मतलब Ramzan Ki Sehri Ki Dua पढ़ना चाहिए। Sehri Ki Dua छूटने पर तो अफ़सोस होना चाहिये कि अफ़सोस ! ताजदारे रिसालत की एक अज़ीम सुन्नत छूट गई ।
( 1 ) रोज़ा रखने के लिये सहरी खा कर कुव्वत हासिल करो और दिन ( या'नी दो पहर ) के वक्त आराम ( या'नी कैलूला ) कर के रात की इबादत के लिये ताक़त हासिल करो ।
( 2 ) तीन आदमी जितना भी खा लें उन से कोई हिसाब न होगा बशर्ते कि खाना हलाल हो (
( 3 ) सहरी पूरी की पूरी बरकत है पस तुम न छोड़ो चाहे येही हो कि तुम पानी का एक बूंट पी लो । बेशक अल्लाह और उस के फ़िरिश्ते रहमत भेजते हैं सहरी Sehri करने वालों पर ।
इनफ़िय्यों के बहुत बड़े आलिम हज़रते अल्लामा मौलाना अली कारी फ़रमाते हैं : " बा'ज़ों के नज़दीक सहरी का वक्त आधी रात से शुरू हो जाता सहरी में ताख़ीर अफ़ज़ल है
बा'ज़ लोगों को देखा गया है कि कभी सहरी करने से रह जाते हैं तो यूं कहते सुनाई देते हैं : " हम ने तो आज बिगैर सहरी के रोज़ा रखा है ! ”
सेहरी करना सुन्नते रसूल हैं और सेहरी में Roza Rakhne Ki Niyat करना मतलब Ramzan Ki Sehri Ki Dua पढ़ना चाहिए। Sehri Ki Dua छूटने पर तो अफ़सोस होना चाहिये कि अफ़सोस ! ताजदारे रिसालत की एक अज़ीम सुन्नत छूट गई ।
Ramzan Ki Sehri Ki Dua रमजान की सेहरी की दुआ
- Roza Rakhne Ki Dua In Hindi Main रोजा रखने की दुआ हिंदी में
![]() |
Ramzan-Ki-Sehri-Ki-Dua |
- Ramzan Ki Sehri Ki Dua In Arabic, Urdu Aur English
![]() | |
|
Ramzan Ki Sehri के बारे में Quran, Hadees से मुकम्मल मालूमात
- Sehri के बारे में 3 सुन्नति भरी फरमाने मुस्तफा
( 1 ) रोज़ा रखने के लिये सहरी खा कर कुव्वत हासिल करो और दिन ( या'नी दो पहर ) के वक्त आराम ( या'नी कैलूला ) कर के रात की इबादत के लिये ताक़त हासिल करो ।( 2 ) तीन आदमी जितना भी खा लें उन से कोई हिसाब न होगा बशर्ते कि खाना हलाल हो (
- रोज़ादार इफ्तार के वक्त
- सहरी खाने वाला
- मुजाहिद , जो अल्लाह के रास्ते में सरहदे इस्लाम की KI हिफ़ाज़त करे ।
( 3 ) सहरी पूरी की पूरी बरकत है पस तुम न छोड़ो चाहे येही हो कि तुम पानी का एक बूंट पी लो । बेशक अल्लाह और उस के फ़िरिश्ते रहमत भेजते हैं सहरी Sehri करने वालों पर ।
- Sehri Ka Waqt कब होता है ?
जैसा कि हज़रते सय्यदुना या'ला बिन मुर्रह ' से रिवायत है कि प्यारे सरकार , मदीने के ताजदार ने फ़रमाया : " तीन चीज़ों को अल्लाह महबूब रखता है
( 1 ) इफ्तार में जल्दी और
( 2 ) सहरी में ताख़ीर और
( 3 ) नमाज़ Namaz ( के क़ियाम ) में हाथ पर हाथ रखना ।
सहरी रोजे के लिये शर्त नहीं , सहरी के बिगैर भी रोज़ा हो सकता है मगर जान बूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं कि एक अजीम सुन्नत से महरूमी है
( 1 ) इफ्तार में जल्दी और
( 2 ) सहरी में ताख़ीर और
( 3 ) नमाज़ Namaz ( के क़ियाम ) में हाथ पर हाथ रखना ।
- क्या रोजे के लिये Sehri शर्त है ?
और सहरी में खूब डट कर खाना ही ज़रूरी नहीं , चन्द खजूरें और पानी ही अगर ब निय्यते सहरी इस्ति'माल कर लें जब भी काफ़ी है ।
हज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं कि ताजदारे मदीना , सुरूरे कल्बो सीना ने सहरी के वक्त मुझ से फ़रमाया :
- खजूर और पानी से Sehri करना कैसा ?
" मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ । " तो मैं ने कुछ खजूरे और एक बरतन में पानी पेश किया ।
रोज़ादार के लिये एक तो सहरी करना बजाते खुद सुन्नत और खजूर से सहरी करना दूसरी सुन्नत , क्यूं कि अल्लाह तआला के हबीब ने खजूर से सहरी करने की तरगीब दी है ।
- खजूर से Sehri करना सुन्नत है ?
सय्यिदुना साइब बिन यज़ीद से मरवी है , अल्लाह के प्यारे हबीब , हबीबे लबीब ने इर्शाद फ़रमाया या'नी खजूर बेहतरीन Sehri है
एक और मकाम पर इर्शाद फ़रमाया : " खजूर मोमिन की क्या ही अच्छी सहरी है । "
हज़ार साल की इबादत से बेहतर : हज़रते सय्यिदुना शैख़ शरफुद्दीन अल मा'रूफ़ बाबा बुलबुल शाह फ़रमाते हैं : " अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त ने मुझे अपनी रहमत से इतनी ताकत बख़्शी है कि मैं बिगैर खाए पिये और बिगैर साजो सामान के भी अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकता हूं ।
एक और मकाम पर इर्शाद फ़रमाया : " खजूर मोमिन की क्या ही अच्छी सहरी है । "
हज़ार साल की इबादत से बेहतर : हज़रते सय्यिदुना शैख़ शरफुद्दीन अल मा'रूफ़ बाबा बुलबुल शाह फ़रमाते हैं : " अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त ने मुझे अपनी रहमत से इतनी ताकत बख़्शी है कि मैं बिगैर खाए पिये और बिगैर साजो सामान के भी अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकता हूं ।
मगर चूंकि येह उमूर हुजूरे पुरनूर की सुन्नत नहीं हैं , इस लिये मैं इन से बचता हूं , मेरे नज़्दीक सुन्नत की पैरवी हज़ार साल की ( नफ़्ल ) इबादत से बेहतर है । "
बहर हाल तमाम तर आ'माल का हुस्नो जमाल इत्तिबाए सुन्नते महबूबे रब्बे जुल जलाल में पिन्हां है ।
सोने के बाद सहरी Sehri की इजाज़त न थी : इब्तिदाअन रोज़ा रखने वाले को गुरूबे आफ्ताब के बाद सिर्फ उस वक्त तक खाने पीने की इजाजत थी
सोने के बाद सहरी Sehri की इजाज़त न थी : इब्तिदाअन रोज़ा रखने वाले को गुरूबे आफ्ताब के बाद सिर्फ उस वक्त तक खाने पीने की इजाजत थी
जब तक वोह सो न जाए , अगर सो गया तो अब बेदार हो कर खाना पीना मम्नूअ था ।
मगर रब्बे करीम ने अपने प्यारे बन्दों पर एहसाने अज़ीम फ़रमाते हुए सहरी की इजाज़त मर्हमत फ़रमा दी , इस का सबब बयान करते हुए
मगर रब्बे करीम ने अपने प्यारे बन्दों पर एहसाने अज़ीम फ़रमाते हुए सहरी की इजाज़त मर्हमत फ़रमा दी , इस का सबब बयान करते हुए
ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी नक्ल करते हैं
सहरी की इजाज़त की हिकायत : हज़रते सय्यिदुना सरमा बिन कैस मेहनती शख्स थे । एक दिन ब हालते रोज़ा अपनी जमीन में दिन भर काम कर के शाम को घर आए ।
सहरी की इजाज़त की हिकायत : हज़रते सय्यिदुना सरमा बिन कैस मेहनती शख्स थे । एक दिन ब हालते रोज़ा अपनी जमीन में दिन भर काम कर के शाम को घर आए ।
अपनी ज़ौजए मोहतरमा से खाना तलब किया , वोह पकाने में मसरूफ़ हुई । आप थके हुए थे , आंख लग गई । खाना तय्यार कर के जब आप को जगाया गया तो आप ' ने खाने से इन्कार कर दिया ।
क्यूं कि उन दिनों ( गुरूबे आफ़्ताब के बा'द ) सो जाने वाले के लिये खाना पीना मम्नूअ हो जाता था ।
क्यूं कि उन दिनों ( गुरूबे आफ़्ताब के बा'द ) सो जाने वाले के लिये खाना पीना मम्नूअ हो जाता था ।
खाए पिये बिगैर आप ने दूसरे दिन भी रोज़ा रख लिया । आप कमज़ोरी के सबब बेहोश हो गए । तो उन के हक़ में येह आयते मुक़द्दसा नाज़िल हुई :

तरजमए कन्जुल ईमान : और खाओ और पियो यहां तक कि तुम्हारे लिये ज़ाहिर हो जाए सफेदी का डोरा सियाही के डोरे से पौ फट कर । फिर रात आने तक रोजे पूरे करो ।
इस आयते मुक़द्दसा में रात को सियाह डोरे से और सुब्हे सादिक़ को सफ़ेद डोरे से तश्बीह दी गई । मा'ना येह हैं कि तुम्हारे लिये Ramzan Mubarak की रातों में खाना पीना मुबाह ( या'नी जाइज़ ) करार दे दिया गया है ।
( खज़ाइनुल इरफ़ान , स . 62 ब तसर्रुफ )
इस से येह भी मालूम हुवा कि रोजे का अज़ाने फ़ज्र से कोई तअल्लुक नहीं या'नी फज्र की KI अज़ान के दौरान खाने पीने का कोई जवाज़ ही नहीं ।

तरजमए कन्जुल ईमान : और खाओ और पियो यहां तक कि तुम्हारे लिये ज़ाहिर हो जाए सफेदी का डोरा सियाही के डोरे से पौ फट कर । फिर रात आने तक रोजे पूरे करो ।
इस आयते मुक़द्दसा में रात को सियाह डोरे से और सुब्हे सादिक़ को सफ़ेद डोरे से तश्बीह दी गई । मा'ना येह हैं कि तुम्हारे लिये Ramzan Mubarak की रातों में खाना पीना मुबाह ( या'नी जाइज़ ) करार दे दिया गया है ।
( खज़ाइनुल इरफ़ान , स . 62 ब तसर्रुफ )
इस से येह भी मालूम हुवा कि रोजे का अज़ाने फ़ज्र से कोई तअल्लुक नहीं या'नी फज्र की KI अज़ान के दौरान खाने पीने का कोई जवाज़ ही नहीं ।
अज़ान हो या न हो , आप तक आवाज़ पहुंचे या न पहुंचे सुब्हे सादिक़ से पहले पहले आप को खाना पीना बन्द करना होगा ।
Sehri में ताख़ीर करना मुस्तहब है मगर इतनी ताख़ीर भी न KI जाए कि सुब्हे सादिक़ का शुबा होने लगे ! यहां जेह्न में येह सुवाल पैदा होता है
- Sehri में ताख़ीर से कौन सा वक़्त मुराद है ?
कि " ताख़ीर " से मुराद कौन सा वक्त है ?
मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान " तफ्सीरे नईमी " में फ़रमाते हैं : “ इस से मुराद रात का छटा हिस्सा है ।
फिर सुवाल ज़ेन में उभरा कि रात का छटा हिस्सा कैसे मालूम किया जाए ? इस का जवाब येह है कि गुरूबे आफ्ताब से ले कर सुब्हे सादिक़ तक रात कहलाती है ।
फिर सुवाल ज़ेन में उभरा कि रात का छटा हिस्सा कैसे मालूम किया जाए ? इस का जवाब येह है कि गुरूबे आफ्ताब से ले कर सुब्हे सादिक़ तक रात कहलाती है ।
मसलन किसी दिन सात बजे शाम को सूरज गुरूब हुवा और फिर चार बजे सुब्हे सादिक़ हुई । इस तरह गुरूबे आफ़्ताब से ले कर सुब्हे सादिक़ तक जो नव घन्टे का वक्फ़ा गुज़रा वोह रात कहलाया ।
अब रात के इन नव घन्टों के बराबर बराबर छ हिस्से कर दीजिये । हर हिस्सा डेढ़ घन्टे का हुवा , अब रात के आखिरी डेढ़ घन्टे ( या'नी अढ़ाई बजे ता चार बजे ) के दौरान सुब्हे सादिक़ से पहले पहले सहरी करना ताख़ीर से करना हुवा ।
अब रात के इन नव घन्टों के बराबर बराबर छ हिस्से कर दीजिये । हर हिस्सा डेढ़ घन्टे का हुवा , अब रात के आखिरी डेढ़ घन्टे ( या'नी अढ़ाई बजे ता चार बजे ) के दौरान सुब्हे सादिक़ से पहले पहले सहरी करना ताख़ीर से करना हुवा ।
सहरी Sehri व इफ़्तार का वक्त रोज़ाना बदलता रहता है । बयान किये हुए तरीके के मुताबिक़ जब
चाहें रात का छटा हिस्सा निकाल सकते हैं । अगर रात सहरी Ramzan Ki Sehri Ki Dua कर ली और रोजे की निय्यत भी कर ली ।
चाहें रात का छटा हिस्सा निकाल सकते हैं । अगर रात सहरी Ramzan Ki Sehri Ki Dua कर ली और रोजे की निय्यत भी कर ली ।
तब भी बकिय्या रात के दौरान खा पी सकते हैं , नई निय्यत की KI हाजत नहीं ।
अज़ाने Namaz Fazar के लिये है न कि रोजा बन्द करने के लिये ! बा'ज़ लोग सुब्हे सादिक़ के बा'द फज्र की अज़ान के दौरान खाते पीते रहते हैं ,
अज़ाने Namaz Fazar के लिये है न कि रोजा बन्द करने के लिये ! बा'ज़ लोग सुब्हे सादिक़ के बा'द फज्र की अज़ान के दौरान खाते पीते रहते हैं ,
और बा'ज़ कान लगा कर सुनते हैं कि अभी फुलां मस्जिद की अज़ान Azan ख़त्म नहीं हुई या कहते हैं : वोह सुनो ! दूर से अज़ान Azan की KI आवाज़ आ रही है ! और यूं कुछ न कुछ खा लेते हैं ।
अगर खाते नहीं तो पानी पी कर अपनी इस्तिलाह में “ रोज़ा बन्द " करते हैं । आह ! इस तरह “ रोज़ा बन्द " तो क्या करेंगे रोजे को बिल्कुल ही " खुला " छोड़ देते हैं
अगर खाते नहीं तो पानी पी कर अपनी इस्तिलाह में “ रोज़ा बन्द " करते हैं । आह ! इस तरह “ रोज़ा बन्द " तो क्या करेंगे रोजे को बिल्कुल ही " खुला " छोड़ देते हैं
और यूं सुब्हे सादिक़ के बा'द खा या पी लेने के सबब उन का रोज़ा होता ही नहीं , और सारा दिन भूक प्यास के सिवा कुछ उन के हाथ आता ही नहीं । “
रोज़ा बन्द " करने का तअल्लुक अज़ाने फ़ज्र Fazar से नहीं सुब्हे सादिक़ से पहले पहले खाना पीना बन्द करना ज़रूरी है , जैसा कि आयते मुक़द्दसा के तहत गुज़रा ।
रोज़ा बन्द " करने का तअल्लुक अज़ाने फ़ज्र Fazar से नहीं सुब्हे सादिक़ से पहले पहले खाना पीना बन्द करना ज़रूरी है , जैसा कि आयते मुक़द्दसा के तहत गुज़रा ।
अल्लाह हर मुसल्मान को अक्ले सलीम अता फ़रमाए और सहीह अवकात की KI मालूमात कर के रोज़ा नमाज़ Namaz वगैरा इबादात दुरुस्त बजा लाने की तौफ़ीक़ मर्हमत फ़रमाए ।
खाना पीना बन्द कर दीजिये इल्मे दीन से दूरी के सबब आज कल काफ़ी लोग अज़ान Azan या साइरन ही पर सहरी Sehri व इफ्तार का दारो मदार रखते हैं
खाना पीना बन्द कर दीजिये इल्मे दीन से दूरी के सबब आज कल काफ़ी लोग अज़ान Azan या साइरन ही पर सहरी Sehri व इफ्तार का दारो मदार रखते हैं
बल्कि बा'ज़ तो अज़ाने फज्र Fazar के दौरान ही “ रोज़ा बन्द " करते हैं । इस आम गलती को दूर करने के लिये क्या ही अच्छा हो कि रमज़ानुल मुबारक Ramzan में रोजाना सुब्हे सादिक़ से तीन मिनट पहले हर मस्जिद में बुलन्द आवाज़ से ! कहने के बा'द इस तरह तीन बार ए'लान कर दिया जाए
आज सहरी का आख़िरी वक़्त ( मसलन ) चार बज कर बारह मिनट है , वक़्त ख़त्म हो रहा है , फ़ौरन खाना पीना बन्द कर दीजिये ,
आज सहरी का आख़िरी वक़्त ( मसलन ) चार बज कर बारह मिनट है , वक़्त ख़त्म हो रहा है , फ़ौरन खाना पीना बन्द कर दीजिये ,
अज़ान का हरगिज़ इन्तिज़ार न फ़रमाइये , अज़ान सहरी Sehri का वक़्त ख़त्म हो जाने के बाद नमाजे Namaz फज्र के लिये दी जाती है ।
हर एक को येह बात ज़ेह्न नशीन करनी ज़रूरी है कि अज़ाने फ़ज्र सुब्हे सादिक़ के बाद ही देनी होती है और वोह रोज़ा बन्द " करने के लिये नहीं बल्कि सिर्फ नमाज़े फज्र Fazar के लिये दी जाती है ।
हर एक को येह बात ज़ेह्न नशीन करनी ज़रूरी है कि अज़ाने फ़ज्र सुब्हे सादिक़ के बाद ही देनी होती है और वोह रोज़ा बन्द " करने के लिये नहीं बल्कि सिर्फ नमाज़े फज्र Fazar के लिये दी जाती है ।
Trending - #Insurance #Loans #Mortgage #Attorney #Credit #Lawyer #Donate #Degree #Hosting #Claim #Conference_Call #Trading #Software #Recovery #Transfer #Gas #Electicity #Classes #Rehab #Treatment #Cord_Blood
COMMENTS