Dua After Azan (azan ke baad ki dua) in hindi, arabic, english, urdu text, अज़ान के बाद की दुआ हिंदी, अरबी, उर्दू, इंग्लिश में और अज़ान के बोल
Azan Ke Baad Ki Dua - इस्लाम रूल के हिसाब से एक दिन में पांच बार मस्जिद में अज़ान दी जाती है और मुअज्ज़िन जब अज़ान पढता है अज़ान सुन के शैतान भाग जाता है,
और सिर्फ मोमिन ही अज़ान को बड़े गौर से सुनता है और अज़ान का जवाब देता है और अज़ान ख़तम होने पर Dua After Azan पढता है
तो क्या आप भी अजान के बाद की दुआ, तर्जुमा साथ जानना चाहते है तो आप सही जगह पर आए है
दिन में पाँच बार नमाज़ पढ़ी जाती है, और हर नमाज़ से पहले अज़ान दी जाती है । कुछ लोग अपनी दिमागी कमजोरी के कारण यह समझते हैं कि अज़ान में चीख - चीखकर ईश्वर को पुकारा जाता है ।
Azan Ke Baad Ki Dua (Dua After Azan)
अज़ान की दुआ Dua After Azan In Hindi
"अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती सैय्यिदिना मुहम्मदा नील वसिलता वल फ़ज़ीलता वद्दरजतल रफ़ीअता वब’असहू मक़ामम महमूदा निल्ल्जी व्’अत्तहू वर ज़ुक्ना शफ़ाअतहु यौमल क़ियामती इन्नका ला तुखलिफुल मीआद |"
अजान के बाद की दुआ का तर्जुमा
तर्जुमा : या अल्लाह ! इस पूरी पुकार और कायम होने वाली नमाज़ के रब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैवसल्लम को वसीला और फ़ज़ीलत अता फरमा और उनको मक़ामे महमूद में खड़ा कर जिसका तूने उनसे वादा फ़रमाया है बेशक तू वादा खिलाफी नहीं करता |
अज़ान की दुआ Dua After Azan In Arbic
اَللّٰہُمَّ رَبَّ ھٰذِہِ الدَّعْوَةِ التَّآمَّةِ وَالصَّلٰوةِ الْقَآئِمَةِ اٰتِ مُحَمَّدَنِ الْوَسِیْلَةَ وَالْفَضِیْلَةَ وَابْعَثْہُ مَقَامًا مَّحْمُوْدَنِ الَّذِیْ وَعَدْتَّہ ۔
अज़ान की दुआ Dua After Azan In Urdu
یااللہ !اس کامل اعلان اور قائم ہونے والی نماز کے مالک، محمدۖکو مقامِ وسیلہ عطا فرما اور ان کی فضیلت میں اضافہ فرما اور ان کو مقامِ محمود پر پہنچا جس کا تو نے ان سے وعدہ کیا ہے ۔
अज़ान की दुआ Dua After Azan In English
O Allah , Lord of this perfect call and established prayer. Grant Muhammad the intercession and favor, and raise him to the honored station You have promised him, [verily You do not neglect promises].
अज़ान देने का तरीका Azan Dene Ka Tarika, अज़ान के बोल :
अज़ान देनेवाला अज्ञान में निम्न बोल बोलता है ।
अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ।
“ ईश्वर ही महान है । ईश्वर ही महान है । "
अश्हदु अल्ला इला - ह इल्लल्लाह ,
अश्हदु अल्ला इला - ह इल्लल्लाह "
मैं साक्षी हूँ कि ईश्वर के सिवा कोई पूज्य - प्रभु नहीं है । मैं साक्षी हूँ कि ईश्वर के सिवा कोई पूज्य - प्रभु नहीं है ।
" अश्हदु अन - न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह ।
अश्हदु अन - न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह । "
मैं साक्षी हूँ कि मुहम्मद ईश्वर के सन्देष्टा हैं । ” “ मैं साक्षी हूँ कि मुहम्मद ईश्वर के सन्देष्टा हैं ।
" हय - य अलस्सलाह
हय - य अलस्सलाह । “
आओ नमाज़ की ओर आओ नमाज़ की ओर । "
हय - य अलल फ़लाह
हय - य अलल फ़लाह ।
“ आओ सफलता एवं कल्याण की ओर । आओ सफलता एवं कल्याण की ओर । "
अल्लाहु अकबर
अल्लाहु अकबर ।
“ ईश्वर ही महान है । ईश्वर ही महान है । "
ला इला - ह इल्लल्लाह “
ईश्वर के सिवा कोई पूज्य - प्रभु नहीं है । "
फज़र की Azan Ka तरीका
फज़र की नमाज़ Fazar Ki Namaz Ki Azan
नोट : सूर्योदय से पूर्व की नमाज़ के लिए जो अज़ान दी जाती है उसमें ये बोल शामिल किए जाते हैं :
अस्सलातु खैरुम्मिनन्नौम ,
अस्सलातु खैरुम्मिनन्नौम "
नमाज़ नींद से उत्तम है । नमाज़ नींद से उत्तम है । "
यह है Azan और उसके मंगलकारी बोल । इसके द्वारा उन समस्त लोगों को नमाज़ के लिए पुकारा जाता है जो एक ईश्वर में आस्था रखते हैं और मुहम्मद ( सल्ल 0 ) को ईश्वर का पैग़म्बर और सन्देष्टा मानते हैं ।
Azan और नमाज़ के संबंध में अनभिज्ञता के कारण बड़ी भ्रान्तियाँ पाई जाती हैं । यह बात उस समय और अधिक दुखद हो जाती है
जब बिना सही जानकारी के इस्लाम की इस पवित्र एवं कल्याणकारी उपासना के संबंध में निसंकोच अनुचित टीका - टिप्पणी तक कर दी जाती है
और उसके बारे में सही जानकारी प्राप्त करने का कष्ट तक नहीं किया जाता । इस नीति को अपनानेवाले समाज के अनेक वर्गों के लोग हैं ।
शिक्षित लोग भी हैं और जन - सामान्य भी बहुत से लोग अज्ञानतावश यह समझते हैं कि अज्ञान में अकबर बादशाह को पुकारा जाता है ।
आज बहुत - सी समस्याओं का मूल कारण एक - दूसरे के बारे में सही जानकारी का न होना है । यह अत्यन्त दुखद स्थिति है कि
जानकारी हासिल करने के इतने अधिक संसाधन उपलब्ध होते हुए भी हम सभ्य एवं शिक्षित कहे जानेवाले लोग परस्पर एक - दूसरे के संबंध में अंधकार में रहते हैं ।
अनभिज्ञता और द्वेष के कारण ऐसा भी होता है । कि मनुष्य ऐसी बात का दुश्मन हो जाता है जो वास्तव में उसके कल्याण की है ।
ऐसा ही कुछ इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के साथ हुआ है और निरन्तर हो रहा है ।
इस आर्टिकल में नमाज़ का महत्व और अज्ञान तथा नमाज़ का मूल अर्थ बताया गया है । ताकि इनका सही स्वरूप जनसामान्य के सामने आ सके और इनके संबंध में भ्रान्तियाँ दूर हो सकें ।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि नमाज़ में आप अपने दिलों की शान्ति और नेत्रों की ठंढक पाएँगे ।