17 जरुरी बाते दुआ मांगते का तरीका Dua Mangne Ka Tarika Hindi Mai नमाज के बाद की दुआ हिंदी में पढ़ने का तरीका अल्लाह से माफ़ी मांगने इन पीडीएफ हर ची
Dua Mangne Ka Tarika Hindi Mai दुआ मांगने के 17 अहम बाते
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Dua Mangne Ka Tarika Hindi Mai - दुआ इस्लाम मज़हब में वाज़िब हैं और दुआ मोमिन का हतियार हैं दुआ मांगते वक़्त बंदा अपने रब से बहुत करीब हो जाता हैं
दुआ ( स्तुति ) अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से बात करने का एक जरिया नेटवर्क हैं रब अपने हर बन्दे की दुआ (प्रार्थना) सुनता है
कभी कभी हम जाने अनजाने में ऐसी दुआ मांगते हैं जो इस्लाम मज़हब में शरीयत के खिलाफ हैं और ये सब निचे 17 बाते दिए हुवे हैं
नमाज के बाद या अल्लाह से माफी मांगने का तरीका और हर चीज की दुआ मांगते Dua Mangne समय दुआ का तरीका Ka Tarika किन किन बातो का ध्यान रखे,
और कौन कौन सी दुआ मांगनी चाहिए किन किन बातो से बचना चाइये दुआ मांगते वक़्त हिंदी में Hindi Me।
17 जरुरी बाते दुआ मांगते का तरीका Dua Mangne Ka Tarika Hindi Mai
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( 1 ). हर रोज कम अज कम बीस बार दुआ करना वाजिब Dua Wajib है। नमाजियों का येह वाजिब, नमाज में सू-रतुल फातिहा से अदा हो जाता है कि
(तर-जमए कन्जुल ईमान : हम को सीधा रास्ता चला) भी दुआ और
(तर-जमए. 'कन्जुल ईमान : सब खूबियां अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालों का) कहना भी दुआ है ।
( 2 ). दुआ में हृद से न बढ़े । म-सलन अम्बियाए किराम , का मर्तबा मांगना या आसमान पर चढ़ने की तमन्ना करना ।
नीज दोनों जहां की सारी भलाइयां और सब की सब खूबियां मांगना भी मन्अ है कि इन खूबियों में मरातिबे अम्बिया भी हैं जो नहीं मिल सकते ।
( 3 ). जो मुहाल (या'नी ना मुम्किन) या करीब ब मुहाल हो उस की दुआ न मांगे Dua Na mange ।
लिहाजा हमेशा के लिये तन्दुरुस्ती आफ्य्यीत मांगना कि आदमी उम्र भर कभी किसी तरह की तकलीफ में न पड़े येह मुहाले आदी की दुआ मांगना है ।
यूंही लम्बे कद के आदमी का छोटा कूद होने या छोटी आंख वाले का बड़ी आंख की दुआ करना मम्नूअ है कि येह ऐसे अग्र की दुआ है जिस पर कलम जारी हो चुका है ।
( 4 ). गुनाह की दुआ न करे कि मुझे पराया माल मिल जाए कि गुनाह की तलब करना भी गुनाह है ।
( 5 ). कतए रहम (म-सलन फुलां रिश्तेदारों में लड़ाई हो जाएं) को दुआ (प्रार्थना) न करे ।
( 6 ). अल्लाह से सिर्फ हकीर चीज न मांगे कि परवर्द गार गनी है बल्कि अपनी तमाम तवज्जोह उसी की तरफ़ रखे और हर चीज का उसी से सुवाल करे ।
( 7 ). रन्जो मुसीबत से घबरा कर अपने मरने की दुआ ( स्तुति ) न करे । खयाल रहे कि दुन्यवी नुक्सान से बचने के लिये मौत की तमन्ना ना जाइज है,
और दीनी मुजुर्रत (या'नी दीनी नुक्सान) के खौफ़ से जाइज
( 8 ). बिला जुरूरते शर-ई किसी के मरने और खराबी (बरबादी) की दुआ न करे, अलबत्ता अगर किसी काफिर के ईमान न लाने पर यकीन या जनने गालिब हो,
और (उस के) जीने से दीन का नुक्सान हो या किसी जालिम से तौबा और जुल्म छोड़ने की उम्मीद न हो और उस का मरना,
तबाह होना मख़्लूक के हक में मुफीद हो तो ऐसे शख्स पर बद दुआ करना दुरुस्त Dua karna Durust है ।
( 9 ). किसी मुसलमान को येह बद दुआ न दे कि “तू काफिर हो जाए" कि बा'ज उ-लमा के नजदीक (ऐसी दुआ मांगना) Dua Mangna कुफ़ है,
और तहकीक येह है कि अगर कुफ्र को अच्छा या इस्लाम को बुरा जान कर कहे तो बेशक कुफ्र है वरना बड़ा गुनाह है,
कि मुसलमान की बद ख़्वाही (या'नी बुरा चाहना) हराम है, खुसूसन येह बद ख़्वाही (कि फुलां का ईमान बरबाद हो जाएं) तो सब बद ख़्वाहियो से बदतर है ।
( 10 ). किसी मुसलमान पर ला'नत न करे और उसे मरदूद व मल्ऊन न कहे और जिस काफिर का कुफ्र पर मरना यकीनी नहीं उस पर भी नाम ले कर ला'नत न करे ।
( 11 ). किसी मुसलमान को येह बद दुआ न दे Dua Na De कि “तुझ पर खुदा का गजब नाजिल हो और तू (भाड़ और) आग या दोजूख में दाखिल हो ।” कि हदीस शरीफ में इस की मुमा-न-अत वारिद है ।
( 12 ). जो काफिर मरा उस के लिये दुआए मगफिरत Dua Magfirat हराम व कुफ्र है ।
( 13 ). येह दुआ (प्रार्थना) करना, “खुदाया ! सब मुसलमानों के सब गुनाह बख़्श दे ।” जाइज़ नहीं कि इस में उन अहादीसे मुबा-रका की तक्जीब (या'नी झुटलाना) होती है
जिन में बा'ज मुसलमान का दोजुख में जाना वारिद हुवा । अलबत्ता यूं दुआ करना Dua Karna “सारी उम्मते मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैवसल्लम की मर्फरत (या'नी बख़शिश ) हो या सारे मुसलमानों की मगफिरत हो” जाइज है।
( 14 ). अपने लिये और अपने दोस्त अहबाब, अहलो माल और औलाद के लिये बद दुआ न करे, क्या मा'लूम कि कबूलिय्यत का वक्त हो और बद दुआ का असर Dua Ka Asar जाहिर होने पर नदामत हो ।
( 15 ). जो चीज हासिल हो (या'नी अपने पास मौजूद हो) उस की दुआ न करे Dua Na Kare म-सलन मर्द यूं न कहे, “या अल्लाह मुझे मर्द कर दे” कि इस्तिहजा (मजाक बनाना) है ।
अलबत्ता ऐसी दुआ ( स्तुति ) जिस में शरीअत के हुक्म की ता'मील या आजिजी व बन्दगी का इजहार या परवर्द गार और मदीने के ताजदार सल्लल्लाहो अलैवसल्लम से महब्बत या दीन या अहले दीन की तरफ रंगबत या कुफ्रो काफ़िरीन से नफरत वगैरा के फवाइद निकलते हों वोह जाइज है
अगर से इस अम्र का हुसूल यकीनी हो । जैसे दुरूद शरीफ पढ़ना, वसीले की, सिराते मुस्तकीम की अल्लाह व रसूल सल्लल्लाहो अलैवसल्लम के दुश्मनों पर गुजूब व ला'नत की दुआ करना ।
( 16 ). दुआ में तंगी Dua Me Tangi न करे म-सलन यूं न मांगे या अल्लाह तन्हा मुझ पर रहम फरमा या सिर्फ मुझे और मेरे फुलां फुलां दोस्त को ने'मत 'बख़्श ।
बेहतर येह है कि सब मुसलमानों को दुआ में शामिल Dua Me Shamil कर ले इस का एक फाएदा येह भी होगा कि अगर खुद उस नेक बात का हकदार न भी हुवा तो अच्छे मुसलमानों के तुफैल पा लेगा ।
( 17 ). हुज्जतुल इस्लाम हजरते स्यिदुना इमाम मुहम्मद गजाली फरमाते हैं : मजबूत अकीदे के साथ दुआ मांगे Dua mange और कूबूलिय्यत का यकीन रखे ।
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