बेशुमार Ramzan Ki Fazilat In Hindi Bayan, रमजान की फ़ज़ीलत hadees, quran se हिंदी में, Ramjan ki fazeelat, ramadan
( मिरआत , जि . 3 , स . 137 )
नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है , अर्श उठाने वाले फ़िरिश्ते रोज़ादारों की दुआ पर आमीन कहते हैं और
फ़रमाने मुस्तफ़ा के मुताबिक़ : " रमज़ान के रोज़ादार के लिये मछलियां इफ्तार तक दुआए मरिफरत करती रहती
बेशुमार Ramzan Ki Fazilat In Hindi रमजान की फ़ज़ीलत हिंदी में
- Ramzan इबादत का दरवाज़ा
अल्लाह के महबूब , दानाए गुयूब , मुनज्जहुन अनिल उयूब का फ़रमाने आलीशान है : " रोज़ा इबादत का दरवाज़ा है । "
- Ramadan महीनों के नाम की वज्ह
रमज़ान , येह " रम्जुन " से बना जिस के मा'ना हैं : “ गरमी से जलना । " क्यूं कि जब महीनों के नाम क़दीम अरबों की ज़बान से नक्ल किये गए तो उस वक़्त जिस किस्म का मौसिम था
उस के मुताबिक़ महीनों के नाम रख दिये गए इत्तिफ़ाक़ से उस वक़्त रमज़ान सख्त गर्मियों में आया था इसी लिये येह नाम रख दिया गया ।
हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान फ़रमाते हैं : बा'ज़ मुफस्सिरीन , ने फ़रमाया कि जब महीनों के नाम रखे गए तो जिस मौसिम में जो महीना था उसी से उस का नाम हुवा ।
जो महीना गरमी में था उसे Ramjan कह दिया गया और जो मौसिमे बहार में था उसे रबीउल अव्वल और जो सर्दी में था जब पानी जम रहा था उसे जुमादल ऊला कहा गया ।
- नुजूले कुरआन
इस माहे मुबारक की एक खुसूसिय्यत येह भी है कि अल्लाह ने इस में Quran पाक नाज़िल फ़रमाया है । चुनान्चे पारह 2 सूरतुल बक़रह आयत 185 में मुक़द्दस कुरआन में खुदाए रहमान का फरमाने आलीशान है :
तरजमए कन्जुल ईमान : रमज़ान Ramjan का महीना , जिस में कुरआन Quran उतरा , लोगों के लिये हिदायत और रहनुमाई और फैसले की रोशन बातें ,
तो तुम में जो कोई येह महीना पाए ज़रूर इस के रोज़े रखे और जो बीमार या सफ़र में हो , तो उतने रोज़े और दिनों में ।
अल्लाह तुम पर आसानी चाहता है और तुम पर दुश्वारी नहीं चाहता इस लिये कि तुम गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो इस पर कि उस ने तुम्हें
- सुर्ख याकूत का घर - Ramzan की पहली रात In Hindi
हज़रते सय्यिदुना अबू सईद खुदरी से रिवायत है : मक्की मदनी सुल्तान , रहमते आलमिय्यान का फ़रमाने रहमत निशान है : “ जब माहे रमज़ान की पहली रात आती है
तो आस्मानों के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और आखिरी रात तक बन्द नहीं होते । जो कोई बन्दा इस माहे मुबारक की किसी भी रात में नमाज़ पढ़ता है
तो अल्लाह उस के हर सज्दे के इवज़ ( या'नी बदले में ) उस के लिये पन्दरह सो नेकियां लिखता है और उस के लिये जन्नत में सुर्ख याकूत का घर बनाता है ।
पस जो कोई माहे Ramjan का पहला रोज़ा रखता है तो उस के साबिका गुनाह मुआफ़ कर दिये जाते हैं , और उस के लिये सुब्ह से शाम तक 70 हज़ार फ़िरिश्ते दुआए मरिफ़रत करते रहते हैं ।
रात और दिन में जब भी वोह सज्दा करता है उस के हर सज्दे के बदले उसे ( Jannat में ) एक एक ऐसा दरख़्त अता किया जाता है कि उस के साए में ( घोड़े ) सुवार पांच सो बरस तक चलता रहे । "
- जन्नत सजाई जाती है In Hindi में
हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने उमर से रिवायत है कि ताजदारे मदीना , सुरूरे कल्बो सीना , फैज़ गन्जीना , साहिबे मुअत्तर पसीना का फ़रमाने बा करीना है :
बेशक जन्नत साल के शुरूअ से अगले साल तक रमज़ानुल मुबारक के लिये सजाई जाती है । और फ़रमाया : Ramzan Sharif के पहले दिन जन्नत के दरख्तों के पत्तों से बड़ी बड़ी आंखों वाली हूरों पर हवा चलती है
और वोह अर्ज करती हैं : “ ऐ परवर दगार ! अपने बन्दों में से ऐसे बन्दों को हमारा शोहर बना जिन को देख कर हमारी आंखें ठन्डी हों और जब वोह हमें देखें तो उन की आंखें भी ठन्डी हों । "
- Ramzan में जन्नत कौन सजाता है ?
मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान हदीसे पाक के इस हिस्से : " बेशक जन्नत साल के शुरूअ से अगले साल तक Ramjan के लिये सजाई जाती है "
के तहत मिरआत जिल्द 3 सफ़हा 142 ता 143 पर फ़रमाते हैं । : या'नी ईदुल फित्र का चांद नज़र आते ही , अगले रमज़ान के लिये जन्नत की आरास्तगी ( या'नी सजावट ) शुरू हो जाती है
और साल भर तक फ़रिश्ते इसे सजाते रहते हैं Jannat खुद सजी सजाई फिर और भी ज़ियादा सजाई जाए , फिर सजाने वाले फ़रिश्ते हों , तो कैसी सजाई जाती होगी ,
इस की सजावट हमारे वमो गुमान से वरा है , बा'ज़ मुसल्मान रमज़ान में मस्जिदें सजाते हैं , वहां कलई चूना करते हैं , झन्डियां लगाते , रोशनी करते हैं इन की अस्ल येह ही हदीस है ।
इस तरह बहुत सी हदीसे और बाते हैं जो रमजान के महीने में होता हैं अल्लाह के जानिब से खास अपने बन्दों के लिए। जैसे की इस पोस्ट में निचे पांच खास बात और भीं बताए हैं हमने
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- Ramzan के महीने में 5 पांच खुसूसी करम बन्दों के लिए In Hindi
हज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत है कि रहमते आलमिय्यान , सुल्ताने दो जहान , शहनशाहे कौनो मकान का फ़रमाने ज़ीशान है : “ मेरी उम्मत को माहे रमज़ान में पांच चीजें ऐसी अता की गई जो मुझ से पहले किसी नबी को न मिलीं :
( 1 ) जब रमज़ानुल मुबारक की पहली रात होती है तो अल्लाह 4 इन की तरफ रहमत की नज़र फ़रमाता है और जिस की तरफ़ अल्लाह नज़रे रहमत फ़रमाए उसे कभी भी अज़ाब न देगा
( 2 ) शाम के वक़्त इन के मुंह की बू ( जो भूक की वज्ह से होती है ) अल्लाह तआला के नज़्दीक मुश्क की खुश्बू से भी बेहतर है
( 3 ) फ़िरिश्ते हर रात और दिन इन के लिये मरिफरत की दुआएं करते रहते हैं
( 4 ) अल्लाह तआला जन्नत Jannat को हुक्म फ़रमाता है : “ मेरे ( नेक ) बन्दों के लिये मुज़य्यन ( या'नी आरास्ता ) हो जा अन्क़रीब वोह दुन्या की मशक्कत से मेरे घर और करम में राहत पाएंगे "
( 5 ) जब माहे रमज़ान Ramjan की आखिरी रात आती है तो अल्लाह सब की मग्फिरत फ़रमा देता है । कौम में से एक शख्स ने खड़े हो कर अर्ज़ की : या रसूलल्लाह ! क्या वोह लयलतुल क़द्र है ? " इर्शाद फ़रमाया : नहीं , क्या तुम नहीं देखते कि मज़दूर जब अपने कामों से फ़ारिग हो जाते हैं तो उन्हें उजरत दी जाती है । "
Ramzan Ki 13 अहम् Fazilat जो हर कोई नहीं जनता In Hindi Main
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( 1 ) 13 का'बए मुअज्जमा मुसल्मानों को बुला कर देता है और येह आ कर रहमतें बांटता है । गोया वोह ( या'नी का'बा ) कूवां है और येह ( या'नी रमज़ान शरीफ़ ) दरिया , या वोह ( या'नी का'बा ) दरिया है और येह ( या'नी रमज़ान ) बारिश ।
( 2 ) हर महीने में खास तारीखें और तारीखों में भी ख़ास वक्त में इबादत होती है , मसलन बकर ईद की चन्द ( मख्सूस ) तारीखों में हज , मुहर्रम की दसवीं तारीख़ अफ़्ज़ल ,
मगर माहे रमज़ान में हर दिन और हर वक्त इबादत होती है । रोज़ा इबादत , इफ्तार इबादत , इफ्तार के बा'द तरावीह का इन्तिज़ार इबादत , तरावीह पढ़ कर सहरी के इन्तिज़ार में सोना इबादत , फिर सहरी खाना भी इबादत , अल गरज़ हर आन में खुदा की शान नज़र आती है ।
( 3 ) रमज़ान एक भट्टी है जैसे कि भट्टी गन्दे लोहे को साफ़ और साफ़ लोहे को मशीन का पुर्जा बना कर कीमती कर देती है
और सोने को जेवर बना कर इस्ति'माल के लाइक कर देती है , ऐसे ही माहे रमज़ान गुनहगारों को पाक करता और नेक लोगों के दरजे बढ़ाता है ।
4 ) Ramzan Mubarak में नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना मिलता है ।
( 5 ) बा'ज़ उलमा फ़रमाते हैं कि जो रमजान मुबारक में मर जाए उस से सुवालाते क़ब्र भी नहीं होते ।
( 6 ) इस महीने में शबे क़द्र है , गुज़श्ता आयत ( या'नी पारह 2 सूरतुल बक़रह आयत 185 ) से मालूम हुवा कि कुरआन रमज़ान में आया और दूसरी जगह फ़रमाया :
तरजमए कन्जुल ईमान : बेशक हम ने इसे शबे क़द्र में उतारा । दोनों आयतों के मिलाने से मालूम हुवा कि शबे क़द्र रमज़ान में ही है और वोह गालिबन सत्ताईसवीं शब है , क्यूं कि लयलतुल कद्र में नव हरूफ़ हैं और येह लफ़्ज़ सूरए कद्र में तीन बार आया । जिस से सत्ताईस हासिल हुए मालूम हुवा कि वोह सत्ताईसवीं शब है
( 7 ) Ramzan Mubarak में दोज़ख़ के दरवाजे बन्द हो जाते हैं जन्नत आरास्ता की जाती है , इस के दरवाजे खोल दिये जाते हैं । इसी लिये इन दिनों में नेकियों की ज़ियादती और गुनाहों की कमी होती है
जो लोग गुनाह करते भी हैं वोह नफ़्से अम्मारा या अपने साथी शैतान ( हमजाद ) के बहकाने से करते हैं ।
( 8 ) रमजान मुबारक के खाने पीने का हिसाब नहीं । ( या'नी सहरो इफ्तार के । खाने पीने का )
( 9 ) क़ियामत में रमज़ान व Quran रोज़ादार की शफाअत करेंगे कि रमज़ान तो कहेगा : मौला ! मैं ने इसे दिन में खाने पीने से रोका था
और कुरआन अर्ज करेगा कि या रब ! मैं ने इसे रात में तिलावत व तरावीह के जरीए सोने से रोका ।
( 10 ) हुजूर रमजान मुबारक में हर कैदी को छोड़ देते थे और हर साइल को अता फ़रमाते थे , रब भी रमज़ान में जहन्नमियों को छोड़ता है , लिहाज़ा चाहिये कि रमजान में नेक काम किये जाएं और गुनाहों से बचा जाए ।
( 11 ) कुरआने करीम में सिर्फ Ramzan Sharif ही का नाम लिया गया और इसी के फ़ज़ाइल बयान हुए , किसी दूसरे महीने का न सराहतन न ऐसे फ़ज़ाइल ।
महीनों में सिर्फ माहे रमज़ान का नाम कुरआन शरीफ़ में लिया गया । औरतों में सिर्फ बीबी मरयम का नाम कुरआन Quran में आया ।
सहाबा में सिर्फ हज़रते ( सय्यिदुना ) जैद इब्ने हारिसा का नाम कुरआन में लिया गया जिस से इन तीनों की अजमत मालूम हुई ।
( 12 ) रमज़ान शरीफ़ Ramzan Sharif में इफ्तार और सहरी के वक्त दुआ कबूल होती है या'नी इफ्तार करते वक्त और सहरी खा कर । येह मर्तबा किसी और महीने को हासिल नहीं ।।
( 13 ) रमजान मुबारक में पांच हुरूफ़ हैं : से मुराद रहमते इलाही , - से मुराद महब्बते इलाही , से मुराद ज़माने इलाही , से अमाने इलाही , से नूरे इलाही ।
और रमज़ान में पांच इबादात खुसूसी होती हैं : रोज़ा , तरावीह , तिलावते कुरआन Quran , ए'तिकाफ़ , शबे क़द्र में इबादात ।
तो जो कोई सिद्के दिल से येह पांच इबादात करे वोह उन पांच इन्आमों का मुस्तहिक है ।
( तफ्तीरे नईमी , जि . 2 , स . 208 )
हर मोमिन मुस्लमान अल्लाह का जीतन शुक्र अदा करता हैं उतना कम हैं Ramzan Ki Fazilat की हम गुन्हा गार बन्दों को रमजान जैसा मुकदस महीना अता फरमाया हैं इस पोस्ट में इतना ही जिसका टाइटल Ramzan Ki Fazilat In Hindi हैं इसे शेयर करे
- निचे कुछ सवाल के जवाबात हैं जो हर किसी रमजान के बारे में जानने वाले के दिमाग में होते हैं
रमजान के कितने दिनों बाद ईद आती है
ये बताना संभव नहीं है की रमजान के कितने दिनों बाद ईद आती है। ये सब चाँद पर निर्भर होता हैं इस्लामिक महीना चाँद दिखने पर महीना ख़तम और अगला महीना चालू होता हैं अगर रमजान महीने के 28 वे की रात चाँद दीखता हैं तो 29 दिन ईद मनाई जाती हैं अगर 29 दिन के रात में चाँद दीखता हैं तो 30 वे दिन ईद मनाई जाती हैं
रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग कहां जाते हैं
ईद मतलब खुसिया और नया सवेर। मुस्लमान हर गम और दुश्मनी को भूलकर अपने रिश्तेदारों और अस्स पड़ोस में और अपने दुश्मन से मिलकर गले लगकर बधाईया देता हैं और सेवाईया खाने जाता हैं
रमजान पर्व के बारे में आप क्या जानते हैं
रमजान यहाँ एक इस्लामिक महीना हैं जो अल्लाह का महीना होता हैं इस रमजान महीने में हर मुस्लमान को रोज़ा रखना होता हैं और पुरे दिन सूरज डूबने तक भूके प्यासे रहकर अपने रब की इबादत करना होता हैं रमजान महीना ख़तम होने के बाद ईद का दिन होता हैं जिसे रमजान ईद कहा जाता हैं
रमजान का हिंदी अर्थ
रमजान का सीधा साधा हिंदी अर्थ रमजान महीना ही होता हैं और यहाँ हर धर्म के तरह इस्लामिक का अलग साल में, 12 महीनो में एक महीना होता हैं जिसमे पुरे रमजान महीने में हर बालिग से लेकर हर मुस्लमान को रोज़ा रखें होता हैं और अल्लाह की इबादत करना होता हैं
रोजा का इतिहास
रामजान का कोई इतिहास नहीं बल्कि रमजान ही अपने आप में एक इतिहास हैं, जब से दुनिया वजूद में आई हैं तब से ही रमजान का महीना साल के हर 12 महीनो में से एक महीना हैं जो आदम अलियसलाम के दौर से हैं
रोजा क्यों मनाया जाता है
इस्लाम में रोज़ा पांच फर्ज़ो में से एक फ़र्ज़ हैं जो हर मुस्लमान को अदा करना मनो पत्थर की लकीर से भी बढ़कर हैं रोज़ा और बाकि 4 फर्ज़ो को अदा करने वाला असली मोमिन कहलाता हैं
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