Shab e Qadr Ki Namaz In Hindi, Laylat al-Qadr Ki Rakat Aur Lailat al-Qadr Dua 2022, Shab e Qadr Ki Namaz In Hindi शब् ए क़द्र की नमाज़ का और Niyat
Shab e Qadr Ki Namaz In Hindi : रमज़ान में Laylat al-Qadr (शब ए क़द्र) भी है। जो आखिरी 10 रातों में हमें पढ़ना है। Lailat al-Qadr वो रात है जो हज़ार महिनो से बेहतर है। यानि अगर कोई मुसलमान है
रात को कोई इबादत या नमाज़ पढ़ ली तो गोया उसने 1000 रात इबादत कर लिया। तो हमें चाहिये के अपने रब के सामने इस Shab e Qadr Ki Raat रो-रो कर गिड़ गिड़ाकर अपने गुनाहो की बख्शीश मांगे। Ramzan हमारे गुनाहो को धोने के लिए आया है। Roza और Namaz पढ़े जो की In Hindi में दिया गया हैं उसका एक भी लम्हा जाय न करे।
Shab e Qadr ki Namaz In Hindi, Laylat al-Qadr की Rakat और Lailat al-Qadr Dua 2022
- 21वीं रात को - पहला शब ए क़द्र रात
4 रकात: (2 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -1 बार पढ़ें।
सलाम के बाद अस्तागफर को 70 बार पढ़ें।
फ़ज़ीलत : शब ए क़द्र की बरकत की वजह से और इस नमाज़ की बरकत से सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं। इंशा अल्लाह
- 23 वीं रात को - दूसरा शब ए क़द्र रात
4 रकात: (2 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -3 बार पढ़ें।
फ़ज़ीलत :Laylat al-Qadr की बरकत की ओर इस नमाज़ बरकत की फ़ज़ीलत से सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं। इंशा अल्लाह
- 8 रकात: (4 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -1 बार पढ़ें।
सलाम के बाद कलाम ए तमजीद को 70 बार पढ़ें। अपनी गुन्हा के लिए अल्लाह से दुआ करें।
कलाम ए तमजीद: “सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”
फ़ज़ीलत : इस नमाज़ बरकत की फ़ज़ीलत से सभी गुन्हा माफ़ होंगे। इंशा अल्लाह
- 25वीं रात को - तीसरा शब ए क़द्र रात
4 रकात: (2 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -5 बार पढ़ें।
सलाम के बाद कलाम ए तैयबा को 100 बार पढ़ें। अपनी गुन्हा के लिए अल्लाह से दुआ करें।
कलाम ए तैयब: “ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि”
फ़ज़ीलत : शब ए क़द्र की बरकत की ओर से ओर इस नमाज़ बरकत की फ़ज़ीलत से अल्लाह तआला हर दुआओं की बरकत देगा। इंशा अल्लाह
4 रकात: (2 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 3 बार, सुरेह इखलास -3 बार पढ़ें।
सलाम के बाद अस्तागफर को 70 बार पढ़ें।
फ़ज़ीलत : ओर इस नमाज़ बरकत की फ़ज़ीलत से सभी गुन्हा माफ़ होंगे। इंशा अल्लाह
2 रकात
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -15 बार पढ़ें।
सलाम के बाद कलाम ए शहादत को 70 बार पढ़ें।
"कलाम ए शहादत: “अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु”
फ़ज़ीलत : यह नमाज़ उसे कब्र के अज़ाब से दूर रखेंगी है। इंशा अल्लाह
- 27वीं रात को - चौथा शब ए क़द्र रात
12 रकात: (3 सलाम के साथ) (4X4)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -15 बार पढ़ें।
सलाम के बाद अस्तागफर को 70 बार पढ़ें।
2 रकात
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 3 बार, सुरेह इखलास -27 बार पढ़ें
फ़ज़ीलत : अल्लाह उसके पिछले सभी गुन्हा को माफ कर देगा। इंशा अल्लाह
4 रकात (2 सलाम के साथ)
सुरेह फ़ातिहा के बाद हर रकात में सुरेह तकासुर - 1 बार, सुरेह इखलास -3 बार पढ़ें
फ़ज़ीलत : अल्लाह क़ब्र में अज़ाब हो रहे मुरदे को माफ़ करेगा और उसकी मौत के दौरान अज़ाब को कम करेगा। इंशा अल्लाह
2 रकात
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह इखलास पढ़ें -7 बार.... सलाम के बाद नीचे दी गई दुआ पढ़ें....
"अस्तग़्फ़िरुल्ला हिल अज़ी मुल्लाजी ला इलाहा इल्लल ला हु वल हयूल कुयूम व अतूबुइलाई"
फ़ज़ीलत : अल्लाह से अपने गुन्हा की माफी पाने के लिए नमाज़ बहुत ही नेमत है। इस नमाज़ को पढ़ने वाले को उसके माता-पिता सहित उसके गुन्हा माफ़ हो जाते हैं। अल्लाह ताला फ़रिश्तों को इंसान के लिए जन्नत सजाने का हुकुम देगा। इंशा अल्लाह
2 रकात
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में आलम नशर -1 बार, सुरेह इखलास -3 बार .... सलाम के बाद सुरेह कद्र 27 बार पढ़ें....
फ़ज़ीलत : इस नमाज़ को पढ़ने वाले को बेशुमार इनाम मिलेगा। इंशा अल्लाह
4 रकात
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र पढ़ें - 3 बार, सुरेह इखलास -50 बार .... सलाम के बाद झुकें (सजदा) और इस दुआ को पढ़ें
"सुभानल्लाही वल हम्दुलिल्लाही वल लाइलाहा इलल्लाहु वल लहू अकबर"
- 29वीं रात-पांचवें शब ए क़द्र रात
4 रकात: (2 सलाम के साथ)
सुरेह फातिहा के बाद हर रकात में सुरेह क़द्र - 1 बार, सुरेह इखलास -3 बार पढ़ें।
सलाम के बाद सूरह आलम नशराह को 70 बार पढ़ें।
पुरस्कार: उसकी आखिर सांस पूरी ईमान (कामिल ईमान) पर होगी। इंशा अल्लाह
Shab E Barat Ki Namaz Ki Fazilat In Hindi
1) जो शब ए क़द्र (रमजान की 27वीं रात) की रात में 7 बार सुरे क़द्र को पढ़ा करेगा, अल्लाह उसके पिछले सभी गुन्हा हो को माफ़ कर देगा और उसे भविष्य में अच्छा करने की तौफ़ीक अता फर्माएंगा और नेक रास्ते पर चलने की हिदायत देंगे।
2) रमजान की 27वीं रात को। जो कोई नफ़ल नमाज़ की 2 रकअत पढता है, हर रकअत में सुरेह अल्फ़ातिहा, सुरेह इखलास (सात बार) पढ़ता है और पूरा होने पर पढ़ता है
अस्तग़फरूल्लाहलादजिम अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़यूमु व अतूबु इलय (70 बार)
उसके और उसके माता-पिता के लिए मगफिरत की माफी लिखी जाएगी और अल्लाह उसे जन्नह में एक उचा दर्जा अता फरमाएंगा।
3) जो Lailat al-Qadr (रमज़ान की 27वीं रात) की रात में 7 बार सुरे क़द्र पढ़े और फिर नफ़ल नमाज़ की 2 रकअत करे, वह क़ब्र के अज़ाब से सुरक्षित रहेगा।
Shab e Qadr Magfhirat और Barkat वाली Raat Ki Fazilat
I. हज़रत अनस इब्न मलिक ने बताया कि जब रमज़ान आया, तो पवित्र पैगंबर ने कहा, "असल में यह महीना आपके पास आ गया है, और इसमें एक रात एक हजार महीनों से अधिक पुण्य है।
तो जो कोई भी इसके फ़ज़ीलत से बेखबर है वह सभी बरकतो से बेखबर है। किसी को भी इसके बरकतो से बेखबर नहीं रखा जाता है, बल्कि केवल वे ही होते हैं जो दुर्भाग्यशाली होते हैं।" [सुनन इब्न माजाह, वॉल्यूम। 1, पृष्ठ 119]
द्वितीय. हज़रत आयशा ने बताया कि अल्लाह के रसूल ने कहा है, "रमज़ान की आखिरी दस (रातों) में से एक विषम संख्या वाली रात (21 वीं, 23 वीं, 25 वीं, 27 वीं और 29 वीं) को Lailat al-Qadr की तलाश करें।" [सहीह बुखारी, वॉल्यूम। 1, पृष्ठ 270]
III. हज़रत आयशा ने बताया कि अल्लाह के रसूल पिछले दस रातों में किसी भी समय के मुकाबले में ज्यादा इबादत में ठोस प्रयास करते थे। [सहीह मुस्लिम, वॉल्यूम। 1, पृष्ठ 372]
Shab e Qadr की Fazilat और एतिकाफ़।
शब ए क़द्र वो मुबारक रात है जिस्में क़ुरान मजीद नाज़िल हुआ। ये रात अपनी क़दर और ख़त के लिहाज़ से के अफज़ल है। खज़ाने को पानेवाली वो रात है जो आम रातो के मुक़ाबले में के ज़ियादा अफज़ल है।
हज़ारो महिने से बेहतर है। जो कोई शक है रात में ख्याल करे और मघफिरत करे या इबादत करे उसे सारे गुनाहो की मघफिरत की खुशखबरी दी गई है। हर रात की तरह है रात में भी वो घडी है जिस में दुआ क़ुबुल करली जाती है।
और दीन और दुनिया की भलाई मांगी जाए वो आया की जाति है। आगर आप रात की खैर से महरुम रहे तो इसे बड़ी बड़ किस्मत और कुछ नहीं हो सकती है।
Lailat al-Qadr कोंसी रात है ये हमें यकीनी तोर पर नहीं बताया गया है। हदीसों से मालुम होता है की वो आखिरी आशरे की कोई ताक़ रात है। यानी 21वी, 23वी, 25वी, 27वी और 29वी।
तो हम सब उसके बसुजू और तलाश में जुड़े रहे, मेहंदी करे और अपने शौक की आग को जलता राखे। आखिरी आश्रय की हर रात में तलाश करने की कोशिश करे का उपयोग करें। जो चिज़ अल्लाह को सबसे ज़ियादा महबूब और पसंद वो ये है की बंदा है रात में उससे मांगे, उसकी इबादत करे और अपनी मग़फिरत करे।
अपना एहतीसाब करे। कमर कसले और हिम्मत करे की आखिरी आशरे की हर रात में हम Laylat al-Qadr को तलाश करेंगे। नमाज़, क़ुरान की तिलावत, ज़िक्र और दुआ से और मग़फिरत करके गुज़रेंगे।
अपने सरो को सजदे में, अपनी पेशानी को जमीन पर टेक कर रो और गिद्दिदा और अपने गुनाहो से तौबा और इस्तिघफार करे। और है दुआ को कसरत से पढे "अल्लाहुम्मा इन्नाका अफवुन तुहिबुल आफ"। जिस्का तारजुमा इस तरह से है "मेरे अल्लाह तू बहुत माफ करनावाला है। माफ़ करने को महबूब रखना है तो मुझे माफ़ कर देना।”
आगर हिम्मत और होसला हो तो आप आखिरी असर में एतिकाफ भी जरूर करे।10 दिन का मुमकिन ना हो तो कम मुद्दत का सही। एतिकाफ रूह को पाकीजा करता है और अपने रब के करीब करता है।
हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा बताया है जब रमज़ान का आखिरी अशरा आटा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने कमर कस ले, रातो को जाने, अपने घरवालों को जगाते और इतनी मेहंदी करते और जितने में कोई नहीं।
एतिकाफ की असल रूह ये है कि आप कुछ मुद्दत के लिए दुनिया के हर काम, करोबार और दिलचस्पी से हटकर अपने आप को सिरफ अल्लाह के आगे सरेंडर करदे।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की जो कोई एतिकाफ करता है उसके पिचले और आने वाले साल के गुना बख्श दिए जाते हैं। मर्द और बच्चे मस्जिद में एतिकाफ करे और औरते घरें। इसकी एक और फ़ज़ीलत ये भी आई है की जो लोग एतिकाफ करते हैं
तो अल्लाह उस साल उनकी बस्ती को आजाब से महफूज रखता है। अल्लाह पाक से दुआ है की हम सबको Shab E Qadr में जमकर इबादत करने की तौफीक अता फरमाये और एतिकाफ करने की हिम्मत और होसला दे। इसलिए Shab e Qadr Ki Namaz हमें अदा करना चाहिए जो की निचे दी गई हैं In Hindi main
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