Taraweeh Ki Dua In Hindi - रमज़ान में नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली तरावीह की दुआ
Taraweeh Ki Dua - रमज़ान के पाक महीने में तरावीह की नमाज़ का खास मक़ाम है मुसलमानों के दिलो में। ये वक़्त रूहानी तफ़क्कुर, रब्त और इबादत का होता है।
तरावीह का एक ख़ूबसूरत अमल दुआ का पढ़ना है, जिसमें अल्लाह की बरकत, माफ़ी की दरख़्वास्त और शुक्राना है।
इस लेख में, हम सुन्नी इमाम जफर सादिक के मशविरे के मुताबिक Taraweeh नमाज में Dua का तरीक़ा तज्जिया करेंगे, एक सीधा सादा रास्ता पार।
Taraweeh Ki Dua - तरावीह की दुआ
हिंदी में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in Hindi)
- सुबहान ज़िल मुल्कि वल मलकूत। 🌟
- सुब्हान ज़िल इज्ज़ति वल अज़मति वल हय्बति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत। 🌟
- सुबहानल मलिकिल हैय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमुतू सुब्बुहून कुददुसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह। 🌟
- अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नारि, या मुजीरू, या मुजीरू, या मुजीर। 🌟
अंग्रेजी में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in English)
- Subhana zil mulki wal malakut, 🌟
- Subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriya ay wal jabaroot, 🌟
- Subhanal malikil hayyil lazi la yanaamo wala yamato subbuhun quddusun rabbuna wa rabbul malaikati war ruh, 🌟
- Allahumma ajirna minan naar, ya mujiro, ya mujiro, ya mujeer. 🌟
Taraweeh Ki Dua की ज़रूरी इस्लाही मलूमत In Hindi
दुआ की अहमियत को समझना
Dua का Taraweeh नमाज़ में दरजा बुलंद है, ये अल्लाह से हिदायत है, रहमत और बरकत मांगने का एक तरीका है। ये बंदे और खालिक के दरमियान एक दिलचस्प ता'अल्लुक की लम्हा है।
तरावीह नमाज़ की तयारी
तरावीह की तय्यारी वुज़ू (एबुलेशन) कर के शुरू होती है, शरीर की सफ़ाई और ज़ेहनी तवज्जुह का ध्यान रख कर। नमाज के लिए शांति और खुशुओ से मुतवज्जह हो कर आइए।
तरावीह नमाज़ शुरू करना
तरावीह की नमाज आम तौर पर ईशा के बाद जमात में 20 रकअत होती है। जमात में खड़े होते हैं, तकबीर (अल्लाहु अकबर कहना) से नमाज शुरू होती है, फिर सूरह अल-फातिहा और हर रकात में कुरान का एक हिसा पढ़ा जाता है।
दुआ के लिए वक़्त तलाश करना
Taraweeh की नमाज में दुआ अक्सर हर 4 रकअत के बाद पढ़ी जाती है। चार रकात पूरे करने के बाद, एक लम्हा रुक कर, तसव्वुर करें और अगले सेट की तरफ आगे बढ़ने से पहले दुआ में मसरूफ हो जाएं।
दुआ की तिलावत
सुन्नी इमाम जफर सादिक के मश्विरे के मुताबिक, Taraweeh Ki Dua की तिलावत की जा सकती है। एक मशहूर दुआ है:
"या अल्लाह, मुझे माफ फरमा, मुझ पर रहमत नाजिल फरमा और मुझे हिदायत अता फरमा। अपनी फजल से मुझे नवाज और मुझे हर क़िस्म के शरर से महफूज फरमा। मुझे जिंदगी के मुश्किलात में सब्र और इस्तिकामत अता फरमा। अपनी बरकत अपने घर वालों , दोस्त और तमाम मोमिनीन पर नाज़िल फ़रमा। दुनिया और आख़िरत में कामयाब अता फ़रमा। आमीन।"
नियति और इखलास
दुआ पढ़ते वक्त अपनी नियत पर तवज्जुह दीजिए। अल्लाह से खुलूस, तावडू और साफ दिल के साथ करीबी दूरी बनाईये। अपने अल्फ़ाज़ और अपनी दुआओं के क़ुबूल होने पर भरोसा रखें।
दुआ की तकरार और तफ़क्कुर
Taraweeh Ki Dua को कई मरतबा दोहराया जा सकता है, इसे गहरा तफक्कुर और अल्लाह से रबते का मौका मिलता है। इस मौक़े पर शुक्राना इज़हार करें, ख़तों के लिए माफ़ी मांगें और अपने और दूसरों के लिए दुआ करें।
तरावीह नमाज का खात्मा
तमाम 20 रकअत पूरे करने के बाद, तस्लीम (अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह) दे कर नमाज़ को मुकम्मल कीजिए। क्या इबादत से हासिल होने वाली रूहानी फ़ैदा और दुआ का जज़्बा अपने ज़ेहन में रखें।
नमाज़ के बाद तफ़क्कुर और शुक्राना
तरावीह नमाज के बाद, थोरी देर तक तफक्कुर और शुकराना का वक्त निकलें। अल्लाह का शुक्र अदा करें, अपनी कमियों के लिए माफ़ी मांगे और तमाम इंसान की भलाई के लिए दुआ करें।
रूहानी सफ़र का जारी रहना
याद रखें के दुआ का अमल सिर्फ Taraweeh नमाज तक सीमित नहीं है। अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी नियमित दुआ शामिल करें, ज़िंदगी के हर पहलू में हिदायत, ताक़त और बरकत की अंधेरगर्दी करें। साल भर रमज़ान का रूहानी महीना अपनी जिंदगी में बरक़रार रखें, ख़लीक़ के साथ अपना तअल्लुक मज़बूती से बरक़रार रखें और इंसानियत को मेहरबानी और सखावत से खिदमत करें।
निष्कर्ष: Taraweeh Ki Dua In Hindi
Taraweeh Ki Dua पढ़ना एक रूहानी अमल है जो रमज़ान का महीना और भी मुबारक बनता है। सुन्नी इमाम जफर सादिक के मशविरे के मुताबिक, अल्लाह से हिदायत, रहमत और बरकत मांगने का ये एक खूबसूरत तरीका है। इखलास, तफक्कुर और शुकराना के ज़रिये, हमारी दुआओं का कुबूल होने और रमज़ान रूहानी बरकत, ताजदीद और इलाही फ़ज़ल का वक़्त बन जाये। आमीन.