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Magrib Ki Farz, Sunnat, aur Nafil Namaz Ki Niyat Ka Tarika Hindi

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Magrib ki namaz, जो शाम की नमाज़ है, दिन के मगरिब (sunset) के बाद farz होती है। क्या नमाज़ में 3 farz rak'aa होती हैं, जो एक सुन्नत और नफ़िल से पहले अदा की जाती हैं। 

Sunnat-ए-मुअक्कदा के रूप में 2 रकअत हैं जो मगरिब के फर्ज नमाज के बाद पढ़नी चाहिए, और 2 nafil रकअत भी हैं जो फर्ज, सुन्नत के बाद अदा की जा सकती हैं। 

niyat, यानी नमाज के लिए इरादा, नमाज को सही तरीके से अदा करने का मकसद होता है और इसका मतलब है कि इंसान अल्लाह की इबादत और फर्ज नमाजों को अदब से और ईमान के साथ अदा करना चाहता है। 

नियत के बिना, नमाज का अहम मकसद और मकसूद नहीं समझा जा सकता, इसलिए नियत जरूरी है। Magrib ki namaz ka waqt सूरज ढल जाने से लेकर के वक्त से शुरू होता है और ईशा के पहले तक जारी रहता है।


Magrib Ki Farz, Sunnat, aur Nafil Namaz Ki Niyat Ka Tarika Hindi

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Magrib Ki 3 Rakat Farz Namaz Ki Niyat Ka Tarika

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Magrib Ki 2 Rakat Sunnat Namaj Ki Neeyat Ka Tariqa

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Magrib Ki 2 Rakat Nafil Namaz Ki Niyaat Ka Tareeka

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मगरिब की फर्ज, सुन्नत, और नफिल नमाज की नियत का तारिका

Magrib ki namaz और नमाजों के तमाम अहम पहलुओं को समझना और उनका सही तरीके से अदा करना, एक मुसलमान के ईमान और इबादत का हिसा है। 
क्या नमाज की नियत है, जैसे के roza rakhne ki niyat, sehri ki niyat, roza kholne ki niyat, aur taraweeh aur tahajjud ki niyat है, सभी अहम हैं, क्योंकि इनसे नमाज और इबादत की अहमियत और ईमान का इज़हार होता है। 
Farz, sunnat, nafil नमाजों की niyat ka sahi tareeqa, हर एक नमाज की मकबूलियत और अल्लाह की कबूलियत के लिए जरूरी है। Jumma की नमाज की नियत और eid की नमाज की नियत भी इसी सिलसिले में आती है। नमाज़ और रोज़ा की नियत, सभी इबादत की समझ और हमारे दिल का इरादा, एक अच्छी और साफ नियत के साथ अदा करना, मुसलमानों की इबादत और अदब का मूल है। 
नियत का मतलब होता है एक ईमानदार और साफ़ इरादा, जो अरबी और बंगाली ज़ुबानों में भी उतनी ही अहमियत रखती है। ये सब एक इस्लामी और दीनी जिंदगी के अहम पहलू हैं जो हमारी इबादत को खुदा के नजरिए लेकर आते हैं।

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