7 दुरूद शरीफ की फजीलत Darood Sharif Ki Fazilat In Hindi, Durood Paak दरूद शरीफ पाक पढ़ने की बरकत और फायदे हिंदी में durood ibrahim padhne ki fazilat b
Darood Sharif Ki Fazilat In Hindi दुरूद शरीफ की फजीलत
दुरूद शरीफ की फजीलत बेशुमार और बरकते Darood Sharif Ki Fazilat In Hindi Or Barkat
- अल्लाह तआला के हुक्म की ता' मील होती है
- एक मर्तबा दुरूद शरीफ Darood Sharif पढ़ने वाले पर दस रहमतें नाजिल होती हैं ।
- उस के दस द-रजात बुलन्द होते हैं ।
- उस के लिये दस नेकियां लिखी जाती हैं
- उस के दस गुनाह मिटाए जाते हैं ।
- दुआ से पहले दुरूद शरीफ पढ़ना दुआ की कुबूलिय्यत का 'बाइस है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ना नबिय्ये रहमत सल्लल्लाहो अलैवसल्लम की 'शफाअत का सबब है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ना गुनाहों की बक्शीश का बाइस है ।
- दुरूद शरीफ के ज्रीए अल्लाह तआला बन्दे के गमो को दूर करता है।
- दुरूद शरीफ पढ़ने के बाइस बन्दा कियामत के दिन रसूले अकरम नूरे मुजस्सम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम का कुर्ब हासिल करेगा ।
- दुरूद शरीफ तंगदस्त के लिये स-दका के काइम मकाम है ।
- दुरूद शरीफ कजाए हाजात का जरीआ है।
- दुरूद शरीफ अल्लाह तआला की रहमत और फिरिश्तों की दुआ का बाइस है ।
- दुरूद शरीफ अपने पढ़ने वाले के लिये पाकीजगी और तहारत का बाइस है ।
- दुरूद शरीफ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की खुश खूबरी मिल जाती है।
- दुरूद शरीफ पढ़ना कियामत के ख़तरात से नजात का सबब है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती है ।
- दुरूद शरीफ मजलिस की पाकीजगी का बाइस है और कियामत के दिन येह मजलिस बाइसे हसरत नहीं होगी ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने से फकर (तंगदस्ती) दूर होता है ।
- येह अमल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर डाल देता है।
- दुरूद शरीफ पुल सीरत पर बन्दे की रोशनी में इजाफ़े का बाइस है।
- दुरूद शरीफ के जरीए बन्दा जुल्म व जफ़ा से निकल जाता है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने की वजह से बन्दा आसमान और जमीन में काबिले तारीफ हो जाता है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उस की जात, अमल, उम्र और बेहतरी के अस्बाब में ब-र-कत हासिल होती है ।
- दुरूद शरीफ रहमते खुदा बन्दी के हुसूल का जरिआ है
- दुरूद शरीफ महबूबे रब्बुल इज्जत से दाइमी महब्बत और इस में जियादत का सबब है और येह (महब्बत) ईमानी उकूद में से है । जिस के बिगैर ईमान मुकम्मल नहीं होता ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहो अलैवसल्लम महब्बत फरमाते हैं ।
- दुरूद शरीफ पढ़ना, बन्दे की हिदायत और उस की जिन्दा दिली का सबब है क्यूं कि जब वोह आप ,सल्लल्लाहो अलैवसल्लम पर कसरत से दुरूद शरीफ Durood Sharif पढ़ता है और आप का जिक्र करता है तो आप सलल्लाहो अलैवसल्लम की महब्बत उस के दिल पर ग़ालिब आ जाती है ।
- दुरूद शरीफ पढ़ने वाले का येह ए'जाज भी है कि सुल्ताने अनाम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम की बारगाहे बेकस पनाह में उस का नाम पेश किया जाता है और उस का जिक्र होता है ।
- दुरूद शरीफ पुल सीरत पर साबित कदमी और सलामती के साथ गुजरने का बाइस है ।
7 दुरूद शरीफ की फजीलत Darood Sharif Ki Fazilat In Hindi
( 1 ). हजरते सय्यिदुना अबू हौरैरा से रिवायत है कि नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बहुरो बर का फरमाने रूह परवर है कि जिस ने मुझ पर एक मर्तबा दुरूदे पाक पढ़ा अल्लाह उस पर दस रहमतें नाजिल फरमाएगा ।
( 2 ). हजरते सय्यिदुना अनस बिन मालिक Anas Bin Malik से मरवी है कि ताजदारे रिसालत, शहन्शाहे नुबुव्वत, मख़जने जूदो सखावत, 'पैकरे अ-जूमतों शराफृत, महबूबे रब्बुल इज्जत, मोहसिने इन्सानियत का इशदि रहमत बुन्याद है : जिस ने मुझ पर एक मर्तबा दुरूदे पाक पढ़ा अल्लाह उस पर दस रहमतें नाजिल 'फरमाएगा उस के दस गुनाह मिटा देगा
( 3 ). हजरते सथ्यिदुना अबू बरदा बिन नियार Abu Badra Bin Niyar से मरवी है कि नबिय्ये मुकर्रम, नूरे मुजस्सम, रसूले अकरम, शहन्शाहे बनी आदम का फरमाने ब-र-कत निशान है मेरी उम्मत में से जिस ने सिदके दिल से एक मर्तबा दुरूदे पाक पढ़ा, अल्लाह उस पर दस रहमतें नाजिल फरमाएगा और उस के लिये दस नेकियां लिखेगा और उस के दस द-रजात बुलन्द फरमाएगा और उस के दस गुनाह मिटा देगा।
( 4 ). हजरते सैय्यद्दुन अबू उमामा Abu Umama से मरवी है कि शहन्शाहे खुश खिसाल, पैकरे हुस्नो जमाल, दाफेए रन्जो मलाल, साहिबे जूदो नवाल, रसूले बे मिसाल, महबूबे रब्बे जुल जलाल बीबी आमिना के लाल का फरमाने बा कमाल है :
हर जुमुआ के दिन मुझ पर दुरूदे पाक की कसरत किया करो बेशक मेरी उम्मत का दुरूद हर जुमुआ के दिन मुझ पर पेश किया जाता है, (कियामत के दिन) लोगों में से मेरे जियादा करीब वोही शख्स होगा जिस ने (दुन्या में) मुझ पर जियादा दुरूद पढ़ा होगा ।
( 5 ). हज़रते सय्यदुना इब्ने मसऊद से मरवी है कि सरकारे वाला तबार, हम बे कसों के मददगार, शफीए रोजे शुमार, दो आलम के मालिकों मुख्तार, हबीबे परवर्द गार का फरमाने तकईुब निशान है :
बेशक कियामत के दिन मेरे सब से जियादा करीब वोह शख्स होगा जिस ने दुन्या में मुझ पर जियादा दुरूद पढ़ा होगा ।
( 6 ). शहंशाहे मदीना, करारे कुल्बो सीना, साहिबे मुअत्तर पसीना, बाइसे नुजूले सकीना, फैज गन्जीना का फरमाने आफिय्यत निशान है :
ऐ लोगों ! बेशक तुम में से बरोजे कियामत उस की दहशतों और हिसाब किताब से जल्द नजात पाने वाला वोह शख्स होगा जिस ने दुन्या में मुझ पर कसरत से दुरूद पढ़ा होगा ।
( 7 ). हुज़ूरे पाक, साहिबे लौलाक, सय्याहे अफ्लाक का फरमाने रहमत निशान है: “मुझ पर कसरत से दुरूदे पाक पढ़ो बेशक तुम्हारा मुझ पर दुरूदे दुरूद शरीफ पाक पढ़ना तुम्हारे गुनाहों के लिये मश्फ़िरत है ।”
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