Parda In Islam In Hindi : इस्लाम ने समाज को बुराइयों से बचाने का हर मुमकि इंतेजाम किया है और अच्छे अखलाक और बेहतर आदाब और औरतो के लिए Parda In Islam क
Parda In Islam In Hindi : इस्लाम ने समाज को बुराइयों से बचाने का हर मुमकि इंतेजाम किया है और अच्छे अखलाक और बेहतर आदाब और औरतो के लिए Parda In Islam के जरिया उसकी हिफाजत का इंतेजाम किया है ताकि |
लोगों का दिल बुराइ से Paak Saaf रह सके। इस में. शहवत और खवाहिशात को न भटकाया जाए। इस्लाम ने शहवत को भटकाने वाली चीजों पर पाबंदी लगाई है
जो. फितने का कारण बनती है। इस लिए मर्द और औरतों को निगाह नीची रखने का हुक्म दिया गया है।
अल्लाह ने Parda In Islam के लिए फ़रमाया In Hindi
अल्लाह तआला ने औरत की बेइज़्जती से बचाव, तथा कमजोर दिल के लोगों को फिल्ने से उसे बचाने और शरारती लोगों से दूर रखने के लिए, Bepardi से, बुरी नजरों से तथा औरतों की अहमियत और इज़्जत बाकी रखने के लिए Parde Ko Wazib करार दिया है।
इस्लाम के आलिम लोग Aurto Ke Parde की आवष्यकता पर एकमत हैं। औरतों पर वाजिब है कि वह गैर मर्द से अपने जेब और जीनत को छुपा कर रखें उन पर जाहिर न होने दें।
उलामाए कराम का चेहरे और दोनों हाथों के परदे पर दो नजरिया है। पदी और उस की आवष्यकता पर कई सारी हदीसें मौजूद हैं।
इन हदीसों की रोशनी में ही Parda Ko wazib करार दिया गया है। Parda करने की. कुछ दलीलें इस प्रकार है:
अल्लाह तआला ने इशीद फरमाया:
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तर्जुमा : “यदि जब तुम नबी की बीवियों से कोई सामान मागा करो तो पर्दे के पीछे से मांगा करो, तुम्हारे और उन के लिए यही कामिल पाकीजगी है ॥
सुरतुल अहजाब 53 दूसरी जगह इशीद फरमाया:
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तर्जुमा : “ऐ नबी! अपनी बीवियों से, अपनी बेटियों से और मुसलमाना की औरतों से कह दो कि वो अपने उपर अपनी चादरें लटका लिया करें,
इससे बहुत जल्दी उनकी पहचान हो जाया करेगी फिर न परेशान की जाएंगी और अल्लाह तआला माफ करने वाला मेहरबान है ॥
( सुरतुल अहजाब 59 )
आगे फरमाया:
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तर्जुमा : “मुसलमान औरतों से कहो कि अपनी निगाहें नीची. रखें और अपनी अस्मत में फर्क न आने दें और अपनी. जीनत को जाहिर न करें सिवाय उसके जो जाहिर है,
और अपनी गिरेबानों पर अपनी औढ़नी डालें और अपनी | आराइश को किसी के सामने जाहिर न करें, सिवाय अपने शौहर के ॥
(सुरह अलनूर 3।)
हज़रते आयशा का Parda In Islam पर बयान In Hindi
Parda In Islam Hadees In hindi :
आयशा रजियललाहु अन्हाबयान करती हैं कि मुसलमान औरतें नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ फजर की नमाज पढने के लिए चादरों में लिपट कर आती थी,
फिर नमाज के बाद अपने घरों को वापस जाती थीं तो सुबह के अंधेरे की वजह से कोइ उनको पहचान नहीं पाता था
(बुखारी 578 मुस्लिम 645)
आयशा रजियल्लाहु अन्हा बयान करती हैं
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कि लोग नबी करीम सल्लल्लाहु अलैेहि वसल्लम के साथ 'एहराम की हालत में थे और सवार हमारे सामने से गुजर रहे थे,
जब वे हमारे करीब आते तो, हम अपने सिर की चादर सरका कर अपने चेहरे पर लटका लेते और जब वो गुजर जाते तो हम हटा देते थे
आयशा रजियल्लाहु अन्हा ही बयान करती हैं कि
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“अल्लाह तआला मुहाजिरों की औरतों पर रहम और करम का मामला करें। अल्लाह ने जब उन पर आयते हिजाब नाजिल की तो उन्होंने अपनी औढ़नियों को दो हिस्सों में बांट लिया और उससे अपने चेहरे को ढ़क लिया (सही बुखारी)
ओलमा का Parda In Islam पर बयान In Hindi
इस के इलावा भी बहुत सी दलीलें हैं। चाहे Parde Ke Baare Me एक मत न हो फिर भी उलामा का इस बात पर एक मत है कि जरूरत की बुनियाद पर औरत का चेहरे को खोलना जायज है
जैसे बीमारी की हालत में डॉक्टर के पास और उसी तरह से सभी उलामा का इस बात पर भी एक मत है कि फित्ने का डर हो तो चेहरे का खोलना जायज नहीं है।
जो लोग चेहरे खोलने को जायज करार देते है, उनका भी मानना है कि अगर फितने का डर हो तो ऐसी सूरत में चेहरे का ढकना वाजिब है।
आज जब कि हर तरफ फितना है, इस का खतरा बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। अकसर औरतें जो अपना चेहरा खोल लेती हैं, अपने चेहरे और आँखों पर सिंगार किया करती हैं, जिस के हराम होने (हर्मत) पर सभी उलमा एक मत हैं ।
इस्लाम ने औरतों पर अजनबी मर्दों से इख्तलात को हराम किया है। यह सभी बातें अख्लाक,ख़ानदान और शराफत की हिफाजत के लिये हैं, इस्लाम Be-Parda को फितने और शहवत को भड़काने वाली चीज मानता है।
औरत जब घर से निकलेगी दुसरे मर्दों से बात करेगी और Be Pardi होगी तो | ऐसी सूरत में बदनामी होगी और गुनाह करना आसान होगा और औरत पर दस्तदराजी आसान हो जाएगी।.
अल्लाह तआला इशीद फरमाता हैं:
यानी, तुम औरतें अपने घरों में रहो और जमाने जाहिलियत कि औरतों कि तरह बनाव सिंगार कर के ना निकलो ( सुरह अहजाब 33 )
जरुरी मालूमात Parda In Islam पर In Hindi
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सखती से मर्दों और औरतों को इख्तलात से रोका है और उन सभी असबाब से मना फरमाया है जो इख्तलात की वजह बनते हैं,
चाहे वो इबादत और उससे जुड़ी हुई जगह ही क्यों न हो कभी कभी औरत को ऐसी जगहों में जाने की जरूरत पड़ जाती है, जहां मर्द होते हैं,
जैसे ऐसा कोई जरूरी काम पूरा करना हो और घर में दूसरा कोई न हो जो इस काम को कर सके, या कुछ खरीदारी का काम हो जिससे वो खुद अपने या अपने से जुड़े लोगों के लिए कामकाज का इंतेजाम कर सके या उस के अलावा दुसरी जरूरतें हों तो उसमें कोई हर्ज नहीं है।
लेकिन शर्त ये है कि वह शरीअत की पाबंदी करे यानी बापदी निकले, अपनी आराइश को जाहिर ना करे, मर्दों से दूर रहे और उन के साथ इख्तलात न करे।
इस्लाम ने समाज की हिफाजत के लिए जो हुक्म दिये हैं उन में एक हुक्म ये है कि अजनबी औरतों के साथ तन्हाई में मिलने को हराम कहा गया है।
अल्लाह के रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने बहुत सख्ती से अजनबी औरतों के साथ तन्हाई इख्तियार करने से रोका है। जब कि उन के साथ उन का शौहर या दूसरा कोई महरम न हो क्यों कि शैतान नफ्स को भटकाने के फिराक में रहता है।