Ramzan Shab e Qadr Ki Fazilat in Hindi शब् ए क़द्र की फ़ज़ीलत हिंदी में, shabe kadr ki dua, Shab e Qadr Ki namaz ka tarika, शब् ए क़द्र की नमाज़ का तरीका
Shab e Qadr Ki Fazilat in Hind : शब ए क़द्र के फ़ज़ाइल में सूरह-ए-क़द्र नज़ील हुई, अल्लाह तआला ने इसी शब में क़ुरान-ए-हक़िम यकबारगी लौहे महफूज़ से आसमान दुनिया के तरफ नाज़िल फ़रमाया।
Ramzan में एक रात ऐसी है जो हज़ार महिनों से बेहतर है। जो Shab e Qadr Ki Fazilat Se और भलाइयों से महरूम रहा वो बेशक महरूम है।
इसे Laylat al Qadr और al Qadr भी कहा जाता हैं. निचे हमने Shab E Qadr Ki Fazilat और Namaz Ka Tarika In Hindi में दिया गया हैं.
Ramzan Shab e Qadr Ki Fazilat in Hindi Quran Hadees Se शब् ए क़द्र की फ़ज़ीलत
शबे क़द्र साल में एक बार आती है:
याद रहे की साल भर में Shab e Qadr एक मरतबा आती ही और कसीर रिवायत से साबित हैं की वह रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरा में होती हैऔर अक्सर इस की भी ताक रातो में से किसी एक रात में होती है। बाज़ उल्मा के नाज़्दिक 27वें (सत्तविस्वी) रात शबे क़द्र होती हे और ये इमामे आज़म رَضِیَ اللّٰہَ تَعَالٰی عَنْہَ से मरवी हे।
शबे क़द्र को Shab e Qadr क्यू कहा गया?
अल्लाह तआला इरशाद फरमाता हे :
اِنَّاۤ اَنْزَلْنٰهُ فِیْ لَیْلَةِ الْقَدْرِۚۖ
कुरान शरीफ: "बेशक हमने कुरआन को शबे कदर में नाजिल किया"
(सूरत-उल-क़द्र आयत 1)
इसी आयत के तहत "तफ़सीरे ख़ज़िन" में इमाम अल ख़ज़िन لیہ الرحمہ लिखता है....
"शबे क़द्र शरफ़ वा बरकत वाली रात हैं , इस को शबे क़द्र इस लिए कहते हैं कि इस शब (रात) में साल भर के अहम् नाफ़ीज़ किए जाते हैं
اِنَّاۤ اَنْزَلْنٰهُ فِیْ لَیْلَةِ الْقَدْرِۚۖ
कुरान शरीफ: "बेशक हमने कुरआन को शबे कदर में नाजिल किया"
(सूरत-उल-क़द्र आयत 1)
इसी आयत के तहत "तफ़सीरे ख़ज़िन" में इमाम अल ख़ज़िन لیہ الرحمہ लिखता है....
"शबे क़द्र शरफ़ वा बरकत वाली रात हैं , इस को शबे क़द्र इस लिए कहते हैं कि इस शब (रात) में साल भर के अहम् नाफ़ीज़ किए जाते हैं
और फिरिश्तो को साल भर के कामो और ख़िदमत पर मामूर किया जाता है और ये भी कहा गया हैं की इस रात की दिगर रातो पर शराफत वा क़द्र के बैस इस शब को "Shab e Qadr" कहते हैं
और ये भी मनकूल हैं की चूँकि इस शब में नेक आमल मकबूल होते हैं और बरगाहे इलाही में उनकी क़द्र की जाति हैं इसलिए इसको "शबे क़द्र" कहते हे।"
(खज़िन, अल-क़द्र, तहत अल-आयत 1, 4/395)
Shab e Qadr Ki Fazilat in Hindi हदीस की रोशनी में
(بخاری، تاب الایمان، باب قیام لیلۃ القدر من الایمان، / ۲۵، الحدیث: ۳۵)
हदीस : हज़रत अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُ से रिवायत हैं की रमजान का महीना आया तो हुज़ूर पुरनूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया :
बेशक तुम्हारे पास यह महीने आया हैं और इस महीने में एक रात एसी हैं जो हज़ार महीनो से बेहतर हैं, जो शक्श इस रात से महरूम रह गया वह तमाम नेकियों से महरूम राहा और महरूम वही रहेंगे जिसकी क़िस्मत में महरूमी हैं
( ابن ماجہ، کتاب الصیام، باب ما جاء فی فضل شہر رمضان، ۲ / ۲۹۸، الحدیث: ۱۶۴۴)
लिहाज़ा हर मुस्लमान को चाहिए की यह रात इबादत में गुज़ारे और इस रात में कसरत से इस्तिगफार करे, जैसा की।
हज़रत आयशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہَ تَعَالٰی َنْہَا फरमाती हे :
मैंने अर्ज़ की: या रसूलुल्लाह اللّٰہُمَّ اِنَّکَ َفَفَک َرِیمٌ تَحِبَّ الْعَفْوَ فَاعْفَ َنِّیْ'' आगर मुझे मालुम हो जाए की लैलत-उल-कद्र कोनसी रात हैं तो इस रात में क्या करू?इरशाद फरमाया : तुम कहो اللّٰہُمَّ اِنَّکَ َفَفَک َرِیمٌ تَحِبَّ الْعَفْوَ فَاعْفَ َنِّیْ''
"ऐ अल्लाह! बेशक तू मुआफ फरमाने वाला, करम करने वाला हैं , तू मुआफ करने को पसंद फरमाता हैं तू मेरे गुन्हा को भी माफ़ फरमा दे।
( ترمذی، تاب الدعوات، -باب، / الحدیث: )
निज़ आप رَضِیَ اللّٰہَ تَعَالٰی َا फरमाती हैं : "अगर मुझे ये मालुम हो जाए की कोनसी रात लै लातुल -कद्र हे तो में इस रात में ये दुआ बा-कसरत मांगू गि" "ऐ अल्लाह में तुझ से एक मगफिरत और आफ़ियत का सुवाल करती हु। "
( مصنف ابن ابی بہ، تاب الدعاء، الدعاء با العافیۃ، / ۲۷، الحدیث: ۸)
रमज़ान की हर ताक़ रात में क़सरत से नमाज़ और दुआ Ki बहुत Fazilat है
प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ये दुआ कसरत से पढ़ते थे।*"अल्लाहुम्मा इन्नाका अफ़ुव्वुन तुहिबबुल अफवा फ़'फ़ु अन्नी "*
(ऐ अल्लाह तू मुआफ फरमाने वाला है, मुआफी को पसंद करता है लहजा मुझे मुफ फरमा)
(सुनन इब्ने माजा जिल्द-3)
सूरत उल क़द्र - Surat Ul Qadr
(पारा -30, सूरत-उल-क़द्र)
सूरत-उल-क़द्र का (मक़मे नुज़ूल के ऐतिबार से) मदनी हे और एक कौल यह हैं मक्की हैं
खज़िन, तफ़सीर सूरत-उल-क़द्र, 4/395
इस सूरत में एक रुकू और पांच आया हैं। क़द्र के बहुत से मानी हैं अल्बत्ता याहा क़द्र से अज़मत वा शराफ़त मुराद हैं और चूँकि इस सूरत में लैलत-उल-क़द्र की शान बयान की गई वह मुनासिबत से इसे "सूरह क़द्र" कहते हैं।
इस सूरत में क़ुराने मजीद नाज़िल होने के इब्तिदाई जमाने के बरे में बताया गया और जिस रात में क़ुरान मजीद नाज़िल हुई उस रात की फ़ज़ीलत बयान की गई की ये रात हज़ार महेनो से बेहतर हैं ,
इस रात में फ़रिश्ते और हज़रात जिब्रील अल्लाह ताला के हुकम से उतरते हैं और ये रात सुबाह तुलु होने तक सरासर सलामती वाली ही।
शबे क़द्र को पोशिदा क्यू रखा गया?
इमाम फखरुद्दीन राज़ी رَحْمَۃُاللّٰہِ تَعَالٰی عَلَیْہِ फरमाते हैं , अल्लाह َّوَجَلَّ ने शबे क़द्र को चंद वजाहो की बिना पर पोशिदा रखा हे :(1) जिस तरह दीगर आश्या को पोशिदा रखा, मसलन अल्लाह َزوَلَلَّ अपनी रजा को इताअतो में पोशिदा फरमाता हे तकी बंदे हर इता'त रगबत हासिल करे, अपने गजब को गुनाहो में पोशिदा फरमाया तकी हर गुनाह से बचते रहे ,
अपने वली को लोगो में पोशिदा रखा ताकी लोग सबकी ताज़ीम करे, दुआ की क़ुबूलियत को दुआओं को पोशिदा रखा तकी वो सब दुआओं में मुबाल्गा करे,
'इस्मे आजम' को 'इस्मा' में पोशिदा रखा ताकी वाह सब 'इस्मा' की ताज़ीम करे। और 'नमाज़े वुस्ता' को नमाज़ो में पोशिदा राखा तकी तमाम नमाज़ो की पबंदी करे।
तौबा की क़ुबूलियत को पोशिदा रखा तकी बंदा तौबा की तमाम अक़्साम पर हमेशगी इख्तियार करे और मौत का वक़्त पोशिदा रखा तकी बंदा ख़ौफ़ खाता रहे इसी तरह शबे क़द्र को भी पोशिदा राखा ताकी लोग रमज़ान की तमाम रातो की ताज़ीम करे।
(2) गोया की अल्लाह तआला इरशाद फरमाता हे, "अगर में Shab e Qadr को मुअय्यन कर देता और ये की मैं गुनाह पर तेरी ज़र्रात को भी जनता हू,
तो आगर कभी सहवत तुझे इस रात में गुनाह के कानारे ला छोडती और तू गुनाह में मुबतिला हो जाता तो तेरा इस रात को जाने के बावजूद गुनाह करना ला-इल्मी के साथ गुनाह करने से जियादा शख्त होता पास इस वजा से मैंने इसे पोशिदा रखा।
(3) गोया की इरशाद फरमाया की मैंने रात को पोशिदा रखा ताकी शरई अहकाम का पाबंद बंदा इस रात की तलब में मेहनत करे और इस मेहनत का सवाब कमाए।
(4) जब बंदे को शबे क़द्र का याकीन हासिल न होगा तो वो रमज़ान की हर रात में इस उम्मिद पर अल्लाह َزَّوَجَلَّ की इताअत में कोशिश करेगा की हो सकता हैं की यही रात शब् ऐ क़दर हो
(تفسیر کبیر، القدر، تحت الآیۃ: ۱، ۱۱ / ۲۲۹-۲۳۰)
Shab e Qadr Ki Namaz In Hindi शब् ए क़द्र की नमाज़ का तरीका
शबे क़द्र में पढ़ने वाली Namaz Ka Tarika और Shab E Qadr के आमला:
- 4 रकात नमाज़ 2-2 करके
Niyat Ka Tarika : नियत की मैंने शब् ए क़द्र की 4 रकात नफिल नमाज़ वास्ते अल्लाह ताला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ...अल्लाह हु अकबर
Namaz Ka Tarika : 4 रकात नमाज़ 2-2 करके इस तरह पढ़ने की बाद सूरह फातिहा के सूरह ताकासुर 1 बार, सूरह इखलास 3 बार, इस नमाज़ को पढ़ने से मौत के वक़्त की सख़्तिया आसान होगी।
नुजहतुल मजलिस, जिल्ड 1, सफाह 129
- 2 रकात नमाज़
Niyat Ka Tarika : नियत की मैंने शब् ए क़द्र की 2 रकात नफिल नमाज़ वास्ते अल्लाह ताला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ...अल्लाह हु अकबर
Namaz Ka Tarika : 2 रकात नमाज़ नमाज़ पढ़े, सूरह फातिहा के बाद सूरह इखलास 7 बार पढ़े , फिर सलाम फिरने के बाद अस्तगफिरुल्ला 7 बार, इस्को पढ़ने से उसके वालिदैन पर रहमत बरसेगी
बाराह माह के फजयाल, सफा 436
बाराह माह के फजयाल, सफा 436
- 2 रकात नमाज़
Namaz Ka Tarika : 2 रकात नमाज़ पढ़े, सूरह फातिहा के बाद सूरह इखलास 3 बार पढ़े, इस नमाज का सवाब तमम मुसलमानो को बख्शेन और अपने लिए मगफिरत की दुआ करें तो मौला ताला उस शक्श को बख्श देगा
मुकाशिफतुल कुलूब, सफा 650
मुकाशिफतुल कुलूब, सफा 650
जरुरी शब् ए क़द्र की नमाज़ के तालुक से :
याद रहे की जब तक फ़र्ज़ ज़िम्मे पर बाकी हो कोई भी नफ़ल इबादत मसलन नमाज़ रोज़ा वज़याफ़ क़ुबूल नहीं किया जाता, क़र्ज़ नमाज़ का उतरना फ़र्ज़ अज़ीम है
अब अगर नमाज़ क़ज़ा हैं तो पहले उन्हें पढ़लें हुकुम यहाँ तक हैं की असर और ईशा की पहली सुन्नत की जगह और तमाम पंज वक़्त नवाफिल की जगह अपनी क़ज़ा नमाज़ पढ़लें.
तो ये थी Ramzan में Shab e Qadr Ki Fazilat in Hindi में और Shab e Qadr Ki Namaz Ka Tarika in Hindi
COMMENTS