Gusal Karne Ka Tarika, गुसल करने का सुन्नति तरीका, Gusal Ke Farz Kitne Hain, Gusal Ki Niyat, गुसल के फ़र्ज़, गुस्ल कब फ़र्ज़ होता हैं Gusal Karna Mustahab
गुस्ल की नियत Gusal Ki Niyat
Gusal Karne Ka Tarika Me जिस पर चन्द गुस्ल हों सब की निय्यत से एक गुस्ल कर लिया , सब अदा हो गए सब का सवाब मिलेगा ।
जुनुब ने जुमुआ या ईद के दिन Gusle जनाबत किया और जुमुआ और ईद वग़ैरा की निय्यत भी कर ली सब अदा हो गए , अगर उसी गुस्ल से जुमुआ और ईद की नमाज़ अदा कर ले ।
( माखूज़ अज़ बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 325 )
Gusal Ke Farz होने के 5 कारण
( 1 ) मनी का अपनी जगह से शह्वत के साथ जुदा हो कर उज्व से निकलना
( 2 ) एहतिलाम या'नी सोते में मनी का निकल जाना
( 3 ) शर्मगाह में हुश्फ़ा ( सुपारी ) दाख़िल हो जाना ख़्वाह शह्वत हो या न हो , इन्ज़ाल हो या न हो , दोनों पर Gusal Farz है
( 4 ) हैज़ से फ़ारिग होना
( 5 ) निफ़ास ( या'नी बच्चा जनने पर जो खून आता है उस ) से फ़ारिग होना ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 321 ता 324 )
Gusal Karne Ka Tarika गुस्ल का तरीका ( ह - नफ़ी )
- बिगैर ज़बान हिलाए दिल में इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं पाकी हासिल करने के लिये गुस्ल करता हूं ।
- पहले दोनों हाथ पहुंचों तक तीन तीन बार धोइये ,
- फिर इस्तिन्जे की जगह धोइये ख़्वाह नजासत हो या न हो , फिर जिस्म पर अगर कहीं नजासत हो तो उस को दूर कीजिये
- फिर नमाज़ (नमाज़ में जैसा वज़ू करते हैं वैसा वज़ू करे) सा वुज़ू कीजिये मगर पाउं न धोइये , हां अगर चौकी वगैरा पर Gusal कर रहे हैं तो पाउं भी धो लीजिये ,
- फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ लीजिये , खुसूस सर्दियों में ( इस दौरान साबुन भी लगा सकते हैं )
- फिर तीन बार सीधे कन्धे पर पानी बहाइये , फिर तीन बार उल्टे कन्धे पर ,
- फिर सर पर और तमाम बदन पर तीन बार ,
- फिर Gusal की जगह से अलग हो जाइये , अगर वुज़ू करने में पाउं नहीं धोए थे तो अब धो लीजिये ।
- नहाने में क़िब्ला रुख न हों , तमाम बदन पर हाथ फैर कर मल कर नहाइये ।
- ऐसी जगह नहाना चाहिये जहां किसी की नज़र न पड़े
- अगर येह मुम्किन न हो तो मर्द अपना सित्र ( नाफ़ से ले कर दोनों घुटनों समेत ) किसी मोटे कपड़े से छुपा ले , मोटा कपड़ा न हो तो हस्बे ज़रूरत दो या तीन कपड़े लपेट ले
- क्यूं कि बारीक कपड़ा होगा तो पानी से बदन पर चिपक जाएगा और घुटनों या रानों वगैरा की रंगत ज़ाहिर होगी । औरत को तो और भी ज़ियादा एहतियात की हाजत है ।
- दौराने गुस्ल किसी किस्म की गुफ़्तगू मत कीजिये , कोई दुआ भी न पढ़िये , नहाने के बा'द तोलिये वगैरा से बदन पोंछने में हुरज नहीं ।
- नहाने के बा'द फ़ौरन कपड़े पहन लीजिये । अगर मक्रूह वक्त न हो तो दो रक्अत नफ़्ल अदा करना मुस्तहब है ।
( माखूज़ अज़ बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 319 वगैरा )
कब-कब Gusal Karna Sunnat है
- जुमुआ
- ईदुल फित्र
- बकर ईद
- अ - रफ़े के दिन ( या'नी 9 जुल हिज्जतिल हराम )
- एहराम बांधते वक्त नहाना सुन्नत है ।
Gusal Ke Farz Kitne Hain
गुस्ल के तीन फ़राइज़
( 1 ) कुल्ली करना
( 2 ) नाक में पानी चढ़ाना
( 3 ) तमाम ज़ाहिर बदन पर पानी बहाना ।
1 कुल्ली करना
मुंह में थोड़ा सा पानी ले कर पच कर के डाल देने का नाम कुल्ली नहीं बल्कि मुंह के हर पुर्जे , गोशे , होंट से हल्क़ की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए ।
इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालों की तह में , दांतों की खिड़कियों और जड़ों और ज़बान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे ।
रोज़ा न हो तो गर - गरा भी कर लीजिये कि सुन्नत है । दांतों में छालिया के दाने या बोटी के रेशे वग़ैरा हों तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है ।
हां अगर छुड़ाने में ज़रर ( या'नी नुक्सान ) का अन्देशा हो तो मुआफ़ है । Goosal से क़ब्ल दांतों में रेशे वगैरा महसूस न हुए
और रह गए नमाज़ भी पढ़ ली बा ' द को मालूम होने पर छुड़ा कर पानी बहाना फ़र्ज़ है , पहले जो नमाज़ पढ़ी थी वोह हो गई ।
जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाले के नीचे पानी न पहुंचता हो तो मुआफ़ है ।
जिस तरह की एक कुल्ली गुस्ल के लिये फ़र्ज़ है इसी तरह की तीन कुल्लियां वुज़ू के लिये सुन्नत ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 316 , फ़्तावा र - ज़विय्या मुख़र्रजा , जि . 1 , स . 439 , 440 )
( 2 ) नाक में पानी चढ़ाना
जल्दी जल्दी नाक की नोक पर पानी लगा लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि जहां तक नर्म जगह है या'नी सख़्त हड्डी के शुरूअ तक धुलना लाज़िमी है ।
और येह यूं हो सकेगा कि पानी को सूंघ कर ऊपर खींचिये । येह ख़्याल रखिये कि बाल बराबर भी जगह धुलने से न रह जाए वरना Gusal न होगा ।
नाक के अन्दर अगर रींठ सूख गई है तो उस का छुड़ाना फ़र्ज़ है , नीज़ नाक के बालों का धोना भी फ़र्ज़ है ।
( 3 ) तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना
सर के बालों से ले कर पाउं के तल्वों तक जिस्म के हर पुर्ज़े और हर हर रोंगटे पर पानी बह जाना ज़रूरी है , जिस्म की बा'ज़ जगहें ऐसी हैं
कि अगर एहतियात् न की तो वोह सूखी रह जाएंगी और गुस्ल न होगा ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 317 )
कब कब Gusal Karna Mustahab है
( 1 ) वुकूफ़े अ - रफ़ात
( 2 ) वुकूफ़े मुदलिफ़ा
( 3 ) हाज़िरिये हरम
( 4 ) हाज़िरिये सरकारे आज़म
( 5 ) तवाफ़
( 6 ) दुख़ूले मिना
( 7 ) जम्रों पर कंकरियां मारने के लिये तीनों दिन
( 8 ) शबे बराअत
( 9 ) शबे केंद्र
( 10 ) अ - रफ़े की रात
( 11 ) मजलिसे मीलाद शरीफ़
( 12 ) दीगर मजालिसे ख़ैर के लिये
( 13 ) मुर्दा नहलाने के बा'द
( 14 ) मजनून ( या'नी पागल ) को जुनून ( पागल पन ) जाने के बा'द
( 15 ) गशी से इफ़ाके के बाद
( 16 ) नशा जाते रहने के बा’द
( 17 ) गुनाह से तौबा करने
( 18 ) नए कपड़े पहनने के लिये
( 19 सफ़र से आने वाले के लिये
( 20 ) इस्तिहाज़ा का खून बन्द होने के बा'द
( 21 ) नमाज़े कुसूफ़ व खुसूफ़
( 22 ) नमाज़े इस्तिस्का के लिये
( 23 ) ख़ौफ़ व तारीकी और सख़्त आंधी के लिये
( 24 ) बदन पर नजासत लगी और येह मा'लूम न हुवा कि किस जगह लगी है ।
( बहारे शरीअत , जि . 1 , स . 324 ता 325 , न 23 )