shab e meraj story in hindi - शब् ए मेराज स्टोरी हिंदी में, मेराज शरीफ का पूरा waqia, surah, when is hijri date, shab-e-meraj the complete story wiki
Shab E Meraj Story In Hindi : शब् ए मेराज अहले इस्लाम का अकीदा है कि तमाम अम्बियाए किराम अपनी अपनी कब्रों में उसी तरह ब हयाते हक़ीकी जिन्दा हैं जैसे दुन्या में थे ।
जब अम्बियाए किराम - की येह शान है तो सब नबियों के सरदार , महबूबे परवर दगार , हुजूर अहमदे मुजतबा , मुहम्मद मुस्तफ़ा की शान का आलम क्या होगा ....... ?
यकीनन आप आज भी हयात हैं और अपने गुलामों की दस्तगीरी व मुश्किल कुशाई फ़रमाते हैं , मगर हमारी कमबीन ( कमज़ोर ) निगाहें आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को देखने से कासिर हैं ।
वाकिअए Shab E Meraj Story का बयान In Hindi 27th Rajab
शक्के सद्र Shab E Meraj में
इस बार उन्हों ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा के सीनए पाक को हंसली की हड्डी से ले कर पेट के नीचे तक चाक किया और कल्बे अतहर को बाहर निकाल लिया ।
फिर ईमान व हिकमत से भरा सोने का एक तश्त ( थाल ) लाया गया , हज़रते Jibril ने प्यारे आका मुहम्मद मुस्तफ़ा के कल्बे अतहर को आबे ज़मज़म से गुस्ल दिया और फिर ईमान व हिकमत से भर कर वापस उस की जगह रख दिया ।
Burak की सुवारी Shab E Meraj Story में In Hindi
इस के बाद आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की बारगाहे अक्दस में सुवारी के लिये गधे से बड़ा और खच्चर से छोटा एक सफेद जानवर हाज़िर किया गया , जिसे burak कहा जाता है ।
इस पर ज़िन कसी हुई थी , लगाम पड़ी हुई थी और इस की रफ़तार का आलम येह था कि ता हद्दे निगाह ( जहां तक नज़र पहुंचती वहां ) अपना क़दम रखता ,
बुलन्दी पर चड़ते हुवे इस के हाथ छोटे और पाउं लम्बे हो जाते और नीचे उतरते हुवे हाथ लम्बे और पाउं छोटे हो जाते जिस की वजह से दोनों सूरतों में इस की पीठ बराबर रहती और सुवार को किसी किस्म की मशक्कत का सामना न होता ।
बैतुल मुकद्दस की तरफ रवानगी
फिर सय्यिदे आलम , नूरे मुजस्सम मुहम्मद मुस्तफ़ा बुराक पर सुवार हुवे और इस शान से बैतुल मुक़द्दस की तरफ रवाना हुवे जैसा कि हज़रते सय्यिदुना अल्लामा बूसैरी फ़रमाते हैं :
तीन मकामात पर नमाज शब् ए मेराज में
हज़रते जिब्राईल ने अर्ज किया : आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को मा'लूम है कि आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने किस जगह नमाज़ पढ़ी है ?
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने तयबा ( या'नी मदीना शरीफ़ ) में नमाज़ पढ़ी है , इसी की तरफ़ हिजरत होगी ।
फिर एक और मकाम पर | Hazrat E Jibril ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को उतर कर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा । आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने नमाज़ अदा फ़रमाई ।
हज़रते जिब्राईल अर्ज गुज़ार हुवे : आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को मालूम है कि आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने कहां नमाज़ पढ़ी है ?
सफरे बैतुल मुकद्दस के चन्द मुशाहदात
नमाजे इशा अदा फ़रमाने के बाद अपनी चचाज़ाद बहन हज़रते उम्मे हानी के घर आराम फ़रमा हैं कि दौलत खानए अक्दस की मुबारक छत खुली ,
हज़रते जिब्राईल नीचे हाज़िर हुवे और आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को हज़रते उम्मे हानी के घर से मस्जिदे हराम में ला कर हतीमे का'बा में लिटा दिया ।
सरवरे काइनात , शहनशाहे मौजूदात , महबूबे रब्बुल अर्दे वस्समावात मुहम्मद मुस्तफ़ा ने जब उस पर सुवार होने का इरादा फ़रमाया और इस के करीब तशरीफ़ लाए तो इस ने खुशी से फूले न समाते हुवे उछल कूद शुरू कर दी ।
येह देख कर Hazrat E Jibril ने अपना हाथ इस की गरदन के बालों की जगह पर रखा और फ़रमाया : ऐ बुराक !
तुझे हया नहीं आती ? खुदाए जुल जलाल की क़सम ! हुजूर मुहम्मदे मुस्तफा , अहमदे मुजतबा | मुहम्मद मुस्तफ़ा से ज़ियादा इज्जतो करामत वाली कोई हस्ती तुझ पर सुवार नहीं हुई ।
येह सुन कर बुराक़ हया के मारे पसीने पसीने हो गया और उछल कूद ख़त्म कर के पुर सुकून हो गया ।
या'नी आप मुहम्मद मुस्तफ़ा Meraj की Shab हरमे का'बा से हरमे बैतुल मुक़द्दस तक इस शान से सफ़र किया जैसे चौधवीं रात का चांद सख़्त तारीक रात के अन्धेरों में नूर बिखेरता हुवा चलता है ।
इस नूरानी सफ़र में फ़िरिश्तों के सरदार हज़रते सय्यिदुना जिब्राईले अमीन भी आप मुहम्मद मुस्तफ़ा के साथ थे ।
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा Sallay Ala Muhammad ने तूरे सीना पर नमाज़ पढ़ी है जहां अल्लाह ने हज़रते मूसा को हम कलामी का शरफ़ अता फरमाया था ।
फिर एक और जगह Hazrat E Jibril ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को उतर कर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा । आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने नमाज़ अदा फ़रमाई ।
इस के बाद हज़रते जिब्राईल ने अर्ज किया : आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को मालूम है कि आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने कहां नमाज़ पढ़ी है ?
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने बैते लहूम में नमाज़ पढ़ी है जहां हज़रते ईसा की विलादत हुई थी ।
कुदरत अजाइबात का मुशाहदा फ़रमाते हुवे शहनशाहे मौजूदात , सय्याहे काइनात मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم बैतुल मुक़द्दस की तरफ़ रवां दवां थे कि रास्ते के किनारे एक बुढ्ढी औरत खड़ी हुई देखी ,
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم ने हज़रते जिब्राईल से दरयाफ्त फ़रमाया : येह कौन है ? अर्ज किया : हुजूर मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم बढ़े चलिये ।
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم आगे बढ़ गए , फिर किसी ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم को पुकार कर कहा ऐ मुहम्मद (मोहम्मद) इधर आइये ।
लेकिन हज़रते जिब्राईल ने फिर वोही अर्ज़ किया कि हुजूर मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم बढ़े चलिये ।
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم रुके बिगैर आगे बढ़ गए फिर एक जमाअत पर गुज़र हुवा । उन्हों ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم को सलाम अर्ज करते हुवे कहा :
या'नी ऐ अव्वल मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم आप पर सलामती हो , ऐ आख़िर मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم आप पर सलामती ।
ऐ हाशिर मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم आप पर सलामती हो । हज़रते जिब्राईल ने अर्ज़ किया : हुजूर मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم इन के सलाम के जवाब मर्हमत फ़रमाइये ।
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم ने जवाब दिया । फिर एक दूसरी जमाअत पर गुज़र हुवा वहां भी ऐसे ही हुवा ,
फिर तीसरी | जमाअत पर गुज़र हुवा वहां भी ऐसे ही हुवा । बाद में Hazrat E Jibril ने आप की बारगाह में अर्ज किया : वोह बुढ़िया जिसे आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم ने रास्ते के किनारे खड़ी मुलाहज़ा फ़रमाया था
वोह दुन्या थी इस की सिर्फ इतनी उम्र बाक़ी रह गई है जितनी उस बुढ़िया की है , जिस ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم को अपनी तरफ़ माइल करना चाहा था वोह अल्लाह का दुश्मन इब्लीस ( शैतान ) था ,
चाहता था कि आप मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم उस की तरफ़ माइल हो जाएं और जिन्हों ने आपमुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم को सलाम अर्ज किया था वोह हज़रते इब्राहीम , हज़रते मूसा और हज़रते ईसा थे ।
हजरते मूसा कब्र में नमाज की हालत में
सहीह मुस्लिम शरीफ़ की रिवायत में है कि जब आप मुहम्मद मुस्तफ़ा Sallay Ala Muhammad का गुज़र हज़रते मूसा Radi Allahu Tala Anhu की कब्रे मुबारक के पास से हुवा जो रैत के सुर्ख टीले के पास वाकेअ है , तो वोह अपनी कब्र में खड़े नमाज़ पढ़ रहे थे ।
बैतुल मुकद्दस आमद Shab E Meraj की रात Hindi
इस तरह इन अजाइबाते कुदरत को मुलाहज़ा फ़रमाते और अम्बियाए किराम से मुलाकातें फ़रमाते सरवरे काइनात , शहनशाहे मौजूदात मुहम्मद मुस्तफ़ा उस मुक़द्दस शहर में तशरीफ़ ले आए जहां मस्जिदे अक्सा वाकेअ है ,शहर में आप मुहम्मद मुस्तफ़ा muhammad sallallahu alaihi wasallam उस के बाबे यमानी से दाखिल हुवे फिर मस्जिद की जानिब चले और आप मुहम्मद मुस्तफ़ा muhammad sallallahu alaihi wasallam ने Burak को दरवाज़ए मस्जिद में मौजूद उस कड़े के साथ बांधा जिस से पहले के अम्बियाए किराम बांधा करते थे ।
बाद में हज़रते जिब्राईल उसे मस्जिद के इहाते में ले आए और अपनी उंगली के ज़रीए एक पथ्थर में सुराख कर के उस के साथ बांध दिया
अम्बियाए किराम की इमामत: Shab E Meraj Story In Hindi
जब आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ यहां तशरीफ़ लाए तो इन सब हज़रात ने आपमुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को देख कर खुश आमदीद कहा और नमाज़ के वक्त सब ने आप को इमामत के लिये आगे किया ।
फिर Hazrat E Jibril ने दस्ते मुबारक पकड़ कर आगे बढ़ा दिया और आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने तमाम अम्बियाए किराम rahmatullahi alaihi की इमामत फ़रमाई ।
हज़रते सय्यिदुना अल्लामा बूसैरी Rahmatullahi Alaihi फ़रमाते हैं :
या'नी बैतुल मुक़द्दस में तमाम अम्बिया व रुसुल ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को आगे किया जैसे मख्दूम अपने ख़ादिमों के आगे होता है ।
क्या खूब नमाज़ है कि तमाम अम्बिया और रसूल मुक्तदी हैं , इमामुल अम्बिया मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ इमाम हैं और पहला किब्ला जाए नमाज़ है , यक़ीनन काइनात में ऐसी नमाज़ कभी नहीं हुई , फ़लक ने ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा ।
बहर हाल आज शबे असरा के दुल्हा मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ के अव्वल और आख़िर होने का उक्दा भी खुल गया ,
इस के राज़ से भी पर्दा उठ गया और मा'ना रोजे रोशन की तरह वाज़ेह हो गए क्यूंकि आज आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ जो कि सब से आखिरी रसूल हैं , पहले के अम्बिया और रसूलों की इमामत फ़रमा रहे हैं ।
दूध और शराब के पियाले Shab E Meraj की रात In Hindi
बुखारी शरीफ़ की रिवायत के मुताबिक़ यहां आप मुहम्मद मुस्तफ़ा के पास दूध और शराब के दो पियाले लाए गए , आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ने उन्हें मुलाहज़ा फ़रमाया फिर दूध का पियाला क़बूल फ़रमा लिया । इस पर हज़रते जिब्राईल कहने लगे :" या'नी तमाम तारीफें अल्लाह के लिये जिस ने आप |मुहम्मद मुस्तफ़ा की फ़ितरत की जानिब रहनुमाई फ़रमाई , अगर आप मुहम्मद मुस्तफ़ा शराब का पियाला क़बूल फ़रमाते तो आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की उम्मत गुमराह हो जाती ।
मोजज़े मेराज और जमाने के हालात
जब से प्यारे आका ,प्यारे मुहम्मद मुस्तफ़ा : ने अपनी नबुव्वत व रिसालत का ए'लान फ़रमाया था और लोगों को खुदाए वाहिद की इबादत की तरफ़ बुलाना शुरूअ फ़रमाया था
तब से शिर्को कुफ्रकी फ़ज़ाओं में परवान चढ़ने वाले लोग आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की जान के दुश्मन हो गए थे ।
हालांकि आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की मुबारक हयात के हर हर बाब का हर हर वरक उन के सामने था जो शबनम से ज़ियादा पाकीज़ा , फूलों से ज़ियादा शगुप्ता , आफ़्ताब व माहताब से ज़ियादा रौशन व चमकदार और ज़ाहिरी बातिनी हर किस्म के ऐब व बुराई से पाक था ,
इस के बा वुजूद वोह आप मुहम्मद मुस्तफ़ा को झुटलाने लगे रौशन निशानियां देख कर जब ला जवाब हो जाते और कुछ बन नहीं पड़ता तो इन्हें सहर व जादूगरी करार दे देते ।
ज़ालिमों ने आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की राह में कांटे बिछाए . जिस्मे नाज़नीन पर पथ्थर बरसाए , तकालीफ़ व मसाइब के पहाड़ तोड़ डाले और ता'न व तश्नीअ का बाज़ार खूब गर्म किया ,
इन तमाम मज़ालिम में उस वक़्त और इज़ाफ़ा हो गया जब ए ' लाने नबुव्वत के दसवें साल आप मुहम्मद मुस्तफ़ा के चचा अबू तालिब और इस के कुछ रोज़ बाद उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना ख़दीजतुल कुब्रा Radi Allahu Tala Anhu का इन्तिकाल हुवा ।
रहमते आलम , नूरे मुजस्सम मुहम्मद मुस्तफ़ा ने इन तमाम रुकावटों के बा वुजूद दा'वते इस्लाम Islam को मौकूफ़ ( तर्क ) न फ़रमाया और लोगों को कुफ्रो शिर्क से रोकते रहे ।
उस नाजुक दौर में जो कोई भी आप मुहम्मद मुस्तफ़ा की दा'वते हक को कबूल कर के मुशर्रफ़ ब इस्लाम Islam होता , कुफ्फार के ज़ोरो सितम का निशाना बन जाता ।
बहर हाल वक्त रफ़्ता रफ़्ता गुज़रता गया और हमेशा की तरह येह साल भी अपने इख़्तिताम को पहुंचा , फिर ग्यारहवां साल शुरू होता है , इस में भी ता'न व तश्नी और ज़ोरो सितम का बाज़ार उसी तरह गर्म है
और प्यारे व महबूब आका मुहम्मद मुस्तफ़ा तमाम तर रुकावटों , परेशानियों और मुसीबतों के बा वुजूद ए'लाए कलिमतुल हक ( हक़ की सर बुलन्दी ) के लिये मसरूफ़ अमल हैं , करते करते Rajab का मुबारक महीना आ जाता है
और जब इस की सत्ताईसवीं 27th शब होती है तो Shab E Meraj मुबारक रात में अल्लाह अपने महबूब मुहम्मद मुस्तफ़ा को वोह शरफ़ अता फ़रमाता है कि . न किसी को मिला न मिले ।
येह वोह हैरत अंगेज़ वाकिआ था सुनने वाले दंग रह जाते हैं , अक्ल को दौलते कुल समझने वालों के कुफ्र व इन्कार में इज़ाफ़ा होता है जब कि कामिलुल ईमान खुश नसीबों का ईमान और बढ़ जाता है ।
Meraj E Mustafha हैरत अंगेज़ वाकिए को में राज कहा जाता है , कुरआने करीम में अल्लाह रब्बुल इज्जत | इस का मुख़्तसर जिक्र करते हुवे इरशाद फ़रमाता है
तरजुमा कन्जुल ईमान : पाकी है उसे जो रातों रात अपने बन्दे को ले गया मस्जिदे हराम ( ख़ानए का'बा ) से मस्जिदे अक्सा ( बैतुल मुक़द्दस ) तक जिस के गिर्दा गिर्द हम ने बरकत रखी कि हम उसे अपनी अज़ीम निशानियां दिखाएं बेशक वोह सुनता देखता है ।