Nikah In Islam In Hindi : इस्लाम में किस से शादी जाइज़, Shadi पर हदीस, क़ुरान की आयात, शादी के मसले पर पूरी मालूमात इन हिंदी इस्लाम में बहन से शादी हिन
निकाह किन लोगों से जाइज नहीं ?
Nikah In Islam In Hindi : दुनिया में इंसान के वजूद को बाकी रखने के लिए कानून ख़ुदा के मुताबिक दो मुखालिफ जिन्स का आपस में मिलना ज़रूरी है लेकिन इसी कानून के मुताबिक कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जिनका जिन्सी तौर पर आपस में मिलना कानूने खुदा के ख़िलाफ़ है ।
Quran में Nikah का बयान In Hindi
आयतः चुनाँचे अल्लाह रब्बुलइज्जत इरशाद फ़रमाता है :
तर्जमाः हराम हुईं तुम पर तुम्हारी माऐं और बेटियाँ और बहनें और फूफियों और खलाऐं और भतीजियाँ और भाँजियाँ और तुम्हारी माऐं जिन्होंने दूध पिलाया और दूध की बहनें और तुम्हारी ) औरतों की माऐं । ( तर्जमा कंजुलईमान पारा -4 सूरह निसा रुकूअ -15 | ( आयत -23 )
कुरआन करीम की इस आयते करीमा से मालूम हुआ कि माँ , बेटी , बहन , फूपी , खाला , भतीजी , भाँजी , दादी , नानी , पोती , नवासी , सगी सास वगैरा से Nikah करना हराम है ।
माँ बहन बेटी से Nikah करने के मसले In Hindi
मसला : माँ सगी हो या सौतेली , बेटी सगी हो या सौतेली , वहन सगी हो या सौतेली , इन तमाम से निकाह हराम है । इसी तरह दादी , परदादी , नानी , परनानी , पोती , परपोती , नवासी , परनवासी , बीच में चाहे कितनी ही पुश्तों का फ़ासिला हो इन सब से निकाह करना हराम है ।
मसलाः जिना से पैदा हुई बेटी , उसकी नवासी उसकी पोती इन तमाम से भी Nikah Karna Haram है ।
( बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 7 सपहा - 14 + कानूने शरीअत जिल्द -2 सहा -47 )
Hadees में Nikah का बयान In Hindi
हदीस 1 :
हज़रत उमरा बिन्त अब्दुर्रहमान व हजरत मौला अली ( रजि . ) से रिवायत है कि सरकारे मदीना ( स.अ. ) ने इरशाद फरमाया :
तर्जमा : रज़ाअत ( दूध के रिश्तों ) से भी वही रिश्ते हराम हो जाते हैं जो विलादत से हराम होते हैं ।
( बुखारी शरीफ जित्द -3 हदीस -90 सपहा -62 तिमिजी शरीफ जिल्द -1 हदीस -1144 सपहा 587 )
यानी किसी औरत का दूध बचपन में पिया तो उस औरत से माँ का रिश्ता काइम हो जाता है । अब उसकी बेटी बहन है । उससे Shadi हराम है । हासिले कलाम ये कि जिस तरह सगी माँ के जिन रिश्तेदारों से शरीअत में निकाह हराम है उसी तरह उस दूध पिलाने वाली औरत के उन रिश्तेदारों से भी Nikah karna Haram है ।
मसला :
शादी हराम होने के लिए ढाई बरस का ज़माना है । काई औरत किसी बच्चे को ढाई बरस के अन्दर अगर दूध पिलाएगी तो हुरमत ( यानी Shadi हराम होना ) साबित हो जाएगी । और अगर ढाई बरस की उम्र के बाद पिया तो हुरमत साबित नहीं होगी । ( यानी Shadi Karna Haram )
( बहारे शरीअत जिल्द -1 हिस्सा - 7 , सपहा - 19 , कानूने शरीअत जिल्द 2 , सपहा 50 )
हदीस 2 :
हज़रत अबूहुरैरा ( रजि . ) से रिवायत है कि सय्यदे आलम ( स.अ.व. ) ने इरशाद फरमाया :
तर्जमा : कोई शख्स अपनी बीवी के साथ उसकी भतीजी या भाँजी से Shadi न करे ।
( बुखारी शरीफ जिल्द 3 बाब 57 हदीस -98 सपहा 66 + Muslim शरीफ जिल्द 1 सपहा 452 )
मसला :
औरत ( बीवी ) की बहन चाहे सगी हो या रज़ाई ( यानी दूध शरीक ) हो । बीवी की ख़ाला या फूफी चाहे सगी हो या रज़ाई । इन सब से भी बीवी की मौजूदगी में Vivah हराम है ।
अगर बीवी को तलाक दे दी तो जब तक औरत की इद्दत ख़त्म न हो उसकी बहन , फूफी ख़ाला वगैरा से निकाह नहीं कर सकता ।
( कानूने शरीअत जिल्द 2 सपहा 48 )
हदीस 3 :
हदीस हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ( रजि . ) से इमाम बुखारी ( रजि . ) रिवायत करते है :
तर्जमा : चार से ज्यादा बीवियाँ इसी तरह हराम हैं जैसे आदमी की अपनी बेटी और बहन ।
( बुखारी शरीफ जिल्द 3 बाब 54 सपहा -64 )
मसला :
जिसमें मर्द और औरत दोनों की अलामतें पाई जाऐं । और ये साबित न हो कि मर्द हैं या औरत तो उसे न मर्द का निकाह हो सकता है , न ही औरत का अगर किया गया तो महज़ बातिल है ( यानी निकाह ही न होगा )
( बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा -7 सपहा- 6 )
Islam में शराबी से Nikah In Hindi
ऐसा शख्स जो शराबी हो या और किसी तरह का नशा करता हो उससे भी रिश्ता नहीं करना चाहिए ।
हदीस 1 :
हुजूर अकरम ( स.अ.व. ) इरशाद फरमाते हैं : " शराबी के निकाह में अपनी लड़की न दो शराबी बीमार पड़े तो उसे देखने न जाओ ।
उस जात की कसम जिसने मुझे नबीए बरहक़ बना कर भेजा शराब पीने वाले पर तमाम आसमानी किताबों में लानत आई है ।
( गुनयतुत्तालिबीन सपहा - 162 )
हदीस 2 :
हज़रत इमाम अबूलैस समरकंदी ( रजि . ) अपनी सनद के साथ अपनी तस्नीफे लतीफ " तंबीहुलगाफुलीन " में रिवायत करते हैं : " बाज़ सहाबाए इकराम से रिवायत है कि जिसने अपनी बेटी का Shaid शराबी मर्द से किया तो उसने उसे जिना के लिए रुख्सत किया ।
मतलब ये कि शराबी आदमी नशे में बकसरत तलाक का जिक्र करता है जिससे उसकी बीवी उस पर हराम हो जाती है । "
( " तंबीहुलगाफलीन " सपहा - 169 )
Islam में काफिर व मुशरिक से Nikah In Hindi
काफिर व मुशरिक मर्द या औरत से मुसलमान मर्द या औरत का शादी करना हराम है ।
आयतः अल्लाह रब्बुलइज्ज़त इरशाद फ़रमाता है :
तर्जमाः और मुशरिकों के Vivah में न दो जब तक वह ईमान न लाऐं
( तर्जमा कंजुलईमान पारा 2 सूरह बकरा रुकूअ - 11 आयत -221 )
मसला : मुसलमान मर्द का मजूसी ( आग की पूजा करने वाली ) बुत परस्त , सूरज को पूजने वाली , सितारों को पूजने वाली इन तमाम में से किसी भी औरत से शादी नहीं होगा ।
( बहारे शरीअत जिल्द - 1 हिस्सा- 7 सपहा - 17 )
आज के इस दौर में अक्सर हमारे मुस्लिम नौजवान काफ़िरा मुशरिका औरतों से निकाह करते हैं और निकाह के बाद उन्हें मुसलमान बनाते हैं । ये निहायत ही गलत तरीका है और शरीअत में हराम है । अव्वल तो Vivah ही नहीं होता क्योंकि निकाह के वक्त तक लड़की कुफ्र पर काइम थी । लिहाज़ा सिरे से निकाह ही न हुआ । पहले उसे मुसलमान किया जाए फिर निकाह किया जाए ।
नबी ने islam में इनसे Nikah पसंद नहीं फरमाया In Hindi
याद रखये ! काफिरा व मुशरिका औरत से मुसलमान कर के Vivah करना जाइज़ तो है लेकिन ये कोई फर्ज़ या वाजिब नहीं बल्कि बाज़ रिवायतों के मुताबिक हुजूरे अकरम ( स.अ.व. ) ने उसे पसंद भी नहीं फ़रमाया । उसकी बहुत सी वुजूहात उलमाए कराम ने बयान फ़रमाई हैं जिनमें से चंद ये हैं :
( 1 ) जिस मुस्लिम औरत से आप ने शादी की अगरचे वह मुसलमान हो गई लेकिन उसके सारे मैके वाले काफिर हैं और अब चूँकि वह आप के रिश्तेदार बन चुके हैं ।
इसलिए आपकी औरत और खुद आपको उनसे तअल्लुकात रखने पड़ते हैं और फिर आगे चल कर मुख्तलिफ़ बुराईयाँ जन्म लेती हैं और नए नए इख़्तिलाफात पैदा होते हैं ।
( 2 ) औरत के नौ Muslim होने की वजह से औलाद की तरबीयत ख़ालिस Islam ढंग से नहीं हो पाती है ।
( 3 ) अगर मुसलमान मर्द का काफिर लड़कियों से निकाह करेंगे तो कुवाँरी Muslim लड़कियों की तदाद में इजाफा होगा ।
Muslim लड़कों की किल्लत होने लगेगी और Muslim लड़कियों को बड़ी उम्र तक कुवाँरी रहना पड़ेगा और ज़्यादा उम्र तक कुवाँरी जिन्दगी नई नई बुराईयों के जन्म का सबब बनेगी ।
( 4 ) दीने Islam में मुशरिकाना रसमों का रिवाज पड़ेगा । में इस तरह की सैंकड़ों बातें हैं जिन्हें यहाँ बयान करना मुमकिन नहीं हासिल ये कि काफ़िरा व मुशरिका लड़की या औरत से शादी न करे यही बेहतर है । इससे दीन व दुनिया का बड़ा नुक्सान है ।
इसलिए अल्लाह तआला ने जहाँ मुशरिक औरतों को मुसलमान कर के Vivah की इजाज़त दी वहीं मोमिन लौंडी से निकाह को ज़्याद बेहतर बताया ये बनिस्बत इसके कि मुशरिका व काफिरा औरत से निकाह किया जाए ।
अक्सर मुसलमान लड़के गैर Muslim लड़की से मुहब्बत करते हैं । मुसलमान लड़के से पहले मुहब्बत और फिर शादी करने वाली लड़कियाँ अक्सर साथ नहीं निभाती हैं
और ज़रा सी अन बन हो जाने पर " हिन्दू मुस्लिम तफरीक का बखेरा खड़ा करने की कोशिश करती हैं लेकिन जो औरत या लड़की पहले Islam से मुतासिर हुई , उसे प्यार व मुहब्बत या शादी की कोई लालच नहीं ।
थी और उसे दीन Islam पर काइम हुए एक अर्सा गुज़र गया । ऐसी लड़की या औरत से जरूर Nikah कर लेना चाहिए ताकि Islam कुबूल करने पर कुवाँरगी की सज़ा का ताना उसे गैर Muslim न दें ।