Ahle Bait Hadees अहले बैत पर मुक्तसर 20 हदीस शरीफ हिंदी में In Hindi - Ahl al-Bayt Hadit - Ahlul Bayt.
Ahle Bait Hadees अहले बैत पर हदीस In Hindi - Ahlul Bayt
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Ahle Bait Hadees - अहले बैत की मुहब्बत हर मुसलमान पर फर्ज है क्योंकि मुहब्बते अहले बैत Ahle Bait ईमान की जान और शर्ते ईमान है उनकी मुहब्बत के बगैर किसी शख्स के दिल में ईमान दाखिल नहीं हो सकता.
हदीस पाक Hadees Paak में वारिद है रहमते दो आलम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमाया इस्लाम की बुनियाद मेरी और मेरे अहले बैत की मुहब्बत है
और हम तमाम मुसलमानों के लिये हुक्मे खुदावन्दी है कि अहले बैत से मुहब्बत करो अहले बैत की मुहब्बत मुहब्बते रसूल है और मुहब्बते रसूल मुहब्बते खुदा है ।
अहले बैत अतहार Ahle Bait Athar की शानो अजमत व कदरो मन्जिलत व कमालातो किरदार इन्तिहाई बुलन्द व बाला हैं अल्लाह रब्बुल इज्जत ने इन्हें मखसूस सिफात और पाकीजगी का आला तरीन नमूना बनाया और अजीम मरतबों से नवाजा।
अहले बैत अतहार की फजीलत Fazilat में बेशुमार अहादीस Ahle Bait Hadees मन्कूल हैं और इनकी शानो अजमत में आयाते कुरआनी Aayte Qurani नाजिल हुई हैं जिनमें बाज का तजकिरा हस्बे जैल है ।
कुरान मजीद Quran Mazid में इरशादे बारी तआला है ऐ महबूब ( सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ) आप मुसलमानों से फरमां दीजिये कि मैं तबलीग पर तुमसे कोई बदला या सिला नहीं मांगता अलबत्ता मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे कराबतदारों से मुहब्बत करो । ( सू ० - शूरा -२३ )
Ahle Bait Hadees अहले बैत पर 20 हदीस In Hindi
( हदीस 1 )
मुहिब्बे तबरी ने एक रिवायत नकल फरमाई है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : अल्लाह तआला ने तुम ( उम्मती ) पर जो मेरा अज्र मुकर्रर किया है वह मेरे अहले - बैत Ahle Bait से मुहब्बत करना है । और मैं कल तुमसे उनके बारे में दर्याफ्त करूंगा । ( सवाइके मुहर्रका सफा 753)
( हदीस 2 )
हजरत अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले मकबूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो नेमतें अल्लाह तआला तुम ( उम्मती ) को दे रहा है उनके बाइस उनसे मुहब्बत रखो और मुझसे खुदाए तआला की मुहब्बत की वजह से मुहब्बत रखो और मेरी मुहब्बत की वजह से मेरे अहले - बैत से मुहब्बत Se Muhabbat रखो । ( तिर्मिजी शरीफ - जिल्द 2 सफा : 768 )
( हदीस 3 )
तबरानी ने हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हुमा से एक रिवायत नकल फरमाई है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखरी कलाम यह फरमाया कि मेरे अहले - बैत के मुतअल्लिक मेरे जानशीन बनो । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 507 )
( हदीस 4 )
हजरत अबू - बक्र वारजमीं के हवाले से रिवायत नक्ल की गयी है कि रसूलुल्ल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए तो आपका रुखे अनवर इस तरह तलअतबार था जैसे चाँद का दायरा ।
हजरत - अबदुर्रहमान बिन औफ रजियल्लाहु अन्हु ने उस मुसर्रत के मुतअल्लिक पूछा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : मुझे मेरे परवरदिगार की तरफ से बशारत दी गयी है कि मेरे चचाजाद भाई अली और मेरी चहेती बेटी फातिमा को अल्लाह तआला ने रिश्तए जौजीयत में मुन्सलिक फरमाकर रिजवाने खाजिने जन्नत को हुक्म फरमाया कि वह जन्नती दरख्त तूबा को हिलाए .
और उसके गिरने वाले तमाम पत्ते मुहिब्बाने अहले - बैत Ahle Bait की तादाद के मुताबिक उठा लिये जाएं । फिर तूबा के नीचे नूर से फरिश्ते पैदा किए और वह पत्ते फरिशतो को दिए गए । पस जब क्यामत काइम होगी
तो फरिशते तमाम मखलूकात में निदा फरमाएंगे और मुहिब्बाने अहले - बैत Ahl al-Bayt में से कोई शख्स भी ऐसा शख्स न होगा जिसे वह पत्ता न दिया - जाए और उस पत्ते पर मुहिबाने अहले - बैत Ahlul Bayt के लिये जहन्नम से रिहाई के बारे में लिखा होगा । ... ( सवाइके मुहर्रका सफा : 581 )
( हदीस 5 )
तबरानी और हाकिम हजरत इब्ने अब्बास रजियल्लाह अनहुमा रिवायत करते हैं कि रसूले काइनात सल्लल्लाहु अलैहि वसलम फरमाया : अगर कोई शख्स बैतुल्लाह शरीफ के एक गोशा और मकामे इब्राहीम के दर्मियान चला जाये और नमाज पढ़े और रोजे रखे फिर व अहले - बैत की दुशमनी Ahl al-Bayt Ki Dushmani पर मर जाए आग में जाएगा जहन्नम की । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 795 ) '
( हदीस 6 )
रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : अल्लाह तआला मेरे अहले - बैत पर जुल्म Ahlul Bayt Par Julm करने वाले , उनसे जंग करने वाले और उन्हें बुरा कहने वाले इन सब पर जन्नत हराम कर दिया है । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 765 - खसाइसुल कुबरा जिल्द दोम सफा : 466 )
( हदीस 7 )
तबरानी ने ब्यान किया है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अली से फरमाया : तू और तेरे अहले - बैत और तुम्हारे चाहने वाले ( मोहब्बत करने वाले ) जिन्होंने मेरे सहाबा को . गाली देने की बिदअत एखतियार नहीं की वह हौजे कौसर पर सैराब और सफेद - रू जाहिर होंगे । और तुम्हारे दुशमन प्यासे और सर उठाए हुए आएंगे । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 766 )
( हदीस 8 )
वैल्मी ने हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : तुममें जयादा बेहतर वह है जो मेरे बाद मेरे अहले - बैत Ahl al-Bayt के लिये साबित हो । ( सवाइके मुहर्रका सफा 622 )
( हदीस 9 )
मुहिब्बे तबरी ने शपुन्नुबुव्वत में हजरत अबी - सईद से बिला असनाद ब्यान किया है कि मैं और अहले - बैत जन्नत Ahlul Bayt Jannat का दरख्त हैं और उसकी शाखें दुनिया में हैं जो उनसे वाबस्ता रहेगा वह अपने रब की तरफ रास्ता पाएगा । ( सवाइके मुहर्रका , सफा : 780 ) .
( हदीस 10 )
हजरत मौला अली रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : तुममें से सबसे ज्यादा पुलसिरात पर साबित कदम रहने वाला वह शख्स होगा . जो मेरे अहले - बैत और मेरे असहाब की मुहब्बत में ज्यादा मज़बूत कवी और सख्त होगा । . ( सवाइके मुहर्रका सफा : 624 )
( हदीस 11 )
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिसने मेरे अहले - बैत Ahle Bait को बुरा - भला कहा तो वह अल्लाह तआला और इस्लाम से मुरतद हो गया और जिसने मेरी औलाद को तकलीफ दी उस पर अल्लाह की लानत होगी । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 765 )
( हदीस 12 )
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : आले मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मारफत ( पहचान ) दौजख के अजाब से नजात का बाइस है
और मुहब्बत रखना आले मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) से पुलसिरात से गुजर जाने की सनद है और विलायते आले मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) की अमान ( हिफाजत ) है अजाब से । ( शिफा शरीफ जिल्द 2 सफा : 97 )
( हदीस 13 )
हजरत अब्दुल्लाह इब्न उमर रजियल्लाहु अन्हुमा से मर्वी है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : मेरी उम्मत में सबसे पहले मेरी शफाअत अपने अहले - बैत Ahl al-Bayt के लिये होगी । . ( सवाइके मुहर्रका सफा : 778 )
( हदीस 14 )
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : क्यामत के रोज चार किस्म के आदमियों की शफाअत करूंगा ।
१ , जो मेरी आल व औलाद की इज्जत करेगा ,
२ , जो उनकी जसरियात को पूरा करेगा ,
३ , जब वह किसी काम में परेशान हो जायें तो उनके उमूर को पाए तकमील तक पहुंचाने के लिए सरगरमे अमल हो जाएय और ४ जो अपने दिल और जुबान से उनका चाहने वाला हो । ( मनाकिबे अहले - बैत सफा : 70 , सवाइके मुहर्रका सफा : 692 व 589 )
( हदीस 15 )
तबरानी शरीफ में है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मेरे अहले - बैत के बारे में मेरी मुहब्बत का ख्याल रखो । इसलिए कि जो शख्स अहले - बैत Ahle Bait से और हमसे मुहब्बत रखते हुए अल्लाह तआला से मिलेगा तो वह हमारी शफाअत से जन्नत में दाखिल होगा ।
उस जात की कसम जिसके कबजए कुदरत में मेरी जान है किसी शख्स का कोई भी नेक अमल उसको कुछ फायदा न देगा जब तक कि वह हमारे हुकूक को न पहचाने और उनको अदा न करे । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 766 ) .
( हदीस 16 )
वैल्मी ने ब्यान किया है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो शख्स खुदाए तआला से मुहब्बत रखता है वह कुरआन से मुहब्बत रखता है
( और जो कुरआन से मुहब्बत रखता है वह मुझसे मुहब्बत रखता है । ) और मुझसे मुहब्बत रखता है । वह मेरे असहाब और कराबतदारों से मुहब्बत रखता है । ( सवाइके मुहर्रका सफ । : 767)..
( हदीस 17 )
मुहिब्बे तबरी ने रिवायत किया है कि मोमिन और मुत्तकी अहले - बैत से मुहब्बत Ahlul Bayt Se Muhabbat रखता है और मुनाफिक और शकी अहले बैत Ahle Bait Hadees बुग्ज रखता है । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 767 )
( हदीस 18 )
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जिसने मेरे अहले - बैत के किसी आदमी से बुग्ज रखा वह मेरी शफाअत से महरूम रहेगा । ( सवाइके मुहर्रका , सफा : 794 )
( हदीस 19 )
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : मेरे अहले - बैत हौजे कौसर Ahl al-Bayt Hauje Kausar पर आएंगे और मेरी उम्मत में जो शख्स उनसे मुहब्बत करेगा वह दो उंगलियों ( आमने - सामने ) की तरह उनके साथ इकट्ठा होगा । ( सवाइके मुहर्रका सफा : 516 )
( हदीस 20 )
हाफिज इब्ने असाकिर की रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फरमाया इस्लाम की बुनियाद मेरी मुहब्बत और मेरे अहले - बैत Ahle Bait Hadees की मुहब्बत है । ( मनाकिब अहले - बैत सफा : 91 )