Imam Jafar Sadiq Story In Hindi : इमाम जफ़र सादिक़ wiladat islamic date, naam nasab, wisal 15-22 ko, history of imam, science pdf, quotes, family tree
Imam Jafar Sadiq Story In Hindi : इमाम जफ़र सादिक़ का क्या कहना आप अल्लाह का एक मोज़ज़ा हैं आप वक़्त के इमाम और अल्लाह के नेक वाली हैं आप सय्यद के घराने के वो फूल हैं जिकी खुशबू आज भी महसूस जाती हैं और आप से आज भी वक़्त के बड़े बड़े इमाम और ओलमा फैज़ पाते हैं
निचे Imam Jafar Sadiq के ज़िन्दगी की Story के बारे में दिया गया हैं In Hindi में, आप सवाब के नियत से इसे पूरा पड़े और अपने इल्म में इजाफा पाए और शेयर करे
Imam Jafar Sadiq ज़िन्दगी की Story In Hindi
- नाम व नसब
हज़रत इमाम जअफ़र सादिक रज़ियल्लाहु अन्हु हिदायत के बारह इमामों में से छटे इमाम हैं वालिद साहिब का नाम मोहम्मद बाक़िर विन ज़ैनुल आवदीन विन इमाम हुसैन बिन अली रज़ियल्लाहु अन्हुम है
आपकी कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह है और बअज़ लोगों ने अबू इस्माईल लिखा है आप का मशहूर लक़ब सादिक़ है
- विलादत बा सआदत
Imam Jafar Sadiq मदीनह मुनव्वरह में ८३ हिजरी बरोज़े पीर माहे रवीउल अव्वल के आख़िरी अशरह में पैदा हुए ।
- वालिदह की तरफ़ से
हज़रत इमाम जअफ़र सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की वालिदह का नाम उम्मे फ़रदह विन्ते क़ासिम विन अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हुम है
उम्मे फ़रदह की वालिदह हज़रत अस्मा विन्ते अब्दुर रहमान विन अवू वकर रज़ियल्लाहु अन्हुम हैं इसी लिए इमाम जअफ़र रज़ियल्लाहु अन्हु ने इरशाद फ़रमाया मुझे अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ने दोवारह जन्म दिया
- विसाले मुबारकह
आप का विसाले मुबारकह वरोज़ पीर १५ रजवुल मुरज्जव (रजब) १४८ हिजरी को हुआ आपकी क़व्रे मुबारक जन्नतुल वक़ीअ शरीफ़ में है । ( सवानेह वारह इमाम स . १२५ / १२६ )
Imam Jafar Sadiq और मंसूर ख़लीफ़ह Story In Hindi
ख़लीफ़ह मंसूर अब्बासी के बारे में रिवायत है कि किसी वात पर नाराज़ हो कर उसने अपने सिपाहियों को हज़रत इमाम जअफ़र सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की तलाश में भेजा ।
नाराज़गी ज़्यादह थी क़त्ल की धमकी दे चुका था । हज़रत इमाम जव तशरीफ़ लाये तो उसने तहदीद आमेज़ वातें कीं , और कहा ।
अहले इराक़ ने आप को अपना अमीर बनाया है और अपनी ज़कात आप को देते हैं और आप मेरी ख़िलाफ़त से बग़ावत करके फ़साद बरपा करना चाहते हैं ।
ख़ुदा मुझे क़त्ल करे अगर मैं आप को क़त्ल न करूँ । इमाम मोहतरम नें निहायत मतानत से जवाबन इरशाद फ़रमाया । अमीरुल मोमिनीन !
हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को सलतनत व हुकूमत अता की गयी तो उन्होंने रब तआला का शुक्र अदा फ़रमाया ।
हज़रत अय्यूव अलैहिस्सलाम दुनियावी मुसीबत में मुब्तिला हुए तो उन्होंने सब फ़रमाया और हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम पर ज़ुल्म व ज़्यादती हुई तो उन्होंने अफ़ू व दर गुज़र से काम लिया ।
हज़रत के इस कलाम को सुन कर मंसूर का गुस्सह ख़त्म हो गया , तकलीफ़ का ख़्याल तर्क कर दिया , और वह खुश होकर आप की तारीफ़ करने लगा , वहाँ से वापसी पर किसी ने दरयाफ़्त किया हुज़ूर !
आप नें मंसूर के पास जाने से क़ब्ल कुछ दुआ फ़रमायी थी , वह दुआ क्या थी ? इरशाद फ़रमाया वह दुआ यह थी ।
तर्जुमह मुलाहिज़ह कीजिए : आप ने वालिदे गिरामी से रिवायत किया , कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है ।
अल्लाह तआला जिसे कोई निअमत अता फ़रमाये , उस पर अल्लाह तआला का शुक्र अदा करना ज़रूरी है , और जिसे रोज़ी की तंगी हो उसे चाहिए कि अस्तग़फार पढ़े ,
और जो किसी काम की वजह से रंजीदह व फ़िकर मंद हो उसे चाहिए कि लाहौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम का विर्द करे ।
Imam Jafar Sadiq का विसाल 15 या 22 ?
२२ नहीं १५ तहक़ीक़ी और मुस्तनद रिवायात से साबित है कि हज़रत इमाम जअफ़र सादिक रज़ियल्लाहु अन्हु की तारीख़े विसाल १५ रजब है लिहाजा मुसलमानों २२ को छोड़ो १५ को अपनाओ ताकी इमाम साहिब की रुह आप की तरफ़ मुतवज्जह हो और उनके फ़ैज़े बेकराँ से भर पूर फ़ाइदह उठाया जाये ।
नोट : फ़ातिहा ख़्वानी चाहे सुबह करें या शाम को सवाब व फ़ज़ीलत में कोई कमी वाक़ेअ न होगी ।
अहले तशीअ २२ रजबुल मुरज्जव की तारीख़ को हज़रत इमाम जअफ़र सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की तरफ मन्सूव करके कुँडे का नियाज़ मुवालिग़ह के साथ दिलाते और मनाते हैं
और इसी तरीक़े को अहले सुन्नत व जमाअत के अकसर हज़गत अपनाये हुए हैं । इस फ़ातिहा के एहतमाम में खीर , पूरी और मीठी टिकिया बनाये जाते हैं
और कूँडे में भर कर नियाज़ दिलाते हैं , नियाज़ के बाद हर शख़्श के लिए लाज़मी क़रार देते हैं कि वहीं बैठ कर खाये और वग़ैर ग़ुस्ल के कोई नहीं खा सकता । ,
यही वह वातैं हैं जो शीअह हज़रात से मुशाविहत रखती हैं , अहले सुन्नत व जमातअत एक नाजी फ़िरक़ह है जिस के पास दस्तूर है और मीलाद ख़्वानी , Niyaz Aur Fatiha के उसूल मौजूद हैं
हमैं किसी फ़िरक़े की मुशाबिहत की कोई ज़रूरत नहीं , लिहाज़ा सुन्नी जन्नती मुसलमानो !
नियाज़ फ़ातिहा तीजह , बरसी , चिहलुम यह हमारा हक़ है और उसके फ़वाइद भी वे शुमार हैं और हम न करेंगे तो कौन करेगा , लेकिन जैसा हुक्मे शरयी है वैसा ही करना चाहिये ,
आम फ़ातिहा की तरह Kunde Ke भी Fatiha करो और ख़्यालाते फ़ासिदह से तौवह करो , हज़रत इमाम जअफ़र सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु का विसाल १५ रजबुल मुरज्जब को हुआ है
इस मुनासिबत से फ़ातिहा की अस्ल तारीख़ १५ रजब है न कि २२ वैसे किसी भी तारीख़ में Fatiha Khwani हो सकती है हाँ अगर तारीख़े विसाल ही पर करनी है तो जो तारीख़ै हमारी मुस्तनद हैं उन्हीं में होनी चाहिए
अल्लाह तआला हम सबको वाहियात और खुराफ़ात से महफ़ूज़ रख्खे और अपने Imam Jafar Sadiq और भी सच्चे महबूब बन्दों की मोहब्बत हमारे दिलों में अता फ़रमाये और हमें Imam Jafar Sadiq की Story पर अमल करने का दिल दे In Hindi। ( आमीन )
COMMENTS