इस आर्टिकल में Namaz Ka sunni padhne ka Tarika In Hindi में है और फजर, जोहर, असर, मगरिब ईशा और जुमे की 2,3,4 रकअत नमाज पढ़ने का तरीका
Namaz Ka Tarika In Hindi - अगर आप Namaz Ka सही और सुन्नति Tarika सीखना चाहते है तो, आप बिलकुल सही जगह पर आए है।
इस आर्टिकल में हमने नमाज़ का तरीका के अलावा अल्लाह के बारगाह में नमाज़ क़ुबूलियत के साथ-साथ नमाज़ को तोड़ने वाली और गलत फ़हमिया को जान पाएंगे।
हम वादा करते है की इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ने के बाद आप नमाज़ से जुडी साड़ी बाते जान पाएंगे जो आप को इंटरनेट पर कही नहीं मिलेंगी।
Namaz Ka Tarika सीखना क्यू जरुरी है In Hindi?
हर मोमिन को ,मर्द हो या फिर औरत को नमाज़ का सही तरीका सीखना फ़र्ज़ है क्योंकि यह इस्लाम में पांच फर्ज़ो में से एक है। नमाज़ का सही तरीका सीखना और भी कारणों से भी जरुरी है।
हुज़ूर सलाहु अलैही वसल्लम का फरमान है की , नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है।
जो नमाज़ नहीं पढ़ता वह अल्लाह की नज़र में सबसे नीचे है। कुरान दुनिया में हर मुस्लिम पुरुष और महिला के लिए नमाज़ करने का हुकुम देता है। परिणाम स्वरूप सभी को पांच बार नमाज़ पढ़नी चाहिए।
हालांकि, बहुत से लोग नमाज का सही तरीका से अनजान हैं। इस पोस्ट में, हम आपको नमाज का तरीका हिंदी में बताएंगे ।
नमाज़ क्या है? Namaz Ki Meaning In Hindi.
नमाज़ शब्द "सलात", जो एक अरबी शब्द है जो अक्सर कुरान शरीफ में इस्तेमाल किया जाता है, उर्दू भाषा में "नमाज" का पर्याय (synonymous) है।
हर मोमिन जिसने कलमा पढ़ा है और 7 वर्ष से ज्यादा उम्र का है, उसे नमाज़ करना जरुरी है।
कोई भी मुसलमान जो दुनिया के काम काज के वजह से नमाज़ को छोड़ देता है, वह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के नज़रिये से गुनहगार है।
Namaz Ka मुकम्मल और सुन्नति Tarika In Hindi.
- अपना बदन पाक करने के लिए गुसल करे।
- वज़ू करे। (वज़ू का तरीका सिखने के लिए हमारी ये पोस्ट पड़े।)
- मुसल्ला बिछा कर क़िब्ला रुख खड़े हो जाइये।
- पहले नियत करे। (जो नमाज़ पढ़ रहे है उस का नाम ले। 5 टाइम की नमाज़ की नियत के लिए यहाँ क्लिक करे।)
- अल्लाह हु अकबर कहते हुए कानो की लौ तक हाथ लेके जाइये और नाफ के निचे या नाफ के ऊपर बांध लीजिये।
- सबसे अफ्ले सना पढ़े।
- फिर त’अव्वुज पढ़े।
- फिर सूरे फातिहा पढ़े।
- फिर कोई भी एक सूरा पढ़े जो आप को याद हो।
- फिर रुकू करे। (रुकू में जाने के बाद तीन बार यह पढ़े।)
- फिर रुकू से सीधे खड़े होते वक़्त एक बार यह कहे।
- फिर सजदा करे। (सजदे में जाने के बाद तीन बार यह पढ़े। सजदा 2 बार करना है। )
- आप की एक रकत मुकम्मल हुई। पहली रकअत मुकम्मल होने के बाद दूसरी रकत के पढ़ने के लिए खड़े हो जाइये।
- और पहली रकअत की तरह, इसी तरह दूसरी रकत पढ़नी है। दूसरी रकत मुकम्मल होने के बाद आप को कायदे में दो जानू बैठे रहना है और निचे जो बताया गया है वो पढ़ना है।
- फिर अतियातो लिल्लाहि पढ़ना है।
- फिर दरूद इब्राहिम पढ़ना है।
- फिर दुआए क़ुनूत पढ़ना है।
- फिर सलाम फेरना है। (सलाम सीधे और उलटे साइड फेरते वक़्त निचे जो दिया है वो पढ़ना है। )
- आप की दो रकअत नमाज़ पूरी हुई।
तीन रकत Namaz Ka Tarika In Hindi.
चार रकत Namaz Ka Tarika In Hindi.
नमाज़ के मुख़्तलिफ़ 25 फ़ज़ाइल मक्की मदनी आका है।
- अल्लाह पाक की खुशनूदी का सबब है
- नमाज् प्यारे आका की आंखों की ठन्डक है
- अम्बियाए किराम की सुन्नत नमाज़ है नमाज़ अंधेरी क़ब्र का चराग है
- नमाज़ अज़ाबे कब्र से बचाती है है " .
- नमाज़ क़ियामत की धूप में साया है ।
- नमाज़ पुल सिरात के लिये | आसानी है
- नमाज़ नूर है
- नमाज़ जन्नत की कुन्जी है
- नमाज़ जहन्नम के अज़ाब से बचाती है
- नमाज़ से रहमत नाजिल होती है
- अल्लाह पाक बरोज़े कियामत नमाज़ी से राजी होगा
- नमाज़ दुआओं की क़बूलिय्यत से बदन नमाज़ दीन का सुतून है
- नमाज़ से गुनाह मुआफ़ होते हैं
- नमाज़ बीमारियों से बचाती है .
- नमाज़ से राहत मिलती है
- नमाज़ से रोज़ी में बरकत होती है
- नमाज़ बे हयाई और बुरे कामों से बचाती है
- नमाज़ शैतान को ना पसन्द है
- नमाज़ क़ब्र के अंधेरे में तन्हाई की साथी है
- नमाज़ नेकियों के पलड़े को वज़्नी बना देती है
- नमाज़ मोमिन की मेराज है
- नमाज़ का वक्त पर अदा करना तमाम आमाल से अफ़ज़ल है ।
- नमाज़ी के लिये सब से बड़ी ने ' मत यह है कि उसे बरोज़े क़ियामत अल्लाह पाक का दीदार होगा ।
नमाज से हासिल 21 बीमारियों से शिफा।
( 1 ) नमाज़ दिल और आंतों वगैरा के मरज में शिफ़ा देती है
( 2 ) नमाज़ दर्दो ग़म का एहसास भुला देती या कम कर देती है
( 3 ) नमाज़ में बेहतरीन वर्जिश है कि इस के क़ियाम में , रुकूअ और सज्दे वगैरा करने से बदन के अक्सर जोड़ ( Joints ) हरकत करते हैं
( 4 ) नज़्ला जुकाम के मरीज़ के लिये तृवील ( या'नी लम्बा ) सज्दा निहायत मुफ़ीद है
( 5 ) सज्दे से बन्द नाक खुलती
( 6 ) आंतों में जम्अ होने वाले गैर जरूरी मवाद को हरकत दे कर निकालने में सज्दा काफ़ी | मददगार साबित होता है
( 7 ) नमाज़ से ज़ेह्न साफ़ होता और गुस्से की आग बुझ जाती है ।
( 8 ) नमाज़ रिज्क लाती
( 9 ) सिह्हूत की हिफाजत करती
( 10 ) अजिय्यत ( या'नी तक्लीफ़ ) दूर करती
( 11 ) बीमारी भगाती ( 12 ) दिल की कुव्वत बढ़ाती
( 13 ) फ़रहत ( या'नी खुशी ) का | सामान बनती
( 14 ) सुस्ती दूर करती
( 15 ) श सद्र करती या'नी सीना खोलती
( 16 ) रूह को गिज़ा फ़राहम करती
( 17 ) दिल मुनव्वर ( या'नी रोशन ) करती
( 18 ) चेहरा चमकाती
( 19 ) बरकत लाती
( 20 ) खुदाए रहमान से करीब पहुंचाती और
( 21 ) शैतान को दूर भगाती है ।
पांच नमाज़ों में से पहली कोनसी नमाज़ फ़ज़ीलत वाली है?
पांचों नमाज़ों में सब से अफ़ज़ल नमाज़े अस्र है फिर नमाज़े फ़ज़्र फिर इशा फिर मग्रिब फिर ज़ोहर ।
और पांचों नमाज़ की जमाअतों में अफ़ज़ल जमाअत नमाज़े जुमुआ की जमाअत है फिर | फज्र की फिर इशा की ।
जुमुआ की जमाअत इस लिये अफ़ज़ल है कि इस में कुछ ऐसी खुसूसिय्यात हैं जो इसे दीगर नमाज़ों से मुमताज़ करती हैं
जब कि फ़ज्र व इशा की जमाअत इस लिये फ़ज़ीलत वाली हैं कि इन में मशक्कत ( या ' नी मेहनत ) ज़ियादा है ।
नमाज़ पढ़ कर वहीं बैठे रहने की फ़ज़ीलत :
नमाज़ पढ़ कर | इधर उधर जाने के बजाए जहां तक हो सके वहीं बैठे रहिये । अल्लाह करीम के मासूम फ़िरिश्ते आप के लिये मग़्फ़रत की दुआ करते रहेंगे ।
चुनान्चे सरकारे मदीना صلى الله عليه وسلم का फरमाने आलीशान है : जो बन्दा नमाज़ पढ़ कर जब तक उस जगह बैठा रहता है फ़िरिश्ते उस के लिये दुआए |
मरिफ़रत करते हैं , यहां तक कि बे वुज़ू हो जाए या उठ खड़ा हो ।
फ़िरिश्तों की दुआए मरिफरत उस ( बैठे रहने वाले ) के लिये येह है : ( यानी ऐ अल्लाह पाक तू इस को बख़्श दे , ऐ अल्लाह पाक तू इस पर रहूम फरमा । )
कौन सी नमाज़ मुंह पर मार दी जाती है ?
हज़रते सय्यदुना उमर फ़ारूक़े आ ज़म - बयान करते हैं कि दो जहां के सरदार , मक्के मदीने के ताजदार صلى الله عليه وسلم इर्शाद फ़रमाया :
हर नमाज़ी के दाएं बाएं ( राइट लेफ्ट- Right and left ) एक एक फ़िरिश्ता होता है , अगर नमाज़ी पूरे तौर पर नमाज़ अदा करता है तो वोह दोनों फ़िरिश्ते उस की नमाज़ ऊपर ले जाते हैं |
और अगर ठीक तरीक़े से अदा नहीं करता तो वोह उस की नमाज़ उस के मुंह पर मार देते हैं ।
मोमिन नमाज़ में चोरी कैसे करता है?
हज़रते सय्यदुना अबू कुतादा से रिवायत है कि सरकारे मदीना का फ़रमाने आलीशान है : " लोगों में बद तरीन चोर वोह है जो अपनी नमाज़ में चोरी करे । ”
अर्ज की गई : " या रसूलल्लाह ! नमाज़ में चोरी कैसे होती है ? ”
फ़रमाया : ( इस तरह कि ) रुकूअ और सज्दे पूरे न करे । "
नमाज़ दुरुस्त और रुकूअ - सजदा सही करने का तरीका।
हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा हैं कि सरकारे मदीना का फरमाने इब्रत निशान है : इन्सान साठ ( 60 ) बरस तक नमाज़ पढ़ता रहता है
लेकिन उस की कोई नमाज़ बारगाहे इलाही में मक़बूल नहीं होती क्यूं कि वोह शख़्स रुकूअ और सज्दे पूरे तौर से अदा नहीं करता ।
नमाज़ की बाज़ ग़लतियों की निशान देही : आ'ला हज़रत इर्शाद फ़रमाते हैं : ( लोग ) नमाज़ में ( इस तरह ) सज्दा करते हैं कि पाउं की उंग्लियों के ( सिर्फ़ ) सिरे ज़मीन पर लगते हैं हालां कि हुक्म है कि पेट ( या'नी उंगली का वोह हिस्सा जो चलने में ज़मीन पर लगता है ) लगे ,
एक उंगली का पेट लगना फ़र्ज़ और हर पाउं की अक्सर ( मसलन तीन तीन ) उंग्लियों का पेट ज़मीन पर जमा होना वाजिब है ।
( फूतावा रविय्या , जि . 3 , स . 253 मुलख़ख़सन )
( और दसों का पेट लग कर उंग्लियों का क़िब्ला रू होना सुन्नत है ) सिर्फ नाक की नोक पर सज्दा करते हैं हालां कि हुक्म है कि जहां तक हड्डी का सख्त हिस्सा है , लगना चाहिये ।
अक्सर देखा जाता है कि रुकूअ से ज़रा सर उठाया और सज्दे की तरफ़ चले गए , सज्दे से एक बालिश्त सर उठाया या बहुत हुवा ज़रा ( मज़ीद ) उठा लिया और वहीं दूसरा सज्दा हो गया !
हालां कि ( रुकूअ के बाद ) पूरा सीधा खड़ा होना और ( दो सज्दों के दरमियान कम अज़ कम एक कहने की मिक्दार पूरा ) बैठना चाहिये । इस तरह अगर 60 बरस नमाज़ पढ़ेगा क़बूल न होगी ।
एक शख़्स मस्जिदे अक्दस में हाज़िर हुए और बहुत तेज़ी से जल्दी जल्दी नमाज़ पढ़ी , बा'दे नमाज़ हाज़िर हो कर सलाम अर्जु किया ।
फ़रमाया “ वापस जा फिर पढ़ कि तू ने नमाज़ न पढ़ी । " उन्हों ने दोबारा वैसे ही पढ़ी , फिर येही इर्शाद हुवा ।
आखिर में उन्हों ने अर्ज की : क़सम उस की जिस ने हुज़ूर को हक के साथ भेजा , मुझे ऐसी ही आती है , हुज़ूर फ़रमाएं ,
( किस तरह पढूं ? )
फ़रमाया : रुकूअ व सुजूद ब इत्मीनान कर और रुकूअ से सीधा खड़ा हो और दोनों सज्दों के दरमियान सीधा बैठ
( मल्फूज़ाते आला हज़रत , स . 291 ) | तो ये था Namaz Ka Tarika In Hindi में।
रिज्क में तंगी का ख़तरा।
शैखुल हदीस हज़रते अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा : आज़मी " बिहिश्त की कुन्जियां " सफ़हा 72 पर फ़रमाते हैं :
नमाज़ को निहायत ही इख़्लास व इत्मीनान और हुज़ूरे कुल्ब ( या'नी दिली तवज्जोह ) के साथ अदा करना चाहिये , नमाज़ में जल्द बाज़ी , गफ़लत और बे तवज्जोही से दुन्या व आखिरत दोनों का अज़ीम नुक्सान है ।
इसलिए हज़रते इमाम अबू हनीफा के दादा उस्ताद हज़रते इब्राहीम नखई का इर्शाद है कि जिस शख़्स को तुम देखो कि रुकूअ और सज्दों को पूरे तौर पर अदा नहीं करता है तो उस के अहलो झ्याल ( या ' नी बाल बच्चों ) पर रहूम करो !
क्यूं कि उन की रोज़ी तंग हो जाने और फ़ाक़ा कशी ( या'नी खाने पीने को न मिलने ) का ख़तरा है ।
एक हदीस में है | कि हज़रते सय्यदुना हुजैफा ने एक शख्स को देखा कि वोह रुकूअ व सुजूद ( या'नी और सज्दों ) को पूरे तौर पर अदा नहीं करता था,
तो आप ने फ़रमाया कि तू ने नमाज़ नहीं पढ़ी और अगर तू इसी हालत में मर जाता तो हज़रते मुहम्मद मुस्तफा पर तेरी मौत न होती ।
तो ये था Namaz Ka Tarika In Hindi में।
किस नमाज़ की तरफ़ नज़रे रहमत नहीं होती ?
हज़रते सय्यदुना तल्क बिन अली बयान करते हैं कि मैं ने अल्लाह पाक के प्यारे नबी | को फ़रमाते सुना :
" अल्लाह पाक उस बन्दे की नमाज़ की तरफ़ नज़र नहीं फ़रमाता जो रुकूअ व सुजूद ( या'नी सज्दे ) में अपनी पीठ सीधी नहीं करता । "
रुकूअ व सुजूद में पीठ सीधी करने का | मतलब ता ' दीले अरकान या'नी रुकूअ , सुजूद , क़ौमा और जल्सा में कम अज़ कम एक बार " सुब्हान अल्लाह " कहने की मिक्दार ठहरना है ।
पीठ सीधी न करने वाले की मिसाल :
हज़रते सय्यदुना अलिय्युल मुर्तज़ा शेरे खुदा बयान करते हैं कि सरकारे नामदार , दो जहां के सरदार ने मुझे हालते रुकूअ में किराअत करने से मन्अ किया और इर्शाद फ़रमाया :
ऐ अली ! नमाज़ में पुश्त ( या'नी पीठ ) सीधी न करने वाले की मिसाल उस हामिला औरत की तरह है कि जब बच्चे की पैदाइश का वक्त करीब आए तो हम्ल गिरा दे , अब न तो वोह हामिला रहे और न ही बच्चे वाली ।
नमाज़ की पाबन्दी जन्नत में ले जाएगी।
अल्लाह करीम के आखिरी नबी ने फरमाया : अल्लाह पाक इर्शाद फ़रमाता है कि मैं ने तुम्हारी उम्मत पर ( दिन रात में ) पांच नमाज़ें फ़र्ज़ की हैं और मैं ने येह अद किया है कि जो इन नमाज़ों की उन के वक्त के साथ पाबन्दी करेगा मैं उस को जन्नत में दाखिल फ़रमाऊंगा और जो पाबन्दी नहीं करेगा तो उस के लिये मेरे पास कोई अद नहीं ।
पांच नमाज़ों के अज़ीमुश्शान फ़ज़ीलत।
इमाम फ़क़ीह अबुल्लैस समर कुन्दी ने ( ताबेई बुजुर्ग ) ' बुल अहबार 5 से नक्ल किया कि उन्हों ने फ़रमाया : मैं ने " तौरैत " के किसी मक़ाम में पढ़ा ( अल्लाह पाक फ़रमाता है :) ऐ मूसा ! फ़ज्र की दो रक्अतें | अहमद और उस की उम्मत अदा करेगी , जो इन्हें पढ़ेगा उस दिन रात के सारे गुनाह उस के बख़्श दूंगा और वोह मेरे ज़िम्मे में होगा ।
ऐ मूसा ! ज़ोह्र की चार रक्अतें अहमद और उस की उम्मत पढ़ेगी उन्हें पहली रक्अत के इवज़ ( या'नी बदले ) बख़्श दूंगा।
और दूसरी के बदले उन ( की नेकियों ) का पल्ला भारी कर दूंगा।
और तीसरी के लिये फ़िरिश्ते मुअक्कल ( या'नी मुक़र्रर ) करूंगा कि तस्बीह ( या'नी अल्लाह पाक की पाकी बयान ) करेंगे और उन के लिये दुआए मरिफ़रत करते रहेंगे।
और चौथी के बदले उन के लिये आस्मान के दरवाज़े कुशादा कर ( या'नी खोल ) दूंगा , बड़ी बड़ी आंखों वाली हूरें उन पर मुश्ताकाना ( या ' नी शौक़ भरी ) नज़र डालेंगी ।
ऐ मूसा ! असर की चार | रक्अतें अहमद और उन की उम्मत अदा करेगी तो हफ्त ( या'नी सातों ) आस्मान व ज़मीन में कोई भ | फ़िरिश्ता बाक़ी न बचेगा , सब ही उन की मरिफ़रत चाहेंगे और मलाएका ( या ' नी फ़िरिश्ते ) जिस की मग़फ़रत चाहें मैं उसे हरगिज़ अज़ाब न दूंगा ।
ऐ मूसा ! मगरिब की तीन रक्अत हैं , उन्हें अहमद और उस की उम्मत पढ़ेगी ( तो ) आस्मान के सारे दरवाज़े उन के लिये खोल दूंगा , जिस हाजत का सुवाल करेंगे उसे पूरा ही कर दूंगा ।
ऐ मूसा ! शफ़क़ डूब जाने के वक्त ' या ' नी इशा की चार रक्अतें हैं , पढ़ेंगे उन्हें अहमद और उन की उम्मत , वोह दुन्या व मा फ़ीहा ( या'नी दुन्या और इस की हर | चीज़ ) से उन के लिये बेहतर हैं , वोह उन्हें गुनाहों से ऐसा निकाल देंगी जैसे अपनी माओं के पेट से पैदा हुए ।
ऐ मूसा ! वुज़ू करेंगे अहमद और उस की उम्मत जैसा कि मेरा हुक्म है , मैं उन्हें अता फ़रमाऊंगा हर क़तरे के इवज़ ( या'नी बदले ) कि पानी से टपके , एक जन्नत जिस का अर्जु ( या'नी | फैलाव ) आस्मान व ज़मीन की चौड़ाई के बराबर होगा । तो ये था Namaz Ka Tarika In Hindi में।
ऐ मूसा ! एक महीने के हर साल रोज़े रखेंगे अहमद और उस की उम्मत और वोह माहे रमज़ान है , मैं अता फ़रमाऊंगा उस के हर दिन के रोज़े के इवज़ ( या'नी बदले ) जन्नत में एक शहर और अता करूंगा उस में नफ़्ल के बदले फ़र्ज़ का सवाब और उस में लैलतुल कुद्र करूंगा ,
जो इस महीने में शर्मसारी व सिद्क ( या'नी शरमिन्दगी व सच्चाई ) से एक बार इस्तिफ़ार ( या ' नी तौबा ) करेगा अगर उसी शब या उसी महीने भर में मर गया उसे तीस शहीदों का सवाब अता फरमाऊंगा । ( हाशियए फ़्तावा रविय्या ( मुखर्रजा ) , जि . 5 , स . 52 ता 54 )