Islam Me Valentine Day Manan Kaisa hain, वैलेंटाइन डे मानना कैसा, Shahee Hadeeth Ki, JAYAZ YA NA, Aur Islam, ISLAM KI NAZAR ME, Ki Haqeeqat, when is d
Islam Me Valentine Day Manana Kaisa : वैलेंटाइन्स डे के बारे में इस्लामी हुकुम और असल हकीकत, दुश्मने इस्लाम का वैलेंटाइन्स डे के जरिये इस्लाम पर एक हमाल और वैलेंटाइन्स की असल हकीकत क़ुरान हदीस से।
क्या फ्रमाते हैं उ-लमाए दीन व मुफ्तियाने शर-ए मतीन इस मस्अले के बारे में कि वेलन्टाइन डे जो अब राइज होता जा रहा है
मुसलमानों को Valentine Day Manan Kaisa है ?
इस दिन ना महरम लड़के और लड्कियां आपस में मह॒ब्बत के तहाइफ (सुर्खफूल, वेलन्टाइन Valentines कार्ड वगैरा) का आपस में तबा-दला करते हैं, महब्बत के इक्रार और इस तअल्लुक को बर करार रखने के वा'दे करते और कसमें खाते हैं
तो क्या एक मुसलमान को इस तुरह के तहवार मनाना जैब देता है ?
क्या इस्लाम इसे ऐसे तहवारों को मनाने की इजाजूत देता है ?
अगर नहीं तो मुसलमानों को मुआ-शरे में राइज ऐसे तहवारों में क्या अन्दाजु इख़्तियार करना चाहिये ?
Islam Me Valentine Day Manan Kaysa इस्लाही और पूरी मालूमात In Hind
मुसलमा कायदा हैं की या'नी जो बुराई को नहीं जानता एक न एक दिन बुराई में मुब्तला हैं जाता है इस लिये बुराई से बचने के लिये बुराई को बुरा जानना अव्वलन जूरूरी है,
फिर बुराई से खुद को बचाने के लिये जो बुराई को जानना जुरूरी है इस का मतृलब फूकृतृ उस बुराई का नाम और उस अमल की शनाख्त ही नहीं बल्कि उस की तरफ ले जाने वाले अस्बाब जान कर उन से दूर रहना भी जरूरी है, यूं
ही जो बुराई में मुब्तला हो और उस से छुटकारा हासिल करना चाहे उस के लिये भी बुराई तक ले जाने वाले अस्बाब जान कर खुद से उन को दूर करना और उस बुराई की जृड को ढूंड कर निकाल फेंकना जूरूरी है
कि जड़ को खत्म किये बिगैर बुराई के खातिमे की कोशिश करना दीन व दानिश दोनों के ए'तिबार से गैर मुफीद साबित होती है, इस लिये अव्वलन फित्री कमजोरियों और बुराई की तरफ खींचने वाले अस्बाब की निशान देही की है
इसे जरूर तवज्जोह से पढ़ लीजिये !
सिर्फ एक इसी मस्अले में नहीं जिन्दगी भर बहुत से गुनाहों और खराबियों से बचने का सहीह तौर पर जेहन बनेगा और अल्लाह ने चाहा तो बचना आसान भी हो जाएगा,
लिहाजा इस इब्तिदाई तम्हीदी मुकदमे को गैर अहम न समझें अपनी दुन्या व आखिरत की भलाई के लिये इसे जृरूर जेहन नशीन करें इस के बा'द कुरआन व हदीस की रोशनी में खास तौर पर ““Valentine Day” मनाने का शर-ई हुक्म बयान किया जाएगा।
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Happy Valentines Day |
Islam Me बदअमली के असबाब और फितरी कमजोरिया Valentine Day मानाने पर
इन्सान चूंकि फ़ितूरतन जल्द बाज और जिद्दत पसन्द होता है अगर अपनी अक्ल से अहकामे शरीअत को समझ कर उस के Valentine Day दाएरे में जिन्दगी बसर न करे,
तो येह दो आदतें इसे कृदम कृदम पर बुराई में मुब्तला करती रहती हैं और इसे अपने किये का एहसास भी नहीं होता और बुराई के भंवर में ऐसा फंसा रहता है
कि इस से निकलना इस के लिये बेहद दुश्वार हो जाता है फिर एक फित्री आदत चूंकि मिलजुल कर जिन्दगी बसर करने की भी इस में मौजूद है
इस लिये दूसरों के साथ रहना भी इस के लिये जुरूरी है और दुन्या में चूंकि मुसलमानों के इलावा काफिर भी बसते हैं और बड़ी ता'दाद में बसते हैं
और मुसलमानों में भी नेक भी और ना फरमान भी दोनों तरह के होते हैं इस लिये मुआ-श-रती जिन्दगी में इस को बिगाड़ के अस्बाब ज्यादा और सुधार के कम दस्त-याब होते हैं
और मौजूदा ग्लोब्लाइजेशन के इस दौर में जब मीडिया की बड़ी कम्पनियों के मकासिद में बुराइयां, बद किरदारियां, बद अख्लाकियां आम करना शामिल है
और नफ्सानी लज्जात व शहवात को दिखा दिखा कर लोगों का सुकून बरबाद करना और इन की तृबीअतों में हैजान बरपा किये रखना इन के अहदाफ में से एक बड़ा हदफ़ है
और इस पर भरपूर व मुनज्जूम त्रीके से बुराई की नश्रो इशाअत का काम बहुत तेजी से हो रहा हे जिस से काफिरों के तौर तरीके
और ना 'फ्रमानों की नित नई ना फ्रमानियां मिनटों, सेकन्डों में सारी दुन्या में फैल जाती हैं इस लिये मुआ-शरे में तबाह कुन अ-सरात ज्यादा जाहिर हो रहे हैं और येह बातें किसी से ढकी छुपी नहीं हैं ।
फिर खराबियों और अख्लाकी बुराइयों में मुब्तला होने वाले जियादा तर दो तरह के लोग होते हैं
(।) जो माली लिहाज से आसूदा हाल, तअय्युश पसन्द, करों फर, जाहो हृश्मत के साथ रहने वाले हों ।
(2) जो अक्ल के लिहाजू से कमजोर और गैर समझदार वाकेअ् हों।
अक्ल के लिहाज से कमजोर लोग इस लिये अख़्लाकी बुराइयों का जियादा शिकार होते हैं कि अपने भले बुरे से कमा हक्कुहू वाकिफ नहीं होते
इस लिये इन से अक्ल के लिहाज से फाइक् तृबका जब जोरो शोर से अपना पैगाम इन में नश्र करता है तो उस से मु-तअस्सिर हो जाते हैं,
चूंकि बुराई की दा'वत देने वाले जियादा होते हैं इस लिये बुराई अवाम में बहुत जल्द वसीअ पैमाने पर 'फैलती है और बचाने वाले अगर्चे इन्तिहाई अक्ल मन्द दीनदार हों
चूंकि कम होते हैं इस लिये बुराई से बचने वालों की ता'दाद थोड़ी होती है।
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Happy Valentines Day |
खुलीफए आ'ला हजरत अल्लामा सय्यिद सुलैमान अशरफ अपनी किताब “अन्नूर” में एक मकाम पर लिखते हैं :
“येह वाकिआ और हकीकृत है कि अवाम न अपनी राय रखते हैं न इन की कोई आवाज है, मुल्क में ता'लीम याफ्ता गुरौह जब किसी खयाल की तरवीज या हमागीरी चाहता है
तो वोह अपनी तक्रीर व तहरीर से अवाम में उसी खयाल को पैदा कर देता है वोह अपने खयाल के सूर को इस बुलन्द आहंगी से फूंकता है
कि अवाम के खयाल उसी के खयाल का अक्स और अवाम की आवाज उसी की सदाए बाज गश्त होती है।”
जब कि तअय्युश व जाह पसन्द तृबका हुक्मरान हो या न हो इन के खराबियों बद अख्लाकियों में मुब्तला होने की बड़ी वज्ह दुन्या तृ-लबी और नफ्सानी लज्जात व शहवात की असीरी होती है जो इन्हें राहे हक से दूर करते करते बहुत दूर ले जाती है।
कुरआने करीम {Quran} में इर्शाद होता है
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Happy Valentines Day |
Islam Me चन्द जुरूरी बातें Valentine Day Manana Kaisa पर
तम्हीदन बयान करने से मक्सूद येह है कि Valentine Day जैसा बेहूदा गुनाहों भरा दिन, मादर पिदर आजादी के साथ रंग रलियों के साथ मनाना,
जो नौ जवान लड॒के लड़कियों में मक्बूल होता जा रहा है इस के पसे पर्दा भी इसी किस्म के अस्बाब मौजूद हैं
जो ऊपर जिक्र किये गए या'नी फितृरी कमजोरियां, जिद्दत 'पसन्दी, जल्द बाजी, नफ्सानी व शैतानी लज्जात की असीरी, दीन से दूरी, न खुद पाबन्द रहना न अपनी औलाद की तरबिय्यत कर के इस्लामी अख्लाको आदाब का इन्हें पाबन्द बनाना, न मिल्ली कमी सत्ह पर मुसलमानों के हुक्मरानों का मुआ-शरे में खिलाफे इस्लाम रस्मो रवाज व तहवारों के खिलाफ सख्त इक्दामात उठाना येह वोह अस्बाब हैं जिन की वज्ह से मुसलमानों में इस बेहूदा दिन के मनाने का आगाज हो चुका है
Islam Me Valentine Day Manana का पस मन्जूर और इस दिन को मनाने का अन्दाज् Kaisa
आमदम बर सरे मतृलब के तहत अब सुवाल चूंकि वेलन्टाइन डे के बारे में है कि इस लिये खुसूसन सब से पहले वेलन्टाइन डे का तारीखी पस मनन््जूर और इस दिन होने वाली खुराफ़ात को बयान किया जाता है
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