Islam Me Valentine Day Manana Kaisa इस्लाम मे वैलेंटाइन Hindi

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Happy Valentines Day
Happy Valentines Day

    Islam Me Valentine Day Manana Kaisa : वैलेंटाइन्स डे के बारे में इस्लामी हुकुम और असल हकीकत, दुश्मने इस्लाम का वैलेंटाइन्स डे के जरिये इस्लाम पर एक हमाल और वैलेंटाइन्स की असल हकीकत क़ुरान हदीस से। 

    क्या फ्रमाते हैं उ-लमाए दीन व मुफ्तियाने शर-ए मतीन इस मस्अले के बारे में कि वेलन्टाइन डे  जो अब राइज होता जा रहा है 

    मुसलमानों को Valentine Day Manan Kaisa है ? 

    इस दिन ना महरम लड़के और लड्कियां आपस में मह॒ब्बत के तहाइफ (सुर्खफूल, वेलन्टाइन Valentines कार्ड वगैरा) का आपस में तबा-दला करते हैं, महब्बत के इक्रार और इस तअल्लुक को बर करार रखने के वा'दे करते और कसमें खाते हैं 

    तो क्या एक मुसलमान को इस तुरह के तहवार मनाना जैब देता है ? 

    क्या इस्लाम इसे ऐसे तहवारों को मनाने की इजाजूत देता है ? 

    अगर नहीं तो मुसलमानों को मुआ-शरे में राइज ऐसे तहवारों में क्या अन्दाजु इख़्तियार करना चाहिये ?

    Islam Me Valentine Day Manan Kaysa इस्लाही और पूरी मालूमात In Hind

    मुसलमा कायदा हैं की या'नी जो बुराई को नहीं जानता एक न एक दिन बुराई में मुब्तला हैं जाता है इस लिये बुराई से बचने के लिये बुराई को बुरा जानना अव्वलन जूरूरी है, 

    फिर बुराई से खुद को बचाने के लिये जो बुराई को जानना जुरूरी है इस का मतृलब फूकृतृ उस बुराई का नाम और उस अमल की शनाख्त ही नहीं बल्कि उस की तरफ ले जाने वाले अस्बाब जान कर उन से दूर रहना भी जरूरी है, यूं

    ही जो बुराई में मुब्तला हो और उस से छुटकारा हासिल करना चाहे उस के लिये भी बुराई तक ले जाने वाले अस्बाब जान कर खुद से उन को दूर करना और उस बुराई की जृड को ढूंड कर निकाल फेंकना जूरूरी है 

    कि जड़ को खत्म किये बिगैर बुराई के खातिमे की कोशिश करना दीन व दानिश दोनों के ए'तिबार से गैर मुफीद साबित होती है, इस लिये अव्वलन फित्री कमजोरियों और बुराई की तरफ खींचने वाले अस्बाब की निशान देही की है 

    इसे जरूर तवज्जोह से पढ़ लीजिये ! 

    सिर्फ एक इसी मस्अले में नहीं जिन्दगी भर बहुत से गुनाहों और खराबियों से बचने का सहीह तौर पर जेहन बनेगा और अल्लाह  ने चाहा तो बचना आसान भी हो जाएगा,

    लिहाजा इस इब्तिदाई तम्हीदी मुकदमे को गैर अहम न समझें अपनी दुन्या व आखिरत की भलाई के लिये इसे जृरूर जेहन नशीन करें इस के बा'द कुरआन व हदीस की रोशनी में खास तौर पर ““Valentine Day”  मनाने का शर-ई हुक्म बयान किया जाएगा।

    Happy Valentines Day
    Happy Valentines Day

    Islam Me बदअमली के असबाब और फितरी कमजोरिया Valentine Day मानाने पर 

    इन्सान चूंकि फ़ितूरतन जल्द बाज और जिद्दत पसन्द होता है अगर अपनी अक्ल से अहकामे शरीअत को समझ कर उस के Valentine Day दाएरे में जिन्दगी बसर न करे, 

    तो येह दो आदतें इसे कृदम कृदम पर बुराई में मुब्तला करती रहती हैं और इसे अपने किये का एहसास भी नहीं होता और बुराई के भंवर में ऐसा फंसा रहता है 

    कि इस से निकलना इस के लिये बेहद दुश्वार हो जाता है फिर एक फित्री आदत चूंकि मिलजुल कर जिन्दगी बसर करने की भी इस में मौजूद है 

    इस लिये दूसरों के साथ रहना भी इस के लिये जुरूरी है और दुन्या में चूंकि मुसलमानों के इलावा काफिर भी बसते हैं और बड़ी ता'दाद में बसते हैं 

    और मुसलमानों में भी नेक भी और ना फरमान भी दोनों तरह के होते हैं इस लिये मुआ-श-रती जिन्दगी में इस को बिगाड़ के अस्बाब ज्यादा और सुधार के कम दस्त-याब होते हैं 

    और मौजूदा ग्लोब्लाइजेशन के इस दौर में जब मीडिया की बड़ी कम्पनियों के मकासिद में बुराइयां, बद किरदारियां, बद अख्लाकियां आम करना शामिल है 

    और नफ्सानी लज्जात व शहवात को दिखा दिखा कर लोगों का सुकून बरबाद करना और इन की तृबीअतों में हैजान बरपा किये रखना इन के अहदाफ में से एक बड़ा हदफ़ है 

    और इस पर भरपूर व मुनज्जूम त्रीके से बुराई की नश्रो इशाअत का काम बहुत तेजी से हो रहा हे जिस से काफिरों के तौर तरीके 

    और ना 'फ्रमानों की नित नई ना फ्रमानियां मिनटों, सेकन्डों में सारी दुन्या में फैल जाती हैं इस लिये मुआ-शरे में तबाह कुन अ-सरात ज्यादा जाहिर हो रहे हैं और येह बातें किसी से ढकी छुपी नहीं हैं ।


    फिर खराबियों  और अख्लाकी बुराइयों में मुब्तला होने वाले जियादा तर दो तरह के लोग होते हैं

    (।) जो माली लिहाज से आसूदा हाल, तअय्युश पसन्द, करों फर, जाहो हृश्मत के साथ रहने वाले हों । 

    (2) जो अक्ल के लिहाजू से कमजोर और गैर समझदार वाकेअ्‌ हों।

    अक्ल के लिहाज से कमजोर लोग इस लिये अख़्लाकी बुराइयों का जियादा शिकार होते हैं कि अपने भले बुरे से कमा हक्कुहू वाकिफ नहीं होते 

    इस लिये इन से अक्ल के लिहाज से फाइक्‌ तृबका जब जोरो शोर से अपना पैगाम इन में नश्र करता है तो उस से मु-तअस्सिर हो जाते हैं, 

    चूंकि बुराई की दा'वत देने वाले जियादा होते हैं इस लिये बुराई अवाम में बहुत जल्द वसीअ पैमाने पर 'फैलती है और बचाने वाले अगर्चे इन्तिहाई अक्ल मन्द दीनदार हों 

    चूंकि कम होते हैं इस लिये बुराई से बचने वालों की ता'दाद थोड़ी होती है।

    Happy Valentines Day
    Happy Valentines Day

    खुलीफए आ'ला हजरत अल्लामा सय्यिद सुलैमान अशरफ अपनी किताब “अन्नूर” में एक मकाम पर लिखते हैं :

    “येह वाकिआ और हकीकृत है कि अवाम न अपनी राय रखते हैं न इन की कोई आवाज है, मुल्क में ता'लीम याफ्ता गुरौह जब किसी खयाल की तरवीज या हमागीरी चाहता है 

    तो वोह अपनी तक्रीर व तहरीर से अवाम में उसी खयाल को पैदा कर देता है वोह अपने खयाल के सूर को इस बुलन्द आहंगी से फूंकता है 

    कि अवाम के खयाल उसी के खयाल का अक्स और अवाम की आवाज उसी की सदाए बाज गश्त होती है।”

    जब कि तअय्युश व जाह पसन्द तृबका हुक्मरान हो या न हो इन के खराबियों बद अख्लाकियों में मुब्तला होने की बड़ी वज्ह दुन्या तृ-लबी और नफ्सानी लज्जात व शहवात की असीरी होती है जो इन्हें राहे हक से दूर करते करते बहुत दूर ले जाती है। 

    कुरआने करीम {Quran} में इर्शाद होता है

    {Happy Valentines Day}
    Happy Valentines Day

    तर ज मए कन्जुल ईमान - और हम अजब करने वाले नहीं जब तक रसूल न भेजे लें  किसी बस्ती को हलक करना कहते हैं उसके ख़ुशहालो (अमीरो) पर अहकाम भेजते हैं फिर वोह उस में बे हुक्मी करते हैं तो इस पर बात पूरी हो जाती है तो हम उसे तबाह कर के बरबाद कर देते हैं।

    इस आयते मुबा-रका से मा'लूम होता है कि बिगाड़ व 'फूसाद और ना फरमानियों में मुब्तला होने की एक वज्ह बेहद खुशहाली और जाहो हृश्मत के साथ हुक्मरानी भी होती है 
    ऐसे लोगों के ना फ्रमानियों में मुब्तला हो जाने का खतरा जियादा रहता है और आम मुशा-हदे से भी इस का बखूबी पता चलता है ।
     
    अब एक त्रफ तो फित्री आदतों की येह सूरते हाल है दूसरी तरफ मुसलमान चूंकि आम इन्सान नहीं होता बल्कि ब निस्बत काफिरों के हकीकी सच्ची इन्सानिय्यत का ताज इस के सर पर होता है 

    इस लिये कि अल्लाह तआला  के फुज्लो करम से दौलते ईमान इसे नसीब होती है और मुसलमान होने के नाते इस का दीनो ईमान इसे जिद्दत पसन्दी के साथ जृरूरी हृद तक कृदामत पसन्द, 

    जल्द बाजी की फ्त्री आदत के बा वुजूद तहम्मुल पसन्द और अक्ल से काम लेते हुए हुदूंदे शरीअत में रहते हुए जिन्दगी गुजारने वाला 

    और लोगों से मिलजुल कर रहने की ना गुजीरियत के साथ बुराइयों से मुज्तनिब रहने और मु-तअस्सिर न होने का दर्स भी देता है, इस लिये मज्हबी पाबन्दियों के साथ इस का जिन्दगी गुजारना जुरूरी है।

    जरूरी हृद तक कृदामत पसन्द इस तौर पर होता है कि अल्लाह तआला के बारे में हमारा अकीदा येह है कि वोह कृदीम है या'नी हमेशा से है 

    और हमेशा रहेगा और हमारे नबिय्ये मुकर्रम, शाहे बनी आदम ﷺ सल्लल्लाहो अलैवसल्लम को दुन्या से जाहिरी पर्दा फूरमाए हुए भी चौदह सो साल से जियादा हो चुके 

    इन पर रब का कलाम भी उसी मह॒बूब जमाने में नाजिल हुवा था और आप ने अपनी इसी जाहिरी हयाते तृय्यिबा में इस की तफ्हीम व तश्रीह अपनी अहादीस की सूरत में उम्मत को आता फूरमाई थी 

    तो जब येह सब कुछ भी पुराना है तो मुसलमान का इस मा'ना में कृदामत पसन्द होना जुरूरी हुवा, 

    वरना वोह मुसलमान कब रहेगा फिर कुरआनो हदीस की वाजेह नुसूस और अइम्मए मुज्तहिदीन के इज्माओ से साबित शुदा जरूरी अहकामात बिगैर किसी हीलो हुज्जत के मानना 

    और उस पर अमल पैरा रहना यूंही अइम्मए अर-बआ में से जो किसी इमाम का मुकुल्लिद है उस का अपने इमाम के कोल को हक तस्लीम करते हुए उस के मुताबिक अमल करना सच्चा मुसलमान  होने के लिये जृरूरी है 

    और येह सब बातें आज की नहीं सदियों पहले साबित व मुकर्रर हो चुकी इन में से किसी बात पर अमल में कोताही और रद व इन्कार करने से नौबत फिस्को फुजूर से ले कर कुफ्र व गुमराही तक पहुंचती है 

    इस लिये जदीद दुन्या में रहने वाला मुसलमान भी अपने ईमान और दीनी जृरूरी अहकाम के लिहाज से कृदामत पसन्द होता है और ऐसा होना भी चाहिये 

    येह इस की मज्हबी जिन्दगी के लिये रूह की हैसिय्यत रखता है।

    अल ग्रज्‌ खुदाए जुल जलाल और उस के भेजे हुए नबिय्ये बे मिसाल ﷺ सल्लल्लाहो अलैवसल्लम जिन का इस ने कलिमा पढ़ा है उन के फरामीन में इसे दीनी मोहतातृ जिन्दगी गुजारने का त्रीकुए कार 

    और इस की हदें चूंकि बयान कर दी गई हैं इसे शुतुरे बे मुहार की तरह मन-मानियों के लिये आजाद नहीं छोड़ा गया लिहाजा मुसलमान और काफिर के दरमियान येही बुन्यादी फर्क होता है 

    कि मुसलमान साहिबे ईमान और अहकामे शरीअत का पाबन्द होता है काफिर इन दोनों बातों से महरूम और मादर पिदर आजाद रहता है।

    मगर अफ्सोस की बात येह है कि मुसलमानों में से बहुत से 'कलिमा पढ़ने वाले दीन के दाएरे में रहना कूबूल करने के बा वुजूद माहोल के बिगाड़ 

    और काफिरों की आजादियों से मु-तअस्सिर हो कर बे अ-मली का शिकार हो जाते हैं, तहवारों के मुआ-मले में खुशी मनाने 

    और इस के इज्हार के तरीकों को इख्तियार करने में भी ऐसे ही मुसलमान गू-लती का शिकार हो कर शरीअत की हद 'फलांगते हुए गुनाहों का इरतिकाब कर बैठते हैं, 

    बुन्यादी वज्ह वोही फित्री कमजोरियों को इस्लामी रुख से न समझना और उन कमजीौरियों से बचने के लिये इस्लामी अख़्लाको आदाब और अकाइदो आ'माल से दूरी इख्तियार किये रहना होती है।

    इस लिये जिद्दत पसन्दी, जल्द बाजी, ना समझी, गैर जुरूरी मेलजोल और बुरी सोहबत के अ-सरात से वोह बच नहीं पाते या इसी तृरह खुश रहना पसन्द करते हैं और बचना नहीं चाहते ।
     
    यहां तक कि गैर मुस्लिमों की त्रफ से जो भी चीज आए उन की दुन्यावी माद्दी तरक्कियां देख देख कर ऐसे मरऊब हो जाते हैं कि उन की हर चीज इन्हें अच्छी लगने लगती है, 

    गैर मुस्लिम ममालिक की स्टेम्प देख कर चीजें खरीदते हैं, उन्हीं के कल्चर के होटलों में खाना खाना, तक्रीबात में जाना पसन्द करते हैं, 

    अपने घर और पूरा घराना, अपने मुकम्मल लिबास और किरदार व गुफ्तार तक से वोह अपने आप को उसी कल्चर का एक फूर्द करार देने की कोशिश में लगे रहते हैं 

    किसी हृद तक काम्याब हो जाएं तो उन की खुशी की इन्तिहा नहीं रहती, येही वज्ह है कि जब कोई नई चीज वहां से आती है 

    अगर्चे कैसी ही नापाक व ना जाइजु क्यूं न हो कल्चर में शामिल होने की वज्ह से उस से दूर हो जाना उन के लिये दुश्वार होता है 

    और दूर रहने का खयाल भी आए तो फौरन येह अन्देशा उन के दिलो दिमाग को अपनी गिरिफ्त में ले लेता है कि हमारे स्टेटस के लोग फिर क्या कहेंगे ? 

    क्या तुम्हें कल्चर के फेशन के नए तहवारों का नहीं पता चलता ? 

    साथ साथ चलो वरना हमारे साथ न चल सकोगे, पीछे रह जाओगे । इस तृरह की बातें सुन कर उन का ना समझ दिल और जिद्दी हो जाता है और उन्हें दीन के रास्ते से ना 'फुरमानी की राह की तरफ खींचता हुवा ले जाता है ।

    इसी बिना पर इस्लामी दुश्मन कुब्वतें, कुफ्रो शिर्क में मुब्तला कोमें, मुसलमानों की अक्सरिय्यत के मिजाज व नफ्सियात को भांप कर वक्तन फृ वक्तन तजरिबात करती रहती हैं 

    कि इन्हें पता चलता रहे कि कितने फीसद मज्हबी लिहाज से पाबन्द रहते हैं और पाबन्द रहना पसन्द करते हैं और कितने फीसद ऐसे हैं 

    जिन्हों ने अपने जुमीर का गला घोंट दिया और इन की हर एक बात पर लब्बैक कहने के लिये बे करार बैठे हैं और जेहनी ए'तिबार से इन के शिकज्जे में मुकम्मल तौर पर जकड़े हुए हैं।

    जब अपने मुतीओ फ्रमां बरदार मुसलमानों  के टोले में इजाफा देखते हैं तो उन्हीं में से इस्लाम दुश्मनी के लिये मीर जा'फुर व मीर सादिक जैसे अप्राद को चुन चुन कर इफ्तिराक व इन्तिशार और शुकूको शुबुहात पैदा करने के लिये और मुसललमा अहकामाते शरइय्या को बे जा तावीलों के जूरीए रद करने को हदफ दे कर काम में लगा दिया जाता है।

    येह कुछ वाकेई सूरते हाल अर्ज की है अभी हाल ही में कुछ ऐसा ताजा ताजा नहीं हुवा बल्कि सल्तृनते इस्लामिया के जृवाल से बल्कि इस से भी पहले से इस किस्म की साजिशों और हमाकृतों का मिन हैसुल कौम मुसलमान शिकार रहे हैं ।

    सदरुश्शरीअह मुफ्ती अमजद अली आ'जुमी अपनी शोहरए आफूक किताब “बहारे शरीअत” में एक मकाम पर मुसलमानों की इसी अब्तर हालत की निशान देही करते हुए फरमाते हैं :

    मुसलमानों की जो अब्तर हालत है इस का कहां तक रोना रोया जाए येह हालत न होती तो येह दिन क्यूं देखने पड़ते 

    और जब उन की कुब्वते मुन्फूड्ला (असर कबूल करने की कुव्वत) इतनी कृबी है और कुव्वते फाइला (दुसरों पर असर अन्दाजु होने की कुव्वत) जाइल हो चुकी तो अब क्या उम्मीद हो सकती है

    कि येह मुसलमान कभी तरक्की का जीना तै करेंगे गुलाम बन कर अब भी हैं और जब भी रहेंगे। 

    Happy Valentines Day
    Happy Valentines Day

    Islam Me चन्द जुरूरी बातें Valentine Day Manana Kaisa पर

    तम्हीदन बयान करने से मक्सूद येह है कि Valentine Day जैसा बेहूदा गुनाहों भरा दिन, मादर पिदर आजादी के साथ रंग रलियों के साथ मनाना, 

    जो नौ जवान लड॒के लड़कियों में मक्बूल होता जा रहा है इस के पसे पर्दा भी इसी किस्म के अस्बाब मौजूद हैं 

    जो ऊपर जिक्र किये गए या'नी फितृरी कमजोरियां, जिद्दत 'पसन्दी, जल्द बाजी, नफ्सानी व शैतानी लज्जात की असीरी, दीन से दूरी, न खुद पाबन्द रहना न अपनी औलाद की तरबिय्यत कर के इस्लामी अख्लाको आदाब का इन्हें पाबन्द बनाना, न मिल्ली कमी सत्ह पर मुसलमानों के हुक्मरानों का मुआ-शरे में खिलाफे इस्लाम रस्मो रवाज व तहवारों के खिलाफ सख्त इक्दामात उठाना येह वोह अस्बाब हैं जिन की वज्ह से मुसलमानों में इस बेहूदा दिन के मनाने का आगाज हो चुका है 


    बल्कि हुक्मरान तृबका तो इस तरह के खिलाफे इस्लाम  न-जृरिय्यात और खुल्लम खुल्ला गुनाहों की रोकथाम के इक्दामात करने की बजाए इसे फ्रोगू देने 

    और इस किस्म के बुराई फैलाने वालों को तहफ्फुज और खुल कर काम करने का मौक॒अ्‌ देने में आगे आगे दिखाई देता है, 

    अल गूरजु इन बयान कर्दा बुराई के अस्बाब में से हर सबब इस किस्म की बुराई का खुनन्‍्जर मुसलमानों के सीने में पैवस्त करने में अपना जोर लगा रहा है।

    Islam Me Valentine Day Manana का पस मन्जूर और इस दिन को मनाने का अन्दाज्‌ Kaisa

    आमदम बर सरे मतृलब के तहत अब सुवाल चूंकि वेलन्टाइन डे के बारे में है कि इस लिये खुसूसन सब से पहले वेलन्टाइन डे का तारीखी पस मनन्‍्जूर और इस दिन होने वाली खुराफ़ात को बयान किया जाता है 

    ताकि मुसलमानों पर वाजेह हो कि इस गुनाहों से भरपूर दिन की हकुकृत कया है चुनान्चे कहा जाता है कि एक पादरी जिस का नाम Valentine Day था तीसरी सदी ई-सवी में रूमी बादशाह क्लाडेस सानी के जेरे हुकूमत रहता था, 

    किसी ना फरमानी की बिना पर बादशाह ने पादरी को जेल में डाल दिया, पादरी और जेलर की लड़की के माबैन इश्क हो गया 

    हत्ता कि लड़की ने इस इश्क में अपना मजूहब छोड़ कर पादरी का मजुहब नसरानिय्यत कबूल कर लिया, अब लड़की रोजाना एक सुर्ख गुलाब ले कर पादरी से मिलने आती थी, 

    बादशाह को जब इन बातों का इल्म हुवा तो उस ने पादरी को फांसी देने का हुक्म सादिर कर दिया, जब पादरी को इस बात का इल्म हुवा कि बादशाह ने इस की फांसी का हुक्म दे दिया है 

    तो उस ने अपने आखिरी लम्हात अपनी मा'शूका के साथ गुजारने का इरादा किया और इस के लिये एक कार्ड उस ने अपनी मा'शूका के नाम भेजा जिस पर येह तहरीर था 

    मुख्लिस वेलन्टाइन {Valentines} की त्रफ से बिल आखिर 1 4 फरवरी को उस पादरी को फांसी दे दी गई इस के बा'द से हर 1 4 फरवरी को येह महब्बत का दिन उस पादरी के नाम वेलन्टाइन डे के तौर पर मनाया जाता है ।

    जब कि इस तहवार को मनाने का अन्दाजु येह होता है कि नौ जवान लड्कों और लडकियों के बे पर्दगी व बे हयाई के साथ मेल मिलाप, तोहफे तहाइफ के लैन दैन से ले कर फह्हाशी व उर्यानी की हर किस्म का मुजा-हरा खुले आम या चोरी छुपे जिस का जितना बस चलता है 

    आम देखा सुना जाता है एक रिपोर्ट के मुताबिक्‌ पाकिस्तान में फेमिली प्लानिंग की अदवियात आम दिनों के मुकाबले Valentine Day  में कई गुना जियादा बिकती हैं 

    और खरीदने वालों में अक्सरिय्यत नौ जवान लड़के और लड़कियों की होती है, गिफ्ट शोप्स और फूलों की दुकान पर रश में इज़ाफ़ा हो जाता है 

    और इन अश्या को खरीदने वाले भी नौ जवान लड़के लड़कियां होती हैं । मशरिकी अकूदार के हामिल ममालिक में खुली छूट न होने की वज्ह से नौ जवान जोड़ों को महफूजू मकाम की तलाश होती है। 

    इसी मकसद के लिये इस दिन होटल्जु की बुकिंग आम दिनों के मुकाबले में बढ़ जाती है और बुकिंग कराने वाले रंग रलियां मनाने वाले नौ जवान लड़के लडकियां होती हैं ।

    शराब का बे तहाशा कारोबार होता है साहिले समुन्दर पर बे पर्दगी और बे हयाई का एक नया समुन्दर दिखाई देता है । 

    मगृरिबी ममालिक में जहां गैर मुस्लिम मादर पिदर आजादी के साथ रहते हैं और फृह्हाशी व उर्यानी और जिन्‍्सी बे राह-रवी को वहां हर तरह की कानूनी छूट हासिल है 

    इस दिन धमा चोकड़ी से बा'जु अवकात वोह भी परेशान हो जाते हैं और इस के खिलाफ बा'जू अवकात कहीं कहीं से दबी दबी सदाए एहतिजाज बुलन्द होती रहती है 

    जैसा कि इंग्लेन्ड में इस की मुखा-लफृत में एहतिजाज किया गया और एहतिजाज की बुन्यादी वज्ह येह बताई गई कि इस दिन की बदौलत इंग्लेन्ड के एक प्रायमरी स्कूल में 10 साल की 39 बच्चियां हामिला हुई । 

    गौर कीजिये येह तो प्रायमरी स्कूल की दस सालह बच्चियों के साथ सफाकिय्यत की खबर है वहां के नौ जवान लड्के लड़कियों के ना जाइजू तअल्लुकात 

    और इस के नतीजे में हम्ल ठहरने और इस्काते हम्ल के वाकिआत की ता'दाद फिर कितनी होगी इस का अन्दाजा बखूबी लगाया जा सकता है।

    इन्तिहाई दुख और अप्सोस की बात येह है कि इस दिन को काफिरों की तरह बे हयाई के साथ मनाने वाले बहुत से मुसलमान भी अल्लाह और उस के रसूले करीम ﷺ सल्लल्लाहो अलैवसल्लम के आता किये हुए पाकीजा अहकामात को पसे पुश्त डालते हुए खुल्लम खुल्ला गुनाहों का इरतिकाब कर के न सिर्फ येह कि अपने नामए आ'माल की सियाही में इजाफा करते हैं बल्कि मुस्लिम मुआ-शरे की पाकीजूगी को भी इन बेहूदगियों से नापाक व आलूदा करते हैं ।

    बद निगाही, बे पर्दगी , फह्हाशी उर्यानी, अज्नबी लड़के लड़कियों का मेल मिलाप, हंसी मजाक, इस ना जाइज्‌ तअल्लुक को मजूबूत रखने के लिये तहाइफ़ का तबा-दला और आगे जिना 

    और दवाइये जिना तक की नौबतें येह सब वोह बातें है जो इस रोजे इस्यां जोरो शोर से जारी रहती हैं और इन सब शैतानी कामों के ना जाइज्‌ व हराम होने में किसी मुसलमान को जूर्रा भर भी शुबा नहीं हो सकता 

    कुरआने करीम की आयाते बस्यिनात और नबिय्ये करीम ﷺ  सल्लल्लाहो अलैवसल्लम  के वाजेह इर्शादात से इन उमूर की हुरमत व मजृम्मत साबित है।
    चाप धान
    Happy Valentines Day
    Happy Valentines Day

    मगर चूंकि इस किस्म के सुवाल से मक्सूद येह होता है कि मुसलमानों को दीनी नुक्तुए नजर से समझाया जाए 

    और इस दिन की ख़ुराफ़ात के साथ इस को मनाने की शनाअत व बुराई से इन्हें आगाह कर के इन के दिलों में खौफ़े ख़ुदा और शर्मे मुस्तफा ﷺ सल्लल्लाहो अलैवसल्लम पैदा की जाए ताकि वोह इन ना-पाकियों से ताइब हो कर अपने अफ्कार व किरदार की इस्लाह में मश्गूल हो कर बरोजे कियामत सुर्ख-रू हों , 

    लिहाजा तरगीब व तरहीब के लिये चन्द बातें दीन से महब्बत करने वाले अपने इस्लामी भाइयों की खिदमत में अर्ज करता हूं, 

    खुद भी पढ़ें और इस अहम फृतवे को जो मजूमून की शक्ल में है आम करें ताकि आम्मतुल मुस्लिमीन के दीनो दुन्या का भला हो ।

    अब जूरा अपनी पाकीजा शरीअत के अहकामात मुला-ह॒जा कीजिये किस तरह बद निगाही, बे हयाई, बे पर्दगी और हर किस्म की फुह्हाशी व उर्यानी की मजृम्मत कुरआने करीम की आयात 

    और नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम  के इर्शादात में बयान हुई है तवज्जोह के साथ पढ़ना सुनना और समझना चूंकि मुसलमानों को फाएदा देता है 

    इस लिये इतनी हिम्मत जुरूर कीजिये और आयात व अहादीस को अपने दिल में दाखिल होने का मौकअ॒ दीजिये अल्लाह ने चाहा तो तौबा की तौफीक के साथ साथ परहेज गारी की दौलत और इत्तिबाए सुन्‍्नत की तौफीक भी मिल जाएंगी 

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