Taraweeh Ki Dua in hindi, english, arabic aur urdu , Tarawih ki Niyat aur Namaz Ka Tarika तरावीह की दुआ, नियत और नमाज़ का तरीका, dua e tasbeeh
Taraweeh-Ki-Dua
क्या आप Taraweeh Ki Dua को Arabic, Hindi, English और Urdu में पढ़ना और याद रखना चाहते हैं Tarawih अरबी भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है "आराम करो हैं।
यह रमजान के जरुरी इबादत के हिस्सों में से एक है। इस धन्य महीने के दौरान, मुसलमान मस्जिदों में तरावीह को अदा करने और कुरान पढ़ने और सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं।
तरावीह मुसलमानों के लिए एक बहुत जरुरी इबादत माना जाता है। तरवीह की नमाज में 4 रकात के बाद तरावीह की दुआ Dua पढ़ी जाती है। Tarabi Ki Niyat, Namaz और Dua E Taraweeh और तरवीह इस्लाही मसाइल दिए गए हैं।
Taraweeh Ki Dua
Taraweeh Ki Dua In Hindi / तरावीह की दुआ
सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस *
सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत *
सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत *
सुब्हा-नल मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत *
सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह *
अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि *
या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *
तर्जुमा : पाक है वो अल्लाह जो मुल्क और बादशाहत वाला है, पाक है वो अल्लाह जो इज्ज़त वाला, और अज़मत वाला, और हैबत वाला, और कुदरत वाला, और बड़ाई वाला, और सतवत वाला है
पाक है वो अल्लाह जो बादशाह है, जिंदा रहने वाला, कि न उसके लिए नींद है, और न मौत है, वो बे बेइंतेहा पाक है, और बेइंतेहा मुक़द्दस है, हमारा परवरदिगार फरिश्तों और रूह का परवरदिगार है, ए अल्लाह हमें आग से बचाना, ए बचाने वाले, ए बचाने वाले, ए बचाने वाले
Taraweeh Ki Dua In Arabic
سُبْحَانَ ذِی الْمُلْکِ وَالْمَلَکُوْتِ ط سُبْحَانَ ذِی الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْکِبْرِيَآئِ وَالْجَبَرُوْتِ ط سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْحَيِ الَّذِی لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوْتُ سُبُّوحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِکَةِ وَالرُّوْحِ ط اَللّٰهُمَّ اَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْر۔
Taraweeh Ki Dua In English
Bismillaahir Rahmaanir Raheem Subhanal Malikil Quddus,Subhana dhil Mulki wal Malakuti,Subhana dhil izzati wal aDhmati wal haybati wal Qudrati,wal kibriyaa’i wal jabaroot,Subhanal Malikil hayyil ladhi,la yunaamu wa layamutu,Subbuhun, Quddusun,Rabbuna Rabbul malaa’ikati war-rooh,Allahumma Ajirnee Minan Naar,Ya Mujeero, Ya Mujeero, Ya Mujeer.
Taraweeh Ki Niyat Ka Tarika In Hindi
Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika In Hindi
Taraweeh-Ki-Dua |
Taraweeh Ki Namaz : तरावीह दो-दो रकात की नमाज़ में अदा की जाती हैं । हर 2-2 यानि 4 रकात के बाद, 4 रकात नमाज़ को अदा करने में लगने वाले समय के बाद कुछ देर बैठ कर रुका जाता हैं। और बैठ कर Taraweeh Ki Dua पढ़ी जाती हैं
Taraweeh जरुरी मसाइल
Taraweeh-Ki-Dua |
- तरावीह हर मोमिन मर्द और औरत दोनों के लिए सुन्नत मु-अक्कादाह है।
- जमात के साथ तरावीह पढ़ना मर्दो के लिए सुन्नत-किफ़ायत है।
- अगर कोई मर्द मस्जिद में तरावीह के दौरान घर पर तरावीह पढ़े , तो वह गुनहगार नहीं होगा। हालाँकि, यदि सभी पड़ोसी घर में अकेले तरावीह करते हैं, तो जमात को नज़र अंदाज़ करे तो इसके कारण सभी गुनहगार होंगे।
- तरावीह का समय ईशा की Namaz के बाद से सुबह -सादिक से थोड़ा पहले तक है। इसे वित्र की नमाज़ के पहले या बाद में भी पढ़ा जा सकता है।
- अगर कोई तरावीह की कुछ रकअत भूल गया है और इमाम ने वित्र शुरू कर दिया है, तो यह मुक्तादी वित्र में शामिल हो सकता है और उसके बाद अपनी बाकी तरावीह को पूरा कर सकता है।
- 20 रकअत 10 सलाम के साथ मसनून हैं, हर बार तरावीह की 2 रकअत के लिए एक नियाह होनी चाहिए। हर 4 रकअत के बाद नमाज़ी को कुछ देर बैठकर ऊपर की दुआ, Taraweeh Ki Dua पढ़ना है।
- कोई चुप रह सकता है या कम आवाज में कुरान या तस्बीह पढ़ सकता है या आराम के समय के दौरान हर 4 रकअत के बाद अलग से नफ्ल सलाहा कह सकता है।
- अगर किसी के पास खड़े होकर पढ़ने की ताकत है तो उसके लिए तरावीह बैठना मकरूह है।
- तरावीह पढ़ते समय कुछ लोग शुरू से जमात में शामिल नहीं होते हैं, लेकिन इमाम के पीछे बाद में शामिल हो जाते हैं जब वह रुकू में जाने की तैयारी करता है। यह मकरूह है। उन्हें शुरुआत में शामिल होना चाहिए।
- अगर ईशा के फ़र्ज़ के लिए जमाअत न मिले तो फर्ज़ अकेले ही करे और तरावीह के जमाअत में शामिल हो जाए।
- Taraweeh Ki Namaz से पहले ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ अदा करना जरुरी हैं
- अगर इमाम ने Taraweeh Ki Namaz शुरू करदी हैं और आप बाद में आए तो पहले ईशा की फ़र्ज़ अदा करे बाद में इमाम के पीछे जमात में तरावीह के लिए खड़े हो जाए।
तरावीह पर इस्लाही जरुरी मालूमात
Tarawih से सगीरा गुनाह मुआफ़ होते हैं
रसूले अकरम , नूरे मुजस्सम ने फ़रमाया : जो रमज़ान में ईमान के साथ और तलबे सवाब के लिये कियाम करे , तो उस के गुज़श्ता गुनाह बख़्श दिये जाएंगे ।
मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान इस हदीसे पाक के तहत फ़रमाते हैं : तरावीह की पाबन्दी की बरकत से सारे सगीरा ( या'नी छोटे ) गुनाह मुआफ़ हो जाएंगे
क्यूं कि गुनाहे कबीरा ( या'नी बड़े गुनाह ) तौबा से और हुकूकुल इबाद ( अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा के साथ ) हक़ वाले के मुआफ़ करने से मुआफ़ होते हैं । ( मिरआतुल मनाजीह , जि . 2 , स . 288 )
Tarawih पर फ़रमाने मुस्तफ़ा
बेशक अल्लाह तबारक व तआला ने रमज़ान के रोजे तुम पर फ़र्ज़ किये और मैं ने तुम्हारे लिये रमज़ान के क़ियाम को सुन्नत करार दिया है
लिहाज़ा जो शख्स रमज़ान में रोजे रखे और ईमान के साथ और हुसूले सवाब की निय्यत से कियाम करे ( या'नी तरावीह पढ़े ) तो वोह अपने गुनाहों से ऐसे निकल गया जैसे विलादत के दिन उस को उस की मां ने जना था ।
सुन्नत की फजीलत :
रमज़ानुल मुबारक में जहां हमें बे शुमार ने मतें मुयस्सर आती हैं उन्ही में तरावीह की सुन्नत भी शामिल है और सुन्नत की अज़मत के क्या कहने !
अल्लाह के प्यारे रसूल , रसूले मक़बूल , सय्यिदह आमिना . ' के गुलशन के महक्ते फूल का फ़रमाने जन्नत निशान है : “ जिस ने मेरी सुन्नत से महब्बत की उस ने मुझ से महब्बत की
और जिस ने मुझ से महब्बत की वोह जन्नत में मेरे साथ होगा । " Tarawih सुन्नते मुअक्कदा है और इस में कम अज़ कम एक बार ख़त्मे कुरआन भी सुन्नते मुअक्कदा ।
कलामुल्लाह की सात हिकायात :
( 1 ) हमारे इमामे आ'ज़म सय्यिदुना इमाम अबू हनीफ़ा रमज़ानुल मुबारक में 61 बार कुरआने करीम ख़त्म किया करते । तीस दिन में , तीस रात में और एक Tarawih में , नीज़ आप ने 45 बरस इशा के वुजू से Namaz E फ़ज्र अदा फ़रमाई । ( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 688 , 689 , 695 )
( 2 ) एक रिवायत के मुताबिक़ इमामे आ'ज़म ने ज़िन्दगी में 55 हज किये और जिस मकान में वफ़ात पाई उस में सात हज़ार बार कुरआने मजीद ख़त्म फ़रमाए थे ।
( 3 ) मेरे आका आ'ला हज़रत फ़रमाते हैं :
“ इमामुल अइम्मा सय्यिदुना इमामे आ ज़म ( अबू हनीफ़ा ) ने तीस बरस कामिल हर रात एक रक्अत में कुरआने करीम ख़त्म किया है । " ( फ़तावा रज़विय्या मुखर्रजा , जि . 7 , स . 476 )
( 4 ) उलमाए किराम ने फ़रमाया है : सलफ़ सालिहीन में बा'ज़ अकाबिर दिन रात में दो ख़त्म फ़रमाते बा'ज़ चार बा'ज़ आठ ।
( 5 ) मीज़ानुश्शरीअह अज़ इमाम अब्दुल वहाब शा'रानी में है कि सय्यिदी अली मसफ़ी ने एक रात दिन में तीन लाख साठ हज़ार ख़त्म फ़रमाए
( 6 ) आसार में है , अमीरुल मुअमिनीन हज़रते मौलाए काएनात , अलिय्युल मुर्तजा शेरे खुदा बायां पाउं रिकाब में रख कर कुरआने मजीद शुरूअ फ़रमाते और दहना ( सीधा ) पाउं रिकाब तक न पहुंचता कि कलाम शरीफ़ ख़त्म हो जाता । ( फ़तावा रज़विय्या मुखीजा , जि . 7 , स . 477 )
( 7 ) बुख़ारी शरीफ़ में फ़रमाने मुस्तफा है कि हज़रते सय्यिदुना दावूद अपनी सुवारी तय्यार करने का हुक्म फ़रमाते और इस से पहले कि सुवारी पर जीन कस दी जाए ज़बूर शरीफ़ ख़त्म फ़रमा लेते ।